उत्तराखंड कोरोना पहली जुलाई:नये केस 124,एक मौत,244 हुए ठीक

उत्तराखंड में कोरोना: 24 घंटे में मिले 124 नए संक्रमित, एक की मौत, 244 मरीज हुए स्वस्थ

देहरादून 01 जुलाई। बीते 24 घंटे में एक कोरोना मरीज ने उपचार के दौरान दम तोड़ा है। जबकि 244 मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया।

प्रदेश में गुरुवार को 124 लोग संक्रमित मिले हैं और एक मरीज की मौत हुई है। जबकि 244 मरीज स्वस्थ हुए हैं। 1966 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है। अब कुल संक्रमितों की संख्या 340379 हो गई है।

हरिद्वार जिले में 11, देहरादून में 31, नैनीताल में 12, टिहरी में 3, पिथौरागढ़ में 25, उत्तरकाशी में 7, ऊधमसिंह नगर में 4, चंपावत में 7, रुद्रप्रयाग में 5, पौड़ी में 5, बागेश्वर में 6, चमोली में 7, अल्मोड़ा जिले में 3 संक्रमित मिले हैं।

बीते 24 घंटे में एक कोरोना मरीज ने उपचार के दौरान दम तोड़ा है। जबकि 244 मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। इन्हें मिला कर अब तक 325253 मरीज संक्रमण को मात दे चुके हैं। वर्तमान में प्रदेश की रिकवरी दर 95.56 प्रतिशत और संक्रमण दर 6.13 प्रतिशत दर्ज की गई है।

राहत : ब्लैक फंगस के 4 नए मरीज, 3 की मौत
प्रदेश में गुरुवार को ब्लैक फंगस के चार नए मामले सामने आए और तीन मरीजों की मौत हुई है। वहीं, तीन मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 499 मरीज मिल चुके हैं, जबकि 98 मौतें हो चुकी है

AIIMS निदेशक रविकांत का दावा, चार साल तक नहीं जाएगा कोरोना

कोरोना संक्रमण को लेकर एम्स ऋषिकेश के निदेशक ने बड़ा दावा किया है. प्रोफेसर रविकांत ने कहा कि अभी चार साल तक कोरोना देश से नहीं जाएगा.
कोरोना संक्रमण (corona infection) को लेकर एम्स ऋषिकेश निदेशक प्रोफेसर रविकांत (AIIMS rishikesh Director Professor Ravikant) ने बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि कोरोना अभी चार साल तक हिंदुस्तान में रहने वाला है. एम्स निदेशक के मुताबिक कोई भी महामारी (Epidemic) दुनिया में आती है, तो वह चार साल रहती ही है. इससे बचने का सिर्फ एक तरीका है, वैक्सीनेशन और सावधानी (Vaccinations and Precautions). ऐसा नहीं किया गया तो कोरोना की लहर (corona wave) आती ही रहेगी.

दरअसल, यह दावा निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने विश्व चिकित्सक दिवस (world doctors day) पर एम्स में आयोजित कार्यक्रम के दौरान किया. उनका मानना है कि वैक्सीनेशन के बगैर इस संक्रमण को खत्म ही नहीं किया जा सकता है. इसमें कोरोना से बचाव के नियमों (Corona prevention rules) का भी सख्ती से पालन जरूरी है. उन्होंने बताया कि यह दोनों काम कोई भी व्यक्ति कर लेता है तो उसे न अस्पताल और न ही आईसीयू की जरूरत पड़ेगी.चार साल तक नहीं जाएगा कोरोना.

उनके मुताबिक वैक्सीनेश के बाद अगर संक्रमण होगा भी है तो यह सामान्य खांसी-जुकाम की तरह निकल जाएगा. लेकिन वैक्सीनेशन को लेकर कोताही बरती जाएगी तो कोरोना की लहर दर लहर आती रहेगी. प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन की इजाजत (vaccination permit) मिली है. अभी पांच साल के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन को लेकर रिसर्च जारी है. इसके परिणाम सामने आने के बाद उनका भी टीकाकरण किया जा सकेगा.उन्होंने यह भी बताया कि अगर माता-पिता दोनों वैक्सीन लगाते हैं, तो उनके बच्चों को कोरोना छू भी नहीं सकता है. कॉलेज में शिक्षक वैक्सीनेट होंगे, तो स्टूडेंस तक संक्रमण नहीं पहुंचेगा. लिहाजा, वैक्सीन और सावधानी कोरोना से बचाव के लिए बेहद जरूरी है. इसमें किसी भी व्यक्ति को जरा सी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए

कोरोना टेस्ट से बचने के लिए ‘डग्गामार’ का सहारा,उत्तराखंड परिवहन को भारी नुकसान

कोविड टेस्टिंग से बचने के लिए यात्री डग्गामार बसों का सहारा ले रहे हैं. जिससे उत्तराखंड परिवहन को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.
उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) की बसों में भले ही सौ फीसदी यात्री के साथ सफर करने की अनुमति मिल गई हो, लेकिन रोडवेज बसों का संचालन (operation of roadways buses) सुचारू होने के बावजूद यात्री कोविड-19 टेस्ट (covid-19 test)से बचने के लिए डग्गामार बसों (Duggamar Buses) का सहारा ले रहे हैं. जिसकी वजह से उत्तराखंड परिवहन विभाग को राजस्व का भारी नुकसान (huge loss of revenue) हो रहा है.

देहरादून से 175 रोडवेज बसों का संचालन

देहरादून आईएसबीटी (Dehradun ISBT) से दिल्ली, यूपी, हिमाचल और चंडीगढ़ के लिए करीब 175 से अधिक बसों का संचालन होता है. इसके बावजूद उत्तराखंड रोडवेज (Uttarakhand Roadways) की बसों में यात्रियों की कमी देखी जा रही हैं. ऐसे में कोविड टेस्टिंग से बचने के लिए यात्री द्वारा डग्गामार बसों का सहारा लेने का ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया.

ISBT में अधिकांश रोडवेज बसें खाली

देहरादून आईएसबीटी में खड़ी उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों (Uttarakhand Transport Corporation buses) के चालक परिचालक को सुबह से लेकर शाम तक यात्रियों का इंतजार रहता है, लेकिन आलम यह है कि अलग-अलग राज्यों को जाने वाली दर्जनों बसे खाली खड़ी हैं. बस चालकों के मुताबिक मुश्किल से दिन भर में 40 फीसदी से भी कम यात्री उत्तराखंड की बसों में सफर कर रहे हैं.

परिवहन निगम को घाटा

ऐसे में पहले से ही करोड़ों के घाटे से जूझ रहे परिवहन निगम को लगातार राजस्व का नुकसान हो रहा है. रोडवेज बस चालक और परिचालक की मानें तो इसकी मुख्य वजह कोरोना गाइडलाइन (corona guideline) में यात्रियों का टेस्टिंग (testing of passengers) होना है. बता दें कि सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में यात्रियों को सफर के लिए कोविड टेस्टिंग (covid testing) कराना जरूरी है. वहीं, दूसरी तरफ गाइडलाइन को दरकिनार कर ISBT के बाहरी इलाकों से दर्जनों डग्गामार बसें बिना कोविड-19 टेस्टिंग के ही यात्रियों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल जैसे राज्यों में पहुंचा रहे हैं.

RTO और पुलिस की मिलीभगत

ऐसे यात्री परिवहन की बसों को छोड़ डग्गामार बसों से सफर (Travel by Daggamar Buses)कर रहे हैं. रोडवेज अधिकारियों, चालक और परिचालक की माने तो परिवहन निगम को घाटा पहुंचाने का यह सारा खेल आरटीओ और पुलिस की मिलीभगत से चल रहा है. क्योंकि कई बार शासन प्रशासन को मामले से अवगत कराने के बावजूद इस पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है.डग्गामार बसों के एजेंट सक्रिय
प्रवीण बडोनी ने बताया कि आईएसबीटी के बाहर लगभग 50 से अधिक डग्गामार बसों के एजेंट सुबह से रात तक गुपचुप तरीके से यात्रियों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल और हरियाणा अधिक किराया वसूल कर पहुंचा रहे हैं. इससे ना सिर्फ उत्तराखंड परिवहन निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार की कोरोना गाइडलाइंस का भी जमकर उल्लंघन हो रहा है. इसके बावजूद भी शासन प्रशासन कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है.प्रतिदिन 250 यात्रियों का कोरोना टेस्टिंग
स्वास्थ्य चिकित्सा कर्मचारी (health medical staff) की माने तो पूरे दिन में लगभग 200 से 250 यात्रियों का रैपिड कोरोना टेस्ट किया जा रहा है. पहले यात्रियों के आधार कार्ड और उनके नाम पता का डिटेल रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है. वहीं, टेस्टिंग की रिपोर्ट 1 हफ्ते से अधिक समय के बाद दी जा रही है.

परिवहन निगम को 208 करोड़ का नुकसान

उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी अशोक चौधरी की माने तो 2020 मार्च से कोरोना महामारी (corona pandemic) के चलते पूरे बसों का सही से संचालन नहीं हो पा रहा है. जिससे 2020 में परिवहन निगम को 168 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा हुआ. वहीं 2021 में पिछले 6 महीनों में 40 करोड़ से अधिक का घटा निगम को हुआ है. उन्होंने कहा कि जब तक एक बस में 70 फीसदी यात्री सफर नहीं करते. तब तक बसों के संचालन का खर्चा निकालना मुश्किल होता है. कुमाऊं गढ़वाल से दिल्ली, यूपी सहित अन्य जगहों के लिए अभी तक 125 परिवहन निगम की बसों का संचालन किया जा रहा था, लेकिन आज से चंडीगढ़ रूट खुलने की से 50 अतिरिक्त बसों का संचालन मार्ग पर किया जा रहा है।

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