गुरुग्राम: खुले में नमाज की हिमायत में मौ. अदीब पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

खुले में नमाज पढ़ने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। राज्यसभा के पूर्व सदस्य मोहम्मद अदीब ने इस बारे में अर्जी दाखिल की है

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा खुले में नमाज पर विवाद

गुरुग्राम 19 दिसंबर : खुले में नमाज पढ़ने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। राज्यसभा के पूर्व सदस्य मोहम्मद अदीब ने इस बारे में अर्जी दाखिल की है। इसके माध्यम से कहा है कि प्रशासन खुले में नमाज पढ़ने का विरोध करने वालों पर रोक लगाने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है। इसके लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

बता दें कि पिछले चार महीने से खुले में नमाज पढ़ने को लेकर हिदू संगठन विरोध कर रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की घोषणा के बाद विरोध काफी हद तक थम गया है। मुख्यमंत्री ने खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की बात कही है। इसके बाद से प्रशासन काफी सक्रिय हो गया है। इस बारे में सुशांत लोक इलाके में रह रहे राज्यसभा के पूर्व सदस्य मोहम्मद अदीब का कहना है कि जगह की कमी से ही समुदाय के लोग खुले में नमाज पढ़ते हैं। इसके लिए प्रशासन ने अनुमति दी थी। इसके बाद भी हिंदुओं के विरोध  पर रोक लगाने की जिम्मेदारी प्रशासन की थी लेकिन उसने जिम्मेदारी नहीं निभाई। इसे देखते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डालकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका यह भी कहना है कि आबादी के हिसाब से मुस्लिम समुदाय को मस्जिद बनाने को जमीन दी जाए। मजबूरी में समुदाय के लोग खुले में नमाज पढ़ते हैं।

उद्योग विहार में जताया विरोध

उद्योग विहार इलाके में खुले में नमाज पढ़ने का हिदू संगठनों से जुड़े लोगों ने विरोध जताया। सभी ने जय श्रीराम के नारे लगाए। साथ ही चेतावनी दी कि किसी भी हाल में खुले में नमाज नहीं पढ़ने दिया जाएगा। इस पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अलग जगह जाकर नमाज पढ़ी। सूचना मिलते ही इलाके के थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश कुमार दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने विरोध जताने वालों को समझा-बुझाकर भेज दिया। लेजर वैली मैदान में शुक्रवार को भी काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने के लिए पहुंचे। इसके अलावा जहां कहीं भी पहुंचे वहां से उन्हें अपनी जगह पर नमाज पढ़ने के लिए भेज दिया गया। वैसे अधिकतर लोगों ने मस्जिद, ईदगाह या फिर अपनी जगह पर ही नमाज पढ़ी। कहीं भी कानून व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े, इसके लिए प्रशासन सक्रिय रहा।

गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने वालों पर हिंदू संगठन रखेंगे नजर

सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने वालों के ऊपर संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति नजर रखेगी। शुक्रवार को कहीं भी मुस्लिम समुदाय के लोग सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने के लिए पहुंचेंगे तो इसके बारे में समिति के पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रशासन को सूचित करेंगे।

सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने वालों के ऊपर संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति नजर रखेगी। शुक्रवार को कहीं भी मुस्लिम समुदाय के लोग सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने के लिए पहुंचेंगे तो इसके बारे में समिति के पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रशासन को सूचित करेंगे। अब समिति अपने स्तर पर विरोध नहीं करेगी क्योंकि उसका मानना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की घोषणा के बाद अब सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने पर पूरी तरह रोक लगाने की जिम्मेदारी प्रशासन की है।

बृहस्पतिवार को गुरुद्वारा रोड स्थित श्री सिद्धेश्वर स्कूल में प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से समिति के अध्यक्ष महावीर भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ऐसे में अब प्रशासन के ऊपर घोषणा को अमल में लाने की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ ही उन लोगों का आंदोलन पूरी तरह सफल हो चुका है।

महावीर भारद्वाज ने मुस्लिम पर्सनल ला के कुछ पदाधिकारियों के मुख्यमंत्री की आलोचना और हिंदू संगठनों को आतंकवादी कहने की कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही कहा है कि जो लोग अफजल गुरु को आतंकी नहीं मानते उनकी मानसिकता राष्ट्र द्रोहियों की है। कुछ लोग मुस्लिम समाज की भावनाओं को भड़का कर अपनी दुकान चलाना चाहते हैं। वक्फ बोर्ड की जमीन पर मुस्लिम समुदाय के ही लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। प्रशासन उसे हटवाए। पत्रकार वार्ता में समिति के उपाध्यक्ष ब्रह्मप्रकाश कौशिक, प्रवक्ता राजीव मित्तल, प्रवीण यादव और अनुराग कुलश्रेष्ठ उपस्थित थे

कब्रिस्तान में नमाज उचित नही

बादशाहपुर इलाके में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों का मानना है कि कब्रिस्तान में नमाज नहीं पढ़नी चाहिए। इस बारे में लोगों ने जिला उपायुक्त डाक्टर यश गर्ग को ज्ञापन भी सौंपा है। स्थानीय निवासी बाबू खान का कहना है कि इलाके में जिन स्थानों को शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए तय किया गया है उनमें से एक कब्रिस्तान है। नमाज मस्जिद या ईदगाह में ही पढ़ना चाहिए। इलाके में चार मस्जिदें हैं। उनमें ही लोग नमाज पढ़ें। बता दें कि सार्वजनिक स्थानों पर जुमे की नमाज को लेकर हिंदू संगठन लंबे समय से विरोध जता रहे थे।

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