नशे से छुटकारे के नाम पर युवक की हत्या में नशा मुक्ति केंद्र संचालक समेत चार हिरासत में

Youth Died In Drug De-Addiction Center

नशा मुक्ति केंद्र में यातनाएं देकर युवक की हत्या, शव घर के दरवाजे पर फेंका, परिजनों का हंगामा

22 वर्षीय सिद्धू शराब पीने का आदी था। परिजनों ने गत 22 मार्च को उसे चंद्रबनी स्थित न्यू आराध्या फाउंडेशन सोसाइटी के अंतर्गत संचालित नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया। इसके बाद से वह वहीं पर रह रहा था।

नशा मुक्ति केंद्र में युवक की मौत

देहरादून 11 अप्रैल। चंद्रबनी स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती युवक की यातनाएं देकर हत्या कर दी गई। इसके बाद शव को अमानवीय तरीके से गाड़ी में लाकर घर के दरवाजे पर फेंक दिया गया। युवक के शरीर पर चोट के निशान थे। बताया जा रहा है कि उसका एक हाथ भी टूटा हुआ था। गुस्साए परिजनों ने घर के बाहर हंगामा किया और फिर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क जाम कर दी।

पुलिस ने मामले में नशा मुक्ति केंद्र के संचालक समेत चार आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। युवक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। देर शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई थी। जानकारी के मुताबिक टर्नर रोड गली नंबर एक का रहने वाला 22 वर्षीय सिद्धू शराब पीने का आदी था। परिजनों ने गत 22 मार्च को उसे चंद्रबनी स्थित न्यू आराध्या फाउंडेशन सोसाइटी के अंतर्गत संचालित नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया। इसके बाद से वह वहीं पर रह रहा था। उसकी कोई खबर घरवालों तक नहीं आती थी। घरवाले भी कभी उससे मिलने केंद्र में नहीं गए।

इस बीच मंगलवार सुबह करीब सात बजे एक कार उनके घर के बाहर आकर रुकी। परिजन अभी घर के अंदर ही मौजूद थे। आसपास के सभी लोग काम पर जाने की तैयारी कर रहे थे। कार से तीन लोग उतरे और सिद्धू का शव दरवाजे पर डाल दिया। इसके बाद वहां से यह कहते हुए भाग गए कि इसकी मौत हो गई है। आसपास के लोगों ने कार का पीछा करने की कोशिश की, लेकिन कार सवार वहां से भाग निकले। परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी तो क्लेमेंटटाउन थाने से फोर्स मौके पर पहुंच गई। नशा मुक्ति केंद्र संचालक पर हत्या का आरोप लगाते हुए परिजनों और स्थानीय लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया।
परिजन आरोपितों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करने लगे। इस पर पुलिस नशा मुक्ति केंद्र गई और वहां से केंद्र संचालक प्रशांत जुयाल और तीन स्टाफ अजय शर्मा, मनीष चौधरी, मोहन थापा को हिरासत में ले लिया। चारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अधीक्षक नगर सरिता डोबाल ने बताया कि आरोपितों को बुधवार सुबह न्यायालय में पेश किया जाएगा।

नशामुक्ति केंद्र में युवक की मौत, शव घर के बाहर फेंककर चला गया स्टाफ; हाथ टूटे व शरीर पर चोट के निशान

नशा मुक्ति केंद्र में 24 वर्षीय युवक की मौत हो गई। जिसके बाद केंद्र का स्‍टाफ मृतक के शव को घर के बाहर छोड़कर चला गया। मृतक के शव पर पर चोटों के निशान भी हैं। क्लेमेनटाउन पुलिस ने केंद्र के कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर दी है।

चंद्रबनी स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में 24 वर्षीय युवक की मौत के बाद हंगामा हो गया। केंद्र का स्टाफ मृतक के शव को घर के बाहर छोड़कर चला गया। बताया जा रहा है कि युवक पिछले माह से अराध्या फाउंडेशन में भर्ती था। मृतक के शव पर पर चोटों के निशान भी हैं। क्लेमेनटाउन पुलिस ने केंद्र के कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर दी है।

स्वजनों ने टर्नर रोड जाम कर दी

जानकारी के मुताबिक चंद्रबनी में पिछले कुछ दिन से नशा छुड़ाने के लिए आराध्य नशामुक्ति केंद्र में दाखिल युवक के मौत हो गई। जिस पर स्‍वजनों ने हंगामा कर दिया और टर्नर रोड जाम कर दी है।

युवक के शरीर पर चोटों के निशान दिख रहे हैं। मृतक के हाथ पांव बुरी तरह से तोड़े हुए हैं। स्‍वजनों ने मृतक के शव को कमरे में बंद कर हंगामा शुरू कर दिया है। मौके पर सीओ सदर पंकज गैरोला व पुलिस टीम पहुंची । स्वजनों की मांग है कि आरोपितों को यहां पर लाया जाए और जिलाधिकारी घटना का संज्ञान लेकर नशा मुक्ति केंद्र को बंद करवाएं।

सिद्धार्थ के हाथ तोड़े हुए हैं और शेष शरीर पर भी चोटों के निशान हैं

मृतक सिद्धार्थ उर्फ सिद्धू की बहन गुंजन ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब 7:00 बजे वह घर पर सो रहे थे। इसी दौरान अचानक एक कार आई और उनके भाई को घर के बाहर फेंक कर चली गई। वह सिद्धार्थ को कमरे के अंदर ले गए जहां उसकी सांस नहीं चल रही थी। सिद्धार्थ के हाथ तोड़े हुए हैं और पीठ व शरीर के निचले हिस्‍सों पर चोटों के निशान हैं।

गुंजन ने बताया कि सिद्धार्थ नशा करता था, जिसके कारण उसे 19-20 मार्च नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल कराया गया था। नशा मुक्ति केंद्र वालों ने उनसे पांच हजार रुपये प्रति माह लिया था और छह महीने इलाज करने की बात कही थी।

न तो मिलने देते थे, न फोन पर बात करने देते थे

नशामुक्ति केंद्र वाले न तो मिलने देते थे और न ही फोन पर बात करने देते थे। सिद्धार्थ के माता पिता कि कुछ समय पहले मृत्यु हो चुकी है। वह अपने बड़े भाई और चार बहनों के साथ क्लेमेनटाउन के टर्नर रोड गली नंबर एक में रहता था।

पहले लौटाई एंबुलेंस फिर की सड़क जाम

कैंट बोर्ड से सिद्धू के शव को लेने के लिए एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई थी। यहां परिजनों को कुछ लोगों ने समझाने का प्रयास किया तो परिजन भी शव भेजने के लिए मान गए। इसके बाद फिर से परिजनों ने कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा कर दिया और एंबुलेंस को लौटा दिया। इसके बाद टर्नर रोड के मोड़ पर बैठकर जाम लगा दिया। इससे आने जाने वाले लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मौके पर परगनाधिकारी केंद्रीय, पुलिस क्षेत्राधिकारी केंद्रीय पंकज गैरोला आदि पहुंच गए। उन्होंने परिजनों को उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर करीब दो घंटे बाद जाम खुलवाया।

नशा मुक्ति केंद्र में दिखीं बहुत सी बातें रहस्यमय, धोखे में रखने के पूरे इंतजाम

नशा मुक्ति केंद्र में युवक की हत्या के बाद विलाप करते परिजन

चंद्रबनी में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के पिछले हिस्से में बने इस नशा मुक्ति केंद्र में बहुत सी बातें बड़ी रहस्यमय दिखीं। यहां मरीजों को जिन कमरों में रखा जाता है उन पर बड़े-बड़े ताले लटके हुए हैं। यहां खतरनाक किस्म के चार कुत्तों का पहरा भी बैठाया गया है।

अंदर लोगों को भ्रमित करने के लिए बहुत से सर्टिफिकेट और स्टांप पेपर भी दीवार पर लगाए गए हैं। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने प्राथमिक पड़ताल की तो कई बातें सामने आईं। सात कमरों के नशा मुक्ति केंद्र के नीचे छोटे बच्चों का स्कूल संचालित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां न तो कोई डॉक्टर आता था और न ही कोई मनोचिकित्सक।

ऐसे में आखिर कौन इस नशा मुक्ति केंद्र में इलाज कर रहा था? युवक के शव पर जो निशान हैं, उसे देखकर यही लगता है कि केवल यातनाएं देकर ही उनका नशा छुड़ाया जा रहा था। अब पुलिस जल्द ही इस नशा मुक्ति केंद्र को बंद कराने के लिए प्रशासन को रिपोर्ट भेजने जा रही है। जल्द ही यहां भर्ती लोगों को उनके घर भेजा जाएगा। पुलिस और प्रशासन इसे सील कराने की तैयारी कर रहा है.

जांच के बाद पता चला है कि केंद्र में नशा छुड़ाने के लिए पांच से 20 हजार रुपये लिए जाते थे। सिद्धू के परिजनों से पांच हजार रुपये प्रति माह लिए जा रहे थे.

बताया जा रहा है कि जो जिस फीस में भर्ती होने को तैयार होता, उससे ऐसी ही फीस ले ली जाती थी। पुलिस सभी भर्ती मरीजों के परिजनों से इस संबंध में बात कर रही है.
इस नशा मुक्ति केंद्र के दफ्तर में कई ऐसे कागज और सर्टिफिकेट हैं, जिनसे लोग आसानी से भ्रमित हो जाते हैं। यहां एक नामी डॉक्टर मनोचिकित्सक का पर्चा भी फ्रेम में लगाकर दीवार पर चिपकाया गया है। इस पर्चे पर डॉक्टर ने अपने यहां काम करने वाले कर्मचारी का चरित्र का प्रमाणन किया है। डॉक्टर का नाम देखकर एकाएक यह विश्वास हो जाता है कि शायद डॉक्टर ही उनके पैनल में शामिल हो।

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नशा मुक्ति केंद्र में युवक की हत्या के बाद हंगामा

इसके अलावा एक 100 रुपये का स्टांप भी वहां पर लगाया गया है। इस स्टांप पर केवल लीज लेने की बात लिखी है। इसके अलावा इस पर लिखा है कि यह नशा मुक्ति केंद्र आराध्या फाउंडेशन की यूनिट है, जिसे 2015 में बनाया गया था। साथ ही एक संस्था का सर्टिफिकेट भी यहां दीवार पर लगा है।

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