भाजपा ने तोड़ी नीतीश-सुशील मोदी की जोड़ी, केंद्र में बनेंगे मंत्री

नीतीश-सुमो की जोड़ी टूटी:भाजपा के मंत्रियों को मिलेगी ताकत, आगे की योजना में भी पार्टी को मिलेगा फायदा

नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी का बिहार में ‘सरकारी साथ’ करीब 15 साल तक रहा।
हज्ञने NDA की बैठक के पहले ही बताया था- सुशील मोदी को राज्यसभा भेजकर केंद्रीय मंत्री बनाया जाएगा
राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में नए डिप्टी को लाने से पहले भी नीतीश से पूछेगी भाजपा, हालांकि इसका उलटा भी संभव

पटना 15 नवंबर। जेपी आंदोलन के साथी नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी का बिहार में ‘सरकारी साथ’ करीब 15 साल तक रहा। 2015-17 के बीच करीब डेढ़ साल से भी कम समय सुमो नीतीश कुमार पर हमलावर रहे, बाकी समय दोनों के स्वर-भाव को एक ही देखा गया। इस चुनाव में भी मोदी इस बात पर कायम रहे कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे। नीतीश भी उन्हें डिप्टी बनाए रखने पर अड़े थे, लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें केंद्र लाने का ऐसा मन बनाया कि इस बार किसी की नहीं चली।

भास्कर शनिवार को राजनाथ सिंह के आने की खबर के साथ ही यह सामने लाया था कि सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम बनाए रखने या नहीं रखने पर रायशुमारी होगी। यह भले नहीं हुई, लेकिन मैसेज केंद्र तक था। NDA की रविवार को होने वाली बैठक के पहले ही भास्कर ने खबर ब्रेक की थी कि मोदी दिवंगत रामविलास पासवान वाली राज्यसभा सीट से दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री बनेंगे।

अब सुशील मोदी ने खुद भी ट्वीट कर दिया है। उन्होंने लिखा, “भाजपा एवं संघ परिवार ने मुझे 40 वर्षों के राजनीतिक जीवन में इतना दिया की शायद किसी दूसरे को नहीं मिला होगा। आगे भी जो जिम्मेवारी मिलेगी, उसका निर्वहन करूंगा। कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता।”

प्रदेश भाजपा में सुशील कुमार मोदी को लेकर अरसे से गतिरोध रहा है। 2005 में पहली बार सरकार बनी थी तो अश्विनी कुमार चौबे और सुशील कुमार मोदी के बीच उप मुख्यमंत्री को लेकर ठन गई थी। उस समय दोनों को लेकर रायशुमारी हुई और चौबे इस फ्लोर टेस्ट में हार गए। इसके बाद किसी ने मुखर होकर सुमो का विरोध नहीं किया, लेकिन हर चुनाव के पहले सीटों के बंटवारे और जीत के बाद मंत्रीपद को लेकर उनके खिलाफ आवाज उठी, मगर दबी-दबी। इस बार भी यही सीन था।

2005 से जिस तरह कई बार सुमो को साइड करने की मांग उठ रही थी, वही इस बार भी थी। रविवार को ऐसी ही रायशुमारी के लिए राजनाथ सिंह के आने की चर्चा से भाजपा में कुलबुलाहट थी। इस बार फ्लोर टेस्ट में सुमो को लेकर दूसरा सीन हो सकता था, इसलिए माना जा रहा है कि राजनाथ ने भाजपा विधायकों की बैठक में जाने की योजना पहले टाली, फिर अंतिम समय में रद्द कर दी।

विधायक सुशील मोदी पर राय देने बैठे रहे, लेकिन राजनाथ पटना पहुंचकर भी उनसे नहीं मिले
नीतीश के ‘YES MAN’ की छवि से बाहर निकलने की चाहत अब प्रभावी

राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर सुशील कुमार मोदी के केंद्र में जाने से बिहार भाजपा पर कोई प्रभाव नहीं देखते हैं। वह कहते हैं कि भाजपा में व्यक्ति नहीं, संगठन का प्रभाव है और वैसे भी सुशील मोदी गुटबाजी में भरोसा रखने वाले इंसान नहीं। दूसरी तरफ, भाजपा के अंदर से यह बात भी निकलती है कि पार्टी सुशील मोदी को नीतीश का ‘YES MAN’ मानते हुए अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए इस राह चली है। कहा जाता है कि उप मुख्यमंत्री रहते हुए सुशील कुमार मोदी नीतीश से इतने प्रभावित रहे कि भाजपाई मंत्रियों को उभरने और प्रभावी होने का मौका ही नहीं मिला, इसलिए यह बदलाव किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इसी तरह की चर्चा है।

हालांकि, सुरेंद्र किशोर इसमें भी जोड़ते हैं, ‘उप-मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा जिस नए नाम को आगे करेगी, उसके बारे में नीतीश से सहमति जरूर लेगी, यह अलग बात है कि नीतीश दूसरे के काम में हस्तक्षेप नहीं करते।’

चाणक्य स्कूल ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा इस मामले में दूसरी राय रखते हैं। वह कहते हैं, ‘भाजपा के अंदर वर्षों पुरानी कसमसाहट अब कुछ घटेगी, लेकिन अब भी यह देखने लायक होगा कि अपना मुख्यमंत्री देने का लंबे समय से सपना देख रही पार्टी फिर कोई YES MAN तो नहीं लाकर बैठाएगी। भाजपा अपना सपना पूरा करने के लिए कोई बिल्कुल उलट स्वभाव का चेहरा भी उप-मुख्यमंत्री के रूप में सामने कर सकती है।

मंगल पांडेय व कामेश्वर चौपाल हो सकते हैं उपमुख्यमंत्रीऔर नामों की भी है चर्चा, जानिए कौन बनेंगे मंत्री
कामेश्‍वर चौपाल, तारकिशोर प्रसाद तथा मंंगल पांडेय

गलियारे में रविवार से ये चर्चाएं शुरू हो गयीं हैं कि कौन बनेगा नई सरकार में उपमुख्‍यमंत्री तथा किन्‍हें मिलेगी नीतीश मंंत्रिमंडल में मंत्री की कुर्सी? कई पुराने मंत्रियों को फिर से मंत्रिमंडल में जगह तो मिलेगी ही, साथ ही कई ऐसे नाम भी चल रहे हैं जो पहली बार विधायक बने हैं। कुछ ऐसे नाम भी चर्चा में हैं, जो फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। कौन बनेगा उपमुख्‍यमंत्री, इसे लेकर कुछ नाम चर्चा में हैं। इनमें मंगल पांडेय व कामेश्‍वर चौपाल के नाम शामिल हैं। तारकिशोर प्रसाद का नाम भी चर्चा में है।

विधानमंडल दल के नेता बने तारकिशोर प्रसाद

रविवार को बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में तार किशोर प्रसाद नेता चुने गए। बेतिया से बीजेपी की विधायक रेणु देवी को बीजेपी विधानमंडल का उपनेता चुना गया। इसके पहले निवर्तमान उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी विधानमंडल के नेता थे। ऐसे में तारकिशोर प्रसाद को उपमुख्‍यमंत्री बनाए जाने की भी चर्चा है।

कामेश्‍वर चौपाल व मंगल पांडेय के नाम की चर्चा

रविवार को चौैंकाने वाला निर्णय यह रहा कि सुशील कुमार मोदी अब उपमुख्यमंत्री नहीं होंगे। उनकी जगह बीजेपी के पूर्व विधान पार्षद व राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कामेश्वर चौपाल को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। दाे दिन पहले बीजेपी नेता व राम मंदिर के शिलान्‍यास की पहली ईंट रखने वाले कामेश्‍वर चौपाल जब पटना पहुंचे थे, तब समर्थकों ने उनके अगला मुख्‍यमंत्री होने को लेकर नारे लगाए थे। उस वक्‍त कामेश्‍वर चौपाल के नाम की चर्चा हुई थी। तब कामेश्‍वर चौपाल ने कहा था कि पार्टी जो भी जिम्‍मेदारी देगी, उसका वे निर्वाह करेंगे। हालांकि, बाद में उन्‍होंने खुद को उपमुख्‍यमंत्री बनाए जाने की जानकारी से इनकार किया। अब सुशील मोदी के उपमुख्‍यमंत्री नहीं बनाए जाने की बात स्‍पष्‍ट होने के बाद एक बार फिर चौपाल के नाम की चर्चा है। देर शाम यह बात दौड़ने लगी कि दो उपमुख्यमंत्री होंगे। इनमें एक सवर्ण होगा। इसके बाद मंगल पांडेय का नाम भी आगे आ गया।

तारकिशोर प्रसाद भी बनाए जा सकते उपमुख्‍यमंत्री

बीजेपी विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता तारकिशोर प्रसाद व बेतिया की विधायक रेणु देवी को भी उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा है। कुछ हलके में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की भी चर्चा होती रही। वहीं बीजेपी की ओर से उपमुख्यमंत्री के नाम की रविवार को कोई घोषणा नहीं हुई।

पुराने मंत्रियों के नाम की फिर से है चर्चा

जहां तक मंत्रियों की बात है, जनता दल यूनाइटेड एवं भारतीय जनता पार्टी कोटे से कई पुराने मंत्रियों के फिर से मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। जेडीयू कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, नरेंद्र नारायण यादव, महेश्वर हजारी, संजय झा व मदन सहनी को फिर से मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। पूर्व मंत्री अशोक चौधरी, नीरज कुमार व दामोदर रावत के नाम की भी चर्चा चल रही है। बीजेपी कोटे से कई मंत्री रिपीट हो सकते हैं। उनमें नंदकिशोर यादव, मंगल पांडेय, प्रेम कुमार, विनोद नारायण झा व विजय कुमार सिन्हा, राणा रंधीर आदि के नाम की चर्चा है। पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा को भी मंत्री पद मिल सकता है।

इन महिलाओं को भी मिल सकती है जवाबदेही

जेडीयू के टिकट पर जीत कर आयीं कुछ महिलाओं को भी मंत्री पद की जवाबदेही मिल सकती है। धमदाहा से इनमें जीतकर आयीं लेसी सिंह और रुपौैली से जीतीं बीमा भारती के नाम शामिल हैं। लेसी सिंह व बीमा भारती नीतीश कुमार मंंत्रिमंडल की सदस्य रह चुकी हैं। केसरिया से पहली बार जीत कर आयीं शालिनी मिश्रा के नाम की भी चर्चा है।

अल्पसंख्यक कोटे से किसी विधान पार्षद को मंत्री पद मिल सकता है। इस पर भी चर्चा तेज हो गयी है।

जेडीयू में आठ मंत्रियों की है सीधी रिक्तियां

जेडीयू के आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं। इसलिए वहां इतनी संख्या में नए को मौका मिलने की संभावना है। मंत्री रहे शैलेश कुमार, संतोष निराला, खुर्शीद उर्फ फिरोज, रमेश ऋषिदेव, रामसेवक सिंह, लक्ष्मेश्वर राय, जयकुमार सिंह व कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा चुनाव हार गए हैं।

हम और वीआईपी से एक-एक नाम की चर्चा

हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इनसान पार्टी कोटे से एक-एक मंत्री हो सकते हैं। हम से अनिल कुमार और वीआइपी से मुकेश सहनी मंत्री बनाए जा सकते हैं।

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