बसों से 66 दिनी ‘भारत न्याय यात्रा’, रुट भाजपा से सीधी टक्कर वाला

विश्लेषण: राहुल गांधी की 6,713 किमी लंबी ‘भारत न्याय यात्रा’ बदलेगी कांग्रेस के दिन?
भारत न्याय यात्रा’ इस बार भारत के पूर्व से पश्चिम मणिपुर के इंफाल से 14 जनवरी को शुरू होकर ये 20-21 मार्च को महाराष्ट्र के मुंबई में खत्म होगी.

नई दिल्ली छह जनवरी 2024: राहुल गांधी एक बार फिर यात्रा पर निकल रहे हैं.’भारत जोड़ो यात्रा’ का नाम बदल कर अब ‘भारत न्याय यात्रा’ कर दिया गया है.इंडी गठबंधन के साथी दलों को भी यात्रा में आने का न्यौता दिया गया है. आलोचकों के प्वाइंट आउट करने के बाद रूट में अब अरुणाचल प्रदेश को भी शामिल कर लिया गया है.राहुल गांधी इस बार कम समय में ज्यादा फासला तय करेंगे. क्योंकि वो पदयात्रा कम और बस यात्रा ज्यादा करेंगे.
‘भारत न्याय यात्रा’ इस बार भारत के पूर्व से पश्चिम की यात्रा होगी.मणिपुर के इंफाल से 14 जनवरी को शुरू होकर 20-21 मार्च को महाराष्ट्र के मुंबई में खत्म होगी,तो 66 दिनों में 6700 किलोमीटर ये ज्यादा का सफर तय होगा. कुल 15 राज्यों से राहुल गांधी गुजरेंगे.

यात्रा का रूट चुनावी दृष्टि से बेहद रणनीतिक

इस बार यात्रा का निर्धारित रूट चुनावी दृष्टि से बेहद रणनीतिक है. राहुल गांधी उन जिलों या राज्यों में ज्यादा समय बितायेंगें जहां कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्कर हो सकती है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ कांग्रेस के खाते में नई सीटें जोड़ पायेगी?

मणिपुर, नगालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे पूर्वोतर भारत की 25 सीटों के लिए राहुल गांधी 13 दिन वहां रहेंगें. कांग्रेस को लगता है कि मणिपुर की घटनाओं को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है और भाजपा को यहां पर घेरा जा सकता है.

इसी तरह बंगाल में 5 दिन और बिहार में 4 दिन ही यात्रा रहेगी. इसकी वजह है कि यहां कांग्रेस से ज्यादा जोर इंडी अलायंस के सहयोगी दलों का है. जबकि झारखंड जैसे छोटे राज्य जहां 14 सीटें हैं, राहुल वहां 8 दिन बिताएंगें, क्योंकि यहां पर कांग्रेस उम्मीद करती है कि जेएमएम और आरजेडी से मिलकर भाजपा को सीधी टक्कर दे सकती है.
ओडिशा में कांग्रेस संगठन कमजोर है और यहां पाने को बहुत कुछ नहीं है, तो राहुल गांधी 4 दिन में 4 जिले ही जा रहे हैं. जबकि छत्तीसगढ में राहुल गांधी 5 दिन में 7 जिले  कवर करेंगें. यहां कांग्रेस की भाजपा से सीधी टक्कर होनी है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के सामने काफी जूनियर पार्टनर है, यात्रा में राहुल उन्हीं जगहों से गुजरेंगें, जहां से कांग्रेस चुनाव लड़ने का मन बना रही है. 12 दिन में 20 जिले कवर होंगें.

मध्यप्रदेश और राजस्थान में राहुल गांधी की पहली यात्रा जा चुकी, तो इस बार वहां पर कम वक्त दिया जायेगा. मध्य प्रदेश में 7 दिन तो राजस्थान में राहुल गांधी केवल 1 ही दिन बितायेंगें.

गुजरात में यात्रा के नाम पर राहुल पहली बार जायेंगें. पहली यात्रा गुजरात नहीं गई थी तो यहां कमजोर हालात के बावजूद पार्टी ने तय किया है कि 5 दिन में सात ऐसे जिले तय हुए हैं जिन्हें वनवासी क्षेत्र  माना जाता है. महाराष्ट्र में भी पहली यात्रा में राहुल गए थे, तो इस बार भी यहां बहुत वक्त नहीं दे रहे. यात्रा यहां पर 5 दिन में 6 जिले कवर करेगी.

रूट के वो इलाके चुन-चुनकर तय हुए हैं, यहां कांग्रेस भाजपा को सीधी टक्कर देते हुए दिखना चाहती है. जैसे उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो बनारस, प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली और लखनऊ होते हुए शाहजहांपुर, अलीगढ़ तथा आगरा से होते हुए यात्रा का रूट बनाया गया है. ढाई महीने से कम वक्त में कुल 100 लोकसभा सीटों से ये यात्रा गुजरेगी.

Rahul Gandhi Bharat Jodo Nyay Yatra And Its Impact On 2024 Loksabha Election
66 दिन, 15 राज्य, 357 सीटें… क्या मोदी का विजय रथ रोक देगी राहुल गांधी की न्याय यात्रा?

क्या राहुल गांधी अपनी यात्रा के जरिए इन राज्यों में कोई चमत्कार कर पाएंगें?

यात्रा रूट वाले राज्यों में लोकसभा की कुल 357 सीटें हैं, इनमें कांग्रेस सिर्फ 14 ही जीत पाई थी
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’  14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होकर 20 मार्च को मुंबई में खत्म होगी। यात्रा के पहले संस्करण को कांग्रेस सुपरहिट मानती है। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जीत का श्रेय भी पार्टी ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को ही दिया था। तब उसी का शोर था। हालांकि, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में करारी हार से भारत जोड़ो यात्रा की चमक फीकी पड़ गई। उस यात्रा से कांग्रेस को राजनीतिक लाभ हुआ या नहीं, ये भले ही बहस का विषय हो लेकिन इस पर कोई शक नहीं कि यात्रा से राहुल गांधी की जुझारू नेता की छवि बनी। अब लोकसभा चुनाव से बमुश्किल 3 महीने पहले वह अब देश को पूरब से पश्चिम की ओर नाप रहे हैं। 15 राज्यों से गुजरने वाली यात्रा से क्या राहुल गांधी कोई चमत्कार कर पाएंगे? इन राज्यों में कांग्रेस की क्या स्थिति है? पिछले चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन क्या था? यात्रा का आखिरी चरण आते-आते लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा भी हो चुकी होगी। तो कहीं इससे भाजपा 2024 के चुनाव को ‘नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी’ का रंग देने में तो सफल नहीं हो जाएगी? आइए आंकड़ों के आईने में इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं

इन 15 राज्यों से गुजरेगी यात्रा

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ कुल 15 राज्यों से होकर 6700 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। यात्रा 110 जिलों और 100 लोकसभा सीटें नापेगी। रूट के 15 राज्यों में लोकसभा की कुल 357 सीटें हैं। ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’  मणिपुर, नगालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर निकलेगी। कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश को आलोचना के बाद जोड़ा।

कुल 357 सीट, कांग्रेस के खाते में मात्र 14

जिन 15 राज्यों से राहुल गांधी की यात्रा गुजरेगी, उन राज्यों में लोकसभा की कुल मिलाकर 357 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में  इन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब थी। कितनी खराब  कि इन 357 सीटों में पार्टी मात्र 14 पर ही जीत पाई थी।

5 राज्यों में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी

भारत जोड़ो न्याय यात्रा वाले राज्यों में से 5 मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल, राजस्थान और गुजरात में तो कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी।

उत्तर प्रदेश समेत 7 राज्यों में कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट

इतना ही नहीं, राजनीतिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े  राज्य उत्तर प्रदेश समेत यात्रा रूट के 7 राज्यों में कांग्रेस पिछली बार मात्र एक सीट पर सिमट गई थी। उत्तर प्रदेश के अलावा बाकी 6 राज्य हैं मेघालय, बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र।

कांग्रेस को सबसे ज्यादा 3 सीटें असम में

यात्रा रूट के 15 राज्यों में कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन असम में है जहां 2019 में उसके खाते में 3 सीटें आई थीं। बंगाल और छत्तीसगढ़ में उसने 2-2 सीटें जीती थी।

357 सीटों में से 239 पर भाजपा का कब्जा

राहुल गांधी की यात्रा जिन 15 राज्यों से गुजरेगी, वहां की कुल 357 सीटों में से 239 पर भाजपा का कब्जा है यानी 67 प्रतिशत सीटों पर कमल खिला था। उत्तर प्रदेश में अपना दल और बिहार में एलजेपी जैसी सहयोगी पार्टियों की सीटें इसमें शामिल नहीं हैं।

2 राज्यों में भाजपा का नहीं खुला था खाता, 3 में क्लीन स्वीप

राहुल गांधी की यात्रा वाले 2 राज्यों नगालैंड और मेघालय में भाजपा 2019 में खाता तक नहीं खोल पाई थी। हालांकि, 3 राज्य ऐसे भी हैं जहां पार्टी ने सारी की सारी सीटों पर जीत का परचम लहराया। ये राज्य हैं- राजस्थान, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश।

कांग्रेस को उल्टा न पड़ जाए राहुल गांधी की यात्रा का दांव?

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद राज्यों के चुनावों में भी कांग्रेस को हार पर हार का सामना करना पड़ा है। बीच-बीच में कुछ राज्यों में जीत से पार्टी उत्साहित होती है लेकिन वह उत्साह ज्यादा समय टिक नहीं पाता। उदाहरण के तौर पर पिछले साल कांग्रेस ने कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश से भाजपा को सत्ता से बाहर किया लेकिन साल बीतते-बीतते उसे मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी पट्टी के 3 महत्वपूर्ण राज्यों में करारी हार झेलनी पड़ी। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 2014 के शानदार प्रदर्शन को और बेहतर ही किया। 2014 और उसके बाद भाजपा की जबरदस्त चुनावी जीतों में सबसे बड़ा फैक्टर है नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता। मोदी मैजिक के सहारे पार्टी जीत हासिल करने वाली मशीन की तरह बन गई है। राहुल गांधी 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। ठीक पहले क्या, चुनाव के दौरान ही वह यात्रा पर रहेंगे क्योंकि यात्रा के आखिरी पड़ाव पर आते-आते लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा भी हो चुकी होगी। ऐसे में यात्रा से राहुल गांधी को जो कवरेज मिलेगी, उसका इस्तेमाल कर भाजपा 2024 की लड़ाई को ‘नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी’ बनाने की कोशिश कर सकती है। 2014 और 2019 में उसे इसका भरपूर फायदा ही मिला है। दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I. के बाकी दल शायद ही चाहेंगे कि चुनाव मोदी बनाम राहुल का रूप ले। वजह ये है कि मोदी के मुकाबले में विपक्ष के पास उनके कद का कोई भी चेहरा नहीं है। यही वजह है कि विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर दल बिना प्रधानमंत्री चेहरे चुनाव में उतरना चाहते हैं।

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