जेजेपी,खट्टर को हटा हरियाणा BJP की नई राह

JJP से छुटकारा और नायब सैनी को हरियाणा CM बनाने के पीछे क्या है BJP की रणनीति? 4 पॉइंट में समझिए
हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के रूप में पिछड़ी जाति के नायब सैनी के नाम की घोषणा करके भाजपा ने अपनी लाइन क्लीयर कर दी है. मतलब साफ है कि हरियाणा में एंटी जाट वोटों को एकजुट करना है. पंजाबी और पिछड़े मिलकर भाजपा को एक बार फिर जीत का सेहरा पहनाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया नायब सैनी को इनाम
नई दिल्ली,12 मार्च 2024,हरियाणा में जो बहुत पहले होना था वो आज हो गया. भाजपा और जेजेपी का साथ छूट गया. सीधी सी बात है कि अगर भाजपा आज बिना दुष्यंत चौटाला के अपना बहुमत साबित कर सकती है तो पहले क्यों नहीं की? निर्दलीय विधायक तो पहले भी भाजपा के साथ थे. दूसरी बात इसी बहाने भाजपा मनोहर लाल खट्टर से भी छुटकारा पा गई. सोमवार को द्वारका एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मौके पर जब प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी खट्टर की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे तभी बहुत से राजनीतिक विश्लेषकों को लग गया था कि कुछ तो अलग होने वाला है. प्रधानमंत्री  मोदी यूं ही नहीं इस तरह किसी की सार्वजनिक तारीफ करते. मंगलवार की सुबह होते ही खबर आ गई कि मनोहर लाल के जाने की तैयारी हो गई है. सवाल है कि ऐन चुनाव के मौके पर मुख्यमंत्री  या अपना साथी बदलकर भाजपा हरियाणा में क्‍या हासिल कर लेगी? हालांकि नायब सैनी के नाम की घोषणा होते ही स्पष्ट हो गया कि भाजपा की आगामी चुनावों में क्या रणनीति होने वाली है.

1-जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ना क्यों जरूरी हो गया था

हरियाणा में सीधी बात है कि जाट बंटेगा तभी भाजपा को फायदा होगा. पिछले चुनावों में भी जाटों का वोट भाजपा को नहीं मिला था. भाजपा भी एंटी जाट वोट की रणनीति पर काम कर रही है. हरियाणा में जाट कांग्रेस के साथ हैं. कुछ वोट इनेलो भी ले जा सकती है. अगर जाट वोटों का एक और दावेदार आ जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा का काम आसान हो जाएगा. जेजेपी साथ होने से भाजपा को कोई फायदा नहीं था. जेजेपी अगर भाजपा से अलग चुनाव लड़ती है तो पार्टी को ज्यादा फायदा हो सकता है. यह बात जितनी भाजपा के लिए सही है उतना ही जेजेपी के लिए सही है.

2-भाजपा कई सालों से हरियाणा में एंटी जाट वोटों की रणनीति पर काम कर रही है

हरियाणा की राजनीति में जाटों का वर्चस्व रहा है. जबसे हरियाणा में भाजपा सरकार बनी है मुख्यमंत्री   के रूप में मनोहर लाल खट्टर विराजमान रहे हैं. खट्टर पंजाबी समुदाय से हैं. जाटों को ये बात खटकती रही है. 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन इसी का परिणाम रहा. इस आंदोलन में पंजाबियों और सैनियों को जान माल का बहुत नुकसान हुआ. जाट जितना इन समुदायों के खिलाफ आक्रामक हुए भाजपा का एंटी जाट वोट उतना ही मजबूत होता गया. प्रशासनिक रूप से मनोहर लाल खट्टर उतने सक्षम न होते हुए भी अपनी इमानदारी और पंजाबी समुदाय से होने के चलते इतने लंबे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री बने रहे.

यही कारण रहा है कि भाजपा ने प्रदेश में मुख्यमंत्री तो पंजाबी को बनाया ही प्रदेश अध्यक्ष पद से जाट ओमप्रकाश धनखड़ को हटाकर नायब सैनी को बना दिया . नायब सैनी पिछड़ी जाति से आते हैं. मंगलवार सुबह से ही नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा चल रही थी जो दोपहर होते – होते सही साबित हुई. कहा जा रहा है कि नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा राज्य में पंजाबी और बैकवर्ड वोट बैंक बनाना चाहती है. इसका दूसरा लाभ उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी लिया जाएगा.

3-जाटों की नाराजगी उपमुख्यमंत्री बनाकर दूर होगी?

चाहे जाट आरक्षण हो या महिला पहलवानों का मुद्दा हो हरियाणा के जाटों के मन में भाजपा को लेकर बहुत नाराजगी है. ओमप्रकाश धनखड़ को हरियाणा भाजपा अध्यक्ष पद से हटाने के बाद से ये नाराजगी और बढ़ गई. धनखड़ उन लोगों में रहे हैं जिन्होंने भाजपा को हरियाणा में मजबूत करने को सबसे अधिक मेहनत की है. धनखड़ ही नहीं, कैप्टन अभिमन्यू, चौधरी बीरेंद्र सिंह आदि के साथ भी पार्टी ने न्याय नहीं किया. हरियाणा के कद्दावर जाट नेता और सर छोटू राम के नाती चौधरी वीरेंद्र सिंह और उनके पुत्र पूर्व आइएएस अधिकारी सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह भी किनारे लग गये। कुछ दिनों पहले ही चौधरी बिजेंद्र सिंह ने पिता चौधरी वीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है.

भारतीय जनता पार्टी में जितने भी कद्दावर जाट नेता थे उनको निराशा ही हाथ लगी है. जाट समाज से ही आने वाले पत्रकार अजय दीप लाठर कहते हैं कि भाजपा ने भले ही जाटों को किनारे लगा दिया हो पर भाजपा का मैनेजमेंट हरियाणा में इतना तगड़ा है कि एक बार फिर पार्टी 10 में से 10 सीटें जीत सकती है. जाटों की नाराजगी  कैश करने को मजबूत विपक्ष के अभाव से हरियाणा में एक बार फिर बाजी भाजपा के पक्ष में है. क्या भाजपा दुष्यंत चौटाला की कमी पूरा करने को किसी जाट को उपमुख्यमंत्री बना सकती है? लाठर कहते हैं कि उम्मीद जताई जा रही है कि चौटाला परिवार के ही रणजीत सिंह को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. रणजीत सिंह देवीलाल के लड़के हैं और उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता था.खट्टर मंत्रिमंडल में वे पहले भी मंत्री थे.

4-हरियाणा में जातियों का गणित

हरियाणा की आबादी में जाटों की संख्या लगभग 23 प्रतिशत है और डॉमिनेटिंग कास्ट होने से जाट राजनीतिक रूप से भी प्रभावी रहे हैं. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से कम से कम 40 सीटों पर जाटों का सीधा प्रभाव है. 2014 के विधानसभा चुनाव में जाटों ने भाजपा को एकतरफा वोट दिया.लेकिन 2019 विधानसभा चुनावों में मामला उल्टा पड़ गया.जाटों का वोट कांग्रेस ( 30 सीट), जेजेपी (10 सीट) और आईएनएलडी (1) को गया.भाजपा के दिग्गज जाट नेता कैबिनेट मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और ओम प्रकाश धनखड़, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता और तत्कालीन राज्य भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला सभी चुनाव हार गए. राज्य में ब्राह्मण, पंजाबी और बनिया समाज का वोट 29 से 30 प्रतिशत के करीब है.इनका वोट सीधे भाजपा को ही जाता है.अगर पिछड़े वर्ग के करीब 24 से 25 प्रतिशत वोट भी भाजपा के साथ आ जाते हैं तो भाजपा को प्रदेश में हराना असंभव हो जाता है.

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