क्रैश प्वाइंट जवाहर नाम रखने वालों को शिव शक्ति लैंडिंग प्वाइंट पर कष्ट

‘चंद्रयान 3’ की लैंडिंग पॉइंट का नाम ‘शिवशक्ति’ रखे जाने से भड़की कॉन्ग्रेस, राशिद अल्वी ने बताया गलत: बोले – ‘जवाहर पॉइंट’ से समस्या नहीं
चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग प्वॉइंट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने पर कॉन्ग्रेस भड़क गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान 3 की लैंडिंग वाली जगह का नामकरण ‘शिवशक्ति’ क्या किया, कॉन्ग्रेस भड़क ही गई। कांग्रेस के स्वयंभू प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि ‘हम चाँद के मालिक थोड़े न हैं कि उसका नामकरण अपने हिसाब से कर लेंगे।’। राशिद अल्वी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ‘ऐसे ही’ काम करती है। इस बीच, जब एंकर ने राशिद अल्वी से पूछा कि चंद्रयान 1 के इंपैक्ट प्वॉइंट को कॉन्ग्रेस सरकार ने ‘जवाहर प्वॉइंट’ नाम दिया था, इस पर राशिद अल्वी अलग राग अलापने लगे।

राशिद अल्वी ने इंडिया टुडे चैनल पर फोन के माध्यम से जुड़े हुए थे। इसी दौरान उन्होंने यह बयान दिया। इस दौरान एंकर ने उन्हें याद दिलाया कि भाजपा सरकार भी चाहती तो उसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी या नरेंद्र मोदी के नाम पर रख सकती थी। भाजपा भी तो यही कह रही है कि ‘हम राष्ट्र प्रथम रखते हैं, न कि परिवार प्रथम’।

इस पर राशिद अल्वी ने कहा कि की इसकी कोई तुलना ही नहीं है। जवाहरलाल नेहरू ने तो इसरो को ही बनाया है। उनका नाम रखने में दिक्कत नहीं। उन्होंने और विक्रम साराभाई ने मिलकर बनाया था। इसरो आज जो कुछ भी है, वो जवाहरलाल नेहरू की वजह से है। वहीं, भाजपा ऐसा करके सियासी फायदा उठाने की कोशिश की है। इस पर राजनीति की जा रही है।

इस मामले में जब एंकर ने कॉन्ग्रेस नेता राशिद अल्वी से पूछा कि ‘शिवशक्ति’ नाम रखने में राजनीति किस तरह से हो रही है, तो उन्होंने फोन कट कर दिया।

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भाजपा ने परिवारवाद को लेकर बोला था हमला
इस कार्यक्रम में भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कॉन्ग्रेस पर जोरदार हमला बोला था। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडिंग प्वॉइंट का नाम पीएम मोदी ने ‘तिरंगा प्वॉइंट’ रखा तो चंद्रयान 3 की लैंडिंग साइट का नाम ‘शिवशक्ति’ रखा। कॉन्ग्रेस ने चंद्रयान1 के दौरान अपने परिवार के नाम पर रखा था।

उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने अपने समय में ‘जवाहर प्वॉइंट’ रखा। अगर ये यूपीए का शासनकाल होता तो इन प्वॉइंट्स का नाम वो इंदिरा, राजीव प्वॉइंट, राहुल और रॉबर्ट के नाम पर रख देती। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कॉन्ग्रेस और यूपीए की सोच परिवार प्रथम की है, जबकि भाजपा की सोच राष्ट्र प्रथम की।

और तो और राजस्थान कांग्रेस के एक नेता ने चांद पर पहुंचे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को बधाई दे डाली तो तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि मोदी चांद पर गैर-हिंदूओं और मांसाहारियों को नहीं जाने देंगे। इसमें भी महुआ मोइत्रा ने अडाणी को घुसेड़ दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चंद्रयान तीन मिशन की जानकारी ही नहीं थी।

एक नेता ने नासा के वैज्ञानिकों को बधाई दे दी तो दूसरे ने अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा को राकेश रोशन बता दिया।

 

ग्रीस से लौटते ही सीधे इसरो कमांड सेंटर पहुँचे थे प्रधानमंत्री मोदी
बता दें कि चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर के सफलतापूर्वक चाँद पर पहुँचने के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में थे। वो उस समय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसरो कमांड सेंटर से जुड़े थे। दक्षिण अफ्रीका से वे सीधे ग्रीस की आधिकारिक यात्रा पर चले गए थे।

ग्रीस की यात्रा खत्म करते ही वो सीधे इसरो के कमांड सेंटर पहुँचे और वैज्ञानिकों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 की लैंडिंग साइट का नामकरण भी किया। साथ ही 23 अगस्त के दिन को ‘इंडियन स्पेस डे’ के तौर पर हर साल मनाने की घोषणा की।

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Nothing Wrong In Naming Of Chandrayaan 3 Landing Site On Moon As Shiv Shakti Says Isro Chief S Somanath
 ‘चांद पर लैंडिंग साइट का नाम शिव शक्ति रखने में कुछ भी गलत नहीं…’, ISRO चीफ के ये तर्क तो सुन लें विवाद करने वाले

इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा है कि चांद के जिस जगह पर लैंडर विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिंग (India’s moon mission Chandrayaan 3) की, उसका नाम रखे जाने पर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि ये भारत का अधिकार है कि उस जगह का नाम दे। लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखे जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
मुख्य बिंदु
इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा- चांद पर लैंडिंग साइट का नाम रखने पर कोई विवाद नहीं
लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने पर इसरो चीफ ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं
इसरो चीफ ने कहा कि आस्था और विज्ञान दो अलग-अलग चीजें, दोनों को आपस में न मिलाएं
इसरो चीफ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘तिरंगा’ नाम भी तो रखा, दोनों ही नाम भारतीय हैं
इसरो के वैज्ञानिकों के लगन और मेहनत ने वह कर दिखाया (Chandrayaan 3 Ssoft landing on moon) जो आजतक किसी भी देश ने या कहीं के भी वैज्ञानिकों ने किया था। चंद्रयान-3 के (Chandrayaan 3 latest update) लैंडर विक्रम की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर (Lander Vikram soft landing news) सॉफ्ट लैंडिंग का करिश्मा। जिस जगह पर विक्रम उतरा उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘शिव शक्ति’ (Shiv Shakti the name of Vikram landing point) का नाम दिया है। लेकिन इस ‘नामकरण’ पर कुछ राजनीतिकों ने विवाद की कोशिश की। इस बीच इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चेयरमैन (ISRO Chief S Somanath) एस. सोमनाथ ने कहा है कि लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने पर कोई विवाद नहीं हैं। देश को उस जगह का नाम रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इस नामकरण में कुछ भी गलत नहीं है। इसरो चीफ ने चांद पर लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने पर कहा, ‘प्रधानमंत्री ने इसका अर्थ भी इस तरह समझाया जो हम सभी के लिए उचित है।’

इसरो चीफ ने कहा, कि ‘मैं समझता हूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने (प्रधानमंत्री) ही अगला नाम तिरंगा भी दिया और दोनों ही नाम भारतीय हैं। देखिए,हम जो कुछ करते हैं,उसे हमें महत्व देना चाहिए। देश का प्रधानमंत्री होने के नाते नाम रखना उनका अधिकार है।

एस सोमनाथ ने रविवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में पौर्णमिकवु-भद्रकाली मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विज्ञान और आस्था दो अलग-अलग चीजें हैं,दोनों को मिलाने की जरूरत नहीं है।
इसरो चीफ ने कहा कि’मैं एक खोजकर्ता हूं, मैं चांद का अन्वेषण करता हूं। मैं आंतरिक अंतरिक्ष को एक्सप्लोर करता हूं। विज्ञान और अध्यात्मिकता दोनों को एक्सप्लोर करना मेरी जिंदगी का हिस्सा है। इसलिए मैं मंदिर भी जाता हूं और ग्रंथ भी पढ़ता हूं। इसलिए हमारे अस्तित्व और ब्रह्मांड में हमारी यात्रा का अर्थ समझने की कोशिश करता हूं। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है कि हम सभी एक्सप्लोर करने को बने हैं। अपने अंतस की खोज, आंतरिक आत्मा की खोज के साथ-साथ बाहर से हम क्या हैं,उसकी खोज। आउटर सेल्फ की खोज को मैं विज्ञान को साधता हूं और आंतरिक खोज को मंदिर आता हूं।’

एस. सोमनाथ ने कहा कि चांद पर उतरने वाले स्थान का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने को लेकर कोई विवाद नहीं है। देश को उस स्थान का नाम रखने का अधिकार है। इसरो चीफ ने कहा कि कई अन्य देशों ने चंद्रमा पर अपना नाम रखा है और यह हमेशा संबंधित राष्ट्र का विशेषाधिकार रहा है।
इसरो चीफ ने कहा कि भारत पहला देश है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। दक्षिणी ध्रुव में चंद्रमा की सतह पर्वतों और घाटियों के कारण बहुत पेचीदा है और यहां तक कि थोड़ी सी गणना त्रुटि के कारण भी लैंडर मिशन में विफल हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसरो ने अभियानों के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को प्राथमिकता दी है, क्योंकि यहां की सतह खनिजों से समृद्ध है,जिसे रोवर से चंद्रमा की सतह से उचित प्रतिक्रिया मिलने पर वैज्ञानिक तेज करेंगे ं।

उन्होंने कहा कि रूसी मिशन को 2021 में पूरा होना था और उस देश में युद्ध के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
इसरो चीफ ने यह भी कहा कि सूर्य अभियान पहले से ही तैयार है और लॉन्च की तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि मिशन पर कई परीक्षण किए जा रहे हैं और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही तारीख की घोषणा की जाएगी अन्यथा इसे स्थगित कर दिया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में सोमनाथ ने कहा कि रोवर चंद्रमा की सतह से जो तस्वीरें ले रहा था, उन्हें इसरो स्टेशनों तक पहुंचने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इसरो इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों के ग्राउंड स्टेशनों का सपोर्ट मांग रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि चंद्रमा की सतह पर वायुमंडल नहीं है, इसलिए सभी छायाएं अंधेरी हैं और इससे स्पष्ट तस्वीरें प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है।

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