ये तो होना ही था, चार जनों का हत्यारा चेतन सिंह था मनोरोगी

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विचित्र आवाज सुनकर परेशान रहता था ट्रेन में 4 लोगों की हत्या करने वाला चेतन, भाई के खुलासे से डॉक्टर भी हैरान

राघवेन्द्र शुक्ल

जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस में चार यात्रियों की हत्या के आरोप में आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह को गंभीर मतिभ्रम के शिकार होने का खुलासा हुआ है। सिंह Anti-Psychotic औषधियों के साथ थे जो मानसिक रोगियों के इलाज के लिए प्रयोग की जाती हैं। मुंबई में पुलिस सूत्र ने चेतन के अजीब व्यवहार के बारे में भी बताया है। उनके पैतृक गांव में उनके परिवार के सदस्य सदमे में हैं।

आगरा दो अगस्त: जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस में अपने सीनियर और तीन यात्रियों की गोली मारकर हत्या करने वाले आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह की मानसिक सेहत को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि चेतन सिंह Abnormal Hallucinations यानी कि गंभीर मतिभ्रम के शिकार थे। वह ऐंटी-साइकोटिक दवाएं भी ले रहे थे, जो आमतौर पर मानसिक बीमारियों के पूर्ण निदान के लिए मरीजों को दी जाती हैं। चेतन के भाई ने बताया कि वह आए दिन अजीबोगरीब आवाज सुनने की शिकायत करता था। सिरदर्द से अक्सर परेशान रहने वाला चेतन छोटी-छोटी बात पर गुस्सा भी करता था।

इस मामले की रेलवे और गृह मंत्रालय के शीर्ष स्तर पर जांच की जा रही है। जानकारी के मुताबिक, 12 फरवरी, 2023 को चेतन सिंह ने एंग्जायटी अटैक के बाद मथुरा जिले के एक सुपर स्पेशिऐलिटी अस्पताल में एक न्यूरोसर्जन से सलाह ली थी। इस दौरान उन्हें असामान्य मतिभ्रम और सिरदर्द के भी लक्षण थे। उनके मेडिकल रिकॉर्ड से पता चलता है कि उनका मानसिक उपचार चल रहा था। आगरा में इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड हॉस्पिटल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने सिंह के रिकॉर्ड दिखाते हुए कहा कि यह चौंकाने वाला है कि उस व्यक्ति को यात्रियों से भरी ट्रेन में हथियार के साथ ड्यूटी सौंपी गई थी। मेडिकल रिकॉर्ड के मुताबिक वह भी पीड़ित है।

उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, कुछ माइक्रोहेमोरेज के कारण मरीज के मस्तिष्क में काफी बदलाव हुए हैं। उन्हें जो ऐंटी-साइकोटिक दवा दी गई थी, उसका मकसद नर्व सेल्स की असामान्य और ज्यादा गतिविधियां कम करके दिमाग शांत करना था। यह दिमाग में एक केमिकल मेसेंजर की प्रक्रिया को भी रोकता है जो विचारों और मूड पर असर डालती हैं। डॉक्टर ने आगे कहा कि वह एनाल्जेसिक (एक पदार्थ जो दर्द को कम करता है) और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी की दवा ले रहा था, जो संभवतः न्यूरोलॉजिकल तनाव से होता था। जिस घटना में उसने चार लोगों की हत्या की थी, वह Abnormal Hallucinations से उत्पन्न आक्रामकता का परिणाम हो सकता है।

चेतन के छोटे भाई लोकेश, जो दिल्ली में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते हैं, ने कहा, ‘मेरा भाई विचित्र आवाज़ें सुनने की शिकायत करता था। इसके बारे में वह बिना संदर्भ की बातें टूटी-फूटी भाषा में सुनाते थे। रोकने पर वह आक्रामक हो जाते थे। वह अक्सर सिरदर्द की शिकायत करते थे और सो नहीं पाते थे। वह अपने वरिष्ठों के रवैये से परेशान थे क्योंकि वे उसकी तकलीफ के प्रति सहानुभूति नहीं रखते थे।

मुंबई में पुलिस सूत्रों ने यह भी कहा कि चेतन सिंह कभी-कभी अजीब तरीके से बात करता था। अधिकारियों ने कहा कि वह कभी-कभी फोन करने वाले परिवार के किसी सदस्य या परिचित को पहचानने में फेल हो जाता था। सोमवार देर रात उन्हें बोरीवली जीआरपी कर्मी कूपर अस्पताल ले गए, जहां मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परीक्षणों सहित पूरी चिकित्सा जांच हुई। मंगलवार को, लोकेश सिंह चेतन को देखने मुंबई चले, जिन्हें 7 अगस्त, 2023 तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

हाथरस जिले में सिंह के पैतृक गांव मीतई में परिवार के सदस्य सदमे में हैं। सिंह के चाचा मुकेश बाबू भारतीय सेना से रिटायर हैं। उन्होंने कहा कि हमें पता था कि वह कुछ मानसिक समस्याओं से जूझ रहा था लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि इसका परिणाम इतना भयावह होगा। हमने उन्हें काम में कठिनाइयों और वरिष्ठों के असहयोग के बारे में शिकायत करते हुए सुना। हमें उसे गंभीरता से लेना चाहिए था। इस बीच, आरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि यह संभव नहीं है कि उसके वरिष्ठों को उसके खराब मानसिक स्वास्थ्य के बारे में पता नहीं था। उसे हर छह महीने में मेडिकल जांच करानी होगी। ड्यूटी पर हमला करने वाले हथियार ले जाने वाले जवानों के मामले में यह प्रक्रिया अधिक सख्त है। इस घटना में कई सवालों के जवाब खोजे जाने हैं और इसकी फुलप्रूफ जांच की आवश्यकता है।

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आरपीएफ कॉन्‍स्‍टेबल चेतन सिंह मतिभ्रम की बीमारी से पीड़‍ित है। काफी समय से उसका इलाज चल रहा था। सोमवार को उसने जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्‍सप्रेस में चार लोगों की जान ले ली। मतिभ्रम की बीमारी के पीछे क्‍या कारण होता है? क्‍या इसमें कोई व्‍यक्ति वाकई जान भी ले सकता है? आइए, जानते हैं।

जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस सोमवार को अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी थी। आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह ने अपने सीनियर के साथ तीन पैसैंजरों को मौत के घाट उतार दिया। बताया जाता है कि चेतन सिंह ‘असामान्य मतिभ्रम’ यानी हैल्‍यूसिनेशन का शिकार है। लंबे समय से उसका इलाज चल रहा था। चेतन अवसाद से घिरा हुआ था। क्‍या कोई हैल्‍यूसिनेशन में अपराध की इतनी बड़ी घटना कर सकता है? क्‍या होता है हैल्‍यूसिनेशन? क्‍या यह लाइलाज है? आइए, यहां इसके बारे में जानते हैं।

हैल्‍यूसिनेशन या मतिभ्रम इंद्रियों से जुड़ी वस्तुओं या घटनाओं की गलत धारणा है। यह भ्रम दृष्टि, ध्वनि, गंध, स्पर्श और स्वाद को लेकर हो सकता है। हैल्‍यूसिनेशन वास्तविक लगता है। लेकिन, ऐसा होता नहीं है। दिमाग में केमिकल रिऐक्‍शन या असामान्यताएं हैल्‍यूसिनेशन का कारण बनती हैं।

क्‍या कहते हैं मनोच‍िक‍ित्‍सक?

मनोचिकित्‍सक डॉक्टर प्रीति शुक्‍ला इसे समझाते हुए कहती हैं कि यह किसी चीज को वास्‍तविक बना लेने जैसा है जो असल में है नहीं। उदाहरण के लिए बहुत लोग देवी-देवता देखने की बातें करते हैं। कुछ लोगों को गुजरने के बाद अपना कोई बहुत सगा दिखाई पड़ता है। ऐसा बहुत सोच लेने के कारण होता है। उस व्‍यक्ति को वे चीजें साफ दिखती हैं जो होती नहीं हैं। यही मतिभ्रम या हैल्‍यूसिनेशन है। यह मनोविकृति से जुड़ा विकार है। विशेष रूप से यह सिजोफ्रेनिया का लक्षण होता है। नशा करने वालों के साथ भी ऐसा हो जाता है। जब कोई व्यक्ति सोचता है कि उसका हैल्‍यूसिनेशन रियल है तो इसे मनोवैज्ञानिक लक्षण माना जाता है। हैल्‍यूसिनेशन कई तरह के हो सकते हैं। अक्‍सर ये इंद्रियों से जुड़े होते हैं। देखने, सुनने से लेकर स्‍पर्श और गंध तक इसका दायरा हो सकता है।

क्‍या है हैल्‍यूसिनेशन और इल्‍यूजन में अंतर?

हैल्‍यूसिनेशन एक धारणा है जो सेंसरी इनपुट पर आधारित नहीं है। वहीं, भ्रम यानी इल्‍यूजन सेंसरी इनपुट की गलत व्याख्या है। दूसरे शब्दों में मतिभ्रम में कुछ ऐसा अनुभव करना शामिल होता है जो अस्तित्व में नहीं है। भ्रम तब होता है जब आप अपने परिवेश में किसी वास्तविक चीज की गलत व्याख्या कर लेते हैं। उदाहरण के लिए आप खिड़की पर रखे काले बैग को काली बिल्ली समझने की भूल कर सकते हैं। जांच करने पर आपको पता चलता है कि यह एक बैग है, बिल्ली नहीं। यह भ्रम है।

भांग के नशे से कैसे है अलग हैल्‍यूसिनेशन?

डॉक्टर प्रीति शुक्‍ला कहती हैं कि हैल्‍यूसिनेशन और भांग के नशे में अंतर है। भांग के नशे को मतिभ्रम नहीं कह सकते हैं। भाग के नशे में दिमाग कुछ समय को एक खास तरह की अवस्‍था में फंस जाता है। यही कारण होता है कि लोग हंसते हैं तो हंसते ही रहते हैं। रोते हैं तो रोते ही रहते हैं। नशा उतरते ही लोग दोबारा अपनी पहले की स्थिति में आ जाते हैं। हैल्‍यूसिनेशन वैसा नहीं है। यह मेंटल डिस्‍ऑर्डर है।

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