अॉनलाइन स्पोकन संस्कृत कोर्स का भव्य समापन

आईआईटी रुड़की और संस्कृत भारती की संयुक्त पहल ऑनलाइन स्पोकेन संस्कृत कोर्स का हुआ भव्य समापन

– पद्म भूषण से सम्मानित पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉक्टर एन गोपालस्वामी इस समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

रुड़की, 15 जनवरी 2021: एक खास पहल – ऑनलाइन स्पोकेन संस्कृत कोर्स का समापन आज बहुत ही उम्दा तरीके से हुआ जिसमें 32 देशों के 5000 से अधिक प्रतिनिधियों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया। ‘सुभाषितम् संस्कृतम्’ नामक इस पहल का ऑनलाइन आयोजन संस्कृत क्लब, आईआईटी रुड़की और गैर-सरकारी संगठन, संस्कृत भारती द्वारा किया गया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पद्म भूषण से सम्मानित पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉक्टर एन गोपालस्वामी और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर पी नंदकुमार, कोर्स डिजाइनर व अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक, संस्कृत भारती उपस्थित रहे। श्री बी वी आर मोहन रेड्डी, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईटी रुड़की ने इस समारोह की अध्यक्षता की।

पिछले साल जुलाई में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रतिभागियों को संस्कृत भाषा में गहरी रुचि विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इस पहल की सराहना की थी।

आईआईटी रुड़की का संस्कृत क्लब अब उन सभी प्रतिभागियों के लिए एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहा है जिन्होंने सभी पाँच स्तरों में उत्कृष्टता हासिल की, साथ ही शिक्षकों के लिए भी एक ऑनलाइन स्पोकेन संस्कृत कैंप के आयोजन की योजना है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉक्टर एन गोपालस्वामी ने कहा, “संस्कृत ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह 1500-1600 ईसा पूर्व में बौद्धिक कार्यों के लिए एक लोकप्रिय माध्यम था। विभिन्न संस्कृत ग्रंथों को पढ़ना और समझना तथा वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में उनकी प्रासंगिकता को सामने लाना आवश्यक है। संस्कृत रचना में पहेली से लेकर श्रेष्ठ कविता तक के विभिन्न रूप हैं, जिनके प्रत्येक शब्द में कई अर्थ सन्निहित हैं। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर, संस्कृत का एक नया युग शुरू हो गया है जिसे फलने-फूलने का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए।”

आईआईटी रुड़की के निदेशक, प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “मैं इस पहल की अभूतपूर्व सफलता के लिए संस्कृत क्लब, आईआईटी रुड़की और संस्कृत भारती को बधाई देता हूं। यह आयोजकों के समर्पित प्रयासों को दर्शाता है। संस्कृत की विशिष्टता यह है कि एक वाक्य में शब्दों को किसी भी क्रम में व्यवस्थित किया जा सकता है, वो भी अर्थ में बदलाव किए बिना।” उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में संस्कृत सीखने के दौरान के अनुभवों को साझा किया और एक प्रतिभागी के प्रशंसा-पत्र को भी पढ़ा, जिसमें पाठ्यक्रम के कई अन्य पहलुओं के साथ ही इसकी अवधारणा, कार्यप्रणाली और प्रोद्योगिकी का लाभ उठाए जाने की सराहना गई थी। उन्होंने संस्कृत क्लब, आईआईटी रुड़की का आह्वान करते हुए संस्कृत साहित्य को फिर से पढ़ने का अनुरोध किया, जो शोध के दृष्टिकोण से वर्तमान छात्रों के लिए प्रासंगिक होगा।

“यह वास्तव में उल्लेखनीय और प्रशंसनीय है कि एक प्रौद्योगिकी संस्थान ने संस्कृत के अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए एक पहल की शुरूआत की है। देवभाषा या देवताओं की भाषा को एक व्यावहारिक या बोलचाल की भाषा में बदलने का यह प्रयास सरहनीय है। यह देखना आश्चर्यजनक है कि संस्थान ने दुनिया भर के 32 देशों के 5000 से अधिक छात्रों को 1700-1200 ईसा पूर्व के एक प्राचीन भाषा सिखाने के लिए अत्याधुनिक ऑनलाइन तकनीक का उपयोग किया। मैं प्रो चतुर्वेदी और उनकी पूरी टीम को समाज के लिए इस लाभकारी पहल को लाने और आईआईटी रुड़की के आदर्श वाक्य ‘श्रमं विना न किमपि साध्यम्’ अर्थात ‘कड़ी मेहनत के बिना कुछ भी संभव नहीं’ को आत्मसात करने के लिए धन्यवाद देता हूँ,” श्री बी वी आर मोहन रेड्डी, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईटी रुड़की, ने कहा।

प्रोफेसर अनिल कुमार गौरीशेट्टी, फैकल्टी समन्वयक-संस्कृत क्लब, आईआईटी रुड़की द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समारोह संपन्न हुआ।

इस कार्यक्रम की शुरुआत गुरु पूर्णिमा (5 जुलाई 2020) के शुभ अवसर पर आईआईटी रुड़की के संस्कृत क्लब ने संस्कृत भारती के साथ मिलकर किया था, और यह एक भारतीय भाषा का व्यावहारिक ज्ञान रखने वाले दुनिया भर के लोगों के लिए उपलब्ध था। पहल का उद्देश्य युवा पीढ़ी के बीच संस्कृत के महत्व को लेकर जागरूकता पैदा करना था। पाठ्यक्रम के लेवल-1 में वेबएक्स प्लेटफॉर्म और यूट्यूब लाइव के माध्यम से नि: शुल्क संस्कृत स्पोकेन क्लास का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों की समस्याओं को दूर करने और हजारों छात्रों के साथ चर्चा के लिए ‘प्रश्नकाल’ जैसे तरीकों को प्रयोग में लाया गया और सीधे संवाद के लिए कई वेबएक्स सत्रों के साथ 5000 से अधिक छात्रों वाले टेलीग्राम चैनल भी बनाया गया। लेवल -1 के लिए परीक्षा का आयोजन ऑनलाइन किया गया, और 5100 से अधिक छात्रों ने कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त किये, जिससे उन्हें एक प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, साथ ही वे लेवल 2 -5 के लिए पंजीकरण करने के लिए औपचारिक रूप से योग्य हो गए।

लेवेल-2-5 में संस्कृत के उपयोग और व्याकरण की अवधारणाओं को शामिल किया गया था, और सीखाने के लिए उदाहरण के तौर पर 108 सुभाषितम् का उपयोग किया गया था। शिक्षा का माध्यम संस्कृत था और लेवल-1 की विषय-वस्तु ने प्रतिभागियों को संस्कृत में पाठ्यक्रम सामग्री को समझने में मदद की, वहीं अध्ययन सामग्री का अनुवाद भी उन लोगों को प्रदान किया गया जिन्हें इसकी जरूरत थी। प्रत्येक लेवल के अंत में, ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया गया था। अंतिम मूल्यांकन के लिए इन परीक्षाओं के प्राप्तांकों और अंतिम मौखिक परीक्षा जो अभी चल रहा है उसके प्राप्तांकों को एक साथ मिलाया जाएगा। 2000 से अधिक लोगों के अंतिम मूल्यांकन में सफल होने की उम्मीद है। सभी पाठ्यक्रम सामग्री संस्कृत क्लब की वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है। यूट्यूब पर पाठ्यक्रम से संबंधित 79 व्याख्यान और अन्य वीडियो को अब तक 1 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।

पाठ्यक्रम के अलावा, पाठ्येतर गतिविधियां जैसे कि संस्कृतसभा, भागेदारी पर आधारित क्विज़, संस्कृत क्लब ने समर्पणम् (संस्कृतया अर्पणम्- संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों से छात्रों और संकाय सदस्यों का एक नेटवर्क) शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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