राजनीति में शाप, पहला चर्चित शाप था स्वामी करपात्री का इंदिरा को

राजनीति की शाप कथा: जया बच्चन ने BJP को दिया, पहला चर्चित शाप था स्वामी करपात्री का इंदिरा को

अब सपा सांसद जया बच्चन ने भाजपा के सदस्यों को शाप देते हुए कहा है कि उनके बुरे दिन आने वाले हैं।

Jaya Bachchan cursed BJP: राज्यसभा में आगबबूला हुईं जया बच्चन ने बीजेपी को दे डाला श्राप

++++हाइलाइट्स+++
*जया बच्चन ने संसद में बीजेपी के सांसदों को दिया शाप
*’आपके बुरे दिन जल्द आने वाले हैं…’
*इससे पहले इंदिरा गांधी को करपात्री महाराज ने दिया था शाप

नई दिल्ली 23 दिसंबर।आपने पढ़ा या सुना जरूर होगा कि एक बार ऋषि दुर्वासा ने शाप दिया तो इंद्र का राजपाट चला गया था। ब्रह्मा जी को भी श्राप मिला था कि देवता होने के बाद भी उनकी पूजा नहीं होगी। खैर, आज बात राजनीति में शाप की करते हैं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले 3-4 डिग्री तापमान के बीच दिल्ली में चल रहा शीतकालीन सत्र काफी गरम रहा। शादी, चुनाव सुधार जैसे तमाम बिलों के बीच लखीमपुर खीरी कांड और किसानों के मुद्दे गूंजे। हंगामा इतना बढ़ा कि सपा सांसद जया बच्चन ने संसद में ही शाप दे दिया। राज्यसभा में अपने खिलाफ कथित निजी टिप्पणी से आहत जया ने भाजपा सांसदों को शाप दे दिया कि जल्द ही उनके बुरे दिन आने वाले हैं।

संसद में हुआ क्या था

तिलमिलाई जया बच्चन ने आसन से कह दिया कि उन्हें निष्पक्ष होना चाहिए। उन्होंने विपक्ष की आवाज को दबाने का भी आरोप लगाया। एक विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए जया बच्चन ने 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन का मुद्दा उठाना चाहा और आसन पर बैठे पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता का नाम लिए बिना उन पर परोक्ष टिप्पणी की। भाजपा के सदस्य राकेश सिन्हा ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए इस पर आपत्ति जताई कि जया बच्चन की टिप्पणी आसन पर सवाल उठाने वाली है।

इस पर पीठासीन अध्यक्ष ने कहा कि वह रेकॉर्ड देखकर निर्णय करेंगे। इसके बावजूद जया बच्चन अपनी बात रखती रहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब देश में कई सारे गंभीर मुद्दे हैं, सदन ने एक ‘लिपिकीय गलती’ दुरुस्त करने को तीन-चार घंटे चर्चा का समय आवंटित किया है। हंगामे के बीच ही उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ किसी सदस्य ने निजी टिप्पणी की है और इस मुद्दे पर उन्होंने आसन का संरक्षण मांगा।

आप लोगों के बुरे दिन आएंगे…. जया ने दिया शाप

जया बच्चन ने कहा, ‘वह कैसे सदन में निजी टिप्पणी कर सकते हैं…आप लोगों के बुरे दिन आएंगे…मैं शाप देती हूं।’ हालांकि बच्चन पर क्या निजी टिप्पणी की गई थी यह हंगामे में नहीं सुना जा सका।

उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा और समाजवादी पार्टी नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं। संसद में यह ‘शाप प्रकरण’ ऐसे समय हुआ जब उसी दिन जया बच्चन की पुत्रवधू अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन 2016 के ‘पनामा पेपर्स’ लीक प्रकरण से जुड़े एक मामले में पूछताछ को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश हुईं। बताया जा रहा है कि ऐश्वर्या राय बच्चन से विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के प्रावधानों में पूछताछ की गई।

सोशल मीडिया पर लोग जया की नाराजगी के पीछे ईडी ऐंगल का तर्क दे रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि बहू को ईडी ने तलब किया तो सास ने भाजपा को शाप दे दिया।

जब अखिलेश यादव को दिया शाप, सत्ता में नहीं लौटेंगे

खैर, यह पहला मामला नहीं जब भारतीय राजनीति के फलक पर शाप चर्चा में आया हो। ज्यादा दिन नहीं हुए, नवंबर में सोनम किन्नर को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य किन्नर कल्याण बोर्ड  उपाध्यक्ष बना राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया। सोनम ने मुख्यमंत्री योगी को धन्यवाद देते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव को शाप दे दिया। उन्होंने कहा कि सपा की साइकिल पंचर हो गई है और मेरा अखिलेश यादव को शाप है कि अब वह कभी अपने जीवन में सत्ता में नहीं लौटेंगे।

जब साधुओं के शव उठाते करपात्री महाराज ने इंदिरा गांधी को दिया शाप

अतीत खंगालें तो 1965-66 के नवंबर के महीने में बड़ी संख्या में साधुओं ने गोहत्या बंद करा गोरक्षा पर सख्त कानून की मांग ले संसद घेर ली। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग संसद पहुंचे थे। भीड़ संसद में घुसने की कोशिश कर रही थी, पुलिस ने रोकने को आंसू गैस और लाठियों का इस्तेमाल किया। लोग नहीं माने तो पुलिस ने फायरिंग कर दी। सैंकड़ों की मौत और 100 से ज्यादा घायल हो गए। सेना आई और कर्फ्यू लगा दिया गया। स्वामी करपात्री महाराज साधुओं पर फायरिंग से इतने नाराज हुए कि उन्होंने इंदिरा को शाप दे दिया। उनका कहना था कि इंदिरा ने गोहत्या रोकने पर अपना वादा पूरा नहीं किया। करपात्री महाराज ने शाप दिया कि जैसे इंदिरा गांधी ने साधुओं पर फायरिंग कराई है, वैसा ही हाल उनका भी होगा।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कभी स्वामी करपात्री महाराज को खूब मानती थीं। पर उनके मान-सम्मान के बाद भी उनसे किए अपने वादे से मुकर गईं। नतीजतन स्वामी को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा। नौबत साधु-संतों और गोरक्षकों पर फायरिंग तक की आई, जिसके बाद संसद के सामने साधुओं की लाशें उठाते हुए करपात्री महाराज ने गांधी को शाप दे दिया था।

हालांकि, यह भी कहा जाता है कि वह चुनावी दौर था। बताया जाता है कि महाराज से इंदिरा ने वादा किया था कि चुनाव जीतीं तो अंग्रेजी राज के सारे गोकशी के अड्डों को बंद करा देंगी। बाद में वह चुनाव तो जीत गईं, पर अपने वादे को लेकर स्पष्ट नहीं नजर आईं।

लाखों साधु-संत गोहत्या और गोरक्षा के मुद्दे पर कानून की मांग को लेकर संसद के बाहर धरने पर आ गए। तारीख थी- सात नवंबर, 1966। करपात्री महाराज के तब साथ रामचंद्र वीर भी थे, जिन्होंने आमरण अनशन का ऐलान किया था। करपात्री महाराज व अन्य के नेतृत्व में जब संत संसद कूच कर रहे थे, तब भारी संख्या में महिलाएं भी थीं। संसद के बाहर हरियाणा के करनाल ज़िले से जनसंघ के तत्कालीन सांसद स्वामी रामेश्वरानंद संतों से बोले कि संसद में घुसें और सांसदों को पकड़कर बाहर ले आएं, तभी गोहत्या रोकने से जुड़ा कानून बनेगा।

बताया जाता है कि इंदिरा के आदेश से अंधाधुंध गोलियां चलीं, जिसमें सैकड़ों साधु-संत और गोरक्षकों की जान गई थी।  कई संत जेलों में बंद कर दिए गए थे। तब गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा थे, जिन्होंने मामले से क्षुब्ध होकर जिम्मेदारी ले इस्तीफा दे दिया।

कहा जाता है कि करपात्री  इस घटना के बाद अवसाद में चले गए थे।

गोरखपुर से छपने वाली मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ ने महाराज के हवाले से इंद‍िरा गांधी के ल‍िए छापा था- मुझे इस बात का दुख नहीं कि तूने निर्दोष साधुओं की हत्या कराई, बल्कि तूने गोहत्यारों को छूट देकर पाप किया है। यह माफी के लायक नहीं है। गोपाष्टमी के दिन ही तेरे वंश का नाश होगा।

स्वामी करपात्री महाराज का नाम हरनारायण ओझा था। दीक्षा के बाद उनका नाम ‘हरीन्द्रनाथ सरस्वती’ पड़ा,  वह मशहूर हुए ‘करपात्री’ नाम से ही। वह अपनी अंजुली को पात्र बै  खाने-पीन करते थे जिससे ‘करपात्री’ नाम से  प्रसिद्ध हुए ।

अवसरवाद भी

समय-समय पर अपने फायदे के लिए भी लोग शाप का इस्तेमाल करते रहते हैं। भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा की उस समय खूब किरकिरी हुई थी जब उन्होंने मुंबई हमले में शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दिया था। साध्वी ने कहा था कि उन्होंने श्राप दिया और बाद में माफी मांग ली।

केरल में 2017 में बछड़ा काटने की घटना के बाद दूसरी पार्टियों के लोग कहने लगे थे कि गौमाता का श्राप कांग्रेस को सत्ता में नहीं आने देगा।

बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने 2019 में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि आतंकियों और पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर जवानों के शौर्य का अपमान करने का शाप ऐसा लगा कि कोई भी पार्टी राहुल गांधी से हाथ मिलाने को तैयार नहीं।

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