फैक्ट चैक: प्राणनाथ लेखी नहीं थे गांधी हत्यारे नाथूराम गोडसे के वकील

Fact Check: बीजेपी नेत्री मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी ने नहीं की थी नाथूराम गोडसे की तरफ से पैरवी, फर्जी दावा हो रहा वायरल

हमारी पड़ताल में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के संबंध में वायरल किया जा रहा दावा पूरी तरह झूठा निकला है। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी का नाथुराम गोडसे के केस से कोई संबंध नहीं रहा है। प्रामाणित साक्ष्यों के मुताबिक नाथुराम गोडसे ने किसी भी तरह की काउंसल सहायता लेने से इनकार कर दिया था।

दिल्ली्30 जुुलाई। सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेत्री मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी को लेकर एक दावा वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि प्राणनाथ लेखी ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे की तरफ से कोर्ट में पैरवी की थी। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा पूरी तरह झूठा निकला है। प्राणनाथ लेखी का नाथुराम गोडसे के केस से कोई संबंध नहीं रहा है। प्रामाणित साक्ष्यों के मुताबिक नाथुराम गोडसे ने किसी भी तरह की काउंसल सहायता लेने से इनकार कर दिया था।

क्या हो रहा है वायरल

ट्विटर यूजर OfficeOfAdv ने 22 जुलाई को एक ट्वीट किया है। इसमें लिखा गया है, ‘महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को बचाने के लिये कोर्ट में झूठी दलीलें पेश करने वाला कोई और नहीं बल्कि भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी का ससुर था’। फैक्ट चेक के उद्देश्य से इस पोस्ट को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को  देखा जा सकता है।

  • पड़ताल

महात्मा गांधी के हत्या का मामला आजाद भारत के सबसे चर्चित आपराधिक मामलों में से एक रहा है। ऐसे में यह पूरा मामला अच्छे तरह से डॉक्युमेंटेड भी है। ऐसे में नाथूराम गोडसे और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी से जुड़े दावे की जांच के लिए हमने इंटरनेट पर ओपन सर्च किया। हमें सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर महात्मा गांधी से जुड़े केस की डिटेल मिली। एक आरटीआई के जवाब में साइट पर इससे जुड़ी जानकारी दी गई हैं। इस आरटीआई में पेज नंबर 5 पर जानकारी दी गई कि इस केस के लिए एक स्पेशल कोर्ट बनाई गई थी। इसमें स्पेशल जज के तौर पर जस्टिस आत्मा चरण थे। यहां सभी पक्षों के वकीलों के नामों की जानकारी दी गई है। इसे यहां नीचे देखा जा सकता है। इसमें कहीं भी गोडसे के किसी वकील का या प्राणनाथ लेखी के नाम का जिक्र नहीं है।

इंटरनेट पर सर्च के दौरान हमें www.mkgandhi.org वेबसाइट पर एक किताब मिली। इस किताब का नाम ‘द मर्डर ऑफ द महात्मा गांधी’ है। इसे पंजाब के चीफ जस्टिस रहे जीडी खोसला ने लिखा है। इन्होंने नाथूराम गोडसे मामले की भी सुनवाई की थी। इस किताब को जाइको पब्लिसिंग हाउस, मुंबई ने पब्लिश किया है। इस किताब के 19 वें पेज की चौथी लाइन में साफ तौर पर लिखा है कि नाथूराम गोडसे ने अपना पक्ष रखने के लिए वकील लेने से इनकार कर दिया था। इस किताब को यहां क्लिक कर विस्तार से पढ़ा जा सकता है।

इंटरनेट पर पड़ताल के दौरान हमें न्यूयॉर्क टाइम्स के वेबसाइट के आर्काइव में एक रिपोर्ट भी मिली। ये 18 मई 1985 को द टाइम्स के प्रिंट फॉर्म में छपी रिपोर्ट का डिजिटल वर्जन है। इसका शीर्षक NEW DELHI TRIAL STARTS FOR 3 IN GANDHI ASSASSINATION CASE था। यह रिपोर्ट भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के ट्रायल के शुरू होने को लेकर है। तब एडवोकेट प्राणनाथ लेखी ने सतवंत सिंह के लिए पैरवी की थी। इस रिपोर्ट में महात्मा गांधी हत्या मामले का भी जिक्र है। यहां भी बताया गया है कि नाथुराम गोडसे ने विधिक सहायता लेने से इनकार कर दिया है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।

हमारी अबतक की पड़ताल से यह साफ हो चुका था कि मीनाक्षी लेखी का ससुर प्राणनाथ लेखी का गोडसे के मामले से कोई संबंध नहीं है। हमने इस मामले पर और जानकारी के लिए बिहार स्थित जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और आधुनिक भारत के इतिहास के जानकार डॉक्टर रितेश्वर नाथ तिवारी से बात की। उन्होंने हमें बताया कि मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी का जन्म 1924 में हुआ था गांधी हत्या के समय उनकी उम्र मात्र 24 वर्ष थी। ऐसे में उनके इतने अहम केस से जुड़ने का दावा खुद में शंका पैदा करने वाला है। उन्होंने हमें बताया कि इसके अलावा महात्मा गांधी की हत्या का मामला किताबों में दर्ज है। डॉक्टर रितेश्वर ने जीडी खोसला की किताब ‘द मर्डर ऑफ द महात्मा गांधी’ का हवाला देते हुए यह भी बताया कि गोडसे ने अपने लिए विधिक सहायता भी नहीं ली थी। ऐसे में प्राणनाथ लेखी की तरफ से गोडसे की पैरवी का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने बताया कि प्राणनाथ लेखी ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और कई बार कारावास का सामना किया। वह कांग्रेस से जुड़े थे। पी एन लेखी ने इंदिरा गांधी की हत्या के आरोपियों में से एक सतवंत सिंह का भी प्रतिनिधित्व किया। संभव है कि इंदिरा गांधी के मुकदमे में वकील होने के कारण तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है।

हमने इस संबंध में बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी से उनके आधिकारिक ईमेल आईडी पर भी संपर्क किया। उनकी तरफ से जवाब आते ही इसे स्टोरी में अपडेट कर दिया जाएगा। हमने  इस वायरल दावे को शेयर करने वाले ट्विटर यूजर OfficeOfAdv की प्रोफाइल को स्कैन किया। यह प्रोफाइल अक्टूबर 2013 में बनाई गई है और फैक्ट चेक किए जाने तक इसके 32 हजार से अधिक फॉलोअर्स थे।

(With inputs from Vivek Tiwari)

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के संबंध में वायरल किया जा रहा दावा पूरी तरह झूठा निकला है। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी का नाथुराम गोडसे के केस से कोई संबंध नहीं रहा है। प्रामाणित साक्ष्यों के मुताबिक नाथुराम गोडसे ने किसी भी तरह की काउंसल सहायता लेने से इनकार कर दिया था।

Claim Review : प्राणनाथ लेखी ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे की तरफ से कोर्ट में पैरवी की थी।Claimed By : ट्विटर यूजर OfficeOfAdvFact Check

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