तो नेविल रॉय सिंघम करता है फंड भारत में चीनी पिट्ठू वैबसाइट ‘न्यूजक्लिक’

Meet Neville Roy Singham The Poster Boy Of Chinese Propaganda In India
Neville Roy Singham: कौन है यह ‘सिंघम’ जो भारत में फैला रहा चीन का प्रोपेगेंडा!
मीडिया में चाइनीज फंडिंग का मामला आज लोकसभा में गूंजा। इस विवाद के केंद्र में एक अमेरिकी बिजनसमेन है। उस पर ऐसी संस्थाओं को फंड देने का आरोप है जो चीनी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देते हैं। इनमें दिल्ली की न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक भी शामिल है।

भाजपा ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर निशाना साधा
न्यूजक्लिक, कांग्रेस और चीन पर सांठगांठ का आरोप

नई दिल्ली 07 अगस्त: लोकसभा में आज मीडिया में चाइनीज फंडिंग का मुद्दा उठा। साथ ही भाजपा ने इस पर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों पर निशाना साधा। भाजपा ने आरोप लगाया है कि न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक, कांग्रेस और चीन में आपस में सांठगांठ है। इस पूरे विवाद के केंद्र में जो व्यक्ति है उसका नाम है नेविल रॉय सिंघम (Neville Roy Singham)। सिंघम एक अमेरिकी बिजनसमेन हैं। वह आईटी कंसल्टिंग कंपनी थॉटवर्क्स (ThoughWorks) के फाउंडर और पूर्व चेयरमैन हैं। सिंघम पर ऐसी संस्थाओं को फंड देने का आरोप है जो चीनी प्रोपेगेंडा बढ़ाते हैं। इनमें भारत की न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक भी है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सिंघम के नेटवर्क ने न्यूजक्लिक को फंड किया था।1954 में अमेरिका में जन्मे नेविल रॉय सिंघम ने  हावर्ड यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में डिग्री लेकर अपना कैरियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर से शुरू किया। 1993 में उन्होंने थॉटवर्क्स की स्थापना की। कंपनी कस्टम सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेयर टूल और कंसल्टिंग सर्विसेज देती है। जल्दी ही थॉटवर्क्स अपने सेक्टर में ग्लोबल लीडर बन गई। सिंघम को 2009 में फॉरेन पॉलिसी मैगजीन ने टॉप 50 ग्लोबल थिंकर्स में शामिल किया। हाल के वर्षों में उनकी राजनीतिक सक्रियता बढ़ी और वह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखर समर्थक बनकर उभरे। उन्होंने चीन के सरकारी मीडिया के प्रोपेगेंडा को बढ़ाने वाले ग्रुपों को करोड़ों डॉलर का फंड दिया है।
चीन की प्रोपेगेंडा मशीनरी
उन पर दिल्ली की न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक को भी फंड देने का आरोप है। यह वेबसाइट चीनी सरकारी प्रोपेगेंडा को बढ़ाने वाले कंटेट देती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सिंघम चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के स्मोकलेस वॉर के मुख्य किरदार हैं। शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीन ने  सरकारी मीडिया का प्रभाव बढ़ाया है। इंटरनेशनल मीडिया संस्थानों से अलायंस बना अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने को विदेशी इनफ्लूएंसर्स की मदद ली है।

साल 2021 में ईडी की जांच में सामने आया था कि न्यूजक्लिक को 38 करोड़ रुपये का विदेशी फंड मिला था। इसकी सुई भी सिंघम पर आकर रुकी थी। तब भाजपा ने आरोप लगाया था कि देश विरोधी ताकतें विदेशी ताकतों से मिलकर देश कमजोर कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को निशाना बनाते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच के मुताबिक चीन अपनी प्रोपेगेंडा मशीनरी से खुद को अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचाने में सफल रहा है। इसमें सिंघम की महत्वपूर्ण भूमिका है। चीन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगते रहते हैं।

NewsClick से भारत में चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने का भंडाफोड़! न्यूयॉर्क टाइम्स का खुलासा, घेरे में नेविल रॉय सिंघम
NewsClick Chinese Propaganda: न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जांच से पता चला है कि कैसे चीन अपने प्रचार नेटवर्क से अपने मानवाधिकारों के हनन की अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचता रहा है.


समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक को फंडिंग करने वाले टेक मुगल नेविल रॉय सिंघम के आदेश पर देश में चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने का भंडाफोड़ हुआ है.न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की जांच में यह सामने आया .इससे भारत के उस दावे की पुष्टि होती है,जिसमें विदेशी ताकतों से राष्ट्र-विरोधी तत्वों की मिलीभगत की आशंका जताई गई थी.

2021 में,प्रवर्तन निदेशालय की जांच में आया था कि मीडिया पोर्टल न्यूज़क्लिक को विदेशों से 38 करोड़ रुपए मिले थे.अधिकारियों ने अमेरिकी करोड़पति सिंघम तक धन के लेन-देन का पता लगाया था.भाजपा ने तब आरोप लगाया था कि ‘भारत विरोधी’ तत्व,विदेशी ताकतों से मिलकर,‘देश को नीचा दिखाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को निशाना बनाने के षड्यंत्र का हिस्सा थे’.

अब,नई जांच ने चिंताओं की पुष्टि की है,जिसमें न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि कॉर्पोरेट फाइलिंग से पता चला है कि ‘न्यूज़क्लिक ने अपनी कवरेज चीनी सरकार के बिंदुओं के साथ प्रसारित की’.हालांकि इन आरोपों पर न्यूज़क्लिक की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.एनवाईटी के अनुसार,जांच से पता चला है कि कैसे चीन अपने प्रचार नेटवर्क से अपने मानवाधिकारों के हनन की अंतरराष्ट्रीय आलोचना से खुद को बचाने में सक्षम रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा,‘यह एक काफी बड़ा वित्त पोषित प्रभाव अभियान का हिस्सा है जो चीन का बचाव कर उसका प्रचार आगे बढ़ाता है.इस पूरे अभियान के सेंटर में एक करिश्माई अमेरिकी करोड़पति,नेविल रॉय सिंघम हैं,जिन्हें दूर-वामपंथी हितों के समाजवादी हितैषी के रूप में जाना जाता है.’सिंघम के नेटवर्क की न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच से पता चला कि कैसे दुष्प्रचार ने मुख्यधारा की खबरें प्रभावित की क्योंकि उसके समूहों ने चीनी समर्थक संदेशों को बढ़ावा देने को यूट्यूब वीडियो बनाए.

अमेरिकी गैर-लाभकारी समूह चैरिटी और शेल कंपनियों का जाल  बुनकर नेटवर्क की मुख्य ताकत बनाते हैं.एनवाईटी ने कहा कि नो कोल्ड वॉर जैसे कुछ समूह कानूनी संस्थाओं के रूप में मौजूद नहीं हैं,बल्कि डोमेन पंजीकरण रिकॉर्ड और साझा आयोजकों से सिंघम के नेटवर्क से जुड़े हैं.इसके अलावा,जांच में मिला है कि‘सिंघम के किसी भी गैर-लाभकारी संगठन ने विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम में पंजीकरण नहीं कराया है,जैसा कि (अमेरिका में) समूहों के लिए आवश्यक है जो विदेशी शक्तियों की ओर से जनता की राय प्रभावित करना चाहते हैं.यह आमतौर पर विदेशी सरकारों से पैसे या ऑर्डर लेने वाले समूहों पर लागू होता है’.

इंडिया टुडे ने जांच का संदर्भ देते हुए कहा कि‘यूनाइटेड कम्युनिटी फंड’और‘जस्टिस एंड एजुकेशन फंड’ जैसे नामों वाले चार गैर-लाभकारी संगठनों का वास्तविक दुनिया में लगभग कोई अस्तित्व ही नहीं मिला.इन एनजीओ के पते इलिनोइस, विस्कॉन्सिन और न्यूयॉर्क में यूपीएस स्टोर मेलबॉक्स के रूप में सूचीबद्ध थे.चार गैर-लाभकारी संस्थाओं में से सबसे बड़ी सिंघम की पत्नी, जोडी इवांस चलाती है.

ईडी जांच
पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड संचालित न्यूज़क्लिक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच में मदद करने को अतिरिक्त जानकारी इकट्ठा करने के उद्देश्य से 9 फरवरी,2021 को प्रवर्तन निदेशालय अधिकारियों ने कंपनी की तलाशी ली थी.तलाशी पांच दिन चली और इसमें 10 परिसर कवर किये गये,जिसमें कंपनी प्रमोटर प्रबीर पुरकायस्थ का आवास भी था. ईडी ने दावा किया कि पीपीके को 38 करोड़ रुपए की संदिग्ध विदेशी राशि मिली थी इन प्रेषणों को अप्रैल 2018 से 9.59 करोड़ रुपये के एफडीआई के रूप में वर्गीकृत किया गया था,और शेष 28.29 करोड़ रुपये, ‘सेवाओं के निर्यात’ के लिए प्राप्तियों के रूप में प्राप्त होने का दावा था.

पैसे का लेनदेन कैसे हुआ

पीपीएल न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना 11 जनवरी, 2018 को प्रबीर पुरकायस्थ ने की थी. अप्रैल 2018 में,डेलावेयर में स्थित वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी – जो अब एक बंद कंपनी है और सिंघम नेटवर्क का हिस्सा है – ने नव निगमित पीपीके न्यूज़क्लिक में 10 रुपये प्रति शेयर अंकित मूल्य के शेयरों के मुकाबले 11,510 रुपये प्रति शेयर के प्रीमियम पर 9.59 करोड़ रुपये का निवेश किया.

इसके बाद, न्यूज़क्लिक को सिंघम नेटवर्क से जुड़ी चार अलग-अलग संस्थाओं से सेवाओं के निर्यात के लिए 2018 और 2021 के बीच और 28.29 करोड़ रुपए मिले:* न्याय और शिक्षा कोष,यूएसए से 27.51 करोड़ रुपए* जीएसपीएएन एलएलसी,यूएसए से 26.98 लाख रुपए* द ट्राइकॉन्टिनेंटल लिमिटेड इंक,यूएसए से 49.31 लाख रुपए* 2.03 लाख रुपए ब्राजील के सेंट्रो पॉपुलर डेमिडास से

इस प्रकार पीपीके की प्राप्त धनराशि में से,पैसे ट्रांसफर यूं किए गए:20.53 लाख रुपए भीमा कोरेगांव मामले में एल्गर-परिषद माओवादी लिंक के आरोपित गौतम नवलखा को भेजे .नवलखा,स्टार्टाकस सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड या एसएसपीएल में पुरकायस्थ के पुराने सहयोगी होने के अलावा, पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो एलएलपी के‘स्वतंत्र भागीदार’ के रूप में नियुक्त था,जहां वह 17 अप्रैल, 2017 को इस पद पर नियुक्त हुआ था–पीपीके के निगमीकरण से नौ महीने पहले और 11 जनवरी, 2018 –भीमा कोरेगांव हिंसा के 10 दिन बाद.

इसके अलावा,सीपीएम आईटी सेल  सदस्य बप्पादित्य सिन्हा को 52.09 लाख रुपए मिले और कंपनी के रोल पर कई पत्रकारों को भी बड़ी रकम दी गई.ईडी छापे से सिंघम और पुरकायस्थ मू नियमित ईमेल आदान-प्रदान का पता  चला कि न्यूज़क्लिक को चीनी प्रचार, विशेष रूप से अफ्रीका में अपनी भूमिका,जैक मा पर चीन की कार्रवाई का बचाव करने आदि को पैसा दिया गया था.न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार,चीनी राज्य मीडिया खातों ने फरवरी 2020 से सिंघम के नेटवर्क के लोगों और संगठनों को कम से कम 122 बार रीट्वीट किया है.

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द न्यूयॉर्क टाइम्स में चीनी प्रोपेगेंडा से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी होने के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘चीन, कांग्रेस और न्यूज़क्लिक एक गर्भनाल का हिस्सा हैं।’

न्यूज़ क्लिक को लेकर संसद में हुआ हंगामा (फोटो : ScreenshotSansad TV)
लोकसभा में सोमवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर चीन से मदद लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए न्यूज़ क्लिक मीडिया संस्थान का ज़िक्र किया और कहा कि यह संस्थान चीन से फंडिंग हासिल कर रहा है।

निशिकांत दुबे ने कहा कि 2005 से 2014 के बीच जब भी कोई संकट आया कांग्रेस को भी चीन से पैसा मिला है। उन्होंने कहा कि NYT रिपोर्ट में बताया गया है कि न्यूज़क्लिक को विदेशी फंडिंग से 38 करोड़ हासिल हुए हैं और यह पैसा कुछ पत्रकारों में बांट दिया गया है।

लोकसभा 2 बजे तक स्थगित किए जाने के बाद स्पीकर को लिखे पत्र में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने दुबे के आरोपों को अपमानजनक बताया और और मांग की कि भाजपा सांसद की टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए।

द न्यूयॉर्क टाइम्स में चीनी प्रोपेगेंडा से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी होने के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘चीन, कांग्रेस और न्यूज़क्लिक एक गर्भनाल का हिस्सा हैं।’

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कांफ्रेस में साफ कहा कि न्यूज़ क्लिक भारत विरोध एजेंडे का हिस्सा है और इसके साथ कुछ और पत्रकार भी जुड़े हैं।

जुलाई 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक कथित मामले में न्यूज़क्लिक के कार्यालय और उसके संपादकों के आवासों पर छापे मारे थे। एक बयान में समाचार पोर्टल ने कहा था, “अगर ईडी और सरकार सच्चे हैं और कानून का पालन करते हैं तो कोई गलत काम नहीं पाया जाएगा, न्यूज़क्लिक के पास छिपाने को कुछ भी नहीं है।”

इसके बाद सितंबर में न्यूज़क्लिक सहित दो समाचार पोर्टलों के ऑफिस पर इनकम टेक्स सर्वे हुआ था। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सर्वे कर चोरी से संबंधित थे। न्यूज़लॉन्ड्री और न्यूज़क्लिक दो संस्थानों में यह सर्वे हुए थे।

Tags: Enforcement directorate, Lok sabha, Nishikant dubey, Rahul gandhi

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