‘राधे’ दुर्घटना बाद विद्या बालन की ‘शेरनी’ करेगी बाक्स आफिस का सूखा दूर?

राधे के ‘हादसे’ के बाद दर्शकों को है शेरनी से उम्मीद!
सिनेमा की पॉपुलर धारा में पर्यावरण, मानव और जानवर, मानव और जंगल के बीच के संबंध और टकराव पर बहुत कम फ़िल्में बनीं. इक्का दुक्का फिल्मों में हाथी मेरे साथी, तेरी मेहरबानियां, टार्जन और जंगली जैसी फ़िल्में दिखती हैं. जब राधे जैसी कमर्शियल फिल्म औंधे मुंह गिर चुकी है, तो लीग से हटकर बनी फिल्म शेरनी उम्मीद जगाती है.

अनुज शुक्ला @anuj4media

सिनेमा की पॉपुलर धारा में पर्यावरण, मानव और जानवर, मानव और जंगल के बीच के संबंध और टकराव पर बहुत कम फ़िल्में बनीं. इक्का दुक्का फिल्मों में हाथी मेरे साथी, तेरी मेहरबानियां, टार्जन और जंगली जैसी फ़िल्में दिखती हैं. इन फिल्मों को कितना ड्रामेटिक बनाया गया कि मूल विषय के अलावा सब कुछ था. किसी फिल्म में हीरो-हीरोइन नाच गाना करते हैं, उनका जानवर इंसान से भी बेहद समझदार नजर आता है. एक फिल्म में हीरो के मरने के बाद उसका कुत्ता बदला लेता है. एक दूसरी कहानी में हीरो अकेले शिकारियों से जंगली जानवरों को बचाने का मिशन शुरू करता है और खतरनाक स्टंट दिखाता है.

हॉलीवुड या वेस्ट के मुकाबले हम कायदे से उदाहरण के तौर पर एक भी फिल्म नहीं रख सकते. लेकिन शायद बॉलीवुड का ये टोटा अब ख़त्म हो सकता है. मनुष्य और जंगल के बीच टकराव पर हमें बॉलीवुड के खाते में एक अच्छी फिल्म दर्ज हो सकती है. दरअसल, युवा निर्देशक अमित मासुरकर ने विद्या बालन को लेकर “शेरनी” के जरिए ऐसी ही कोशिश करते दिख रहे हैं. शेरनी की स्टारकास्ट और अमित के पिछले काम को देखते हुए फिल्म से अच्छी कहानी की उम्मीद की जा सकती है.
शूटिंग की तैयारी

शेरनी में विद्या बालन के साथ शरद सक्सेना, मुकुल चड्ढा, विजय राज, इला अरुण, ब्रिजेन्द्र काला और नीरज कबि जैसे मंझे एक्टर हैं. जहां तक बात अमित मासुरकर की है, राजकुमार राव-पंकज त्रिपाठी के साथ न्यूटन में उन्होंने अपनी दक्षता साबित कर दी है. चुनाव के एक साधारण विषय को उन्होंने गंभीरता के साथ प्रभावी बनाया. फिल्म को दर्शकों ने पसंद भी खूब किया था. कई अवार्ड न्यूटन के खाते में आए.

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शेरनी में विद्या बालन.

शेरनी में विद्या बालन फारेस्ट आफिसर की भूमिका में हैं जो जंगल में माफिया और उसके नेक्सस से मुठभेड़ करती नजर आएंगी.शेरनी से विषय के साथ न्याय और मनोरंजन दोनों की उम्मीद की जा सकती है.इससे पहले जिन विषयों पर बॉलीवुड ने फ़िल्में बनाई थीं उन्हें ठीक से छुआ भी नहीं गया.जबकि हॉलीवुड ने भी दर्जनों फ़िल्में बनाई हैं.लेकिन विषय की गहराई और प्रस्तुतिकरण की वजह से वो देखने लायक है.अवतार,अंटार्कटिका,अलास्का,अगेंस्ट द वाइल्ड, अगेंस्ट द सन,द बियर,बेले एंड सनेस्टियन.हचिको,अलाइव और टर्नर एंड हुक जैसी दर्जनों बेजोड़ कहानियां हैं.मनुष्य और प्रकृति या जानवरों पर बनी हॉलीवुड फिल्मों को देखने के बाद बॉलीवुड की तंगदिली और गरीबी का एहसास होता है.

ऐसा भी नहीं है कि हॉलीवुड की कहानियां बहुत क्लासिकल हैं. ज्यादातर फ़िल्में मॉस ऑडियंस के लिए बनाई गई थीं और इन्हें दुनियाभर में खूब पसंद किया गया. फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन इस बात का सबूत है कि आम मनोरंजक विषयों की तरह ही इन्हें पसंद किया गया. अभी भी हॉलीवुड में पर्यावरणीय खतरों से आगाह करती मास फ़िल्में बनाई जा रही हैं.

शेरनी बॉलीवुड के लिए एक प्रतिनिधि फिल्म बन सकती है. इसे अगले महीने 13 जून को ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया जाएगा.

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