बाप-भाई ने ही काटा था सानिया कुरैशी का गला, छोटी जाति के वसीम से करती थी प्यार

उत्तर प्रदेश में मेरठ में “सैफी” युवक के साथ भागने के कारण “कुरेशी” जाति के आदमी ने अपनी ही बेटी का सिर काटा!

Sonali Mishra

जब भी जातिवाद की बात आती है तो मुस्लिम से लेकर ईसाई एवं कथित बुद्धिजीवियों का जोर केवल इस बात पर होता है कि हिन्दुओं में कितना जातिवाद है और हिन्दुओं में दमन कितना है, फिर इसके लिए उन्हें कितनी भी झूठी कहानी क्यों न बनानी पड़े। जैसे राजस्थान के जालोर में हुई घटना के विषय में हमने देखा था। जहाँ पर जाति सम्मिलित थी भी नहीं, और उसे जाति का मामला बना दिया था। आखिर क्यों?

केवल इसलिए जिससे हिन्दुओं को विमर्श के स्तर पर पराजित कर दिया जाए, केवल इसलिए कि यह बताया जाए कि अब तक हिन्दुओं में जातिगत भेदभाव हैं, परन्तु समस्या यह है कि यही लोग तब चुप्पी साध जाते हैं जब जातिगत मामलों में सवर्ण पीड़ित होता है, और जब मुवावजे के लिए झूठे मामलों में लोगों को फंसाया जाता है। जैसा समय समय पर कई रिपोर्ट्स ने उजागर भी किया है।

परन्तु एक और क्षेत्र है, जहाँ पर यह कथित जातिवादी और सुधारक लोग मौन धारण करते हैं, और वह है मुस्लिमों में जाति व्यवस्था और उसके कारण होने वाली हत्याएं। हत्याओं की सजा तो क़ानून देगा ही, परन्तु विमर्श के स्तर पर जो हिन्दुओं की हत्या होती है उसका क्या? उसकी सजा कौन देगा? और हिन्दुओं को बदनाम करने की सजा कौन देगा? स्पष्ट है कोई नहीं!

जालोर में जहाँ पर जातिवाद नहीं था, वहां पर मीडिया पहुँच गयी थी अपना कैमरा लेकर, जहाँ पर जातिगत कोई भी नहीं था, वहां पर जातिवाद का कार्ड खेला गया और मेरठ में जहाँ पर एक मुस्लिम आदमी ने अपनी बेटी की हत्या केवल इसलिए कर दी थी कि वह अपनी पसंद के लड़के से निकाह करना चाहती थी और लड़का उनकी “बिरादरी” का नहीं था।

लड़की सानिया कुरैशी थी तो वहीं लड़का सैफी था।

मेरठ में एक सिर कटी लाश मिलने से सनसनी फ़ैल गयी थी।

12 अगस्त को मेरठ में एक लड़की की सिर कटी लाश मिली थी, जिसे देखकर सब हैरान रह गए थे

मगर अब पता चला है कि यह क़त्ल और किसी ने नहीं बल्कि उसके अब्बू ने ही किया था। अर्थात वह अपने परिवार की ही साजिश का शिकार हुई थी। और उसका यह हाल किसी बड़े पाप के चलते नहीं हुआ था, उसके साथ यह इसलिए किया गया क्योंकि उसने अपनी “जात-बिरादरी” से बाहर के वसीम से निकाह करने की ख्वाहिश जाहिर की थी।

रिपोर्ट के अनुसार सानिया के अब्बू ने पुलिस को बताया कि18 साल की सानिया अपने प्रेमी से शादी करना चाहती थी। मगर, युवक के गैर बिरादरी का होने के कारण उन्हें रिश्ता पसंद नहीं था। इसलिए बेटी की हत्या कर दी। पुलिस उन तक नहीं पहुंच सके, इसलिए धड़ को लक्खीपुरा नाले में फेंक दिया। सिर को साइकिल से ले जाकर अंजुम पैलेस के पास नाले में फेंका।

उसके अब्बा ने सारी बात बताई है कि सानिया वसीम से निकाह करना चाहती थी, जो उनकी जात का नहीं था और वह सानिया को समझाते थे कि वह उसका साथ छोड़ दे। सानिया की हत्या से पहले उसने खुद ही खुद को मारने की कोशिश की थी।

सानिया के घर वाले उसका निकाह रिश्तेदारी में बुआ के बेटे से करना चाहते थे, मगर सानिया वसीम से ही निकाह करने पर अड़ी थी। जब सानिया नहीं मानी तो उसके अब्बा ने उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाई। भास्कर के अनुसार उसके अब्बा ने बताया कि उसके पांच बच्चों में सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है, और वह माँ बनने वाली है। तो सबसे पहले उसे अस्पताल में भर्ती कराया, और बीवी को भी अस्पताल में छोड़ दिया। उसके बाद तीनों बेटे और सानिया घर पर रह गए। वह जमात के बहाने बाहर चला गया, मगर वापस आ गया और अपने बेटे को पूरी बात समझाई, इज्जत की खातिर वह भी साथ देने के लिए तैयार हुआ!

“हमारे पास जानवर काटने वाला चाकू है। मैं उसी चाकू को लेकर घर के अंदर आया। सानिया सो रही थी। अजीम ने सानिया को कसकर पकड़ लिया और मैंने उसका सिर एक वार में ही काट दिया। इसके बाद सिर और धड़ को साइकिल से ले गया। रास्ते में सिर और धड़ को अलग-अलग नाले में फेंक दिया। फिर हम बाप-बेटा घर लौट आए और सो गए​।“

यह कहानी है उस सानिया की जिसे केवल इश्क करने की सजा मिली। जिसने और कोई गुनाह नहीं किया था, बस अपने मन की ज़िन्दगी जीना चाहा था, परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि उसे ऐसी खौफनाक मौत मिली, जो उसने कभी भी नहीं सोची होगी।

उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि सानिया जैसी न जाने कितनी लड़कियों की चीखें, दब कर रह जाती हैं, क्योंकि उनकी हत्याएं न ही अम्बेडकर वाले जाति विमर्श का हिस्सा बन पाती हैं, न ही वाम दलों द्वारा समर्थित फेमिनिस्ट आन्दोलन में अपना स्थान पा पाती हैं और न ही कथित पसमांदा आन्दोलन में ही आवाज उठाई जाती है, इतना ही नहीं, भीम-मीम वाले भी मौन है!

सानिया जैसी हत्याएं यह बताती हैं कि विमर्श के स्तर पर ऐसी हत्याओं को सामने लाने का और खून के पाक होने वाली अवधारणा पर बात करना कितना जरूरी है? कितना जरूरी है कि जब जो यह बताएं कि हिन्दुओं में जातिवाद है, हिन्दू अपनी छोटी सोच से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं, तो उसके समानांतर यह भी विमर्श हो कि कैसे एक सैफी से निकाह न करने देने की जिद्द के चलते एक कुरैशी अपनी ही बेटी का सिर काट सकता है!

परन्तु विमर्श के स्तर पर उसे न्याय नहीं मिलता, यही दुर्भाग्य है, यही विडंबना है!

परन्तु उससे भी अधिक विडंबना यह है कि आधिकारिक आंकड़ों के बाद, जिनमें यह स्पष्ट कहा गया है कि मुस्लिमों में जातिवाद है और यह वही सबसे ज्यादा हैं जो बिरादरी से बाहर निकाह नहीं चाहते हैं.

pewresearch की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार 74% मुस्लिम यह नहीं चाहते हैं कि उनके घर की औरतें उनकी जात-बिरादरी से बाहर निकाह करें, जो मेरठ में मुस्लिम अब्बू ने किया वह किसी “पिता” ने किया होता तो मीडिया का दृष्टिकोण और विमर्श की दिशा क्या होती, इसकी कल्पना ही करनी असंभव नही।

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पुलिस की हिरासत में मोहम्मद शाहिद

मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन मैं कामयाब नहीं रहा। वह अपने प्रेमी से मिलने की जिद लेकर बैठी थी। मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। उसने हमें बदनाम किया था और मैंने उसे खत्म कर दिया। जिसे हमारी इज्जत की फ़िक्र नहीं,हम उसकी परवाह क्यों करें? ये शब्द हैं उस बेरहम बाप के जिसने अपनी बेटी का सिर धड़ से अलग कर उसे मौत के घाट उतार दिया। उसका कसूर बस इतना था कि वह अपने पसंद के लड़के से शादी करना चाहती थी। आइए अब आपको पूरा मामले की तह तक ले चलते हैं..

दरअसल मेरठ में रिश्तों के कत्ल की सनसनीखेज कहानी सामने आई है। पांच दिन पहले लखीपुरा स्थित कब्रिस्तान के पास मिले युवती के सिर कटी लाश बरामद हुई थी जिसका पुलिस ने खुलासा कर दिया है। युवती का हत्यारा कोई और नहीं पिता और भाई ही निकला। पिता और भाई ने मिलकर सानिया की गर्दन काट कर हत्या कर दी थी। सानिया की सिर कटी लाश कब्रिस्तान के पास मिली थी।

हत्या का राज खुला दंग रह गए लोग

12 अगस्त को मेरठ के लिसाड़ी गेट के न्यू इस्लामनगर में लक्खीपुरा नाले के पास एक युवती की सिरकटी लाश मिली थी। पुलिस की टीम लाश की पहचान में लगी थी। पता चला कि सिरकटी लाश लिसाड़ी गेट के शालीमार गार्डन की गली नंबर-3 निवासी सानिया की है। टीम सानिया के घर जांच को पहुंची। हत्या का रहस्य खुलने पर मोहल्ले के लोग भी सन्न रह गए।

घर से भाग गए थे सानिया और वसीम

शाहिद ने बताया कि सात महीने पहले उसका परिवार मेरठ की शहजाद कालोनी में रहता था। पड़ोस में इमरान रहता था। इमरान का बेटा वसीम और सानिया प्यार करने लगे। सानिया और वसीम शादी को घर से भाग गए थे। घर लाकर सानिया को समझाया लेकिन वह नहीं मानी। शाहिद परिवार को लेकर शालीमार गार्डन में आकर रहने लगा। सानिया और वसीम वहां भी मिलने लगे।

‘मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था’

सानिया के कातिल पिता शाहिद कुरैशी ने कहा, ‘मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन मैं कामयाब नहीं रहा। वह अपने प्रेमी से मिलने की जिद लेकर बैठी है। मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। उसने हमें बदनाम किया और मैंने उसे खत्म कर दिया।  शाहिद की पत्नी शहनाज़ ने कहा, ‘मुझे इसके बारे में पता नहीं था। मैं हत्या के समय अस्पताल में थी, अपनी दूसरी बेटी की देखभाल कर रही थी जिसका ऑपरेशन होना था।

वसीम से शादी की जिद पर अड़ी थी सानिया

पूछताछ में कातिल पिता शाहिद ने बताया कि, 18 साल की सानिया अपने प्रेमी से शादी की जिद पर अड़ी थी। लेकिन युवक गैर बिरादरी का होने से उन्हें रिश्ता पसंद नहीं था। इसलिए बेटी मार डाली। पुलिस उन तक न पहुंचे इसलिए धड़ लक्खीपुरा नाले के पास फेंका था। जबकि सिर अंजुम पैलेस के पास नाले में फेंका था। आरोपित पिता ने बताया कि वसीम सैफी बिरादरी से है, लेकिन हम लोग कुरैशी हैं। वसीम कुछ काम भी नहीं करता। हमने सानिया को खूब समझाया। लेकिन वह नहीं मानी।

बाप ने बनाया हत्या का प्लान

पिता ने बताया कि, इसके बाद रिश्तेदारी से लेकर मोहल्लेवालों तक को सानिया और वसीम के अफेयर का पता चल गया। बदनामी से हमने मोहल्ला छोड़ दिया और शालीमार गार्डन में आकर रहने लगे। इसके बाद भी सानिया और वसीम मिलते थे। कातिल पिता ने बताया कि, बड़ी बेटी गर्भवती है। पहले उसे अस्पताल में भर्ती कराया। बेटी के साथ पत्नी को भी अस्पताल में ही छोडा। घर तीन बेटे और सानिया रह गए थे। मैं भी जमात के बहाने घर से बाहर चला गया था।

देर रात में चाकू से किया था सिर धड़ से अलग

इस बीच तीनों बेटों और सानिया को लगा कि मैं जमात में गया हूं तो सुबह तक नहीं आऊंगा। लेकिन मैं देर रात घर आया। मैंने बड़े बेटे अजीम को उठाया और उसे घर के बाहर ले जाकर पूरा प्लान समझाया। इज्जत की दुहाई पर वह राजी हो गया। रात में सानिया का सिर एक वार में धड़ से अलग कर हत्या कर दी। एसओजी प्रभारी रामफल सिंह ने बताया कि, बेटी के प्रेम-प्रसंग के चलते पिता और भाई ने ही उसकी गर्दन काटकर हत्या की थी। भाई की निशानदेही पर युवती के सिर की नाले में तलाश की गई है। शाहिद की निशानदेही पर बकरीद पर कुर्बानी वाला चाकू बरामद कर लिया है।

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  सूरत में प्रेमी के साथ भागने से नाराज पिता ने ऊंच-नींच के नाम पर बेटी को जिंदा जलाकर मार डाला

एक बार फिर देश के दो अलग-अलग हिस्से ऑनर किलिंग से दहल उठे।जन्म देने वाले पिता ने ही अपनी बेटी को मौत के घाट उतार दिया। गुजरात के सूरत में ऑनर किलिंग के नाम पर प्रेमी के साथ भागने से नाराज पिता ने अपनी बेटी को जिंदा जलाकर मार डाला।
एक बार फिर देश के दो अलग-अलग हिस्से ऑनर किलिंग से दहल उठे।जन्म देने वाले पिता ने ही अपनी बेटी को मौत के घाट उतार दिया। गुजरात के सूरत में ऑनर किलिंग के नाम पर प्रेमी के साथ भागने से नाराज पिता ने अपनी बेटी को जिंदा जलाकर मार डाला।

एक बार फिर देश के दो अलग-अलग हिस्से ऑनर किलिंग से दहल उठे।जन्म देने वाले पिता ने ही अपनी बेटी को मौत के घाट उतार दिया। गुजरात के सूरत में ऑनर किलिंग के नाम पर प्रेमी के साथ भागने से नाराज पिता ने अपनी बेटी को जिंदा जलाकर मार डाला। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर पिता को गिरफ्तार कर लिया है।

20 साल की रुबीना शेख ने जावेद से मोहब्बत की थी। रुबीना, जावेद को दिलो-जान से चाहती थी। उसके साथ घर बसाना चाहती थी। जिंदगी भर सुख-दुख में साथ निभाना चाहती थी, लेकिन रुबीना की ये तमन्ना नहीं पूरी हो सकी। वो अपने सपने को हकीकत में बदल पाती उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।

झूठी इज्जत के नाम पर रुबीना का इस दुनिया से नामों-निशान मिटा दिया गया। बेटी की हत्या का आरोपी पिता अब पछताने की बात कर रहा है। मुहम्मद शेख की बेटी रुबीना घर के पड़ोस में ही रहने वाले जावेद से मोहब्बत करती थी। दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे।

लेकिन रुबीना और जावेद की ख्वाहिश उसके परिवार वालों को मंजूर नहीं थी, उन्होंने दोनों की शादी से साफ इनकार कर दिया। कोई रास्ता नहीं निकलता देख जावेद और रुबीना को सिर्फ एक ही रास्ता नजर आया। दोनों ने शादी करने के लिए घर छोड़ दिया। दोनों का ये फैसला दोनों परिवारों को नागवार गुजरा। खासकर रुबीना के पिता को लगा कि बेटी के इस फैसले से समाज में उनकी बहुत बेइज्जती हो रही है।

इस दौरान रुबीना और जावेद को घर वापस बुलाने के लिए दोनों परिवारों ने समझौता कर लिया। दोनों परिवारों ने फैसला किया कि जावेद और रुबीना की पूरे रीति-रिवाज से शादी करा दी जाएगी। जब ये खबर रुबीना और जावेद को पता लगी तो दोनों खुशी-खुशी अपने घर लौट आए। लेकिन रुबीना के घर में एक खतरनाक साजिश उसका इंतजार कर रही थी। रुबीना के पिता के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। जिस दिन रुबीना घर लौटी वो दिन उसकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ।

उसे घर में आए चंद ही मिनट बीते होंगे तभी उसके पिता उसके करीब आए। पिता के हाथ में पेट्रोल का केन था। अचानक पिता ने रुबीना के शरीर पर पेट्रोल छिड़कना शुरू कर दिया। रुबीना को समझ में नहीं आया कि उसके पिता क्या कर रहे हैं? तभी मुहम्मद शेख ने माचिस की तिली जलाई और बेटी के ऊपर फेंक दी। बेटी धूं-धूकर जल उठी। बेटी ने भागना चाहा लेकिन पिता ने उसे पकड़ लिया। इस कोशिश में मुहम्मद शेख के हाथ जल गए। मां भी बेटी को बचाने के लिए दौड़ी, लेकिन वो भी आग की लपटों में आ गई। रुबीना की मां को जख्मी हालत में अस्पताल में दाखिल कराया गया, लेकिन रुबीना को नहीं बचाया जा सका और उसकी मौत हो गई।

पुलिस ने रुबीना के पिता को गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर सी के पटेल के मुताबिक लड़की के पिता मुहम्मद शेख को दोनों का घर से भागना पसंद नहीं था। 5 दिन पहले दोनों भाग गए थे फिर लड़की के बाप ने लड़की को मैसेज दिलवाया कि वापस आ जाओ तो शादी करवा देंगे। दोनों वापस घर लौट आए।

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