पंजाब दावा: पंजाब घटनाक्रम को राहुल कम, प्रियंका ज्यादा जिम्मेदार

Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस में जो हो रहा, उसके लिए राहुल से कहीं ज्यादा प्रियंका गांधी हैं जिम्‍मेदार?…जानिए, पूरी कहानी
Curated by वैभव पांडेय

हाइलाइट्स
पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के इस्‍तीफा देने के बाद आलाकमान पसोपेश में
पंजाब संकट के लिए राहुल गांधी से ज्‍यादा प्रियंका बताई जा रहीं जिम्‍मेदार
प्रियंका के कहने पर ही सिद्धू से मिलने के लिए तैयार हुए थे राहुल गांधी
चंडीगढ़ 30 सितंबर।अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए पंजाब का किला बचाना मुश्किल दिख रहा है। करीब एक साल से पार्टी अंदरूनी गुटबाजी से बुरी तरह जूझ रही है। लंबे समय से अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच शीत युद्ध चल रहा है। सिद्धू को प्रदेश अध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद कैप्‍टन ने मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया। नए मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस आलाकमान ने दलित सिख चेहरे चरणजीत सिंह चन्‍नी को चुना और कुछ ही दिनों बाद अब सिद्धू ने प्रदेश अध्‍यक्ष की कुर्सी छोड़कर कांग्रेस को मंझधार में धकेल दिया है। सिद्धू के इस्‍तीफा देते ही पंजाब सरकार के कई मंत्रियों ने भी पद छोड़ना शुरू कर दिया है।

राजनीतिक विश्‍लेषकों की मानें तो कांग्रेस में आज जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए राहुल गांधी से ज्‍यादा प्रियंका गांधी जिम्मेदार हैं। प्रदेश अध्‍यक्ष बनाए जाने से पहले सिद्धू लगातार दिल्‍ली दरबार की परिक्रमा कर रहे थे पर राहुल गांधी उनसे मिलना नहीं चाह रहे थे। पंजाब कांग्रेस की गुटबाजी से नाराज राहुल का कहना था कि सिद्धू ने मिलने के लिए अपॉइंटमेंट नहीं लिया है। इससे पहले अमरिंदर सिंह भी राहुल से मिलने की कोशिश कर चुके थे पर उन्‍हें सफलता नहीं मिल पाई थी।

राजस्थान में भी प्रियंका का महत्वपूर्ण रोल

जानकारों का कहना है कि राजस्‍थान में भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हुए विवाद मामले में भी प्रियंका गांधी की ही बड़ी भूमिका थी। सचिन पायलट अशोक गहलोत को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली आए थे। उनकी राहुल और प्रियंका से मुलाकात हुई थी। प्रियंका ने ही पायलट को राहुल से मिलवाया था। इस तरह प्रियंका हर जगह टांग अड़ाकर फैसले करवाती हैं और मामला फंसते ही राहुल की थू-थू होती है, जबकि वह साफ बच निकलती है।

त्यागपत्र की लग गई झड़ी

बहरहाल, पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा देने के बाद सिद्धू के समर्थन में राज्‍य सरकार के 2 मंत्रियों ने इस्‍तीफा दे दिया है। इसके बाद पंजाब कांग्रेस के महासचिव पद से योगिंदर ढींगरा ने इस्तीफा दे दिया। अब तक इस पूरे मामले में कांग्रेस के किसी बड़े नेता का बयान नहीं आया है। हालांकि, सिद्धू ने अपने इस्‍तीफे में कांग्रेस की सेवा जारी रखने की बात लिखी है, लेकिन उनके मन में क्‍या है, यह वक्‍त ही बताएगा।

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हाइलाइट्स
प्रदेश अध्‍यक्ष से इस्‍तीफा देकर अब क्‍या साधना चाहते हैं सिद्धू?
दो महीने पहले ही मिली थी जिम्‍मेदारी, आलाकमान से नाराजगी
कैप्‍टन के इस्‍तीफ के बाद खुद मुख्‍यमंत्री बनना चाहते थे सिद्धू
चंडीगढ़
पिछले एक साल से पंजाब कांग्रेस में चल रही उथल-पुथल शांत होने का नाम नहीं ले रही है। सिर्फ 2 महीने पहले ही प्रदेश अध्‍यक्ष बने नवजोत सिंह सिद्धू के इस्‍तीफे के बाद पंजाब की राजनीति फिर गरम हो गई है। कुछ दिन पहले ही कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया था। उसके बाद सिद्धू कैंप के ही दलित सिख नेता चरणजीत सिंह चन्‍नी को नया मुख्‍यमंत्री बनाया गया। कांग्रेस आलाकमान सारे निर्णय सिद्धू के मन-मुताबिक ही ले रहा था पर अचानक उनका इस्‍तीफा देने का फैसला किसी की समझ में नहीं आ रहा है।

जानकारों का कहना है कि पंजाब में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे चुनावों से पहले इस्‍तीफा देकर सिद्धू ने मास्‍टरस्‍ट्रोक खेला है। सिद्धू ने होशियारी का काम किया है। अब अगर चुनाव में पार्टी की हालत खराब होती है तो बतौर प्रदेश अध्यक्ष ठीकरा सिद्धू पर ही ठीकरा फूटता, पर अब वह इससे बच जाएंगे।

चन्‍नी को चार्टर्ड प्‍लेन से लेकर गए थे दिल्‍ली
चरणजीत सिंह चन्‍नी को सीएम बनाने के बाद वैसे तो नवजोत सिंह सिद्धू बेहद खुश नजर आए थे। सिद्धू चन्‍नी को चार्टर्ड प्‍लेन से लेकर दिल्‍ली गए। वहां कांग्रेस आलाकमान से उनकी मुलाकात कराई। कुछ दिन बाद चन्‍नी कैबिनेट में नए मंत्री भी शामिल हो गए। सभी मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो गया। राजकाज ठीक से चलने लगा पर इसी बीच सिद्धू के साथ ऐसा क्‍या हुआ कि उन्‍होंने अचानक से प्रदेश अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा दे दिया?

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कैप्‍टन के बाद खुद बनना चाह रहे थे सीएम पर…
बताया जा रहा है कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के बाद कांग्रेस अलाकमान के पास कोई प्‍लान बी नहीं था। अचानक से एक दलित सिख चेहरे को आगे कर उसे मुख्‍यमंत्री बना दिया गया। फिर कहा गया कि दलित वोटों को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस ने यह फैसला लिया है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नवजोत सिंह सिद्धू एक महत्‍वकांक्षा लेकर कांग्रेस में शामिल हुए थे कि उन्‍हें पंजाब का मुख्‍यमंत्री बनना है। कैप्‍टन के हटने के बाद भी सिद्धू की पूरी इच्‍छा थी कि आलाकमान उन्‍हें ही सीएम पद की जिम्‍मेदारी दे पर ऐसा हो नहीं पाया।

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मंत्रिमंडल के नाम तय करने में हुई अनदेखी
कहा यह भी जा रहा है कि चन्‍नी को मुख्‍यमंत्री बनाने के बाद सिद्धू मीडिया और अन्‍य नेताओं के सामने अपनी नाराजगी जता नहीं रहे थे। सीएम चन्‍नी को राहुल गांधी ने करीब 4 बार अपने दिल्‍ली आवास पर मंत्रिमंडल के नामों की चर्चा करने के लिए बुलाया था। शुरू की दो बैठकों में सिद्धू भी शामिल रहे पर बाद की बैठकों में उन्‍हें राहुल ने नहीं बुलाया। अपनी इस अनदेखी से भी सिद्धू को नाराज बताया जा रहा है।

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अपने हिसाब से चलाना चाहते थे चन्‍नी को

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि खुद मुख्‍यमंत्री नहीं बन पाए सिद्धू चरणजीत सिंह चन्‍नी को अपने हिसाब से चलाना चाहते थे। वह चाहते थे कि मंत्रिमंडल में शामिल सदस्‍यों के नाम बगैर उनसे राय मशविरा लिए ना तय किए जाएं, पर कांग्रेस आलाकमान ने उनकी नहीं सुनी। इसके अलावा सीएम चन्‍नी ने हाल ही कुछ अफसरों की नियुक्ति की, उससे भी सिद्धू नाराज बताए जा रहे हैं।

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कांग्रेस का चेहरा चन्‍नी कैसे? इस बात की रही टीस

इसके अलावा कैप्‍टन के पद से हटने के दौरान कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने घोषणा कर दी थी कि 2022 का विधानसभा चुनाव पार्टी सिद्धू के नेतृत्व में ही लड़ेगी। सीएम पद की रेस में शामिल रहे सुनील जाखड़ ने चुनाव में सिद्धू को चेहरा बनाने के ऐलान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। फिर चन्‍नी को सीएम बनाकर चुनाव से पहले कांग्रेस ने जो दलित कार्ड खेला था, उसका पूरा खेल बिगड़ने का डर था। बवाल बढ़ता देख पार्टी हाई कमान को साफ करना पड़ा कि चुनाव में सिद्धू और चन्‍नी दोनों ही कांग्रेस का चेहरा होंगे। इस बात से भी सिद्धू अंदर ही अंदर नाखुश बताए जा रहे हैं।

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चन्नी को शुभकामनाएं देने के बाद क्या होगा कैप्टन अमरिंदर सिंह का अगला कदम?

पंजाब में नाटकीय सियासी उठापटक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पार्टी के विधायक दल ने प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपना नेता चुन लिया है। सोमवार को शपथ ग्रहण के बाद चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बन गए। चन्नी के सीएम निर्वाचित होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी उन्हें शुभकामनाएं भेजी हैं।

चन्नी को बधाई देते हुए कैप्टन ने कहा,’चरणजीत सिंह चन्नी को मेरी शुभकामनाएं। मैं आशा करता हूं कि वह पंजाब की सीमा सुरक्षित रखने और सीमा पार से बढ़ते सुरक्षा के खतरे से हमारे लोगों की रक्षा करने में समर्थ हैं।’ कैप्टन के बधाई संदेश से यह साफतौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस्तीफा देने के बाद वह अब क्या करने वाले हैं? इसमें यह बात तो साफ है ही कि वह चाहे और कुछ करें या नहीं, लेकिन कांग्रेस के पंजाब प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की राह में रोड़े जरूर अटकाने वाले हैं।

कैप्टन की शुभकामनाओं में ‘सीमा सुरक्षा’ और ‘पाकिस्तान से बढ़ते खतरों’ का जिक्र उनके इसी कदम की ओर इशारा करता है। इससे पहले राज्यपाल को अपना इस्तीफा देने के बाद भी कैप्टन ने नवजोत सिंह पर जमकर भड़ास निकाली थी। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस राज्य में सिद्धू के चेहरे पर चुनाव लड़ती है तो वह इसका विरोध करेंगे क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सिद्धू के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा से संबंध हैं।

पार्टी बदलेंगे अमरिंदर?

कैप्टन अमरिंदर सिंह को जिन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है, उससे वह साफतौर पर आहत दिख रहे हैं। ऐसे में उनके पार्टी बदलने को लेकर भी कयास लगाए जाने लगे हैं। बीजेपी भी कैप्टन को लेकर आशान्वित नजर आने लगी है। बीते दिनों कैप्टन के कई ‘राष्ट्रवादी’ बयानों ने इस कयास को बल भी दिया है कि वह जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, न तो कैप्टन की ओर से इसकी पुष्टि की गई है और न ही बीजेपी की ओर से ही इस तरह के किसी पहल की सूचना है।

हालांकि, बीते महीने कैप्टन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात थी,जिसकी काफी चर्चा हुई थी। इस बीच एनडीए के घटक दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के मुखिया रामदास अठावले ने कैप्टन को जरूर एनडीए में शामिल होने का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन का कांग्रेस ने अपमान किया है। ऐसे में उन्हें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि मोदीजी सबका सम्मान करते हैं।

कांग्रेस छोड़ने पर क्या रुख?

इस्तीफा देने के बाद अमरिंद सिंह ने पार्टी से खुलकर नाराजगी जताई थी लेकिन उन्होंने इसके जरा भी संकेत नहीं दिए कि वह कांग्रेस से अलग होने के बारे में सोच रहे हैं। कैप्टन ने यह जरूर कहा कि वह अपने साथियों से बात करेंगे और फिर आगे के राजनीतिक फैसले के बारे में बताएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने फ्यूचर पॉलिटिक्स का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें आगे जब भी इसका मौका मिलेग, वह इसका इस्तेमाल करेंगे।

कैप्टन की नई पार्टी?

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज होकर साल 1984 में अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। इस दौरान उन्होंने अकाली दल का दामन थाम लिया था। बाद में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) नाम की पार्टी भी बनाई थी, जिसका बाद में कांग्रेस में विलय हो गया। हालांकि, अब वह समय नहीं है कि कैप्टन इस तरह के किसी फैसले में दिलचस्पी दिखाएं। 79 साल के पूर्व सैनिक नेता के लिए पंजाब में नई पार्टी को खड़ा करना काफी मुश्किल भरा काम हो सकता है।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का काम करेंगे खराब

मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी से खुलकर नाराजगी जताई है। उनका खासतौर से निशाना पंजाब कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि कैप्टन सोनिया गांधी के फैसले पर भी खुलकर ऐतराज जता रहे हैं क्योंकि सिद्धू की प्रदेश प्रमुख के पद पर नियुक्ति उन्हीं ने की थी। कैप्टन ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर पार्टी उन्हें सीएम पद का चेहरा बनाती है तो वह इसका विरोध करेंगे। इस दौरान उन्होंने जमकर सिद्धू की धज्जियां उड़ाईं।

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