विवेचना: पिछले पांच बड़े चुनाव में चार एक्जिट पोल निकले ग़लत

5 राज्यों के एग्जिट पोल LIVE:पंजाब में AAP की सरकार, उत्तराखंड और गोवा में कांग्रेस की वापसी संभव, मणिपुर में BJP बरकरार

उत्तर प्रदेश में सातवें चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद ही शाम साढ़े छह बजे से यूपी समेत 5 राज्यों के एग्जिट पोल आने शुरू हो गए हैं। अब तक 4 एग्जिट पोल सामने आए हैं। इनके मुताबिक पंजाब और उत्तराखंड में सत्ता बदल सकती है। पंजाब में AAP और उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनाने का अनुमान जाहिर किया गया है।

एक अन्य पोल में मणिपुर में भाजपा की सरकार बरकरार रहने का अनुमान है। गोवा के एग्जिट पोल में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है, लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर है।

पंजाब में भास्कर एग्जिट पोल: किसी को स्पष्ट बहुमत के आसार नहीं, AAP बन सकती है सबसे बड़ी पार्टी

पंजाब विधानसभा चुनाव में भास्कर ने एग्जिट पोल किया है। इस पोल के मुताबिक कोई भी राजनीतिक पार्टी बहुमत के आंकड़े तक पहुंचती नजर नहीं आ रही। आम आदमी पार्टी (AAP) सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। हां, एग्जिट पोल में AAP अपने बूते सरकार बनाती नहीं दिख रही है।

उत्तर प्रदेश का पोल ऑफ पोल्स: दो एग्जिट पोल में उप्र में योगी सरकार की वापसी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल आना शुरू हो गए हैं। रिपब्लिक भारत ने अपने एग्जिट पोल में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने का अनुमान लगाया है। रिपब्लिक पी. मार्क एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी को 240 सीटें मिलने का अनुमान है। ​​​​​​​

इंडेप्थ में जानिए कितने सटीक होते हैं ये एग्जिट पोल, हरियाणा-बंगाल में क्या था इनका हाल

एग्जिट पोल कितने सटीक होते हैं। कोरोना महामारी के दौरान सबसे चर्चित चुनाव पश्चिम बंगाल के रहे। वहां एग्जिट पोल्स के नतीजे क्या रहे थे। बिहार और हरियाणा में क्या रहा था इन पोल्स और नतीजों का अंतर। पूरी खबर विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करें….

20 साल में 37 बड़े एग्जिट पोल, 90% गलत साबित हुए

पिछले 5 लोकसभा चुनाव, यानी 1999 से लेकर अब तक 2019 तक 37 बड़े एग्जिट पोल आए, लेकिन इनमें करीब 90% अनुमान गलत साबित हुए। 1999 में हुए चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने NDA की बड़ी जीत दिखाई थी। उन्होंने NDA को 315 से ज्यादा सीटें दी थीं। नतीजों के बाद NDA को 296 सीटें मिली थीं।
2004 में एग्जिट पोल पूरी तरह से फेल साबित हुए। अनुमानों में दावा किया गया था कि कांग्रेस की वापसी नहीं हो रही। सभी ने भाजपा को बहुमत मिलता दिखाया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। NDA को 200 सीट भी नहीं मिल सकीं। इसके बाद कांग्रेस ने सपा और बसपा के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई।
2009 में भी एजेंसियों ने UPA को 199 और NDA को 197 सीटें मिलने के कयास लगाए गए थे, लेकिन UPA ने 262 सीटें हासिल की थीं। NDA 159 सीटों पर सिमटकर रह गया था।
2014 में एग्जिट पोल्स ने NDA को बहुमत मिलता दिखाया था। एक एजेंसी ने भाजपा को 291 और NDA को 340 सीटें मिलने का कयास लगाया था। नतीजा, अनुमान के काफी करीब रहा। भाजपा को 282 और NDA को 336 सीटें मिलीं।
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो 10 एग्जिट पोल्स में NDA को दी गई सीटों का औसत 304 था। यानी NDA को दोबारा सत्ता मिलने का अनुमान ठीक था, लेकिन यहां भी सीटों के मामले में अनुमान गड़बड़ हो गए। नतीजों में NDA की बजाय अकेले भाजपा को 303 सीटें मिलीं। NDA के खाते में 351 सीटें आईं।
बिहार के विधानसभा चुनाव के वक्त भास्कर का एग्जिट पोल सबसे सटीक रहा था। भास्कर ने NDA को 120 से 127 सीटें मिलने का अनुमान जताया था। नतीजों में NDA को 125 सीटें मिलीं। जबकि ज्यादातर चैनलों के एग्जिट पोल में महागठबंधन की सरकार बनने का अनुमान जताया गया था।

एग्जिट पोल्स का इतिहास

भारत में 1960 में एग्जिट पोल का खाका सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (CSDS) ने खींचा था। हालांकि मीडिया में 1980 के दौर में पहला पोल सर्वे हुआ। उस समय पत्रकार प्रणय रॉय ने मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कोशिश की थी। उनके साथ चुनाव विश्लेषक डेविड बटलर भी थे।

दूरदर्शन ने CSDS के साथ 1996 में एग्जिट पोल शुरू किया। 1998 के चुनाव में लगभग सभी चैनलों ने एग्जिट पोल किए थे। आरपी एक्ट, 1951 का सेक्शन 126 मतदान के पहले एग्जिट पोल सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं देता। आखिरी दिन की वोटिंग के बाद ही एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं।

बिहार-हरियाणा और बंगाल में औंधे मुंह गिरे थे सभी पोल, जानिए इनका सच

उत्तर प्रदेश में 7वें और आखिरी फेज की वोटिंग पूरी होते ही 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म हो गए हैं। अब बारी वोटों की गिनती और नतीजों की है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या ये एग्जिट पोल भरोसे के लायक हैं? इसकी पड़ताल के लिए हमने पिछले 5 बड़े चुनावों के एग्जिट पोल का एनालिसिस किया है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इन 5 में से 4 चुनावों में एग्जिट पोल खोखले साबित हुए हैं।

1. पश्चिम बंगालः सीटों का अनुमान लगाने में फेल हुए सभी एग्जिट पोल

कोरोना महामारी के दौरान हुए पश्चिम बंगाल चुनाव की चर्चा पूरे देश में रही। बीजेपी ने पूरी ताकत से ममता बनर्जी को चुनौती दी। ज्यादातर एग्जिट पोल ने भी बीजेपी को 100 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया, लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी 77 सीटों पर सिमट गई। ममता बनर्जी की टीएमसी ने 211 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई।

2. दिल्लीः एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी की जीत का सही अनुमान

दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं। किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए। वोटिंग के बाद ज्यादातर एग्जिट पोल ने आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने का दावा किया। नतीजों में ये दावे सही साबित हुए। आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिलीं। सीटों के अनुमान में भी ज्यादातर एग्जिट पोल नतीजों के आस-पास रहे।

3. बिहारः फेल हुए थे सारे एग्जिट पोल

बिहार विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल पूरी तरह गलत साबित हुए। ज्यादातर चैनल और एजेंसियों ने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के गठबंधन को भारी जीत दे दी थी। रिजल्ट आया तो सब कुछ उलट गया। बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन ने राज्य में तीसरी बार सरकार बनाई।

4. महाराष्ट्रः सीटों का अनुमान लगाने में फेल हुए एग्जिट पोल

288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में ज्यादातर एग्जिट पोल बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन को 200 पार सीटें जीतने का दावा कर रहे थे। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन को 50-80 सीटों में सीमित कर दे रहे थे। इस चुनाव में एग्जिट पोल हवा का रुख भांपने में तो सही साबित हुए, लेकिन सीटों का सटीक अनुमान लगाने में फेल हो गए।

5. हरियाणाः पूरी तरह फेल हो गए एग्जिट पोल के अनुमान

हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल फेल रहे। ज्यादातर एग्जिट पोल ने राज्य में बीजेपी को 70 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया। नतीजे इससे उलट रहे। बीजेपी महज 40 सीटों पर सिमट गई और पूर्ण बहुमत के आंकड़े को भी पार नहीं कर सकी। मतलब कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल सही साबित नहीं हुए थे। बाद में यहां भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

एग्जिट पोल क्या हैं और कितने सही होते हैं?

एग्जिट पोल एक ऐसा सर्वे है जो वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकले मतदाताओं का इंटरव्यू करके किया जाता है। इसमें कई सवाल पूछे जाते हैं और ये जानने की कोशिश होती है कि वोटर ने किसे वोट दिया है। ऐसे हजारों इंटरव्यू के आंकड़े जुटाए जाते हैं और एनालिसिस करके वोट प्रतिशत और सीटों का अनुमान लगाया जाता है। कई बार ये अनुमान सटीक साबित होते हैं और कई बार गलत साबित हो जाते हैं।

मशहूर पत्रकार प्रणय रॉय अपनी किताब द वर्डिक्ट में लिखते हैं, ‘1980 के बाद देश में कुल 833 सर्वे हुए हैं। इसमें ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल दोनों शामिल हैं। सर्वे में 75% जीत के दावे सही साबित होते हैं। वहीं एग्जिट पोल में सही सीटों की संख्या बता पाने का एवरेज 23% ही है।’

 

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