स्मृति शेष: चौथी पास महाशय धर्मपाल ने डेढ़ हजार से खड़ा किया 2000 करोड़ का ब्रांड

पद्मभूषण से सम्मानित करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
सिर्फ 1500 रुपए लेकर भारत आए थे धर्मपाल गुलाटी, छोटे से खोखे से शुरुआत कर MDH को 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बनाया

दिल्ली के करोलबाग में अजमल खां रोड पर मसाला बेचना शुरू किया
1959 में दिल्ली के कीर्ति नगर में पहली मसाला फैक्ट्री खोली
FMCG सेक्टर में सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले CEO थे गुलाटी

नई दिल्ली 03 दिसंबर। MDH मसाले के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार सुबह 5.30 बजे हार्ट अटैक आने से उनका निधन हो गया। उन्होंने 98 साल की उम्र में आखिरी सांस ली है। वह मसाला किंग के रूप में मशहूर थे। उन्होंने कड़ी मेहनत के दम पर MDH को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाया है।

पाकिस्तान विभाजन के समय भारत आए थे

धर्मपाल सिंह गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। पाकिस्तान विभाजन के समय उनका परिवार अमृतसर आ गया था। कुछ समय बाद वे परिवार के साथ दिल्ली आ गए थे। जब वे दिल्ली आए थे तो उनके पास केवल 1500 रुपए थे। उनके सामने रोजगार का संकट था। 1500 रुपए में से 650 रुपए का घोड़ा-तांगा खरीद लिया और रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने लगे।


दिल्ली में तांगा चलता महाशय धर्मपाल गुलाटी। (फोटो- MDH वेबसाइट)

छोटे से खोखे से की मसाला बेचने की शुरुआत

महाशय धर्मपाल की किस्मत में कुछ और ही लिखा था। कुछ समय धर्मपाल ने तांगा अपने भाई को दे दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर एक छोटा सा खोखा लगाकर महाशियां दी हट्टी (MDH) के नाम से मसाला बेचना शुरू कर दिया। उनके मसाले लोगों को इतने पसंद आए कि कुछ ही समय में उनकी दुकान मसालों की मशहूर दुकान बन चुकी थी।

विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के साथ धर्मपाल गुलाटी। फोटो-MDH वेबसाइट।

1959 में लगाई पहली मसाला फैक्ट्री

धर्मपाल महाशय ने छोटी सी पूंजी के कारोबार शुरू किया था। धीरे-धीरे उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में दुकानें खोलीं। मांग बढ़ने के साथ उन्हें फैक्ट्री लगाने की आवश्यकता हुई। लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे। फिर उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर 1959 में दिल्ली के कीर्ति नगर में अपनी पहली मसाला फैक्ट्री लगाई।

1969 में एमडीएच एगमार्क लैबोरेट्रीज के उद्घाटन समारोह में दिल्ली के मेयर हंसराज गुप्ता के साथ महाशय धर्मपाल गुलाटी। (फोटो- MDH वेबसाइट,)

आज MDH की वैल्यू करीब 2000 करोड़ रुपए

धर्मपाल गुलाटी की मेहनत की बदौलत MDH आज करीब 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बन गया है। MDH की आज भारत और दुबई में करीब 18 फैक्ट्रियां हैं जिनमें तैयार मसाला कई देशों में बेचा जाता है। इस समय MDH के करीब 62 उत्पाद बाजार में हैं। कंपनी का दावा है कि उत्तर भारत के करीब 80% बाजार पर उसका कब्जा है। वे अपनी कंपनी के विज्ञापन खुद ही करते थे। उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज ऐड स्टार भी माना जाता था।

एक फैशन शो में हिस्सा लेते MDH के फाउंडर महाशय धर्मपाल गुलाटी। (फोटो- MDH वेबसाइट)

पांचवीं तक पढ़े लेकिन FMCG सेक्टर के सबसे महंगे CEO

धर्मपाल गुलाटी सिर्फ कक्षा पांच तक पढ़े थे, लेकिन उन्होंने कारोबारी जगत में अपना लोहा मनवाया था। यूरोमॉनिटर के मुताबिक, धर्मपाल FMCG सेक्टर में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले CEO थे। 2018 में उनकी सैलरी सालाना 25 करोड़ रुपए इन-हैंड थी। हालांकि, वह अपनी सैलरी का करीब 90% हिस्सा दान कर देते थे। उनको सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण भी सम्मानित किया जा चुका है।

MDH मसाले के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का दिल्ली में पिछले तीन हफ्ते से उनका इलाज चल रहा था। धर्मपाल का परिवार पाकिस्तान के सियालकोट में रहता था। उनकी पढ़ने में रुचि नहीं थी। पिता चुन्नीलाल ने काफी कोशिश भी की, लेकिन मन नहीं लगा। 1933 में उन्होंने पांचवीं का इम्तिहान भी नहीं दिया और किताबों से हमेशा को तौबा कर ली। पिता ने एक जगह काम पर लगा दिया, लेकिन यहां भी मन नहीं लगा। एक के बाद एक कई काम छोड़े। पिता चिंता में पड़ गए, तब उन्हें सियालकोट में मसाले की दुकान खुलवा दी। यह उनका पुश्तैनी कारोबार था। दुकान चल पड़ी। इसे पंजाबी में महाशियां दी हट्‌टी (महाशय की दुकान) कहा जाता था। इसीलिए उनकी कंपनी का नाम इसी का शॉर्ट फॉर्म MDH पड़ा।

धर्मपाल गुलाटी (बाएं) पिता चुन्नीलाल और मां चन्नन देवी के साथ।

सब ठीक चल रहा था। उसी समय देश का विभाजन हो गया। सियालकोट पाकिस्तान में चला गया। परिवार सब कुछ छोड़कर सितंबर 1947 में अमृतसर फिर कुछ दिन बाद दिल्ली आ गया। तब उनकी उम्र 20 साल थी। विभाजन के दर्द को उन्होंने बखूबी देखा और महसूस किया था। उन्हें पता था कि परिवार पाकिस्तान में सब कुछ छोड़ आया है और हिंदुस्तान में सब नए सिरे से शुरू करना है।

धर्मपाल गुलाटी पत्नी लीलावती के साथ। उनके कारोबार के शुरुआती दिनों में पत्नी का भी भरपूर सहयोग मिला।

भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दिल्ली के करोलबाग में धर्मपाल गुलाटी ने मसालों की दुकान खोली थी। उनके मसाले शुद्धता के लिए मशहूर थे, इसलिए कारोबार तेजी से बढ़ा।
भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दिल्ली के करोलबाग में धर्मपाल गुलाटी ने मसालों की दुकान खोली थी। उनके मसाले शुद्धता के लिए मशहूर थे, इसलिए कारोबार तेजी से बढ़ा।
धर्मपाल ने दिल्ली के कीर्तिनगर में कम पूंजी के साथ पहली फैक्ट्री लगाई। आज MDH देश-दुनिया में अपना स्वाद और खुशबू बिखेर रहा है। इसके मसाले लंदन, शारजाह, अमेरिका, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर समेत कई देशों में मिलते हैं। 1000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर और चार लाख से ज्यादा रिटेल डीलर्स हैं। करीब 2000 करोड़ रुपए का कारोबार है। इस कंपनी के पास आधुनिक मशीनें हैं, जिनसे एक दिन में 30 टन मसालों की पिसाई और पैकिंग की जा सकती है।

1950 के दशक में धर्मपाल गुलाटी एक्टर राजकपूर के साथ।

महाशय की जिंदगी तकलीफ में गुजरी थी,इसलिए दूसरों का दर्द बांटने के लिए हमेशा आगे रहते थे। उन्होंने पिता के नाम पर महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। इसने कई स्कूल,अस्पताल और आश्रम बनवाए,जो गरीबों और जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं।

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