एम्स ऋषिकेश भ्रष्टाचार में डॉक्टर समेत आठ पर मुकदमा, 24 शहरों में सीबीआई छापे

AIIMS Rishikesh : मशीन की खरीद फरोख्त व टेंडर में गड़बड़ी के मामले में एम्स के चिकित्सकों सहित आठ पर मुकदमा
सीबीआइ ने एम्स ऋषिकेश के सात बड़े अधिकारियों के खिलाफ संबंधी धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं। सीबीआइ की टीम ने शुक्रवार को सभी आरोपितों के ठिकानों पर छापेमारी की। पूरे देश में सीबीआइ 24 स्थानों पर छापे की कार्रवाई कर रही है।

सीबीआइ ने एम्‍स के सात बड़े अधिकारियों पर दर्ज किया मुकदमा

देहरादून/ ऋषिकेश 21 अप्रैल : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद और केमिस्ट शाप के आवंटन में गड़बड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) बड़ी कार्रवाई की। इस सिलसिले में सीबीआइ ने आपराधिक षडयंत्र कर धोखाधड़ी करने के दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

इनमें एम्स के तीन प्रोफेसरों, एक प्रशासनिक अधिकारी और एक लेखाधिकारी को नामजद किया गया है। इसके साथ ही सीबीआइ ने शुक्रवार को उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में 24 स्थानों पर आरोपितों के ठिकानों पर छापे डाले।

सीबीआइ ने दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए

एम्स ऋषिकेश में उपकरणों की खरीद और दवा की दुकान के आवंटन में गड़बड़ी की जांच सीबीआइ फरवरी से कर रही थी। तीन से सात फरवरी तक सीबीआइ टीम ने यहां डेरा डालकर शिकायतों से संबंधित दस्तावेज खंगाले थे। अब इस प्रकरण में सीबीआइ ने दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं।

सीबीआइ प्रवक्ता के मुताबिक एम्स प्रशासन ने वर्ष 2017-18 में अस्पताल परिसर की सड़कों की सफाई के लिए स्वीपिंग मशीन खरीदी थी। जिस कमेटी के माध्यम से खरीद प्रक्रिया पूरी कराई गई, उसमें अनियमितता पाई गई। इसमें करीब 2.41 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई।

इतनी बड़ी लागत से खरीदी गई यह मशीन सिर्फ 124 घंटे ही चल पाई। जांच में यह भी सामने आया कि एक अन्य कंपनी इसी मशीन को करीब एक करोड़ में उपलब्ध करा रही थी, लेकिन क्रय समिति ने महंगे दामों पर मशीन की खरीद कर डाली।

इस मामले में एम्स के माइक्रोबायोलाजी विभाग में तैनात तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर बलराम जी उमर, एनाटामी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल निवासी ऋषिकेश देहरादून, प्रशासनिक अधिकारी शशि कांत, लेखाधिकारी दीपक जोशी और खनेजा कांप्लेक्स शकरपुर दिल्ली स्थित प्रो-मेडिक डियाईसेस के स्वामी पुनीत शर्मा को नामजद किया गया है। इस मुकदमे में कुछ अन्य लोक सेवक और निजी क्षेत्र के अज्ञात व्यक्ति भी आरोपित हैं।

अधिकारियों ने निविदा प्रक्रिया में मानदंडों का उल्लंघन किया

एम्स परिसर में केमिस्ट शाप के आवंटन मामले में सीबीआइ ने त्रिवेणी सेवा फार्मेसी कंपनी के साथ ही उसके साझेदार पंकज शर्मा (निवासी शेरगढ़ टापू पोस्ट घीर जिला करनाल हरियाणा) और शुभम शर्मा (निवासी राजपुर पोस्ट आफिस पथेरा करनाल हरियाणा) और एक अन्य लोक सेवक अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि एम्स अधिकारियों ने निविदा प्रक्रिया में मानदंडों का उल्लंघन किया।

प्रतिष्ठित बोलीदाताओं को दरकिनार किया, दस्तावेजों की जांच में ईमानदारी नहीं दिखाई। यही नहीं, उन महत्वहीन फर्म को केमिस्ट शाप संचालित करने की अनुमति दी, जिन्होंने निविदा दस्तावेजों में गलत तथ्य प्रस्तुत किए थे। यह भी आरोप है कि प्रक्रिया में शामिल व्यक्तियों ने अनियमितता के सुबूत भी नष्ट कर दिए।

इस सिलसिले में शुक्रवार को सीबीआइ ने नामजद आरोपितों के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के 24 शहरों में दबिश दी। इनमें प्रमुख रूप से कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, ऋषिकेश, हरिद्वार शामिल रहे। सीबीआइ टीम सुबह करीब साढ़े सात बजे टीम ऋषिकेश पहुंची। यहां उसने एम्स के आवासीय परिसर में रह रहे दो प्रोफेसरों और महिला अधिकारी के ऋषिकेश स्थित ठिकाने पर छापा मारा गया। छापे में टीम ने कुछ दस्तावेज भी कब्जे में लिये हैं।

शुक्रवार तड़के मारे छापे

सीबीआई की टीम शुक्रवार तड़के एम्स की आवासीय कॉलोनी पहुंची। सीबीआई ने एम्स, ऋषिकेश के तत्कालीन एडिशनल प्रोफेसरों और कुछ अन्य लोगों से जुड़े ठिकानों पर छापे मारे। इसके साथ ही देश भर में 24 स्थानों पर भी एक साथ छापेमारी की गई है। एम्स के पीआरओ हरीश थपलियाल ने इसकी पुष्टि की है।

इन पर दर्ज किए मुकदमे

सीबीआई ने तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर बलराम ओमर, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर विजेन्द्र सिंह और अनुभा अग्रवाल, तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, तत्कालीन लेखा अधिकारी दीपक जोशी और नई दिल्ली स्थित निजी फर्म के मालिक पुनीत शर्मा और एक-एक अज्ञात के खिलाफ देहरादून की कोर्ट में भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप में मुकदमे दर्ज कराए।

इन आरोपों पर कार्रवाई

सीबीआई को शिकायत मिली थी कि स्वीपिंग मशीन की खरीद और एम्स, ऋषिकेश के अंदर एक केमिस्ट शॉप खोलने के लिएटेंडरों में गड़बड़ी की गई। सीबीआई के मुताबिक आरोपियों ने निविदा प्रक्रिया से संबंधित भारत सरकार के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया। फर्जी आधार पर प्रतिष्ठित बोलीदाताओं की गलत तरीके से जांच की और महत्वहीन फर्मों को काम दे दिया गया। आरोपियों ने कथित तौर पर अपराध के जुड़े साक्ष्यों को भी गायब कर दिया।

यह हुई थी खरीद

सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने बताया कि रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद में लगभग 2.41 करोड़ रुपये और केमिस्ट शॉप खोलने केटेंडर में गड़बड़ी से एम्स को लगभग 2 करोड़ रुपये नुकसान हुआ है।

सीबीआई ने होमवर्क के बाद की कार्रवाई

सीबीआई ने दो महीने पहले भी एम्स में छापा मारा था। इसके बाद कई अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ और छापे में बरामद दस्तावेजों को खंगालने के बाद सीबीआई ने यह कार्रवाई की है।

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