महाराष्ट्र में फडणवीस का जादू:महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के जबड़े से निकाली 5वीं एमएलसी सीट

हाथ से छीन ली जीतः अब महाराष्ट्र में सियासी पंडित भी हैरान…हारी बाजी जीतने में BJP जैसा नहीं कोई बाजीगर

देवेंद्र फडणवीस का आधी रात को दिया विक्ट्री का इशारा आज महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को खल रहा होगा। एक बार फिर विपक्ष में रहते हुए देवेंद्र ने खुद को रणनीति का बॉस साबित करके दिखाया है। तीन दलों के साथ सरकार चला रहे उद्धव की रणनीति फडणवीस के आगे कमजोर साबित हुई। आइए समझते हैं।

हाइलाइट्स
राज्यसभा चुनाव के बाद MLC चुनाव में भाजपा ने दिखाई रणनीति की मास्टरी
4 सीटों पर जीत तय थी, जीत ली पांचवीं सीट, क्रॉस वोटिंग बताई जा रही वजह
एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे से खुद को ‘बीस’ साबित किया

मुंबई/नई दिल्ली 21 जून: केंद्र और कई राज्यों में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर रणनीति में अपनी बाजीगरी साबित की है। जहां जीत के आसार नहीं, या कहिए हारी बाजी जीतने में भाजपा ने अपनी मास्टरी हासिल कर ली है। जी हां, राज्यसभा चुनाव के कुछ दिन बाद ही महाराष्ट्र (Maharashtra) में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी विपक्ष में बैठी भाजपा ने विधान परिषद के चुनाव में कमाल करके दिखाया है। कांग्रेस-NCP के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना को भाजपा ने तगड़ा झटका देते हुए 10 में से पांच सीटें जीत लीं जबकि उसके पास केवल चार सीट जीतने के लिए वोट थे। कांग्रेस को केवल एक सीट मिली और NCP-शिवसेना की झोली में 2-2 सीटें आईं। 10 जून को राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद के नतीजों से एक बार फिर यही संदेश गया है कि देवेंद्र फडणवीस विपक्ष में भले हों, पर उनकी चुनावी रणनीति सीएम उद्धव ठाकरे पर भारी है। ये बैक-टु-बैक विक्ट्री फडणवीस के जरिए भाजपा के कार्यकर्ताओं और लीडरशिप के मनोबल को भी बढ़ाएगी।

जी हां, जीत का ये उत्साह और मनोबल भाजपा के भीतर ‘वैक्सीन’ का काम करेगा। ऐसे में आने वाले BMC और अन्य निकाय चुनावों में भगवा दल पूरे आत्मविश्वास में दिखेगा। आइए समझते हैं कि कैसे फडणवीस ने एक ही महीने में दो बार उद्धव को सियासी पटखनी दी।

MLC चुनाव में खेला, क्या उद्धव सरकार पर खतरा?

10 एमएलसी सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे। MVA ने 6 उम्मीदवार उतारे थे तो भाजपा ने पांच कैंडिडेट खड़े किए थे। रोचक यह रहा कि एमवीए के पास सभी छह कैंडिडेट को जिताने के लिए नंबर थे लेकिन वह एक सीट हार गई और जबकि चार सीटें जीत सकने वाली भाजपा ने पांचवी सीट निकाल ली। ऐसे में साफ संकेत मिले हैं बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हुई है और निर्दलीयों ने भाजपा को समर्थन दिया है।

उद्धव को खल रही होगी देवेंद्र की यह तस्वीर।

हर उम्मीदवार को जीत के लिए 27 वोट की जरूरत थी। कांग्रेस के दलित चेहरे और पूर्व मंत्री चंद्रकांत हंडोरे चुनाव हार गए जबकि 10वीं सीट के लिए फाइट कांग्रेस के भाई जगताप और भाजपा के प्रसाद लाड के बीच थी। प्रिफरेंशियल वोट्स की गिनती के बाद लाड और जगताप को निर्वाचित घोषित कर दिया गया और हंडोरे हार गए। इस नतीजे ने एक बार फिर संकेत दिया है कि उद्धव का गठबंधन सरकार में सभी खुश नहीं है। अंदरखाने कुछ विधायक नाराज चल रहे हैं। अगर क्रॉस वोटिंग कर वह भाजपा के उम्मीदवार को जिता सकते हैं तो आगे उद्धव सरकार पर भी खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है।

MLC चुनाव में जीते 10 धुरंधर

सचिन अहीर- शिवसेना
अमसा पदवी -शिवसेना
भाई जगताप- कांग्रेस
एकनाथ खड़से- एनसीपी
रामराजे नाइक निंबालकर -एनसीपी
प्रवीण दरेकर -बीजेपी
राम शिंदे -बीजेपी
श्रीकांत भारतीय -बीजेपी
उमा खापरे -बीजेपी
प्रसाद लाड -बीजेपी

सीटों के हिसाब से समीकरण समझें तो विधानसभा में भाजपा के पास इतनी सीटें हैं कि वह परिषद की चार सीटों पर आसानी से अपने उम्मीदवार जिता सकती थी। हालांकि भाजपा के पांचवें प्रत्याशी प्रसाद लाड भी अपनी पार्टी से बाहर के विधायकों के समर्थन से राज्य विधायिका के उच्च सदन में पहुंचने में सफल हो गए। वजह क्या थी, क्या किसी ने क्रॉस वोटिंग की, अंदरखाने क्या खेल हुआ? इस पर नेता खुद ही बोलने लगे।

विधान परिषद चुनाव में भाजपा को पांच सीटों पर मिली विजय से महा विकास अघाडी (MVA) सरकार के खिलाफ सत्ताधारी विधायकों के बीच अस्थिरता का संकेत मिलता है…सभी निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों के समर्थन से भाजपा की विजय सुनिश्चित हुई।

-महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस

स्टेट भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि पार्टी ने 134 प्रिफरेंशियल वोट हासिल किए। पार्टी के पास 106 विधायक हैं और सात अन्य विधायकों का समर्थन मिला। इस तरह से भाजपा के हिसाब से समझें तो 21 वोट एमवीए से टूटकर आए हैं। यह उद्धव ठाकरे सरकार के लिए बड़ा झटका है और उनकी सरकार में एकजुटता की कमी को भी दर्शाता है। पाटिल ने भाजपा की जीत का श्रेय फडणवीस को दिया है। हालांकि पूर्व सीएम ने कहा कि वह चमत्कार में विश्वास नहीं करते, यह MVA के भीतर का अंसतोष है जो वोट के रूप में कन्वर्ट हुआ है।

 

तब राज्यसभा चुनाव में मारी बाजी

इसी महीने की 10 तारीख को महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव दिलचस्प हो गया था। महाराष्ट्र की छह सीटों के लिए सात उम्मीदवार मैदान में थे। गठबंधन सरकार चला रही शिवसेना पर्याप्त संख्याबल होने के बाद भी अपने दोनों उम्मीदवारों को जिता नहीं सकी। राज्यसभा की 6 सीटों पर सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी यानी शिवसेना+कांग्रेस+NCP के 3 और बीजेपी के 3 उम्मीदवार विजयी हुए। 6वीं सीट पर बीजेपी के धनंजय महाडिक ने शिवसेना के संजय पवार को हरा दिया।

10 जून की देर रात राज्यसभा चुनाव नतीजों के बाद।

288 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 मतों की जरूरत थी। दूसरे राउंड के बाद महाडिक को 41 वोट मिले जबकि पवार 33 वोट ही हासिल कर सके। शिवसेना के एक विधायक रमेश लेक का पिछले महीने निधन हो गया था। एक अन्य शिवसेना विधायक सुहास कांदे के वोट को रिजेक्ट कर दिया गया। इस तरह से फडणवीस vs उद्धव की फाइट में भाजपा के देवेंद्र हावी रहे।

महाराष्ट्र में नया खेला!

शायद ‘खेला’ शुरू भी हो गया है। खबर आ रही है कि शिवसेना के 11 विधायक गुजरात पहुंच गए हैं। इधर उद्धव ने आपात बैठक बुलाई है। दरअसल, शिवसेना के पास 55 विधायक और निर्दलीय विधायकों का समर्थन था जबकि शिवसेना को केवल 52 वोट ही मिले हैं। माना जा रहा है कि शिवसेना के कुछ विधायक और निर्दलीय विधायकों ने सत्तारूढ़ दल को वोट नहीं दिया है।

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