सात परिजनों को मौत के घाट उतार आई शबनम की आंखों में नही है पश्चाताप

रामपुर जेल में बंद शबनम की 20 फरवरी की फोटो

*देश की पहली महिला, जिसे फांसी होनी है:शबनम ने वारदात की पूरी प्लानिंग की थी; नए मोबाइल और सिम खरीदे थे, नशे की गोलियां भी दूर के कस्बे से खरीदी थीं ताकि शक न हो
*तत्कालीन CM मायावती शबनम को आर्थिक मदद देने वालीं थीं, घटना की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी ने उन्हें रोका था
*फैसला सुनाने से पहले जज ने सलीम और शबनम से बात की थी जिसमें दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था

अमरोहा (उत्तर प्रदेश)23 फरवरी। प्रदेश के अमरोहा का गांव बावनखेड़ी इस समय शबनम की फांसी की सजा को लेकर चर्चा में है। अमरोहा की कचहरी में भी इस समय इसी मामले की चर्चा है। 2008 में एक ही परिवार के 7 लोगों के कत्ल ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। लोग इंसाफ की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे। हमने इस मामले के जांच अधिकारी,सरकारी वकील और शबनम के वकील से बात की।

‘किसी तरह CM को शबनम की आर्थिक मदद करने से रोका था’

बावनखेड़ी हत्याकांड की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी आरपी गुप्ता अब रिटायर हो चुके और एक निजी यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक अधिकारी हैं। शबनम और सलीम को पकड़ने वाले गुप्ता को वारदात से दो दिन बाद ही हसनपुर थाने का चार्ज मिला था। वह कहते हैं,’7 लोगों का कत्ल हुआ था। कोई गवाह नहीं था। मौके से ज्यादातर सबूत मिटा दिए गए थे। ये ब्लाइंड मर्डर था। मुख्यमंत्री खुद मौके पर आई थीं। कातिल पकड़ने में देर होती तो पुलिस की बहुत फजीहत होती।’

यह फोटो भी रामपुर जेल का है। तस्वीर में शबनम के हाव-भाव से बिल्कुल नहीं लगता कि अपनी फांसी की सजा को लेकर वह जरा भी तनाव में है।

वे दिमाग पर जोर डालते हुए याद करते हैं, ‘तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती मौके पर पहुंचीं और बावनखेड़ी में भीड़ से 24 घंटे में सच सामने लाने का वादा किया। CM शबनम को पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद देने को घर की तरफ बढ़ ही रहीं थीं कि मैंने उनके PA से कहा कि CM को आर्थिक मदद देने से रोका जाए। मुझे लगा कि PA ने मेरी बात को बहुत गंभीरता से नहीं लिया तो मैंने तब के स्थानीय बसपा विधायक हाजी शब्बन से कहा कि शबनम भी कातिल हो सकती है। लिहाजा CM साहिबा को अभी आर्थिक मदद देने से रोकें।’

‘खैर, कैसे भी यह संदेश मुख्यमंत्री तक पहुंच गया। मायावती कुछ मिनट बाद शबनम से मिलीं,सहानुभूति भी जताई, लेकिन आर्थिक मदद नहीं दी। पांच लाख रुपए मदद की घोषणा करते हुए कहा कि जांच पूरी होने पर ही सरकार पैसे देगी। अगले दिन पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा किया और शबनम और प्रेमी सलीम पकड़े गई।’

नया मोबाइल-सिम खरीदा, नशे की गोलियां भी दूर के कस्बे से लीं

जांच अधिकारी गुप्ता कहते हैं,’शबनम और सलीम ने लंबी प्लानिंग कर कत्ल किया था। हर स्टेप प्लान किया। बात करने को नए मोबाइल और सिम खरीदे थे। नशे की गोलियां भी दूर के कस्बे से खरीदी,ताकि किसी को शक न हो। शबनम ने एक चाल ये भी चली कि अपने चचेरे भाइयों पर इल्जाम लगा दिया। शबनम के पिता से उनके जमीनी विवाद चल रहा था,लेकिन इन सबके बावजूद मौके पर पहुंचते ही हम भांप गए थे कि कातिल घर के भीतर ही है। लूट और बदमाशों के भागने की कहानी झूठी लग रही थी क्योंकि घर से कोई सामान गायब नहीं था। महिलाओं के पहने गहने भी मौजूद थे।’

बावनखेड़ी हत्याकांड के जांचकर्ता पुलिस अधिकारी आरपी गुप्ता रिटायर हो चुके हैं। अभी वे एक निजी यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक अधिकारी काम कर रहे हैं।

पुलिस ने शुरुआती घंटों में शबनम का चचेरा भाई शक में पूछताछ को पकड़ा भी गया था। मुरादाबाद के तत्कालीन DIG बद्री प्रसाद ने कहा भी था, ‘प्रॉपर्टी विवाद सामने आ रहा है,एक संदिग्ध पकड़ा गया है।’ पुलिस ने शबनम से पूछा- जब बदमाश गए तो दरवाजा बंद क्यूं था? रात में तुम एक बजे छत से उतरकर क्यों आई? जब घर में इनवर्टर था, बिजली थी तब छत पर सोने क्यों गई? छत पर कोई बिस्तर क्यों नहीं था? ये सवाल सुन शबनम सकपका गई थी।

गुप्ता बताते हैं, ‘चचेरे भाइयों को फंसाने की शबनम की चाल काम नहीं आई। हम सबूत की तलाश में थे कि एक मुखबिर ने भरोसेमंद सूचना दी। इसके बाद कड़ी से कड़ी जुड़ती गई। नशे की गोलियां भी मिल गईं,मोबाइल और सिम कार्ड भी मिल गए। कत्ल में इस्तेमाल कुल्हाड़ी भी मिल गई। हमने फर्जी पहचान पत्र पर सिम बेचने वाले दुकानदार को भी जेल भेजा था। बिसरा रिपोर्ट से नशे की गोलियों की पुष्टि हो गई। टॉवर लोकेशन के आधार पर सलीम के नशे की गोलियां खरीदते वक्त पास के कस्बे पाकबड़े में होने के सबूत भी मिल गए।’

जज ने फांसी की सजा सुनाने से पहले शबनम-सलीम को चैंबर में बुलाकर बात की

सरकारी वकील धर्मपाल सिंह कहते हैं, ‘पूरे मामले में कोई गवाह नहीं था। ये मामला पूरी तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर निर्भर था। सबूतों और गवाहों की कड़ी से कड़ी मिलती गई। पुख्ता सबूतों और कन्फेशन (स्वीकारोक्ति) के बाद ही जज एसए हुसैनी साहब ने दोनों को फांसी की सजा का फैसला सुनाया था। दुनिया की हर अदालत में ये फैसला बरकार रहेगा।’ वे कहते हैं,’बच्चे तक को मार दिया गया था। ये बेरहमी की सीमा थी। फांसी से बड़ी भी कोई सजा होती तो हम उसकी मांग करते।’

बावनखेड़ी गांव के इन्हीं कमरों में शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर सात लोगों की हत्या की थी। दीवारों पर दिख रहे खून के धब्बे आज भी उस मंजर की गवाही दे रहे हैं।

शबनम और सलीम के वकील रहे इरशाद अंसारी कहते हैं, ‘शबनम ने हमेशा यही कहा कि मैंने और सलीम ने कोई कत्ल नहीं किया। पुलिस ने इतना टॉर्चर किया कि हमने अपराध स्वीकार कर लिया। सलीम कहता रहा कि पुलिस ने जो कुल्हाड़ी बरामद कराई है,वो भी फर्जी है। हमने कोई कुल्हाड़ी नहीं फेंकी थी।’
अंसारी कहते हैं, ‘जज साहब ने पहले सलीम को चैंबर में बुलाया और फिर शबनम को। दोनों से अलग-अलग बात करने के बाद एक-दूसरे का सामना कराया। तब दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगा दिए थे।’

जांच अधिकारी आरपी गुप्ता और सरकारी वकील डीपी सिंह इसकी पुष्टि करते हैं। गुप्ता ने बताया, ‘फैसला सुनाने से पहले जज साहब ने मुझसे कहा था कि पुलिस कई बार विवेचना में गलत लोगों को भी फंसा देती है। तब मैंने उनसे कहा था कि मुझे अपनी जांच पर शत प्रतिशत भरोसा है।’ गुप्ता कहते हैं, ‘जज साहब सजा सुनाने से पहले हर बात की पुष्टि कर लेना चाहते थे। उन्होंने शबनम और सलीम से बात की तो उन्होंने भी जुर्म स्वीकार कर लिया था।’

सरकारी वकील डीपी सिंह भी कहते हैं,’तत्कालीन जिला जज हुसैनी साहब के सामने शबनम और सलीम ने सच कबूल किया था। उसके बाद ही उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला था।’ अदालत ने 100 तारीखों और 29 गवाहों की गवाही के बाद 14 जुलाई 2010 को शबनम और सलीम को दोषी घोषित किया था। उन्हें परिवार के सात लोगों के कत्ल का दोषी पाया गया था। वजह यह थी कि शबनम का परिवार उसकी और सलीम की शादी में अड़चन था। अगले दिन 15 जुलाई को सिर्फ 29 सेकंड में दोनों को फांसी की सजा सुना दी गई थी।’
अमरोहा के वरिष्ठ पत्रकार ओबैद-उर-रहमान भी उस दिन अदालत में मौजूद थे। ओबैद याद करते हैं,’शबनम और सलीम एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। ये वही लोग थे जिन्होंने साथ रहने को एक मासूम बच्चे समेत सात लोगों का कत्ल कर दिया था,लेकिन फांसी की सजा सुनने के बाद ये दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ हो गए थे।’ कचहरी के कई पुराने वकील कहते हैं कि सजा सुनाए जाने के दिन शबनम अपने बच्चे को गोद में लिए अदालत पहुंची थी। अदालत से बाहर निकलते हुए सलीम ने शबनम पर बिफरते हुए कहा था, ‘मैंने कुछ नहीं किया,शबनम बहकावे में आकर मुझ पर झूठे इल्जाम लगा रही है।’
शबनम अब भारत में फांसी पर चढ़ने वाली पहली महिला होगी। जांच अधिकारी आरपी गुप्ता कहते हैं,’मैंने कभी उसकी आंखों में अफसोस नहीं देखा। शातिर कातिल है। उसे फांसी पर चढ़ाने से ही न्याय होगा। ऐसों के लिए समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।’ वो कहते हैं,’आज शबनम के बच्चे की मासूमियत की दुहाई दी जा रही है। वो भी 10 महीने का मासूम ही था जिसका गला शबनम ने दबाया था। जो हुआ, वो बर्बरता की हद थी। ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है।’वह चाहती तो अपने प्रेमी के साथ परिवार से विद्रोह कर घर बसा सकती थी लेकिन उसे तो परिवार की संपत्ति भी कब्जानी थी। इसीलिए परिवार में किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ा।
परिवार के साथ शबनम

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