कृषि कानून वापस लिए तो अगले 50 साल कोई उम्मीद नहीं:सुको समिति

SC की कमेटी के सदस्य बोले- कृषि कानून वापस लिए गए तो 50 सालों तक कोई सरकार इसे छूने की हिम्मत नहीं करेगी
कमेटी ने साफ़ किया कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को भी बातचीत का न्योता दिया जाएगा. सदस्यों ने किसानों से अपील की है कि वो बातचीत के लिए ज़रूर आएं.
नई दिल्ली: अगर कृषि क़ानूनों को वापस लिया गया तो अगले पचास सालों तक कोई भी सरकार कृषि क़ानूनों को छूने की हिम्मत नहीं कर पाएगी और किसान मरता रहेगा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि क़ानूनों पर गठित कमेटी के सदस्य अनिल घनवत ने ये बड़ा बयान दिया है. आज हुई कमेटी की पहली बैठक में 21 जनवरी से किसानों से बातचीत शुरू करने का फ़ैसला किया गया.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की मंगलवार को पहली बैठक हुई. चार सदस्यीय कमेटी में से एक सदस्य ने अपना नाम वापस ले लिया था, लिहाज़ा बाक़ी बचे तीनों सदस्य बैठक में शरीक हुए. कमेटी के सदस्य और किसान नेता अनिल घनवत ने बैठक के बाद एक बड़ा बयान दिया. घनवत ने कहा कि पिछले 70 सालों से किसानों की हालत में कोई सुधार नहीं आया है ये सभी मानते हैं और इसलिए क़ानून में बदलाव की ज़रूरत है. धनवत ने कहा कि वो भी क़ानूनों को पूरा ठीक नहीं मानते हैं, लेकिन किसानों को अपनी शिकायतें कमेटी के सामने रखनी चाहिए.
अनिल घनवत ने कहा, “ये तो तय है कि अभी तक किसानों को लेकर जो नीतियां और क़ानून रहे हैं, वो नाकाफ़ी हैं क्योंकि अगर ऐसा होता तो 4.5 लाख किसान आत्महत्या नहीं करते. कुछ बदलाव की ज़रूरत तो है. अगर ये क़ानून वापस होते हैं, तो अगले 50 सालों तक कोई भी सरकार या पार्टी ऐसा करने की हिम्मत और धैर्य नहीं दिखा पाएगी और किसान मरता रहेगा.”

आज की बैठक में कमेटी के तीनों सदस्य, अशोक गुलाटी, प्रमोद जोशी और अनिल घनवत मौजूद थे. बैठक में फ़ैसला लिया गया कि 21 जनवरी से कमेटी किसानों से बातचीत शुरू कर देगी. किसानों के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों समेत सभी स्टेकहोल्डर्स से बात की जाएगी. कमेटी एक पोर्टल बना रही है, जिसपर कोई भी किसान व्यक्तिगत तौर पर भी अपनी राय दे सकेगा. कमेटी दिल्ली से बाहर भी क्षेत्रवार दौरा करेगी, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचा जा सके.

कमेटी ने साफ़ किया कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को भी बातचीत का न्योता दिया जाएगा. सदस्यों ने किसानों से अपील की है कि वो बातचीत के लिए ज़रूर आएं.

आंदोलन कर रहे किसान प्रतिनिधियों ने कमेटी का विरोध करते हुए इसकी बैठकों में नहीं जाने का एलान किया है. ऐसे में सूत्रों का कहना है कि अगर विरोध कर रहे किसान बातचीत के लिए कमेटी के सामने नहीं आते हैं, तो कमिटी के सदस्य सिंघु बॉर्डर जाने पर विचार कर सकते हैं. हालांकि इसपर बाद में फ़ैसला लिया जाएगा.

आपको बता दें कि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 20 जनवरी यानी कल 10वीं दौर की बैठक होनी है. इससे पहले नौ बार किसान प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच कृषि कानूनों पर चल रहे गतिरोध को खत्म करने को लेकर बैठकें हुईं, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं. किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर कायम हैं.

कृषि कानूनों पर SC की समिति ने बैठक के बाद कहा – पहले हमारी विचारधारा क्या थी, उससे फर्क नहीं पड़ता

सुप्रीम कोर्ट की ओर कृषि कानूनों पर बनाई गई समिति ने मंगलवार को अपनी पहली बैठक ली है, जिसके बाद 21 जनवरी को किसान संगठनों से मिलने की घोषणा की गई है.

कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए बनी समिति ने मंगलवार को की पहली बैठक.

कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति ने मंगलवार को अपनी पहली बैठक की है. समिति के सदस्यों ने लगभग दो घंटे चली बैठक के बाद मीडिया को संबोधित किया और घोषणा की कि समिति के सदस्य 21 जनवरी को किसानों से मुलाकात करने वाले हैं. सदस्यों ने बताया कि इस मीटिंग में इसपर भी चर्चा की गई कि यह समिति कैसे काम करेगी. समिति के सदस्यों ने यह भी कहा कि ‘कानूनों पर पहले उनकी विचारधारा क्या थी, इससे चर्चा पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.’
समिति के सदस्य अनिल घनवट ने कहा, ‘हमारी पहली मीटिंग के बाद पहली बार मीडिया से मिल रहे हैं. हमने यह समिति कैसे काम करेगी, उस पर चर्चा की है. हमें सभी किसान संगठनों से बात करनी है, जो समर्थन में हैं या ख़िलाफ़ हैं. हमें सभी साझेदारों से बात करनी है कि वो क्या कह रहे हैं, क्या वो चाहते हैं कि कानून रद्द करें या रहे.’

उन्होंने कहा कि ‘हम सबको सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देंगे. 21 तारीख़ को हम किसानों से मिलेंगे. जो हमसे मिलकर बात करना चाहते हैं उनसे हम मिलेंगे, जो नहीं आ सकते उनसे VC के ज़रिए बात करेंगे.’ समिति के सदस्यों ने कहा कि ‘हम किसान संगठनों से आग्रह करते हैं कि वो आगे आएं और हमसे बात करें. हम किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं हैं.’
समिति के सदस्यों ने कहा कि ‘हमारी पहले विचारधारा क्या थी, उससे फर्क नहीं पड़ता है. हमें अब सुप्रीम कोर्ट को वो बताना कि क्या कह रहे हैं लोग. हम किसान संगठनों से जाकर भी बात करने की कोशिश करेंगे. हम पूरी कोशिश करेंगे. हम सरकार से भी बात करेंगे. हम सबकी बात सुनकर कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देंगे.’

समिति ने बताया कि वो एक वेबसाइट बना रही है, जिसपर वो लोगों से मुद्दे पर सुझाव मांगेगी.
किसान संगठनों और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत अब 20 जनवरी को होगी

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