पंचायत चुनाव में सपा भाजपा से आगे? विद्रोहियों ने बिगाड़ा भाजपा का खेल

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पंचायत चुनाव रिजल्टः पिछली बार से SP की सीटें कम लेकिन BJP से ज्यादा, जानिये यूपी के हर इलाके का हाल

लखनऊ 04 मई।त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ है। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में अपना दम दिखाया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के आंदोलन से उपजे रोष के चलते रालोद ने भी अप्रत्याशित तौर पर बेहतर प्रदर्शन किया है। मंगलवार शाम 6 बजे तक आए नतीजों के अनुसार भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य की 331 सीटें और सपा ने 396 सीटें जीतने का दावा किया है। हालांकि सपा को मिली सीटें वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनावों के मुकाबले कम हैं।

पिछली बार सपा ने दावा किया था कि उसने 3121 सीटों में से 70 फीसदी यानी 2184 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस तरह देखा जाए तो उसकी सीटों में इस बार भारी गिरावट आई है। फिर भी सपा की सीटें भाजपा से अधिक हैं। वर्ष 2015 में बसपा ने भी बेहतर प्रदर्शन किया था। वह दूसरे, भाजपा तीसरे व कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी। इस बार निर्दलीयों ने भी 321 सीटों पर जीत का दावा किया है।

बुंदेलखंड

सत्तारूढ़ दल भाजपा के विकास एजेंडे पर रहे बुंदेलखंड में भाजपा का दावा है कि उसे 39 सीटें मिली हैं। यहां सपा और बसपा ने भी भाजपा से कड़े मुकाबला का दावा किया है और दोनों को 31-31 सीटें मिली हैं। कभी बसपा का गढ़ रहे बुंदेलखंड में बसपा ने सपा को करारी टक्कर देकर यह साफ कर दिया है कि उसे कम आंकना उचित नहीं है। वहीं कांग्रेस को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश

पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन का असर दिखा, जिसके चलते राष्ट्रीय लोकदल ने 35 सीटें मिलने का दावा किया है। सपा के साथ उसका गठबंधन होने के चलते सपा को 43 सीटें मिली। इसके बावजूद भाजपा छह जिलों में हापुड़, बागपत, शामली, बिजनौर, सहारनपुर और बुलंदशहर में 62 सीटें हासिल कर दबदबा बनाए रखने का दावा कर रही है। पश्चिमी यूपी के नतीजों ने साफ कर दिया है कि विधानसभा चुनावों में रालोद-सपा गठबंधन मौजूदा हालात के मद्देनज़र कड़ी चुनौती पेश करने की तैयारी में हैं।

पूर्वांचल

पूर्वांचल के गोरखपुर, बस्ती और वाराणसी व मिर्जापुर मंडल के परिणामों में भी पार्टियों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। भाजपा का दावा है कि उसे पूर्वांचल में 81 सीटें मिली हैं और सपा के मुताबिक उसे 125 सीटें हाथ लगी हैं। वहीं बसपा ने पूर्वांचल में पश्चिमी यूपी के बाद सबसे अच्छे प्रदर्शन का दावा किया है उसे 64 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस को 9 सीटें मिली हैं।

रुहेलखंड

बरेली मंडल के जिलों में भाजपा ने 24, सपा ने 17, बसपा ने छह और कांग्रेस ने एक सीट जीतने का दावा किया है। वहीं महान दल ने भी बरेली मंडल में दो सीटें जीती हैं तो निर्दलीय प्रत्याशियों ने 19 सीटों पर जीत हासिल करने का दावा किया है।

ब्रज क्षेत्र
आगरा-मथुरा से जुड़े ब्रज क्षेत्र में भी सपा आगे दिख रही है। भाजपा ने यहां 51 सीटें और सपा ने 64 सीटें जीतने का दावा किया है। बहुजन समाज पार्टी ने भी आगरा मंडल में 37 सीटों पर जीत का दावा कर संकेत दे दिया है कि गांव-देहात की सरकार बनाने के लिए उसकी जड़ें अभी कमजोर नहीं हुई हैं।

अवध क्षेत्र

अवध क्षेत्र के अयोध्या, लखनऊ, गोंडा, अमेठी में आए नतीजे भाजपा को झटका देने वाले माने जा रहे हैं। सपा ने यहां 116 सीटों पर और भाजपा ने 64 सीटों पर जीत का दावा किया। लखनऊ की 25 सीटों में से 10 पर सपा ने कब्जे का दावा किया है। वहीं भाजपा ने तीन और बसपा ने पांच सीटें जीतने का दावा किया है। राम नगरी अयोध्या में सपा नेताओं ने 22 और भाजपा ने 8 सीटों पर जीत का दावा किया। वहीं गोंडा जैसे जिले में जहां भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह हैं और सातों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है, वहां सपा ने सबसे ज्यादा 30 और भाजपा ने महज 17 सीटें ही जीतने का दावा किया है।

जिला-भाजपा सपा बसपा कांग्रेस–रालोद–निर्दलीय
बुंदेलखंड-39 31 31 2 43
पश्चिमी यूपी-62 43 52 9 35 67
ब्रज क्षेत्र-51 64 37 1 9 34
अवध क्षेत्र–64 116 35 5 00 30
पूर्वांचल -81 125 64 9 00 128
रुहेलखंड-24 17 6 1 महानदल–2 19
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कुल सीटें-331 396 225 27 44 321
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सभी सीटें राजनीतिक दलों के दावे के अनुसार

सहारनपुर में विद्रोहियों ने खेल खराब किया भाजपा का

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले दस कार्यकर्ताओं ने पार्टी के गणित को बिगाड़ दिया। इन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाते हुए कई वार्डों में कमल खिलने से रोक दिया। पार्टी को 27 से अधिक वार्डों पर जीत की उम्मीद थी, लेकिन यह आंकड़ा करीब 12 तक ही पहुंच पाया है। यह स्थिति तब बनी, जब प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल सहित अनेक शीर्ष नेताओं ने जनपद का दौरा कर चुनाव की समीक्षा की। साथ ही पार्टी ने पूरे संगठन को चुनाव में उतार दिया था, लेकिन जिला पंचायत की कुर्सी के आंकड़े से भाजपा बहुत दूर रह गई है।
दरसअल, इस बार भाजपा ने जिला पंचायत सदस्यों के लिए पुराने कार्यकर्ताओं पर दांव खेला था। भाजपा हाईकमान ने सभी 49 वार्ड पर पार्टी समर्थित उम्मदीवार उतारे थे। चुनाव ना लड़ाने की वजह से बागी हुए नक्षत्र सिंह, मंडल उपाध्यक्ष धर्मवीर सिंह, मंडल मंत्री ब्रह्मपाल सिंह, जिला मंत्री एससी मोर्चा राखी बहोत्रा, पूर्व क्षेत्रीय कार्यसमिति सदस्य रणधीर चौहान, जिला कार्यसमिति सदस्य योगेंद्र सिंह राणा, भाजयुमो मंडल उपाध्यक्ष विकास कोरी, जिला कार्यसमिति सदस्य अमरीश राणा, बूथ अध्यक्ष अरविंद कमार और सक्रिय सदस्य नफे सिंह को पार्टी ने निष्कासित कर दिया था।
इन सभी ने निर्दलीय चुनाव लड़कर भाजपा के सियासी गणित को बिगाड़ दिया है। पार्टी 27 से अधिक वार्डों पर जीत का अनुमान लेकर चल रही थी। नक्षत्र पाल ने वार्ड 23 पर पार्टी को नुकसान पहुंचाया तो धर्मवीर ने वार्ड 27 पर खेल बिगाड़ दिया। इसी तरह विकास कोरी ने वार्ड 25 से लड़कर भाजपा के चुनावी गणित में फेरबदल कर दिया। इनके अलावा रणधीर चौहान ने वार्ड 18, योगेंद्र राणा ने वार्ड 30, अमरीश राणा ने भी वार्ड 30, नफे सिंह ने वार्ड 24, अरविंद कुमार ने वार्ड पांच, ब्रह्मपाल ने वार्ड 21, राखी बोहत्रा ने 29 वार्ड चुनाव लड़ा है। उम्मीद के मुताबिक परिणाम न आने पर पार्टी समीक्षा में जुट गई है। प्रत्याशी कहां-कहां कमजोर रहे, इसको देखा जा रहा है और जिम्मेदार पदाधिकारियों को भूमिका को भी पार्टी हाइकमान देखेगी। इसको लेकर दोबारा शीर्ष नेता हार की समीक्षा को सहारनपुर आ सकते हैं।

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