हिजाब प्रकरण में हिंसा के बाद कर्नाटक के स्कूल – कॉलेज तीन दिन को बंद

कर्नाटक : हिजाब विवाद और गर्माया, हिंसा के बाद स्कूल-कॉलेज तीन दिन के लिए बंद

हिजाब के समर्थन में प्रदर्शन करती छात्राएं

कर्नाटक में हिजाब पहनने के मामले ने अब हिंसक मोड़ ले लिया है. राज्य के दो ज़िलों में छात्राओं के हिजाब पहनने के ख़िलाफ़ छात्रों के भगवा शॉल पहनने के बाद यह विवाद काफी बढ़ गया है.

मंगलवार को हिंसा और झड़प के मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेजों को तीन दिन बंद रखने का आदेश दिया है.

हिंसा और झड़प की वारदातें ऐसे वक्त में हुई हैं जब कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही है. सुनवाई आज पूरी नहीं हो सकी. बुधवार को भी इस पर बहस होगी.

अदालत ने कहा कि इस मामले में वह तर्क और क़ानून के हिसाब से फैसला देगी. फै़सले पर भावनाओं को हावी नहीं होने दिया जाएगा. संविधान हमारे लिए भगवद् गीता है.

मामले ने लिया हिंसक मोड़


मंगलवार को सुबह इस मामले को लेकर कुछ कॉलेजों में छात्राओं और छात्रों के बीच तनातनी के बाद पथराव और नारेबाज़ी की ख़बरें आने लगीं. शिवमोगा और बन्नाहट्टी में दो पक्षों के बीच नारेबाज़ी और पथराव की घटना सामने आई. एक वीडियो में एक छात्र के अभिभावक भी पत्थर फेंकते नज़र आए. पुलिस ने  बताया कि अब बन्नाहट्टी में स्थिति नियंत्रण में है.

पुलिस ने बताया कि उडुपी ज़िले के एमजीएम कॉलेज में छात्र जमा हो गए. कुछ हिजाब पहने छात्राएं कॉलेज में पहले आईं. दूसरा पक्ष भगवा पगड़ी और शॉल डालकर कॉलेज आया था, जिन्हें कॉलेज परिसर में अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई.

हिजाब पहनकर आई एक छात्रा ने बताया,”हमें पूरे साल हिजाब पहनकर कॉलेज में आने की अनुमति दी गई थी. अचानक से ये कहा गया कि हिजाब पहनकर कॉलेज के महिला कक्ष में भी नहीं जाने दिया जाएगा.”

वहीं भगवा शॉल ओढ़े एक लड़की ने कन्नड़ टेलीविजन चैनल से कहा, ”हमें केवल एकरूपता चाहिए. हम इससे पहले भगवा शॉल ओढ़कर कभी नहीं आए.”

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हिजाब पर टीचर से बहस करती छात्राएं

पुलिस ने कहा, हालात काबू में

एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रताप रेड्डी ने बताया कि छात्र कॉलेज में नारेबाज़ी कर रहे थे, ऐसे में कॉलेज प्रिंसिपल डॉ देवदास भट्ट ने हाईकोर्ट के आदेश तक कॉलेज बंद करने का ऐलान कर दिया. रेड्डी ने कहा, ”ये छोटी घटनाएं हैं, स्थिति नियंत्रण में है.”

अदालती सुनवाई से पहले शनिवार को ही कर्नाटक सरकार ने प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में यूनिफॉर्म अनिवार्य करने का नया आदेश जारी कर दिया था.

राज्य सरकार ने यूनिफॉर्म को लेकर जो आदेश जारी किया है उसके मुताबिक सरकारी शिक्षा संस्थानों की कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां यह फैसला ले सकती हैं कि यूनिफॉर्म कैसी होगी. निजी संस्थान यह फैसला कर सकते हैं कि कॉलेजों में यूनिफॉर्म ज़रूरी है या नहीं.

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पूरा मामला क्या है?
पिछले दिनों ये मामला तब सुर्ख़ियों में आया जब उडुपी के एक प्री-यूनिवर्सिटी गवर्नमेंट कॉलेज की लगभग आधा दर्जन छात्राओं ने हिजाब उतारने से इनकार कर दिया.

दूसरे वर्ष की इन छात्राओं ने हिजाब उतारकर क्लास में बैठने की अपीलों को ख़ारिज कर दिया. जब इन छात्राओं की बात नहीं सुनी गई तो इन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया. ये मामला तब और बढ़ गया जब उडुपी ज़िले के कॉलेज में लड़कियों के हिजाब के जवाब में कुछ छात्र भगवा शॉल पहन कर चले आए थे.

इसके बाद लड़कियों ने भी भगवा शॉल पहन कर जुलुस की शक्ल में एक प्राइवेट कॉलेज में घुसने की कोशिश की. मामला तूल पकड़ता गया और राजनीतिक पार्टियां भी इस विवाद में कूद पड़ीं.

हिजाब पहनने से रोके जाने पर छात्राओं ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. उनका कहना है कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है. लिहाज़ा उन्हें इससे रोका नहीं जा सकता.

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