सिनेमा:’डार्क वैब’ की खतरनाक दुनिया की जासूसी है MX player की वैब सिरीज़ ‘चक्रव्यूह’

‘चक्रव्यूह’ देखकर झांकिये ‘डार्क वेब’ की खतरनाक दुनिया में, वेब सीरीज की 5 खास बातें
पीयूष झा की किताब ‘एंटी सोशल नेटवर्क’ पर आधारित क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज ‘चक्रव्‍यूह: एन इंस्‍पेक्‍टर वीरकर क्राइम थ्रिलर’ में प्रतीक बब्‍बर (Prateik Babbar) मुख्य भूमिका में हैं, जो एक इंस्‍पेक्‍टर वीरकर का किरदार निभा रहे हैं. इसका निर्देशन साजित वॉरियर ने किया है.
‘एडवेंचर’, ‘एनोनिमिटी’ और ‘वेराइटी’ यानि जोखिम, गुमनामी और विविधता, ये तीन बड़ी वजह हैं, जिनकी वजह से युवा बहुत तेजी से जहरीले नशे की उस स्याह दुनिया की ओर आकर्षिक हो रहे हैं, जिसे डार्क वेब कहा जाता है. डार्क वेब आमतौर पर यूज होने वाले सर्च इंजन से एक्सेस नहीं किया जा सकता है. इसकी साइट्स टॉर एन्क्रिप्शन टूल के प्रयोग से छिपा दी जाती हैं. डार्क वेब में पहुंचने के लिए टॉर (TOR) का इस्तेमाल करना पड़ता है. एक्सेस करते समय डाटा का एन्क्रिप्शन एक-एक करके होता है. इससे यूज करने वाले की गोपनीयता बनी रहती है. यही वजह है कि इस काली दुनिया में कई गैरकानूनी बाजार सजते हैं. ऐसी मादक, खतरनाक चीजें खरीदी-बेची जाती हैं, जिन्हें बेचना या खरीदना कानूनी जुर्म है.

इस्तेमाल के हिसाब से इंटरनेट को तीन हिस्से में विभाजित किया गया है. सरफेस वेब, डीप वेब और डार्क वेब. इंटरनेट का जो स्वरूप हम इस्तेमाल करते हैं, जिसमें गूगल, याहू, फेसबुक, ट्विटर और कई वेबसाइट खोल सकते हैं, उसे सरफेस वेब कहा जाता है. यह वेब की दुनिया का बहुत छोटा सा हिस्सा है. इसके नीचे छिपा हुआ इंटरनेट ‘डीप वेब’ कहलाता है. इंटरनेट का करीब 90 फीसदी नेट ‘डीप वेब’ का हिस्सा है. ‘डार्क वेब’ इंटरनेट का वो कोना है, जहां कई सारे गैर कानूनी धंधे चलाए जाते हैं. यहां पैसे की बजाय वर्चुअल मनी यानि बिटकॉइन से पेमेंट की जाती है. आजकल के युवाओं को डार्क वेब ‘ईजी और एक्साइटिंग’ लगता है. MX Player पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘चक्रव्यूह’, इंटरनेट की इस काली दुनिया के रहस्य उजागर करती है.

वेब सीरीज ‘चक्रव्‍यूह’ में प्रतीक बब्‍बर एक इंस्‍पेक्‍टर वीरकर का किरदार निभा रहे हैं.

पीयूष झा की किताब ‘एंटी सोशल नेटवर्क’ पर आधारित क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज ‘चक्रव्‍यूह: एन इंस्‍पेक्‍टर वीरकर क्राइम थ्रिलर’ में प्रतीक बब्‍बर (Prateik Babbar) मुख्य भूमिका में हैं, जो एक इंस्‍पेक्‍टर वीरकर का किरदार निभा रहे हैं. उनके साथ ही आशीष विद्यार्थी, शिव पंडित, गोपाल दत्त और आसिफ बसरा अहम भूमिका में हैं. इसका निर्देशन साजित वॉरियर ने किया है. कुल 8 एपिसोड में रिलीज की गई इस वेब सीरीज के केंद्र में ड्रग्स, अल्कोहल, सेक्स, हैकिंग, डार्क वेब, अकेलापन, डिप्रेशन और ब्लैकमेलिंग है. चक्रव्यूह एक अनदेखी दुनिया में ले जाती है. जहां सब कुछ तेज रफ्तार से चलता है. यहां इंटरनेट की तरंगों से पैदा होने वाली वह आभासी दुनिया है, जिसमें आज का युवा जकड़ा है. निरंतर कई तरह के खतरों की जद में है.

जानिए वेब सीरीज ‘चक्रव्यूह’ देखने की 5 बड़ी वजह…
1. कलाकारों का शानदार अभिनय प्रदर्शन
वेब सीरीज ‘चक्रव्यूह’ में प्रतीक बब्‍बर एक सुपरकॉप वीरकर की भूमिका में हैं. यह इंस्पेक्टर सिरफिरा और सनकी होता है, लेकिन ईमानदारी से काम करता है. वह किसी भी कीमत पर लोगों को न्याय दिलाने में विश्वास रखता है. यही वजह है कि कानून की रक्षा करते-करते कई बार खुद कानूनी सीमाएं पार कर जाता है. प्रतीक जितने अच्छे अभिनेता हैं, उतनी ही खूबसूरती से उन्होंने अपना रोल बखूबी निभाया है. उनके साथ ही आशीष विद्यार्थी, शिव पंडित, गोपाल दत्त और आसिफ बसरा ने भी अपने हिस्से का काम ईमानदारी से किया है. हालांकि, प्रतीक बब्बर के अलावा निर्देशक ने बाकी कलाकारों का सीमित इस्तेमाल किया है. सिमरन कौर मुंडी की भूमिका में जरूर थोड़ा विस्तार है, लेकिन शिव पंडित की एंट्री काफी देर से होती है. जबकि बाकि कलाकार तेजी से अपना काम निपटा कर कहानी से बाहर हो जाते हैं. इस लिहाज से चक्रव्यूह में लगातार रफ्तार बनी रहती है. कहीं ठहराव नहीं आता है.

2. क्राइम थ्रिलर देख दांतों तले दबा लेंगे उंगलियां
‘चक्रव्यूह’ इंटरनेट के डार्क वेब की रहस्यमयी और अनदेखी दुनिया की अनोखी कहानी को बयां करती है. नए और युवा समाज को इस ‘एंटी सोशल’ दुनिया को समझना आज की जरूरत है. सोशल मीडिया के आभासी संसार के अपने खतरे हैं. इसमें भी यदि डार्क वेब की दुनिया में कोई उलझ गया तो बाहर आना मुमकिन नहीं है. मासूमों और नासमझों का शिकार करने वाले इस साइबर अंडरवर्ल्ड की कहानी, चक्रव्यूह दर्शक को बांधे रहती है. इस साइबर अंडरवर्ल्ड का असली मास्टरमाइंड कौन है, इसे जानना और पहचानना बहुत मुश्किल है. निर्देशक ने अंतिम समय तक रहस्य और रोमांच बनाए रखा है.

3. रोचक कहानी, जो दर्शकों में रोमांच पैदा करेगी
इस वेब सीरीज की कहानी बहुत रोचक है. मुंबई में अकेलेपन की शिकार सागरिका पुरोहित (रूही सिंह) की मुलाकात सहेली के जरिए एक युवक, राज से होती है. मोबाइल पर सोशल नेटवर्किंग के सहारे हुआ इंट्रो सागरिका को पहले क्लब और फिर ऐसे कमरे तक पहुंचाता है, जहां उसका सेक्स वीडियो बन जाता है. यह सोशल मीडिया में लीक न हो जाए, इसलिए वह ब्लैकमेल होना शुरू होती है. इसी दौरान राज की हत्या हो जाती है और क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर वीरकर (प्रतीक बब्बर) की कहानी में एंट्री होती है. इससे पहले कि यह केस सुलझे सागरिका गायब हो जाती है और एक के बाद एक हत्याओं का सिलसिला शुरू होता है. जांच में पता चलता है कि इसका मास्टरमाइंड युवाओं को ‘सेक्सप्लॉइट’ करके ब्लैकमेलिंग का बिजनेस चला रहा है. पुलिस और साइबर अपराधियों के बीच चूहे-बिल्ली के इस खेल को जिस तरह फिल्माया गया है, उसे देखकर दर्शकों के अंदर रोमांच पैदा होगा.

4. मजेदार, नेचुरल और पावर-पैक्ड एक्शन सीन
इस क्राइम थ्रिलर सीरीज में प्रतीक बब्बर एक एंग्री यंग पुलिस ऑफिसर की भूमिका में हैं. किसी क्राइम थ्रिलर फिल्म में एक्शन न हो, ऐसा तो नहीं हो सकता, लेकिन जब एक्शन पावर-पैक्ड हो तो दर्शकों को भी बहुत मजा आता है. एक्शन अच्छा हो, इसके लिए सीन, एक्टर और डायरेक्टर की भूमिका ज्यादा अहम होती है. चक्रव्यूह में एक्शन सीन जिस तरह से फिल्माए गए हैं, वो देखने में नेचुरल लगते हैं. ज्यादातर एक्शन सीन के लिए एक्टर बॉडी डबल का सहारा लेते हैं, लेकिन यहां प्रतीक ने अपने एक्शन सीन खुद किेए हैं. प्रतीक कहते हैं, ‘एक्‍शन जेनर को हमेशा ही दर्शकों ने पसंद किया है. इसमें मैंने अपने स्‍टंट खुद किए हैं. जिसे करने में बड़ा ही मजा आया. हालांकि, कुछ ऐसे सीक्‍वेंस थे, जिनमें तकनीकी कौशल या मार्शल आर्ट्स की जरूरत थी और उन्‍हें प्रोफेशनल स्‍टंट कॉर्डिनेटर पर छोड़ देना ही सही था. मुझे ऐसा लगता है कि जब आप अपने स्‍टंट्स खुद करते हैं तो उनमें थोड़ी सच्‍चाई जान पड़ती है. मैं सिर्फ अपना फिजिक दिखाने के लिए फिट नहीं हुआ, बल्कि यह बताना था कि अपने किरदार के अनुसार मेरे अंदर ताकत और स्‍फूर्ति है.’

5. लाजवाब निर्देशन और शानदार बैकग्राउंड स्कोर
वेब सीरीज ‘चक्रव्यूह’ का निर्देशन जितना लाजवाब है, इसकी सिनेमेटोग्राफी, एडिटिंग, साउंड, बैकग्राउंड स्कोर उतना ही मजबूत है. किसी भी क्राइम थ्रिलर जेनर की फिल्म या वेब सीरीज के लिए बैकग्राउंड स्कोर अहम होता है. यदि उपयुक्त संगीत के साथ सटीक बैकग्राउंड स्कोर इस्तेमाल नहीं किया गया, तो सीन कैसा भी शूट हो, वो प्रभावी नहीं बन पाएगा. इसलिए निर्देशक साजित वॉरियर ने अपने निर्देशन के साथ ही बैकग्राउंड स्कोर पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया है. यही वजह है कि एक्शन सीक्वेंस और इमोशनल सीन इस वेब सीरीज को देखने योग्य बनाते हैं. बैकग्राउंड स्कोर का समायोजन अद्भुत है.

लेखक
मुकेश कुमार गजेंद्र@mukesh.k.gajendra

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