मोदी के भोजन का 100 करोड़ के बिल का आक्षेप झूठा, खुद उठाते हैं अपने खाने का खर्च

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Fact Check: अपने किचन का खर्च खुद उठाते हैं पीएम मोदी, खाने पर 100 करोड़ रुपये खर्च का दावा झूठा
नई दिल्‍ली 18 जून। सोशल मीडिया पर पीएम मोदी से जुड़ा एक दावा वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स एक कार्टून शेयर कर दावा कर रहे हैं कि 7 साल में पीएम मोदी के खाने पर 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। दावे के मुताबिक, यह जानकारी आरटीआई से मिली है। हमारी पड़ताल में ये दावा झूठा निकला है। पीएम मोदी अपने किचन का खर्च खुद वहन करते हैं। उसका बोझ सरकारी खजाने पर नहीं पड़ता। आरटीआई से ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है, जैसा वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर राजीव कुमार ने 12 जून 2021 को वायरल दावा शेयर करते हुए लिखा है, ‘बताओ मंहगाई इतनी बढ़ गई हैं एक आदमी 7 साल में अकेले 100 करोड़ का खाना खा गया। पते नहीं चला।

पड़ताल

 

हमने सबसे पहले इस वायरल दावे को गूगल पर ओपन सर्च किया। पीएम मोदी के बारे में अगर आरटीआई से कोई जानकारी पब्लिक डोमेन में आती है, तो वह व्यापक मीडिया कवरेज का हिस्सा जरूर बनती है। हमें ओपन सर्च रिजल्ट्स में ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे इस दावे की पुष्टि होती हो कि पीएम मोदी के खाने पर 7 साल में 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

इसके उलट हमें भारत के प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट पर कुछ आरटीआई के जवाब से संबंधित लिंक जरूर मिला। इसमें पीएम मोदी से जुड़ी कई आरटीआई के जवाब अपलोड किए गए हैं। ऐसी ही एक आरटीआई 2015 में अपलोड की गई है, जिसमें पीएम मोदी के किचन से संबंधित खर्च की जानकारी मांगी गई है। इसका जवाब देते हुए बताया गया है कि पीएम मोदी अपने किचन का खर्च स्वयं वहन करते हैं और यह सरकारी खाते में दर्ज नहीं होता। इस लिंक पर पेज नंबर 3 पर मौजूद इस जानकारी को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।


यानी पीएम मोदी के खानपान में आने वाला खर्च उनके निजी खर्च के दायरे में आता है न कि भारत सरकार के खर्च के दायरे में। ऐसे में सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी नहीं दी गई है। आपको बता दें कि सूचना के अधिकार अधिनियम के सेक्शन 8 में वैसी स्थितियां दी गई हैं, जिसमें सूचना देने से छूट का प्रावधान है। इसके मुताबिक ऐसी सूचना, जो व्यक्तिगत सूचना से संबंधित है और जिसके देने से सार्वजनिक हित प्रकट नहीं होता या जिसके देने से किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन होता है, वैसी स्थिति में सूचना देने से छूट का प्रावधान है। ऐसे में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकारी जबतक यह तय नहीं कि सूचना लोकहित में न्यायोचित है, तब तक जानकारी देने का प्रावधान नहीं है। आरटीआई के बारे में विस्तार से जानने के लिए सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन की साइट पर दी गई जानकारी को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।

हमने इस वायरल दावे को सहयोगी दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा के साथ भी साझा किया। उन्होंने भी हमें बताया कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई आरटीआई सामने नहीं आई है।

हमने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर राजीव कुमार की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर रांची, झारखंड से ताल्लुक रखते हैं।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में पीएम मोदी के खाने पर होने वाले खर्च को लेकर वायरल किया जा रहा दावा झूठा निकला है। पीएम मोदी अपने किचन का खर्च खुद वहन करते हैं। उसका बोझ सरकारी खजाने पर नहीं पड़ता। ऐसी कोई आरटीआई से जानकारी सामने नहीं आई है, जैसा वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है।

CLAIM REVIEW : 7 साल में पीएम मोदी के खाने पर 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।CLAIMED BY : फेसबुक यूजर राजीव कुमारFACT CHECK : False

FALSE
Symbols that define nature of fake news

True

Misleading

False

Fact Check By
ameesh rai
ameesh143

Re-Checked By
Ashish Maharishi
ashishmaharishi

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