हथियार तस्करी में भी लालू? ग्वालियर कोर्ट से स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की मुश्किलें बढ़ीं, MP-MLA कोर्ट ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट ने स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. यह मामला साल 1995 और साल 1997 का है. उस वक्त लालू ने गलत दस्तावेजों का इस्तेमाल कर आर्म्स डीलर से हथियार खरीदे थे. उसके बाद पुलिस ने उन्हें भागा हुआ घोषित कर दिया था.

ग्वालियर 05 अप्रैल 2024. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ग्वालियर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सालों पुराने के एक मामले में उनके खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. ये वारंट आर्म्स एक्ट में जारी किया गया है. इस केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू यादव को भागा ऊघोषित किया गया था. तब पुलिस की जांच में सामने आया था कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज लगाकर आर्म्स डीलर से हथियार खरीदे. इसके साथ ही पुलिस को यह भी पता चला कि खरीदे गए हथियारों को कई जगहों पर सप्लाई किया जा रहा है. उनके खिलाफ यह मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में तब ट्रांसफर किया गया, जब कोर्ट को यह यकीन हो गया कि दस्तावेज में दर्ज लालू यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं.

ग्वालियर एमपी-एमएलए कोर्ट के एडीपीओ अभिषेक मेहरोत्रा ने बताया कि विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी-एमएलए ग्वालियर महेंद्र सिंह की अदालत से आरोपित लालू प्रसाद यादव स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. यह मामला वर्ष 1995 और वर्ष 1997 का है. फार्म 16 के फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके आर्म्स डीलर के यहां से हथियार खरीदे गए थे. इन हथियारों की सप्लाई विभिन्न स्थानों पर की जा रही थी. इसमें 23 लोगों के खिलाफ अभियोग पत्र कोर्ट के सामने पेश किए गए थे. इसमें आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को भागा हुआ घोषित किया गया था. विचारण के दौरान कोर्ट ने ये पाया कि ये लालू प्रसाद यादव वहीं हैं जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, ऐसी दशा में ये मामला विशेष न्यायालय एमपी-एमएलए कोर्ट, ग्वालियर को स्थानांतरित किया गया.

पुलिस ने इस मामले की जांच करते हुए लालू प्रसाद यादव के नाम की पुष्टि की है . अब पुलिस ने रिसर्च करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आरोपित बनाया है. इस मामले में पुलिस ने 1998 में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था. कोर्ट ने लालू यादव को नोटिस भी जारी किया था, लेकिन वो पेश नहीं हुए थे.

लालू यादव को झटका, आर्म्स एक्ट में जारी हुआ गिरफ्तारी वारंट
आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव

लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच बिहार के पू्र्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. मध्य प्रदेश में ग्वालियर की एमपी एमएलए कोर्ट ने करीब तीन दशक पुराने आर्म्स एक्ट के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. यह मामला साल 1995 और 1997 में आर्म्स फार्म 16 में हथियारों की सप्लाई से जुड़ा हुआ है. इसी फॉर्म के आधार पर हथियारों के लिए आवेदन करने वाले लोगों को सरकार की ओर से आर्म्स दिया जाता है.

पुलिस ने इस मामले की जांच करते हुए लालू प्रसाद यादव के नाम की पुष्टि की. अब पुलिस ने रिसर्च करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आरोपित बनाया है. इस मामले में लालू प्रसाद यादव समेत कुल 23 आरोपित नामजद हैं. इसमें से कई के खिलाफ ट्रायल की शुरुआत भी हो गई है जबकि दो आरोपितों की मौत भी हो गई है. जानकारी के अनुसार यह फर्जीवाड़ा अगस्त 1995 से लेकर मई 1997 तक किया गया. इस अवधि के बीच तीन फर्म से कारतूस की खरीद की गई थी.

कोर्ट की नोटिस पर पेश नहीं हुए थे लालू प्रसाद यादव
इस मामले में कोर्ट ने लालू यादव के लिए कोर्ट में पेश होने का नोटिस जारी किया था, लेकिन वो पेश नहीं हुए. इसके बाद कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. पुलिस इस मामले की जांच करते हुए जुलाई 1998 में आरोप पत्र दाखिल किया था. 1998 में यह मामला ग्वालियर एमपी-एमएलए कोर्ट में आ गया. पिछले कुछ सालों में यह मामला ठंड पड़ गया था, लेकिन अब कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए आरजेडी सुप्रीमो के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है.

2013 में पहली बार हुई थी लालू को सजा
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव पहली बार चारा घोटाला मामले को लेकर चर्चा में आए थे. कोर्ट ने इस मामले में आरजेडी सुप्रीम को 3 अक्टूबर 2013 में पहली बार सजा सुनाई थी. इस मामले में लालू यादव को पांच साल की कैद और 25 लाख रुपए के जुर्माने की सजा हुई. सजा के बाद लालू यादव दो महीने के लिए रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद रहे. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो बाहर आ गए.

अलग-अलग मामलों में हो चुकी है कई सजा
इसके बाद देवघर ट्रेजरी मामले में फंसे लालू यादव को कोर्ट ने साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई. 23 जनवरी, 2018 में चाईबासा ट्रेजरी से 33.67 करोड़ की अवैध निकासी के मामले उन्हें तीसरी बार पांच साल की सजा हुई. इसके बाद दुमका ट्रेजरी से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी के इस मामले में 15 मार्च 2018 को कोर्ट ने चौथी बार सात साल की सजा सुनाई. डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में उन्हें 21 फरवरी 2022 को पांचवी सजा सुनाई गई. इसमें कोर्ट ने लालू यादव को पांच साल की जेल और 60 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई.
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