गंगाजल और कोरोना पर हाको से ICMR को नोटिस

गंगाजल से दूर होगी कोरोना की बीमारी, दावे पर HC ने एथिक्स कमेटी और ICMR को नोटिस देकर मांगा जवाब

By: मोहम्मद मोइन,
एडवोकेट अरुण गुप्ता का दावा है कि गंगोत्री से निकले गंगाजल का इस्तेमाल कर कोरोना को हराया जा सकता है. गंगाजल से कोरोना को मात देने के दावे का मामला अब अदालत की दहलीज तक पहुंच गया है.

प्रयागराज 01 जुलाई। Corona treatment by Gangajal: मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कही जाने वाली राष्ट्रीय नदी गंगा के पानी का इस्तेमाल कर कोरोना की महामारी को मात देने के दावे का मामला अब अदालत की दहलीज तक पहुंच गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस दावे की सच्चाई परखने और इस पर रिसर्च कर संभावनाएं तलाशने की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर केंद्र सरकार के साथ ही आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च को नोटिस जारी कर उससे जवाब कर लिया है. कोर्ट ने इन सभी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 6 हफ्ते का वक्त दिया है. साथ केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को अगली सुनवाई पर खुद हाजिर रहने को भी कहा है.

रिसर्च को बनाया गया है आधार

अदालत ने इस बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट और गंगा से जुड़े मामलों के एमिकस क्यूरी द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है. आईसीएमआर द्वारा इस दावे को सिरे से नजरअंदाज किए जाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में ये जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस दावे के पीछे दुनिया भर में गंगा को लेकर हुई रिसर्च को आधार बनाया गया है. इसके साथ ही गंगाजल से कोरोना की बीमारी को ठीक करने के बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों की कमेटी की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की गई है. अदालत इस मामले में अब अगस्त महीने के आखिरी हफ्ते में सुनवाई करेगी. मामले की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस राजेंद्र कुमार की डिवीजन बेंच में हुई.

गंगाजल से कोरोना को हराया जा सकता है

एडवोकेट अरुण गुप्ता का दावा है कि उत्तराखंड में गंगोत्री से निकले गंगाजल का इस्तेमाल कर शरीर की इम्युनिटी पावर को बढ़ाते हुए कोरोना को हराया जा सकता है. यानी इम्युनिटी को मजबूत कर ना सिर्फ कोरोना से जंग लड़ी जा सकती है, बल्कि उसे मात भी दी जा सकती है. दावा यहीं तक सीमित नहीं है. कहा ये भी जा रहा है कि अगर किसी को कोरोना हो भी गया है तो उसे गंगाजल पिलाकर इस बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है. यानी कोरोना पीड़ितों के इलाज में गंगाजल दवा के तौर पर काम करेगा. अरुण गुप्ता के मुताबिक पोलैंड यूनिवर्सिटी ने साल 2016 में, यूएसए की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने साल 2019 में और भारत के नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट नागपुर ने रिसर्च में ये पाया है कि गंगाजल में तमाम रेडियो एक्टिव एलीमेंट के साथ ही बैक्टीरियोफाज नाम का एक ऐसा वायरस पाया जाता है जो ना सिर्फ गंगा के पानी में मौजूद तमाम बैक्टीरिया को खत्म करता है, बल्कि इसमें पाए जाने वाले तमाम तरह के दूसरे वायरस को भी नष्ट कर देता है.

गंगाजल में ऑक्सीजन की मात्रा ज़्यादा होती है

अरुण गुप्ता के मुताबिक गंगाजल में ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज़्यादा होती है. इसके साथ ही इसमें पाए जाने वाले कॉपर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, ज़िंक जैसे तत्व शरीर की इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाते हैं. इम्युनिटी बढ़ने पर कोरोना का असर ना के बराबर हो जाता है. इसके साथ ही बैक्टीरियोफाज सीधे वायरसों पर अटैक कर इसके RNA यानी रोबो न्यूकिक एसिड को चौपट कर देता है. कोरोना भी RNA के क्रिस्टलाइज फार्म में ही रहता है, इसलिए गंगाजल के जरिए इसे भी खत्म किया जा सकता है.

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और NMCG को भेजा था लेटर

अरुण गुप्ता ने अपने इस दावे के साथ इस पर गहराई से रिसर्च किए जाने और रिसर्च के नतीजों के आधार पर गंगाजल से दवा बनाकर कोरोना के खात्मे की संभावनाएं तलाशने की अपील करते हुए पिछले साल ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और NMCG को लेटर भेजा था. उनके लेटर के आधार पर NMCG ने ICMR से इस दावे की हकीकत का पता लगाने को कहा था. अरुण गुप्ता के मुताबिक NMCG की सिफारिश पर ICMR ने पिछले साल उनकी टीम का प्रेजेंटेशन भी लिया था.

लोग महामारी से मुक्ति पा जाएंगे

वकील अरुण गुप्ता ने अपने इस दावे को आधार देने के लिए ये दलील भी दी है कि गंगा वाले राज्यों और शहरों में कोरोना के मामले दूसरी जगहों के मुकाबले बेहद कम रहे हैं. अरुण गुप्ता ने गंगाजल से तैयार एक नोजल स्प्रे भी तैयार कराया है और दावा किया है कि इसके इस्तेमाल से कोरोना का वायरस खत्म हो जाएगा और लोग महामारी से मुक्ति पा जाएंगे.

रिसर्च की जरूरत है

देश इन दिनों कोरोना की महामारी से जूझ रहा है. जल्द ही तीसरी लहर आने की आशंका भी जताई जा रही है. ऐसे में ये दावा तमाम लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण की तरह है. अगर गंगाजल के जरिए कोरोना का इलाज मुमकिन होता है तो ये बेहद सस्ता भी होगा. ऐसे में जरूरत पहले प्रामाणिक और वैज्ञानिक रिसर्च की है, जिसके जरिए इस दावे की हकीकत का पता लगाया जा सके. दावे में कितनी सच्चाई है और गंगाजल के इस्तेमाल से कोरोना को कैसे हराया जा सकता है, वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट इस पर फैसला लेगा.

Allahabad High Court अधिवक्ता गुप्ता का कहना है कि मार्च 2020 में मैंने एक रिसर्च पेपर तैयार किया था जिसे भरत झुनझुनवाला के साथ मिलकर आइसीएमआर के सामने रखा गया। इसका वर्चुअल प्रजेंटेशन भी हुआ लेकिन आइसीएमआर ने क्लीनिकल डाटा की मांग कर इसे नकार दिया। गंगा जल से तैयार नोजल स्प्रे के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति के लिए दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाई उकोर्ट ने इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) एवं भारत सरकार की इथिक्स कमेटी को नोटिस जारी किया है। साथ ही सभी से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूॢत राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है।

अधिवक्ता गुप्ता का कहना है कि मार्च 2020 में मैंने एक रिसर्च पेपर तैयार किया था जिसे भरत झुनझुनवाला के साथ मिलकर आइसीएमआर के सामने रखा गया। इसका वर्चुअल प्रजेंटेशन भी हुआ लेकिन आइसीएमआर ने क्लीनिकल डाटा की मांग कर इसे नकार दिया। इसके बाद मैंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के न्यूरोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ विजय नाथ मिश्र को डाटा तैयार करने का आग्रह किया। उनके नेतृत्व में पांच डाक्टरों की टीम ने प्रारंभिक सर्वे में पाया है कि नियमित गंगा स्नान और गंगाजल के सेवन से कोरोना संक्रमण का असर तनिक भी नहीं है। इस शोध को इंटरनेशनल रिव्यू कमेटी के सामने रखा गया, उनके रिव्यू के बाद यह इंटरनेशनल जनरल ऑफ माइक्रो बायोलाजी में प्रकाशित हुआ। याचिका में कहा है कि डाक्टरों की टीम ने 617 लोगों पर रिसर्च किया। इसमें से 317 लोगों को गंगा जल दिया गया। जिनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव रही। फिर गंगोत्री से लिए गए गंगाजल से नोजल स्प्रे तैयार किया गया। फिर पूरा डाटा इथिक्स कमेटी को भेज कर क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी, किंतु कोई निर्णय नही लिया गया।
वायरो फेज थिरेपी से कोरोना को खत्म करने का दावा

बीएचयू के डाक्टरों का दावा है कि वायरो फेज थिरेपी से कोरोना का खात्मा किया जा सकता है।

अभी तक जितनी भी वैक्सीन है वे वायरस को डी ऐक्टीवेट करती है जब कि गंगा जल से प्रस्तावित नोजल स्प्रे वायरस को मार देता है। बीएचयू के डाक्टरों की टीम ने आइसीएमआर व आयुष मंत्रालय को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति के लिए शोध प्रस्ताव भेजा, लेकिन उनकी ओर से कोई रुचि नहीं ली गई और पहले इसे जानवरों पर प्रयोग की बात कही गई। याचिका मे मांग की गयी है कि आयुष मंत्रालय व आइसीएमआर को डा वी एन मिश्र की टीम को क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति देने का समादेश जारी किया जाय। तथा पुणे के वायरोलाजी लैब मे गंगा जल से तैयार स्प्रे का टेस्ट कराया जाय।

एनएमसीजी को सौंपे है सभी शोध पत्र

याची अरुण कुमार गुप्ता ने 28अप्रैल 2020 को सभी शोधपत्र नेशनल क्लीन गंगा मिशन (एनएमसीजी) को भेजा है। महानिदेशक आइसीएमआर को भी देकर क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग की है। याची गंगा प्रदूषण मामले में जनहित याचिका मे एमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) है। वह गंगा की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। ऐसी ही रिपोर्ट भरत झुनझुनवाला ने भी भेजी है

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