चमोली आपदा: दो और शव मिलने से मृतक हुए 70,

चमोली आपदा: सुरंग से मलबा और पानी निकालकर ऐसे हो रही ‘जिंदगी’ की तलाश, अब तक 70 की मौत, जोशीमठ(चमोली)22 फरवरी।उत्तराखंड के चमोली में ऋषिगंगा की आपदा के 16वें दिन एक मानव अंग और दो शव और मिले। टनल से एक मानव अंग, जबकि श्रीनगर और कीर्तिनगर से दो शव मिले। तीनों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। वहीं तपोवन सुरंग और बैराज साइट से मलबा हटाने का काम जारी है। टनल से अभी तक 16 शव मिल चुके हैं। आपदा के बाद से लापता 204 लोगों में से अलग-अलग जगह से मानव अंग समेत कुल 70 शव मिले हैं जबकि 134 लोग अभी भी लापता हैं। सोमवार को भी तपोवन से लेकर रैणी क्षेत्र में लापता लोगों की तलाश जारी रही। सोमवार शाम करीब छह बजे बचाव कर्मियों को सुरंग के अंदर से एक मानव अंग मिला, जबकि एसडीआरएफ की टीम को एक शव श्रीनगर चौरास और एक शव कीर्तिनगर से मिला। शवों की पहचान हो गई है। वहीं तपोवन सुरंग से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे रेस्क्यू में तेजी नहीं आ पा रही है। यहां जेसीबी की मदद से मलबा डंपर में भरकर निकाला जा रहा है। एनटीपीसी के मीडिया प्रभारी राजेंद्र सिंह जियाड़ा ने बताया कि सोमवार तक टनल से 174 मीटर मलबा हटाया जा चुका है। वहीं सुरंग के अंदर से आ रहे पानी को निकालने के लिए चार पंप मशीन लगा दी गई हैं, जिससे तेजी से पानी निकाला जा रहा है।

चमोली आपदा: लापता लोगों के जारी होंगे मृत्यु प्रमाण पत्र, 30 दिन में होगा दावों और आपत्तियों का समाधान

केंद्र के दिशानिर्देशों पर सरकार ने जारी की अधिसूचना
मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को लापता लोगों की बनाई तीन श्रेणियां
उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में सात फरवरी को आई भीषण आपदा में लापता लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने को केंद्र से मिले दिशानिर्देशों पर सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी । लापता लोगों की तीन श्रेणियां बनाकर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जायेंगे।
30 दिन में दावों और आपत्तियों को समाधान होगा। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों के परगना मजिस्ट्रेट या उप जिलाधिकारी को अभिहित अधिकारी और जिलाधिकारी को अपीलीय अधिकारी नामित किया गया।
स्वास्थ्य विभाग से जारी अधिसूचना के अनुसार चमोली आपदा में लापता लोगों के तीन श्रेणियों में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जायेंगे। इसमें पहली श्रेणी आपदा प्रभावित क्षेत्र के स्थायी निवासी,दूसरी प्रदेश के अन्य जिलों के निवासी जो आपदा के समय प्रभावित क्षेत्र में थे। तीसरी श्रेणी में दूसरे राज्यों के पर्यटक या लोग शामिल हैं।
मृत्यु प्रमाणपत्र को आपदा में लापता लोगों के परिजनों या अन्य उत्तराधिकारी की ओर से नोटरी शपथपत्र के साथ निवास के मूल जनपद में लापता होने या मृत्यु होने प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। यदि इस तरह की रिपोर्ट आपदा प्रभावित क्षेत्र में पूर्व से ही पंजीकृत की गई है तो अभिहित अधिकारी एसडीएम की ओर से रिपोर्ट को जांच के लिए लापता व्यक्ति के मूल जनपद के एसडीएम को भेजी जाएगी।

वहीं, दूसरे राज्यों के लापता लोगों के परिजनों की ओर से अपने राज्य में घटना के 15 दिन में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। साथ ही लापता व्यक्ति सात फरवरी से पहले प्रभावित क्षेत्र की यात्रा पर रहा है। समस्त दस्तावेजों की जांच और आपत्तियों के समाधान के बाद प्रभावित क्षेत्र के अभिहित अधिकारी एसडीएम मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करेंगे।

झील पर कंट्रोल रूम से रखी जा रही नजर

चमोली जिले में आपदा के बाद बनी झील के आसपास गतिविधियों पर नजर रखने को क्यूडीए (क्विक डिप्लोयबेल एंटीना) स्थापित कर दिया गया है। इस सिस्टम को देहरादून स्थित सचिवालय के कंट्रोल रूम से जोड़ दिया गया है। अब वहां पर मौजूद एसडीआरएफ के जवानों और अधिकारियों से भी लागातर वीडियो संवाद किया जा रहा है। डीआईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि झील के मुहाने को और अधिक खोलने और झील का प्रेशर खत्म कर सामान्य स्थिति बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

आपदा के बाद हिमालयी क्षेत्र में बनी झील में एसडीआरएफ के सात सदस्यों सहित 17 सदस्यीय दल जलभराव क्षेत्र में पहुंचा था। बीते तीन दिनों से झील के करीब ही कैंपिंग है। वैज्ञानिक दल का उद्देश्य झील से पनपे खतरे का आंकलन कर तकनीकी परामर्श देना है। जबकि, एसडीआरएफ दल का वैज्ञानिक दस्ते के साथ जाने का मकसद ग्लेशियर क्षेत्र में वैज्ञानिकों को सुरक्षा प्रदान करना है।
उन्होंने बताया कि इस टीम से सीधे संवाद को वहां पर क्यूडीए स्थापित कर दिया गया है। सोमवार को इसके माध्यम से लाइव वीडियो प्रसारण भी शुरू हो गया। डीआईजी ने बताया कि क्यूडीए से सचिवालय कंट्रोल रूम के माध्यम से जलभराव क्षेत्र में स्थित सभी जवानों और वैज्ञानिकों से स्पष्ट संवाद स्थपित हो गया है। सोमवार को सेनानायक एसडीआरएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने झील के मुहाने को ओर अधिक खोल झील का प्रेशर खत्म कर सामान्य स्थिति बनाने के निर्देश टीम को दिए।

मुहाने को करीब 30 से 35 फीट खोला गया

झील के प्रेशर को कम करने के लिए उसके मुहाने को लगभग छह फिट खोला गया था। सोमवार को फिर से टीम ने झील के मुहाने को 20 फिट से चौड़ा कर लगभग 30 से 35 फिट तक तक खोल दिया है। इससे झील का पानी काफी मात्रा में डिस्चार्ज हो रहा है। इससे झील की दीवारों पर पानी का दवाब भी लगातार कम हो रहा है।

क्यूडीए सिस्टम

क्यूडीए एक प्रकार से नो सिंगल एरिया से संचार स्थापित करने के लिए टेक्नोलॉजी है। इस प्रणाली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा को भेजने के लिए एंटीना टर्मिनल का उपयोग होता है। वीसैट टर्मिनल के साथ उपग्रह आधारित संचार स्थापित करने में मदद करता हैं। वॉयस और वीडियो संचार को दूर से दूर वीसैट टर्मिनलों तक संप्रेषित किया जाता है। क्यूडीए वीएसएटी एक पोर्टेबल सिस्टम है। जो अलग-अलग रिमोट एरिया में स्थापित किया जा सकता है।

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