आपरेशन गंगा:1436 लौटे यूक्रेन से, निगरानी को चार मंत्री भेजने का फैसला

ऑपरेशन गंगा :फंसे भारतीयों को निकालने के लिए मोदी की दूसरी हाई लेवल बैठक शुरू, यूक्रेन के पड़ोसी देश जाएंगे 4 मंत्री

यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिक व स्टूडेंट्स को निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता उच्चस्तरीय बैठक शुरू हो चुकी है। बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, हरदीप सिंह पुरी, किरण रिजिजू , ज्योतिरादित्य सिंधिया और जनरल वीके सिंह मौजूद हैं। यूक्रेन मामले को लेकर मोदी की यह एक दिन में यह दूसरी बैठक है। %इससे पहले दोपहर को मोदी एक उच्चस्तरीय बैठक कर चुके हैं, जिसमें चार केंद्रीय मंत्रियों को यूक्रेन बॉर्डर से लगे पांच देशों में भेजे जाने का फैसला किया गया है। हरदीप सिंह पुरी को हंगरी, किरण रिजिजू को स्लोवाकिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानिया और मॉलडोवा, जनरल वीके सिंह को पोलैंड भेजा जा रहा है। केंद्र सरकार ने फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए एक वैकल्पिक रेल रूट की पहचान की है। यह रेल रूट पश्चिमी यूक्रेन के उजहोरोड से हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट तक जाता है।

बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों और उनके परिजन को भरोसा दिलाते हुए कहा है कि भले ही आप मंगल ग्रह पर भी फंसे होंगे तो हम आपकी मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय सरकार की यही सोच है। प्रधानमंत्री को सोच दूरदर्शी है। यही कारण है कि उन्होंने भारत के चार मंत्रियों को यूक्रेन की सीमा से लगे देशों में भेजने का निर्णय किया है।

जयशंकर ने पोलैंड के विदेश मंत्री से बात की

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने पोलैंड के विदेश मामलों के मंत्री के साथ यूक्रेन के घटनाक्रम पर चर्चा की। उन्होंने आगे कहा कि हम यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने के लिए पोलैंड की मदद की सराहना करते हैं।

इस बीच भारत में रूस के दूतावास ने भारतीय मीडिया से कहा है कि वह यूक्रेन और रूस की रिपोर्टिंग में संयम बरते, ताकि सही जानकारी भारतीय लोगों तक पहुंच सके।

फंसे छात्रों के लिए कोरोना नियमों में छूट

सरकार ने यूक्रेन से निकाले जा रहे छात्रों के लिए कोविड नियमों में छूट दे दी है। इसमें फ्लाइट में बैठने से पहले RT-PCR निगेटिव होने की शर्त को हटा लिया गया है। कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट नहीं देना होगा। इसके अलावा एयर सुविधा पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड भी नहीं करने होंगे। जो छात्र कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें 14 दिन सेल्फ क्वारैंटीन रहना होगा।

छठवीं से पहुंचे 240 लोग, नकवी ने किया स्वागत

इस बीच सोमवार शाम यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स को लेकर छठवीं फ्लाइट बुडापेस्ट, हंगरी से नई दिल्ली आ गई। इसमें 240 लोग सकुशल देश पहुंच चुके हैं। इनके सहित अब तक 1436 भारतीयों को यूक्रेन से भारत लाया जा चुका है। छठवीं फ्लाइट से पहुंचे छात्रों का स्वागत करने के लिए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी पहुंचे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के अनुसार ताजा एडवाजरी जारी करने के बाद लगभग 8,000 भारतीय नागरिक यूक्रेन छोड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार यूक्रेन की सहायता के लिए दवाएं और मानवीय सहायता भेजेगी।

बुडापेस्ट एयरपोर्ट पर भारतीय स्टूडेंट्स।

249 छात्रों और अन्य भारतीय नागरिकों को लेकर एयर इंडिया की 5वीं फ्लाइट सोमवार सुबह दिल्ली पहुंची थी। रोमानिया के बुखारेस्ट से आई एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर AI 1942 ने सोमवार सुबह करीब 6:30 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड किया। सोमवार को यूक्रेन से दो फ्लाइट पहुंची है।

सरकार की तरफ से यूक्रेन में फंसे भारतीयों को एयर लिफ्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ चलाया जा रहा है।

चार मंत्री विदेश जाएंगे, वहीं से करेंगे ऑपरेशन गंगा की निगरानी

यूक्रेन से भारतीयों की सुरक्षित वापसी में सहयोग के लिए प्रधानमंत्री ने अपने चार मंत्रियों को ​​​​यूक्रेन के चार पड़ोसी देशों में भेजने का फैसला किया है। इनमें हरदीप सिंह पुरी हंगरी, किरण रिजिजू स्लोवाकिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया रोमानिया तथा मॉलडोवा और जनरल वीके सिंह पोलैंड जाएंगे। ये चारों मंत्री वहीं से ऑपरेशन गंगा की निगरानी करेंगे।

सभी कलेक्टर फंसे लोगों के परिजन के संपर्क में रहें

प्रधानमंत्री के निर्देश पर कैबिनेट सचिव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से बात की। कैबिनेट सचिव ने कहा कि जिला कलेक्टर उन परिवारों से संपर्क में रहें जिनके परिजन यूक्रेन में फंसे हैं। परिजन को यह भी बताएं केंद्र सरकार उनके परिजनों को लाने के लिए क्या प्रयास कर रही है।

यूक्रेन से लौटे भारतीय स्टूडेंट्स से  बातचीत …

हरियाणा का शिवम बोला- एम्बेसी ने देरी से जारी की एडवाइजरी

हरियाणा के सोनीपत का गन्नौर निवासी शिवम अन्य स्टूडेंट के साथ यूक्रेन में फंसा था। वह रविवार को एअर इंडिया की फ्लाइट से घर लौटा। शिवम ने वहां के हालातों पर चर्चा करते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी ने हर स्टूडेंट का साथ दिया। इंडियन एम्बेसी ने वहां फंसे छात्रों के लिए बहुत देरी से एडवाइजरी जारी की, जिससे वे संभल नहीं पाए।

तनाव में गुजरे तीन दिन

शिवम यूक्रेन के उजगोद शहर में MBBS के दूसरे सेमेस्टर में है। उसने बताया कि रूस ने यूक्रेन पर अटैक किया तो इंडियन छात्र घबरा गए थे। तब से देश लौटने तक का समय बेहद डर और तनाव में गुजरा है।

बसों से बॉर्डर तक पहुंचे

विश्वविद्यालय की 5 बसों में शनिवार को 250 स्टूडेंट को हंगरी लाया गया। प्रति विद्यार्थी 50 डॉलर किराया लिया गया। हमले के बाद वे तीन दिन तक हॉस्टल में ही रहे। उनकी हर सुविधा का ख्याल रखा गया। यहां तक कि जिन बच्चों के पास ATM बंद होने से किराए के पैसे नहीं बचे थे, वह भी यूनिवर्सिटी की ओर से दिए गए।

हरियाणा की महिमा बोली – TV पर न्यूज देखकर डर जाते थे; तनाव-दहशत में भारतीय छात्र

पलवल लौटी महिमा ने बताया-तनाव-दहशत में भारतीय छात्र

अपने माता-पिता के साथ महिमा, वह यूक्रेन में बुकोविनिन यूनिवर्सिटी से MBBS कर रही हैं।

हरियाणा के पलवल की न्यू कॉलोनी निवासी समाजसेवी मनोज चावला की बेटी महिमा यूक्रेन में बुकोविनिन यूनिवर्सिटी (चरनी विक्सी) से MBBS कर रही है। वह रविवार को घर लौटी है। महिमा ने बताया कि यूक्रेन में फंसे बच्चे तनाव और दहशत में हैं। छात्र घर, बंकरों व यूनिवर्सिटी के हॉस्टलों में कैद रहने को मजबूर हैं। टीवी पर न्यूज देख कर उन्हें अपने परिजनों की याद सताती थी।

छत्तीसगढ़ का दीपक बोला- हंगरी में चेक पोस्ट पर हुई आसानी से एंट्री

यूक्रेन टू छत्तीसगढ़ का सफर- स्टूडेंट्स बोले- हंगरी में पहले से मौजूद थे दूतावास के लोग

महासमुंद जिले के सिन्धौरी निवासी दीपक साहू ने बताया वे रविवार को लौटे। उनका शहर हंगरी और स्लोवाकिया की सीमा से केवल 8-10 किमी दूर है। वहां युद्ध का असर नहीं है, लेकिन जब सभी को बाहर निकालने की बात आई तो हमने दूतावास से संपर्क किया। वहां से मिले निर्देशों के बाद 26 फरवरी की सुबह हम लोग छोटे-छोटे समूहों में यूनिवर्सिटी से बाहर निकले।

बसों का इंतजाम हमारी यूनिवर्सिटी ने ही किया था। यह बस हमें हंगरी सीमा के चेकपोस्ट तक लेकर गई। वहां हंगरी स्थित भारतीय दूतावास के लोग पहले से मौजूद थे। दस्तावेज आदि देखने के बाद सभी को आसानी से प्रवेश मिल गया। चौकी को पार करने के बाद हमें बुडापेस्ट ले जाया गया। वहां से एअर इंडिया के विमान से सुबह दिल्ली पहुंचे।

रायपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे यूक्रेन से लौटे स्टूडेंट्स

उत्तर प्रदेश की श्रेया बोली- जब भी सायरन बजता, सांसें अटक जाती थीं

यूक्रेन से भारत आने की कहानी, श्रेया की जुबानी

यूक्रेन में फंसी आगरा की श्रेया अब वापस भारत आ गई हैं। श्रेया अपने परिवार के साथ दिल्ली से आगरा आ रही हैं। श्रेया ने बताया कि पांच दिन पहले अचानक सुबह पता चला कि रूस ने हमला कर दिया है। हम सभी लोग डर गए। हमें हॉस्टल और बंकर में छिपने के लिए कहा गया। मैं अपनी कजिन सिस्टर के साथ बंकर में छिप गई। हम बहुत घबराए थे। पल-पल काटना भारी हो रहा था। जब भी सायरन बजता, सांसें अटक जाती थीं। तीन दिन इसी डर में जैसे-तैसे कटे।

रोमानिया बॉर्डर पहुंचना, मानो मौत के बीच से गुजरना

शुक्रवार रात को एंबेसी और यूनिवर्सिटी की ओर से बताया गया कि सभी लोगों को शनिवार सुबह 9 बजे रोमानिया, हंगरी या पोलैंड के रास्ते होकर भारत ले जाया जाएगा। इस मैसेज ने बम धमाकों के बीच जिदंगी की आस-सी जगा दी। हम सब बंकर में थे, बार-बार घड़ी देख रहे थे। बस बेसब्री से सुबह 9 बजने का इंतजार था। सुबह छह बजे से सब तैयार थे।

हमसे पहले एक बस रोमानिया बॉर्डर के लिए रवाना हुई। हम उस बस में बैठे अपने दोस्तों के संपर्क में थे। हमें बताया गया कि उस बस में सवार छात्रों के साथ यूक्रेन के स्थानीय लोगों ने लूटपाट शुरू कर दी है। उनके रुपए और खाने का सामान लूट लिया। इससे हम और डर गए।

इवानो से रोमानिया जाने वाली बसों में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। बाद में हम सभी 60 बच्चों ने खुद बस हायर की और अपने रिस्क पर रोमानिया के लिए निकल पडे़। वहां बॉर्डर पर धक्का मुक्की में मैं गिर गई और कई लड़के मेरे उपर से गुजर गए। किसी तरह उठकर बॉर्डर पार की। वहां से फ्लाइट से भारत पहुंची हूं।

हिमाचल की कशिश बोलीं- हालात बेदह नाजुक, अभी कई दोस्त फंसे

परिजन ने नम आंखों से किया बेटियों का स्वागत

हिमाचल प्रदेश के ठियोग की कशिश शर्मा ने बताया कि यूक्रेन के हालात बेहद नाजुक बने हैं। पूर्वी यूक्रेन में लगातार हो रही बमबारी से माहौल तनावपूर्ण है। यूक्रेन में अभी भी उनके कई दोस्त और जान-पहचान के लोग फंसे हुए हैं। कशिश ने बताया कि उनकी यूनिवर्सिटी पश्चिमी यूक्रेन में है। वहां पर अभी भी हालात सामान्य हैं।

डिग्री नहीं जान की चिंता थी: ओशिमा

ठियोग की ही ओशिमा मोक्टा भी यूक्रेन से लौट आआ हैं। ओशिमा ने बताया कि उन्हें फिलहाल जान की चिंता थी, डिग्री की नहीं है। ओशिमा MBBS प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। ओशिमा ने बताया कि कीव व आसपास के शहरों में लोग ज्यादा डरे व सहमे हुए हैं, क्योंकि वहां पर निरंतर बमबारी हो रही है।

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