नई नीति: सुगंधित मदिरा का उत्पादक बनेगा उत्तराखण्ड

फ्लेवर्ड वाइन्स का हब बनेगा उत्तराखंड,धामी कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को दी मंजूरी,माइक्रो डिस्टिलेशन पर ज़ोर
New excise policy in Uttarakhand उत्तराखंड में धामी सरकार ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी है. जिसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4440 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में माइक्रो डिस्टिलेशन इकाई की स्थापना पर भी जोर दिया गया है.
देहरादून 14 फरवरी 2024। : उत्तराखंड सरकार ने नई आबकारी नीति पर मुहर लगा दी है. नई आबकारी नीति में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4440 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया है, जोकि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में करीब 11 प्रतिशत अधिक है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सरकार ने करीब 4000 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था. जिसके सापेक्ष करीब 80 प्रतिशत राजस्व एकत्र हो पाया है. उत्तराखंड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2024 में मिलावटी शराब को रोकने,बड़े ब्रांड के शराब की उपलब्धता पर जोर के साथ-साथ राजस्व बढ़ाने को लेकर तमाम प्रावधान किए गए हैं.

निवेश बढ़ाने को माइक्रो डिस्टिलेशन इकाई होगी स्थापित
नई आबकारी नीति 2024 में पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को बढ़ाने के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन इकाई स्थापित करने का प्रावधान भी किया गया है. जिससे सूक्ष्म उद्योगों को श्रेणी में कम से कम भूमि में स्थापित किया जा सकेगा, जो आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ पर्वतीय क्षेत्र की पर्यावरण मानकों के अनुकूल होगा और इसका स्थानीय पर्यावरण पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. प्रदेश में चल रही शराब फैक्ट्री में उच्च गुणवत्ता की मदिरा बनने से न सिर्फ राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि प्रदेश में उगने वाली वनस्पतियों और जड़ी बूटियों का उपयोग होने से स्थानीय किसानों को आय के नए अवसर भी मिलेंगे.

सुगंधित मदिरा के उत्पादन के हब के रूप में विकसित होगा उत्तराखंड
उत्तराखंड सरकार के अनुसार, राज्य उच्च गुणवत्तायुक्त जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों, हिमालय की जलवायु, वातावरणीय शुद्धता, बेहतर गुणवत्ता के जल स्रोत समेत अन्य कारकों के चलते विश्वस्तरीय सुगंधित मदिरा के उत्पादन के हब के रूप में विकसित होगा. जिस तरह से यूरोप में स्कॉटलैंड, इटली समेत अन्य जगहों की विश्वस्तरीय मदिरा के लिए एक ब्रांड है, उसी प्रकार हिमालयी राज्य उत्तराखंड विश्व स्तर पर स्प्रिटामॉल्ट के उत्पादन केंद्र के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा.

मदिरा की आपूर्ति के लिये थोक व्यवस्था का प्रावधान
इस नीति में विदेशी मदिरा की बॉटलिंग के लिए आबकारी राजस्व और निवेश के लिए पहली बार प्रावधान किया जा रहा है, ताकि उत्तराखंड राज्य, उत्पादक और निर्यातक राज्य के रूप में स्थापित हो सके. प्रदेश में विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को उत्तराखंड के मूल/स्थायी निवासियों को रोजगार देने के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा की आपूर्ति के थोक व्यापार की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है. उत्तराखंड सरकार ने आबकारी राजस्व को बढ़ाने के लिए पहली बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिये थोक व्यवस्था FL-2(O) का प्रावधान किया है, जिससे कस्टम बॉन्ड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व बढ़ाने की दिशा में नियंत्रित किया जा सकेगा.

नई आबकारी नीति में देखा गया किसानों का हित
नई आबकारी नीति में राज्य की कृषि एवं बागवानी से जुड़े किसानों के हितों को देखते हुए देशी शराब में स्थानीय फलों (कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती, तिमूर, आडू आदि) को शामिल किया गया है. साथ ही शराब दुकानों का आवंटन या नवीनीकरण, दो चरणों में लिया जाएगा. जिसमें लॉटरी और “पहले आओ पहले पाओ” के आधार पर किया जाएगा. ये निर्णय पारदर्शी और अधिकतम राजस्व एकत्र को लेकर लिया गया है. शराब की दुकानों का नवीनीकरण उन्ही लोगों का किया जाएगा, जिनकी प्रतिभूतियां सुरक्षित हों.

नई आबकारी नीति में मुख्य बिंदु

शराब की दुकान आवंटन में लिए आवेदक को आवेदन पत्र के साथ पिछले दो साल का आईटीआर देना होगा.
पूरे प्रदेश में एक आवेदक को अधिकतम तीन शराब की दुकानें ही आवंटित की जा सकेंगी.
प्रदेश के सभी जिलों में चल रही मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की मंजूरी भी राजस्व बढ़ाने को लेकर दी जा सकेगी.
देशी मदिरा दुकानों में 36 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार शराब, 25 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार, सादा मदिरा और विशेष श्रेणी की मेट्रो मदिरा की आपूर्ति का प्रावधान किया गया है.
विदेशी/ देशी मदिरा के कोटे का अनतरण कोटे के अधिभार के 10 फीसदी तक अनुमन्य होगा.
विदेशी मदिरा में न्यूनतम प्रत्याभूत ड्यूटी का निर्धारण कर मदिरा ब्रांडों का मूल्य पिछले साल की तरह ही निर्धारित किया गया है, जिससे आबकारी राजस्व सुरक्षित रहे और जनता को सही रेट पर मदिरा उपलब्ध हो सके.
प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन और स्थानीय रोजगार को देखते हुए पर्वतीय तहसील और जिलों में मॉल्स डिपार्टमेंटल स्टोर में मदिरा बिक्री का आवेदन शुल्क 5 लाख रुपए और न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रवधान किया गया है.
पिछले साल से विभिन्न स्टार कैटेगरी के अनुसार बार आवेदन शुल्क निर्धारित किया गया है. पर्यटन की दृष्टि से सीजनल बार आवेदन शुल्क का प्रावधान किया गया है.
अवैध कच्ची शराब के उत्पादन क्षेत्रों में लगातार प्रभावी प्रवर्तन कार्रवाई करेगा. ऐसे क्षेत्रों में वैध मदिरा के विक्रय को प्रोत्साहन करने के लिए उप दुकान का प्रावधान किया गया है.

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