पंजशिर के तीन जिले तालिबानी कब्जे से बाहर

तालिबानी हुकूमत LIVE:पंजशीर के करीब घमासान के बाद स्थानीय लड़ाकों ने तालिबान के कब्जे से पुल-ए-हिसार जिले को छुड़ाया, दो जिलों में जंग जारी

नई दिल्ली20अगस्त।तालिबान ने लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। पंजशीर अकेला ऐसा इलाका है जो तालिबान के नियंत्रण से बाहर है। ताजा रिपोर्टों के मुताबिक तालिबान ने एक प्रतिनिधिमंडल को पंजशीर में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद से वार्ता करने के लिए भेजा है। वहीं एक इंटरव्यू में मसूद ने कहा है कि वो वार्ता और हमले दोनों के लिए तैयार हैं।

पंजशीर के इर्दगिर्द तालिबान और स्थानीय लोगों के बीच संघर्ष की भी खबरें हैं। पंजशीर के स्थानीय सूत्रों के मुताबिक यहां से करीब 50 किलोमीटर दूर बगलान प्रांत के पुल-ए-हिसार जिले को लड़ाकों ने तालिबान के कब्जे से छुड़ा लिया है। वहीं बानू और देह-ए-सलाह जिलों में भी भीषण लड़ाई की खबरें हैं।

पुल-ए-हिसार जिले को तालिबान से वापस लेने का दावा किया गया है, जबकि देह-ए-सलाह और बानू जिलो में भीषण लड़ाई जारी है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि तालिबान पर कई दिशाओं से हमला किया गया है और उन्हें भारी नुकसान हुआ है।

तालिबान और मसूद ग्रुप के बीच सत्ता को लेकर हो सकता है समझौता

अफगानिस्तान के निवर्तमान उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने पंजशीर से ही अपने आप को अशरफ गनी की गैर मौजूदगी में अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है। पंजशीर अब तालिबान के विरोध का गढ़ और केंद्र बन गया है। अहमद मसूद ने विदेशी ताकतों से भी तालिबान के खिलाफ मदद मांगी हैं। वहीं सूत्रों के हवाले से ये भी खबर है कि तालिबान और मसूद ग्रुप के बीच सत्ता में साझेदारी को लेकर समझौता हो सकता है।

अमेरिका का मोस्ट वांटेड काबुल में खुलेआम घूम रहा, 50 लाख डॉलर का इनाम

काबुल की एक मस्जिद में खलील हक्कानी इस्लामी अमीरात की घोषणा करते हुए। खलील हक्कानी पर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम रखा हुआ है और ये मोस्ट वांटेड है। खलील हक्कानी दिवंगत जलालउद्दीन हक्कानी का भाई है। मस्जिद में हजारों लोगों ने हक्कानी का समर्थन किया है। हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में कई बड़े हमले किए थे और भारतीय हितों को भी निशाना बनाया था।

काबुल की एक मस्जिद में खलील हक्कानी इस्लामी अमीरात की घोषणा करते हुए।

 

तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के कई लड़ाको को जेल से रिहा किया

अफगानिस्तान के तालिबान में कब्जे में आने के बाद बड़ी तादाद में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लड़ाके भी रिहा किए गए हैं। ये काबुल की पुल-ए-चरखी जेल में बंद थे। इनमें कई बड़े नेता भी हैं। तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने अपने कैदियों की रिहाई के लिए तालिबान का शुक्रिया अदा किया है। तस्वीर में मौलवी फाकिर अहमद भी दिख रहे हैं जो संगठन के सह-संस्थापक हैं। फाकिर का क्वेटा में उनके समर्थकों ने भव्य स्वागत किया है। TTP पाकिस्तान में भी तालिबान शासन स्थापित करना चाहती है।

तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के सह-संस्थापक मौलवी फाकिर अहमद।

पंजशीर में अहमद मसूद और तालिबान के वार्ताकारों के बीच बातचीत

पंजशीर में अहमद मसूद और तालिबान के वार्ताकारों के बीच बातचीत चल रही है। बहुत संभव है कि समझौता हो जाए। जब सालेह ने अपने आप को राष्ट्रपति घोषित किया था तब एक सूत्र ने बताया था कि ये उनकी अफगान सत्ता में शामिल होने की कोशिश है। इस मीटिंग में अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई भी शामिल हैं। अल जजीरा ने अपने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी रविवार को काबुल दौरे पर जाएंगे और नई सरकार के गठन को लेकर चर्चा करेंगे। वहीं पंजसीर के एक सूत्र ने कहा है कि यदि तालिबान पंजशीर पर हमला करता है तो हमें भी जवाब देना पड़ेगा।

पाकिस्तान में हो सकता है तालिबान प्रमुख हैबतुल्लाह अखुंदजादा

तालिबान का प्रमुख नेता हैबतुल्लाह अखुंदाजा पाकिस्तानी में हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि विदेशी इंटेलीजेंस एजेंसीज ने अखुंदजादा से जुड़े इनपुट शेयर किए हैं। इस पर भारत भी नजर बनाए हुए है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया है कि अखुंदजादा पाकिस्तानी सेना की हिरासत में हो सकता है। तालिबान के दूसरे सीनियर लीडर्स ने उसे पिछले 6 महीने से नहीं देखा है। दूसरी तरफ ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने तालिबान से मेल-मिलाप बढ़ाना शुरू कर दिया है।

काबुल में 60 हिंदू और सिख सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाए गए

भारतीय अधिकारियों ने गुरुवार को काबुल स्थित करते-परवन गुरुद्वारे में शरण लिए 60 सिखों और हिंदुओं को सुरक्षित जगह पहुंचा दिया, ताकि इन्हें भारत भेजा जा सके। हालांकि, इनमें से कई सिखों का कहना है कि वे भारत की बजाय कनाडा या अमेरिका जाना चाहते हैं, क्योंकि भारत में उनका कोई रिश्तेदार नहीं है।

काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान और अमेरिकी सैनिक एक साथ गश्त कर रहे हैं।

विरोध तेज होने से तालिबान परेशान

अफगानिस्तान में पंजशीर से शुरू हुआ तालिबान के विरोध का सिलसिला राजधानी काबुल तक पहुंचने से तालिबानी परेशान नजर आ रहे हैं। विरोध के स्वरों को दबाने के लिए अब उसने अफगानिस्तान के इमामों से अपील की है कि लोगों को समझाकर एकजुट करें। तालिबान की चिंता इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज लेकर प्रदर्शन करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। तालिबान ने दो दिन पहले जलालाबाद में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां भी चलाईं, लेकिन विरोध कम नहीं हो रहा।

गुरुवार को काबुल में लोगों ने अफगानी झंडे के साथ प्रदर्शन किया। गुरुवार को अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस भी था।

भारतीय कॉन्सुलेट तक पहुंचे तालिबानी लड़ाके

तालिबान ने दावा किया था कि किसी भी देश के दूतावास को निशाना नहीं बनाया जाएगा, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि तालिबान ने कंधार और हेरात में भारतीय कॉन्सुलेट की तलाशी ली है। तालिबानियों ने बुधवार को दोनों कॉन्सुलेट में पहुंचकर दस्तावेज खंगाले और वहां खड़ी कारें भी ले गए।

अपडेट्स

अमेरिका ने बीते दिन काबुल एयरपोर्ट से 16 उड़ानों में 3000 लोगों को निकाला है। इनमें अमेरिकियों के साथ-साथ अफगानी लोग भी शामिल हैं। अमेरिका का कहना है कि 14 अगस्त से अब तक 9000 लोगों को काबुल से निकाला जा चुका है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अफगानिस्तान के हालात पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की है। इस दौरान दोनों ने सहमति जताई कि लोगों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए को-ऑर्डिनेशन जारी रखेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान को लेकर नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) के महासचिव जेंस स्लोलटनबर्ग से भी बात की है। NATO के विदेश मंत्रियों की आज वर्चुअल मीटिंग भी होनी है।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति और सहयोग में चीन ने अहम भूमिका निभाई है और अफगानिस्तान के विकास में योगदान देने के लिए चीन का स्वागत करते हैं।

अमेरिका का साथ देने वाले अफगानियों को घर-घर तलाश रहा तालिबान

तालिबान भले ही दावा करे कि वह किसी से बदला नहीं लेगा, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में हकीकत सामने आ गई है। इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अमेरिका या उसकी अगुवाई वाली NATO सेना का साथ देने वाले अफगानियों की खोज में तालिबान घर-घर जाकर तलाशी ले रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तालिबान ने उन लोगों की लिस्ट तैयार की जिन्हें वह गिरफ्तार करना चाहता है। साथ ही इन लोगों को धमकी दे रहा है कि वे सामने नहीं आए तो उनके परिवार के लोगों को मार दिया जाएगा या गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

तालिबान ने जर्मन चैनल से जुड़े पत्रकार के परिजन की हत्या की

अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान पत्रकारों और उनके परिवारों को लगातार निशाना बना रहा है। ताजा मामला जर्मन न्यूज चैनल DW से जुड़े एक अफगानी पत्रकार का है। इस पत्रकार को काबुल में घर-घर जाकर तलाश रहे तालिबान ने बौखलाहट में पत्रकार के परिवार के एक सदस्य की हत्या कर दी और दूसरे को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया है। पत्रकार के परिवार के बाकी लोग पिछले महीने किसी तरह बच निकले थे।

DW के डायरेक्टर जनरल पीटर लिमबर्ग का कहना है कि तालिबान की क्रूरता से पता चलता है कि अफगानिस्तान में हमारे कर्मचारी और उनके परिवार कितना खतरा महसूस कर रहे हैं। यह साफ हो गया है कि तालिबान पहले से ही काबुल और दूसरे शहरों में पत्रकारों को तलाश कर उन्हें निशाना बना रहा है।

निजी चैनल का एक पत्रकार तालिबान कब्जे में होने की आशंका

लिमबर्ग का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में तालिबान ने DW के कम से कम तीन पत्रकारों के घरों पर छापेमारी की है। आशंका है कि तालिबान ने निजी चैनल घरगाश्त टीवी के नेमातुल्ला हेमत का अपहरण कर लिया है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक तालिबान ने पिछले दिनों पक्तिया घाग रेडियो के प्रमुख तूफान उमर की भी हत्या कर दी थी।

तालिबान ने जर्मनी के डाई जीट अखबार से जुड़े ट्रांसलेटर अमदादुल्लाह हमदर्द की भी 2 अगस्त को जलालाबाद में गोली मारकर हत्या कर दी थी। वहीं भारत के पुलित्जर अवॉर्डी फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत भी तालिबान की गोलियां लगने से हुई थी।

तालिबान के खौफ से काबुल एयरपोर्ट पर हाहाकार

तालिबान के खौफ से काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी लगातार बनी हुई है। लोग देश छोड़ने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। एयरपोर्ट से लगातार ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिनमें लोग अमेरिकी सैनिकों के सामने रोते-बिलखते दिख रहे हैं। वे कह रहे हैं कि उन्हें अंदर जाने दें, नहीं तो तालिबान मार देगा। यहां तक कि कई लोग अपने बच्चों को दीवार के ऊपर से फेंककर एयरपोर्ट के अंदर दाखिल करवा रहे हैं।

 

अशरफ गनी सरकार और सेना को लगातार कमजोर कर रहे थे

अफगानिस्तान में तालिबानी एक के बाद एक प्रांत बिना ज्यादा मशक्कत के जीत रहे थे। उधर, सेना के कमांडर हथियार रख रहे थे। आखिर किसके कहने पर सेना ने हथियार डाले? किसी को कानों कान भनक तक नहीं हुई और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी भाग खड़े हुए हुए। इसको लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं। इस बारे में JNU में साउथ एशियन स्टडीज डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजय कुमार भारद्वाज कहते हैं, ‘दो बातें तो साफ हैं, अशरफ गनी कई सालों से तालिबान से नेगोशिएशन कर रहे थे। दूसरी बात उन्हें अफगानिस्तान से निकलने का सेफ पैसेज तालिबानियों ने मुहैया करवायाा

तालिबान के कब्जे को लेकर अमेरिकी दूतावास ने जुलाई में ही अलर्ट किया था

तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा किया था, लेकिन काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने अमेरिका सरकार को जुलाई में ही बता दिया था कि अफगानिस्तान सरकार गिरने वाली है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अफसरों ने 13 जुलाई को सीक्रेट चैनल के जरिए अमेरिकी विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन को जानकारी भेजी थी कि तालिबान तेजी से बढ़ रहा है और अफगानी सुरक्षाबल कमजोर हो रहे हैं। इसलिए लोगों को यहां से निकालने में तेजी लानी चाहिए।

अमेरिकी अफसरों ने सलाह दी थी कि अमेरिका की मदद करने वाले अफगानियों के डेटा जुटा लेने चाहिए। साथ ही कहा था कि लोगों को निकालने का प्रोसेस 1 अगस्त तक शुरू हो जाए, इससे ज्यादा देरी नहीं होनी चाहिए।

तालिबान विरोधी प्रदर्शनों के बाद खोस्त प्रांत में कर्फ्यू लगाया

अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में हुए प्रदर्शन के बाद तालिबान ने वहां कर्फ्यू लगा दिया है। तालिबानी लड़ाके यहां सर्च ऑपरेशन चला कर पता कर रहे हैं कि उनका विरोध करने वाले लोग कौन-कौन हैं। बता दें खोस्त के लोग तालिबान के खिलाफ रहे हैं, हालांकि अब यह तालिबान के कब्जे में ही है।

तालिबान के कर्फ्यू की घोषणा के बाद गुरुवार को खोस्त के मुख्य बाजार में सन्नाटा छाया रहा।

तालिबान से जंग के लिए अहमद मसूद की अगुआई में लड़ाकों की ट्रेनिंग जारी

अफगानिस्तान में तालिबानी राज के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है। दिन-ब-दिन बढ़ रही तालिबान की ज्यादतियों के खिलाफ 25 साल पुराना नॉर्दन अलायंस एकजुट हो रहा है और लड़ाकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने अमेरिका से भी मदद मांगी है।

स्वतंत्रता दिवस के दिन लोगों ने राष्ट्रीय झंडा फहराया, तालिबान ने 2 को गोली मारी

तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपना झंडा गाड़ दिया। इसके ठीक पांचवें दिन यानी 19 अगस्त को अफगानिस्तान अपनी आजादी मना रहा था। इस मौके पर कई इलाकों में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन हुए और लोगों ने अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज लहराया। इससे बौखलाए तालिबान ने भीड़-भाड़  पर फायरिंग कर दी। इस हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई।…

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