नितिन गडकरी व धामी उत्तरकाशी में,पांच मोर्चों पर काम

लहे हैं. उन्हें बचाने की हर कोशिश हो रही है. पर इसका जवाब कोई नहीं है कि मजदूर कब बाहर निकल पाएंगे।

उत्तरकाशी 19 नवंबर । उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूरों को फंसे 8 दिन हो चुके हैं. अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी है. उत्तरकाशी में 41 जिंदगियां बचाने को मशीनों के साथ-साथ प्रार्थनाओं का भी सहारा लिया जा रहा है. एक तरफ ड्रिलिंग मशीनें रोज मजदूरों के लिए मेहनत करती दिखती हैं. तो दूसरी तरफ  सुरंग के बाहर लोग पूजा-पाठ कर मजदूरों के सुरक्षित बाहर आने की कामना कर रहे हैं.

– केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी में टनल वाली जगह पर आज जाएंगें. नितिन गडकरी अस्थाई हेलीपैड स्यालना पहुंच सड़क के रास्ते सिलक्यारा टनल को रवाना होंगे. गडकरी और धामी पिछले 8 दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेंगे.

– रेस्क्यू के दौरान सुरंग में कंपन और मलबा गिरने के खतरे पर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बंद कर दी गई है. अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी है.

– मेजर नमन नरूला ने कहा कि हमें 320 मीटर ट्रैक बनाने का काम मिला है ताकि हम वर्टिकल ड्रिलिंग पायें. इसे कल तक पूरा करने को युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं.

–  उम्मीद है कि सिलक्यारा सुरंग तक वैकल्पिक रास्ता रविवार दोपहर बाद तक तैयार होगा. उत्तराखंड सरकार में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) भास्कर खुल्बे ने कहा कि ठोस कोशिशों से 4-5 दिन में अच्छे नतीजे आएंगे. भगवान की कृपा रही तो ये उससे पहले भी हो सकता है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ दुर्घटनास्थल पर हो रहे काम के निरीक्षण के बाद उत्तरकाशी में पथपरिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पत्रकारों को बताया कि विशेषज्ञों ने हमें छह विकल्प बतायें हैं और ह्यूम पाइप का विकल्प छोड़ा नहीं गया है।

– उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूर बचाने को शनिवार को पीएमओ के अधिकारी, आरवीएनएल ओएनजीसी टिहरी डैम, सर्वे, जियो मैपिंग के साथ तमाम विभागों के अधिकारियों ने मीटिंग की. प्लान सी पर भी विचार हुआ जिसमें टनल पर चार ऐसे स्थान देखे गये हैं जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग हो सकती है.

41 जिंदगियां बचाने को बना ‘पंचमुखी प्लान’
8 एजेंसियां 5 जगह से बनाएंगी रास्ता
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 लोगों को बचाने को 8वें दिन रविवार को बचाव अभियान शुरू हुआ है. हॉरिजेंटल और वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हुई है. वर्टिकल ड्रिलिंग को हॉलैंड से मशीन मंगवाई गई है. टनल  सिक्योर करने को रेलवे ने रविवार सुबह एक और मशीन ऋषिकेश से मंगवाई है. यह टनल में मलबा गिरने से रोकने के काम आएगी.

इसके साथ ही लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने को सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी हो रही है. बता दें कि 12 नवंबर को उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा टूटने और मलबा गिरने से 41 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी उत्तरकाशी पहुंचकर बचाव अभियान का जायजा लेंगे.

शनिवार को उत्तरकाशी आए पीएमओ अफसरों ने पंचमुखी प्लान तैयार किया. नई रणनीति में आठ एजेंसियां- NHIDCL, BRO, RVNL,ONGC, NDRF, SDRF, PWD और ITBP एक साथ पांच तरफ से ड्रिलिंग करेंगी.

पंचमुखी प्लान तैयार –
प्लान पहला- टनल में ड्रिलिंग करके रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पाइप बिछाने का होगा.
दूसरा प्लान- टनल के पीछे से भी ड्रिल करने की तैयारी है.
तीसरा प्लान- टनल के ऊपर से ड्रिल करके टनल में रेस्क्यू करना है.
चौथा प्लान- लेफ्ट से परपेंडिकुलर छेद चौथा प्लान है.
पांचवां प्लान- राइट से परपेंडिकुलर छेद पांचवां प्लान है.

Laborer Trapped In Silkyara Tunnel Of Uttarkashi Will Be Rescued In Another Way
अब स्टील पाइप से नहीं, ड्रिलिंग से निकलेंगें सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूर
केंद्र और राज्य सरकार मजदूर बाहर निकालने को पूरी कोशिश से जुटी हुई है,लेकिन ड्रिल और पाइप पुशिंग से सुरंग में लगातार मलबा गिर रहा है।

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूर निकालने को अब नए सिरे से तैयारी हो रही है। सुरंग में ड्रिलिंग के समय कंपन और मलबा गिरने से खतरा बढ़ा है, तब ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बंद की गई। राहत एवं बचाव दल ने अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी कर ली है।

41 जिंदगियां बचाने को राज्य से केंद्र तक सक्रियता है तो वहीं देश-विदेश से तकनीकी विशेषज्ञ भी बुलाये गये है। इसमें जहां सेना भी मदद में जुटी है तो वहीं नॉर्वे की तकनीकी विशेषज्ञ टीम भी उत्तरकाशी पहुंची है। सुरंग में ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के समय सुरंग में कंपन से मलबा गिरते देख खतरा पैदा हो गया। तब ऑगर मशीन से टनल ड्रिलिंग बंद की गई।

बचाव  अभियान अब पांच मोर्चों पर चलेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय के उपसचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार एवं उत्तराखण्ड सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे ने आज दुर्घटनास्थल का निरीक्षण किया। बचाव अभियान की रणनीति लेकर विशेष बैठक में विचार-विमर्श के बाद यह घोषणा की। इसके साथ ही बचाव अभियान के सभी मोर्चों पर युद्धस्तरीय कार्रवाई शुरू हो गई । फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने को सुरंग के दायें और बायें हिस्से से एस्केप टनल बनाने के साथ ही सुरंग की ऊपरी पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग करने,सुरंग के पोल गांव वाले हिस्से की तरफ से भी टनल बनाना शुरू हो गया है।

और समय लग सकता है

नई रणनीति में अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी है। पहाड़ ड्रिल करना भी कोई आसान काम नहीं है और मजदूरों को निकालने में अब और समय लग सकता है। एक तरफ जहां टनल में फंसे लोग एक-एक पल बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके परिजन टनल के बाहर उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद परेशान हैं। नाराज परिजनों ने आज सुबह भी कंपनी की लापरवाही पर विरोध-प्रदर्शन किया था।
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिल्क्यारा सुरंग आपदा से निपटने के लिए देश और दुनिया में चले पुराने सुरंग रेस्क्यू के अनुभवों के आधार पर कार्य की बात कही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि अधिकारी पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर सहित दुनिया के कई देशों में सुरंग निर्माण और आपदा के बाद की बचाव तकनीक अपना रहे हैं।
पीर पंजाल, अटल सुरंग, भंवर टोंक, संगलदान जैसी बड़ी सुरंग निर्माण और लूज गिरने के बाद रेस्क्यू की जानकारी जुटाई जा रही है। इसी के अनुसार बचाव टीम श्रमिक बाहर निकालने डटी हुई है।
Uttarkashi Tunnel Accident: Six Teams Will Work With The Help Of Foreign Experts

उत्तरकाशी सुरंग हादसा : विदेशी विशेषज्ञों की मदद से जुटेंगी छह टीमें, अब पांच विकल्पों पर शुरू करेंगे काम

सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग होगी। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चार स्थान पहचाने गए हैं, वहां पहुंचने को ट्रैक बनाने का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) करेगा ।
इंदौर से मंगाई तीसरी अत्याधुनिक बरमा मशीन पहुंच गई है। सुरंग बनाने वाली सरकारी कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. ने फंसे श्रमिकों की संख्या 40 के बजाय 41 बताई है। 41वें श्रमिक बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के दीपक कुमार निकले।

इस बीच, प्रधानमंत्री कार्यालय में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल, पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे, माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर, इंजीनियरिंग विशेषज्ञ अरमांडो कैपेलन समेत कई विशेषज्ञ शनिवार को मौके पर पहुंचे।  चार्टर्ड इंजीनियर कूपर के पास सिविल इंजीनियरिंग बुनियादी ढांचे, मेट्रो सुरंगों, बड़ी गुफाओं, बांधों, रेलवे और खनन की कई वैश्विक परियोजनाओं का अनुभव है।

177 मीटर ड्रिलिंग
राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. निदेशक अंशु मनीष खलखो ने बताया कि ऊपर से ड्रिलिंग को हुए वैज्ञानिक सर्वे में 103 मीटर चौड़ाई वाले क्षेत्र में ड्रिलिंग की जाएगी।

निगम अधिशासी निदेशक संदीप सुगेरा ने बताया कि सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ साइड से भी ड्रिलिंग होगी। इसमें ऊपर 103 मीटर की चौड़ाई और साइड से ड्रिलिंग को 177 मीटर की दूरी मिली है। ऊपर से ड्रिल कर मजदूरों तक खाना व पानी पहुंचेगा। जबकि साइड से उन्हें बाहर निकालेंगें।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि मुसीबत में फंसे श्रमिकों के परिजनों के साथ सरकार खड़ी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी परिजनों को बचाव की हर पल की जानकारी देते रहें। सिल्क्यारा पहुंचे परिजनों को भी सहायता केंद्र खोला जाए और उनके रहने खाने की जरूरत के हिसाब से मदद करें। उन्होंने इस घड़ी में श्रमिकों के परिजनों को धैर्य बना रखने की अपील भी की है।

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