विवेचना:महामारी के बीच डॉ. जमील हटे कि हटाये गये

साइंटिस्ट डॉक्टर शाहिद जमील हटाये गये कि इस्तीफा:कोरोना से जंग की रणनीति तैयार करने वाले ग्रुप के चीफ थे, सरकार पर सबूतों की अनदेखी करने का आरोप लगाया
नई दिल्ली 17 मई। भारत के सार्स-कोविड जीनोम कंसोर्शियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के चीफ डॉक्टर शाहिद जमील ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को इस बारे में जानकारी दी है तो सरकारी सूत्र कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर जमील ने कुछ दिन पहले एजेंसी से कहा था कि भारत में अधिकारी सेट पॉलिसी में सबूतों की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं तो सूत्र उन्ही पर विफलता और कन्फ्यूजन का आरोप लगाते हैं।

डॉक्टर जमील ने आर्टिकल में जाहिर की थी परेशानियां

न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे एक आर्टिकल में डॉक्टर जमील ने कहा था कि भारत में वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पॉलिसी बनाने को लेकर अड़ियल रवैये का सामना कर रहे हैं। भारत के कोविड मैनेजमेंट में कई समस्याए हैं। इनमें कम टेस्टिंग, धीमी रफ्तार से वैक्सीनेशन और वैक्सीन की कमी शामिल है। इसके अलावा हेल्थकेयर वर्क फोर्स भी काफी ज्यादा चाहिए।
उन्होंने कहा था कि इन सभी उपायों को लेकर भारत में मेरे साथी वैज्ञानिकों का काफी समर्थन मिल रहा है, लेकिन उन्हें तथ्यों के आधार पर पॉलिसी बनाने को लेकर अड़ियल रवैये का सामना करना पड़ रहा है। 30 अप्रैल को 800 से ज्यादा भारतीय वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री से अपील की थी कि उन्हें डाटा मुहैया कराया जाए, ताकि वो वायरस के बारे में अंदाजा लगाने और उसे रोकने को स्टडी कर सकें।
डाटा के आधार पर फैसला न लेना एक और आपदा है, क्योंकि भारत में महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई है। हम जो जानें गंवा रहे हैं, वो कभी न मिटने वाला जख्म का निशान दे जाएगी।

मार्च में ही सरकार को चेताया था

रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में बताया था कि डॉक्टर जमील ने मार्च में ही चेतावनी दे दी थी कि भारत में नया और ज्यादा संक्रामक वायरस फैल रहा है। इस B.1.617 वैरिएंट की वजह से ही देश कोरोना की सबसे बुरी लहर से गुजर रहा है। जब न्यूज एजेंसी ने सवाल किया कि सरकार इन तथ्यों पर ज्यादा तेजी से काम क्यों नहीं कर रही है,इस पर डॉक्टर जमील ने कहा था कि हमें यह चिंता है कि अधिकारियों ने पॉलिसी सेट कर ली है और इसी के चलते वो सबूतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

कोरोना वेरियेंट ढूंढने वाले एक्सपर्ट ग्रुप के अध्यक्ष शाहिद जमील और सरकार के क्या थे मतभेद?

Naveen Kumar Pandey
देश के वरिष्ठ वायरॉलजिस्ट डॉक्टर शाहिद जमील के कोरोना पर गठित वैज्ञानिक सलाहकार समूह का अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद केंद्र सरकार की आलोचना हो रही है। कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि केंद्र के इसी रवैये के कारण आज देश कोरोना की दूसरी लहर झेल रहा है।

हाइलाइट्स:
डॉक्टर शाहिद जमील कोरोना पर बने वैज्ञानिक सलाहकार समूह का अध्यक्ष पद से हट गए हैं
वो देश में आई कोरोना की दूसरी लहर को लेकर सरकार की कड़ा आलोचना कर रहे थे
हालांकि अभी इसकी जानकारी नहीं है कि जमील ने खुद यह पद छोड़ा है या उन्हें हटाया गया है।

वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी (Virologist) शाहिद जमील इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टिया के वैज्ञानिक सलाहकार समूह (INSACOG) के अध्यक्ष पद से हट गए हैं। केंद्र सरकार ने इस समूह का गठन कोरोना वायरस के जीनोमिक वेरियेंट्स का पता लगाने को किया है।

सरकार की आलोचना कर रहे थे जमील

जमील ने इंसाकॉग का अध्यक्ष पद छोड़ दिया है या फिर सरकार ने ही उन्हें हटाया है, इसकी स्पष्ट जानकारी तो नहीं मिल पा रही है और ना ही इसके कारण का ही पता चल पाया है। हालांकि, वो भारत में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर सरकार की काफी आलोचना कर रहे थे। उन्होंने देश-विदेश के अखबारों में लेख लिखकर भी सरकार पर सही वक्त पर उचित कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया। जमील अशोक यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के डायरेक्टर हैं। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष इन्साकॉग का गठन करके उसे 10 प्रयोगशालाएं सौंप दी ताकि कोरोना के वेरियेंट्स पर विस्तृत और सटीक अध्ययन किया जा सके।

कांग्रेस ने केंद्र पर साधा निशाना

बहरहाल, जमील के वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष पद से हटने पर विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि जमील को देश का सर्वोत्तम विषाणु वैज्ञानिक का तमगा देते हुए उनके इस्तीफे को दुखद बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, “देश के सर्वोत्तम विषाणु वैज्ञानिक डॉक्टर शाहिद जमील का इस्तीफा वाकई दुखद है। मोदी सरकार में वैसे प्रोफेशनल्स की कोई जगह नहीं है जो बिना डर या पक्षपात के बेबाक राय रखते हैं।”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश का ट्वीट।

कांग्रेस की ही राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर शमा मोहम्मद लिखती हैं, “वायरॉलजिस्ट शाहिद जमील भारत की जीनोम सिक्वेसिंग पर चल रहे कार्य की को-ऑर्डिनेटिंग को गठित वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने लिखा कि वैज्ञानिकों को साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की राह में कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। विज्ञान के प्रति इस सरकार की उपेक्षा के कारण ही हम आज इस संकट में हैं।

विरोध के भी स्वर

हालांकि, ट्विटर हैंडल @arunpudur ने गुप्त सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि शाहिद जमील ने इस्तीफा नहीं दिया है बल्कि सरकार ने उनकी छुट्टी कर दी है। इन्होंने लिखा, “23 दिसंबर, 2020 को शाहिद जमील कहते हैं कि भारत के लिए संकट शायद टल गया है और 16 मई 2021 को कहते हैं कि भारत सरकार उनकी नहीं सुन रही है, इसलिए वो जा रहे हैं।” उन्होंने कहा, सूत्रों ने पहचान गुप्त रखने की इच्छा जताते हुए इस बात की पुष्टि की है कि भारत सरकार ने फॉसी (अमेरिकी सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार) की तरह ढुलमुल नीतियों और दूसरी लहर को बिल्कुल अंदाजा नहीं लगा पाने के कारण जमील को निकाल दिया है।”

तब क्या कहा था जमील ने

ध्यान रहे कि डॉक्टर शाहिद जमील ने बीते वर्ष 23 दिसंबर को एक न्यूज वेबसाइट को इंटरव्यू में कहा था कि भारत के लिए सबसे बुरा दौर शायद बीत गया है। उस इंटरव्यू में उन्होंने अनुमान जताया था कि भारत में संभवतः कोरोना की दूसरी लहर नहीं आएगी। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा था कि दूसरे सीरो सर्वे में 15 से 20 करोड़ भारतीयों के कोरोना संक्रमित होने की बात सामने आई है। चूंकि तब सर्वे रिजल्ट आए दो महीने हो गए थे, इसलिए जमील ने कहा था कि अब तो संक्रमितों का आंकड़ा और भी बढ़ गया होगा। जमील ने संभवतः हर्ड इम्यूनिटी की तरफ इशारा करते हुए दूसरी लहर नहीं आने की संभावना जताई थी।

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