मत:गोदियाल नेतृत्व की भ्रूण हत्या बाद कुमाऊं केंद्रित संगठन कांग्रेस का है दांव?

CONGRESS HIGH COMMAND SO-CALLED BIG STRATEGY BEHIND GIVING IMPORTANCE TO KUMAON MANDAL

गणेश गोदियाल के नेतृत्व की भ्रूण हत्या,  कांग्रेस संगठन में गढ़वाल की उपेक्षा पर  जानकारों को नजर आ रहा ‘दांव’

देहरादून 12 अप्रैल।   उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में हार का सामने करने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने बहुत सोच-समझकर पार्टी के तीनों महत्वपूर्ण पद ऐसे ही कुमाऊं की झोली में नहीं डाले हैं, बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ी रणनीति (Congress high command big strategy)  बताई जा रही है . कांग्रेस की राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस अब भाजपा को उसी की चाल से मात देने का प्रयास कर रही है.

कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में कुमाऊं मंडल को जो तवज्जो दी है, उस पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पार्टी में अंदर ही बगावती सुर सुनाई देने लगे हैं. कांग्रेस हाईकमान ने कुमाऊं से ही नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष का चयन किया है. कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले से गढ़वाल मंडल के नेता काफी नाराज दिख रहे (Discord in Uttarakhand Congress) हैं. वहीं, राजनीतिक जानकार इसे कांग्रेस की बहुत सोची-समझी रणनीति बता रहे (Congress high command big strategy) हैं.

असल में , जैसे ही विधानसभा चुनाव सामने दिखे, दिग्गज हरीश रावत ने देहरादून में डेरा डाल प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की लीडरशिप को चुनौती देनी शुरू कर दी। संगठनात्मक की बजाय हरीश रावत मीडिया केंद्रित तमाशों से खबरों के केंद्र में रहने के उस्ताद हैं। रावत की शुरु से अंत तक कांग्रेस को अपने इर्द-गिर्द नचाने की रही। उनकी ताकत है कि कांग्रेस उन्हें दो-टूक तो कुछ नहीं बोल पाई लेकिन युवा गणेश गोदियाल के सर्वप्रिय व्यक्तित्व को अध्यक्ष बना गुटबाजी से संभावित नुकसान घटाने की कोशिश की। गोदियाल ने अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए गुटीय संघर्ष पर पानी जरूर डाला लेकिन कांग्रेस की अपने कर्मों से मिली हार और सबसे कठिन सीट पर गणेश गोदियाल की व्यक्तिगत हार ने कांग्रेस नेतृत्व की कुतुबनुमा फिर गड़बड़ा दी और गोदियाल को छह महीने भी न दे फिर पत्ते फैंट डाले। कांग्रेस की सीटें तो बढ़ी लेकिन वह भाजपा के विरुद्ध सत्ता विरोधी रूझान को भुनाने में विफल रही। अब कांग्रेस ने खुद को कुमाऊं में समेटने का फैसला कर लिया लगता है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) में कांग्रेस ने गढ़वाल के बजाए कुमाऊं मंडल में बेहतर काम किया है. यही कारण है कि कांग्रेस हाईकमान ने कुमाऊं को इनाम दिया है. साथ ही कांग्रेस की नजर आगामी लोकसभा चुनाव में कुमाऊं की दो सीटों पर है. क्योंकि विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस को गढ़वाल से ज्यादा कुमाऊं में कांग्रेस की जीत की संभावना ज्यादा नजर आ रही है. कांग्रेस ने 2017 में कुमाऊं में अच्छा प्रदर्शन किया था. यही कारण है कि कांग्रेस ने तीन महत्वपूर्ण पद कुमाऊं की झोली में डाले हैं.

राजनीतिक जानकारों का नजरिया

कुमाऊं मूल के पत्रकार भगीरथ शर्मा का कहना है कि कांग्रेस ने दलित कोटे से आने वाले से यशपाल आर्य (Leader of Opposition Yashpal Arya) जैसे अनुभवी नेता को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी, तो वहीं करन माहरा को ठाकुर कोटे से प्रदेश अध्यक्ष और भुवन कापड़ी को ब्राह्मण कोटे से उप नेता प्रतिपक्ष बनाकर बड़ा जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है. हालांकि यहां क्षेत्रीय समीकरण को साधने में कांग्रेस थोड़ी कमजोर नजर आ रही है. लेकिन इसके पीछे कांग्रेस की बहुत बड़ी रणनीति है.

भगीरथ शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने 70 से में 19 सीटें जीती हैं, जिसमें से 11 सीटें कुमाऊं मंडल से आई हैं. साथ ही 2017 में भी कांग्रेस ने कुमाऊं अच्छा प्रदर्शन किया था. तब भी वहां से 11 सीटें थीं। इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस कुमाऊं मंडल से ही अपना किला मजबूत करना चाहती है क्योंकि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुमाऊं में ही कांग्रेस का किला भेदने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी.

शर्मा कहते हैं कि इस बार युवा प्रदेश अध्यक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष बनाकर कहीं न कहीं कांग्रेस भाजपा की युवा नीति को भी भेदने की कोशिश कर रही है. साथ ही यशपाल आर्य के प्रदेश अध्यक्ष कार्यकाल के दौरान कांग्रेस ने 2009 में लोकसभा की सभी पांचों सीटों को जीता था तो 2012 विधानसभा चुनाव में पार्टी सत्ता में आई थी. इसलिए उनके अनुभव और छवि के आधार पर उन्हें पार्टी हाईकमान ने यह उपहार दिया है.

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