हाथ में कलावा: ऋषि बने ब्रिटेन के 57वें पीएम,कहा -परिश्रम की पराकाष्ठा करूंगा

Rishi Sunak : हाथ में कलावा, सधी हुई चाल… ऋषि सुनक ने यूं संभाली ब्रिटिश प्रधानमंत्री की कमान
लंदन 24 अक्टूबर। ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है। महाराजा चार्ल्स तृतीय ने बकिंघम पैलेस में सुनक को पद की शपथ दिलाई। इसी के साथ सुनक ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री बन गए हैं। सुनक पिछले एक साल में ब्रिटेन के तीसरे प्रधानमंत्री भी हैं। उन्होंने शपथग्रहण करते ही ब्रिटेन को आर्थिक संकट से उबारने का संदेश भी दिया।

ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री बने सुनक

ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री बन चुके हैं। शपथग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में सुनक ने ब्रिटेन को आर्थिक संकट से उबारने का वादा किया। उन्होंने कहा कि काम शुरू हो चुका है और मैं दिन-रात इसके लिए मेहनत करूंगा।

सुनक के हाथ में कलावा बना चर्चा का विषय

ऋषि सुनक के पहले संबोधन में उनके हाथ में बंधा कलावा नजर आया। ऋषि हिंदू धर्म के प्रति आस्था रखते हैं। उनकी मेज पर भगवान गणेश जी की प्रतिमा भी रहती है। उन्हें कई हिंदू त्योहारों को भी सेलिब्रेट करते हुए देखा गया है।

सुनक बोले- ब्रिटेन आर्थिक संकट से जूझ रहा

शपथग्रहण के तुरंत बाद ऋषि सुनक ने कहा कि ब्रिटेन आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उन्होंने वादा किया कि वे अपने देश को इस आर्थिक संकट से जरूर उबारेंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हमारे ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है।

बोरिस जॉनसन को किया शुक्रिया, कहा- आभारी रहूंगा

ऋषि सुनक ने अपने पहले संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री के रूप में अपनी अविश्वसनीय उपलब्धियों के लिए बोरिस जॉनसन के हमेशा आभारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह जॉनसन की गर्मजोशी और उदारता को संजोकर रखेंगे।

सुनक ने माना- कुछ गलतियां हुई हैं, सुधार करेंगे

ऋषि सुनक ने लिज ट्रस कार्यकाल के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ गलतियां हुई हैं। उन्होंने कहा कि वे देश के विकास में सुधार करना चाहते हैं। उन्होंने लिज ट्रस की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सब बदलाव लाने के लिए की गईं गलतियां है। ये गलतियां किसी बुरे इरादे से नहीं की गईं थी।

सुनक बोले- ब्रिटिशर्स के लिए दिन-रात काम करूंगा

ऋषि सुनक ने शपथ ग्रहण करते ही कहा कि चांसलर के रूप में मैंने फरलो जैसी योजनाओं के माध्यम से लोगों और उनके व्यवसायों की रक्षा की। उन्होंने कहा कि आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उन पर भी मैं वैसे ही काम करूंगा। मैं अपने शब्दों से नहीं बल्कि काम से लोगों को जोड़ूंगा। मैं लोगों को आर्थिक संकट से बचाने के लिए दिन-रात काम करूंगा।

Rishi Sunak ने अपने इंटरव्यू में बताया था- अगर वे इतने सफल नहीं होते तो क्या नारायण मूर्ति के दामाद बन पाते?

विरासत भारतीय,पाकिस्तानी या अफ्रीकी? जानिए सुनक ने खुद बताया था

भारतीय मूल के ऋषि सुनक मंगलवार, 25 अक्टूबर को ब्रिटेन के पीएम पद की शपथ लेंगे. यानी ब्रिटेन को आज अपना पहला गैर-श्वेत प्रधानमंत्री के साथ-साथ साल का तीसरा प्रधान मंत्री भी मिलने जा रहा है. पूर्व पीएम लिज ट्रस के केवल 45 दिनों के अंदर इस्तीफा सौंपने के बाद ऋषि सुनक का नाम पीएम पद की रेस में सामने आया और भारत के साथ-साथ पाकिस्तान के लोग भी ऋषि सुनक की विरासत को अपने से जोड़ने लगे.

पाकिस्तान के जिओ अखबार की हैडिंग

ऐसे में सवाल है कि जब ऋषि सुनक पीएम पद पर बैठने जा रहे हैं वो अपनी जातीयता (एथनिसिटी), भारत से जुड़ी जड़ें और अपने धर्म के बारे में क्या सोचते हैं?

इस सवाल का कुछ हद तक जवाब ऋषि सुनक ने अगस्त 2015 में बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक इंटरव्यू में दिया था, जब वे नए-नए सांसद बने थे. इस इंटरव्यू में ऋषि सुनक ने अपनी जातीयता और भारत से जुड़ी धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत से जुड़े सवाल के जवाब में कहा था कि ” जनगणना के फॉर्म पर मैं ब्रिटिश इंडियन वाले बक्से में टिक करता हूं, उसका विकल्प है हमारे यहां. मैं पूरी तरह से ब्रिटिश हूं, यह मेरा घर और मेरा देश है, लेकिन मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारतीय है.”

मेरी पत्नी भारतीय है.मैं एक हिंदू होने के बारे में खुली सोच रखता हूं.”

ऋषि सुनक
खास बात है कि इस इंटरव्यू में ऋषि सुनक ने बताया था कि वह बीफ नहीं खाते है और यह उनके लिए कभी कोई समस्या नहीं रही है.

ऋषि सुनक हिंदी और पंजाबी बोल लेते हैं. जब सुनक बड़े हो रहे थे तब भारत के साथ उनके संबंध बहुत जुड़े नहीं थे. इसका कारण था कि उनके लगभग सभी करीबी रिश्तेदार यहां से चले गए थे. इस इंटरव्यू रिपोर्ट के अनुसार फिर भी बचपन के उस दौर की एक याद ऋषि सुनक के जेहन में आज भी हैं, वो है दिल्ली के एक पार्क में क्रिकेट खेलने की और सुनक का मानना था कि वहां के क्रिकेट का स्टैंडर्ड इतना हाई था कि उनके होश उड़ गए.

बता दें कि ऋषि सुनक के दादा और दादी, दोनों ही पंजाब में जन्मे और पहले पूर्वी अफ्रीका, चले गए. सुनक के पिता, यशवीर, का जन्म केन्या में और उनकी मां, उषा, का जन्म तंजानिया में हुआ था. इसके बाद फिर 1960 के दशक में अपने परिवारों के साथ वे ब्रिटेन चले आये जहां सुनक का जन्म हुआ.

इतने सफल नहीं होते तो नारायण मूर्ति के दामाद बन पाते? सुनक ने खुद दिया था जवाब

ऋषि सुनक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं. उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति नारायण मूर्ति की बेटी हैं. इस इंटरव्यू में सुनक से सवाल किया गया कि अगर वह इतने सफल (ओवर-अचीवर) नहीं होते तो क्या वे मूर्ति परिवार में फिट हो पाते?

इस सवाल का जवाब ऋषि सुनक ने हंसते हुए दिया कि “हां मैं हो जाता क्योंकि यह बात (सफल होने की) मायने नहीं रखती. मेरे ससुराल वालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या उनकी बेटी खुश है?”
बता दें कि ऋषि सुनक ने केवल सात सालों में सांसद से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया है. डेविड कैमरन ने यह मुकाम नौ साल में हासिल किया था. सबसे तेज सीढ़ी चढ़ने का रिकॉर्ड Pitt the Younger (1804–1806 तक पीएम) के नाम है जिन्होंने 2 साल में सांसद से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया.

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