CAAका विरोध करने वाले अकाली ही मांग रहे उसका संरक्षण

अकाली दल ने किया था CAA का विरोध, अफगानिस्तान के हालात देख सिरसा के बदले सुर: गुरुग्रंथ साहिब को सिर पर रख चले मोदी के मंत्री

24 August, 2021

CAA, गुरु ग्रन्थ साहिब, अफ़ग़ानिस्तान

अफगानिस्तान से गुरु ग्रन्थ साहिब प्रतियाँ भारत लाई गईं जिन्हें हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने रिसीव किया

सीएए पर बदले अकालियों के सुर, सिरसा ने कहा- 2021 तक भारत आने वाले सिखों व हिंदुओं को मिले नागरिकता
शिअद बादल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी ) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को मांग की कि अफगानिस्तान से आने वाले सभी सिखों व हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाए ।


नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली विधानसभा चुनाव में तोड़ लिया था भाजपा से गठबंधन

नई दिल्ली 25अगस्त [संतोष कुमार सिंह]। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन तोड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के नेताओं के सुर अब इस कानून को लेकर बदले नजर आ रहे हैं। अब वे इसके विरोध के बजाय कानून के प्रविधान में संशोधन की मांग करते हुए इसका लाभ उठाना चाहते हैं। उनका कहना है कि सीएए के तहत भारतीय नागरिकता देने की समयसीमा बढ़ाई जाए, ताकि अफगानिस्तान से आने वाले सिखों व हिंदुओं को इसका लाभ मिल सके।

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से वहां रहने वाले हिंदुओं व सिखों का जीवन संकट में पड़ गया है। उन्हें भारत लाया जा रहा है। इसके बाद इस बदले हुए हालात में अकाली नेताओं के सोच में भी बदलाव आया है। शिअद बादल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को मांग की कि अफगानिस्तान से आने वाले सभी सिखों व हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाए। इसके लिए सीएए में संशोधन कर भारत आने वालों को नागरिकता देने की समयावधि बढ़ाकर वर्ष 2014 के बजाय वर्ष 2021 तक की जाए।

इससे अफगानिस्तान से जान बचाकर यहां आने वालों को नागरिकता मिल सकेगी और वे सम्मानपूर्वक रोजगार कर सकेंगे। उनके बच्चे भी स्कूलों में पढ़ सकेंगे। हालांकि, उन्होंने अफगानिस्तान से आने वाले मुस्लिमों को लेकर कुछ भी नहीं कहा। इससे पहले, वर्ष 2020 में विधानसभा चुनाव के समय भाजपा से गठबंधन तोड़ते हुए शिअद बादल नेता सिरसा ने ही कहा था कि सीएए का स्वरूप उन्हें स्वीकार नहीं है। उनका कहना था कि सीएए के तहत देश के बाहर से आने वाले मुस्लिमों को भी नागरिकता मिलनी चाहिए, उनसे भेदभाव हमें स्वीकार नहीं है।

पूर्व में कई मौकों पर केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते रहे सिरसा ने कहा कि अफगानिस्तान में फंसे हुए सिखों और गुरु ग्रंथ साहिब के तीन पावन स्वरूपों को भारत लाने के लिए वह पीएम मोदी व उनकी सरकार का धन्यवाद करते हैं। अफगानिस्तान में हालात बिगड़ने के कारण हिंदू व सिख वहां से निकाले जाने की विनती कर रहे थे। पहले लोग अमेरिका, इंग्लैंड और पश्चिमी देशों से आस लगाए बैठे थे, लेकिन किसी ने भी इन लोगों की मदद नहीं की।

डीएसजीएमसी ने विदेश मंत्रालय के सामने यह मामला उठाया, जिसके बाद तुरंत अफगानिस्तान में फंसे हुए लोगों को वहां से निकालने का काम शुरू हुआ। गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूपों और लोगों को सुरक्षित भारत लाया गया। वहां रह गए अन्य लोगों को भी लाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए सिख समुदाय प्रधानमंत्री मोदी का दिल से आभारी है। उन्होंने कहा कि अब भी अफगानिस्तान में 225 सिख व हिंदू फंसे हुए हैं। उन्हें लाने की कोशिश जारी है। जिन लोगों के ठहरने का इंतजाम नहीं है, उन्हें गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में ठहराया जाएगा। डीएसजीएमसी इन परिवारों की आर्थिक मदद के साथ ही हरसंभव मदद करेगी।

अफगानिस्तान में सिखों के लिए आखिरी उम्मीद भी ख़त्म हो गई हैं, क्योंकि वहाँ के गुरुद्वारे भी सुरक्षित नहीं हैं। अफगानिस्तान से सिखों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रन्थ साहिब की तीन प्रतियाँ भारत लाई गई हैं। गुरु ग्रन्थ साहिब को ‘आदिग्रन्थ’ भी कहा जाता है। अफगानिस्तान से कई सिख पहले ही बचा कर भारत लाए गए हैं, जिनमें एक सिख सांसद भी शामिल हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी इस दौरान मौके पर उपस्थित रहे।

उन्होंने पवित्र गुरु ग्रन्थ साहिब की प्रतियों को नई दिल्ली में रिसीव किया। उन्होंने अपने सिर पर रख कर उन प्रतियों को प्राप्त किया। लोगों का कहना है कि ये घटना अफगानिस्तान में सिख परंपरा के खात्मे की ओर इशारा करती है। इससे पहले 25 मार्च, 2020 को गुरुद्वारा हर राय साहिब में इस्लामिक स्टेट ने हमला कर दिया था। इसमें 25 लोग मरे थे। तब गुरु ग्रन्थ साहिब की 7 प्रतियाँ लाई गई थीं।

इसके बाद अब अफगानिस्तान में गुरु ग्रन्थ साहिब की सिर्फ तीन प्रतियाँ ही रह गई हैं। सिखों ने बताया कि काबुल, गजनी और जलालाबाद के गुरुद्वारों से इन प्रतियों को काफी भारी मन से भारत लाया गया है। गुरु नानक देव ने कभी अफगानिस्तान की यात्रा की थी और शांति, भाईचारे एवं सहिष्णुता का संदेश दिया था। उनके उस दौरे में ही वहाँ सिख परंपरा की नींव पड़ी। तीन सिख इन तीन प्रतियों को लेकर दिल्ली पहुँचे।

इसी बीच मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAA के कटऑफ डेट को दिसंबर 2014 से बढ़ा कर 2021 तक करने की माँग की है। ‘अकाली दल’ के नेता और ‘दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी’ के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि अफगानिस्तान से आने वाले लोगों की मदद के लिए वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माँग करते हैं कि CAA के कटऑफ डेट को बढ़ा कर 2021 किया जाए।

 

उन्होंने दावा किया कि इससे तालिबान के संकट के बीच अफगानिस्तान से भारत लौटने वाले लोगों को यहाँ सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार मिलेगा और साथ ही बच्चों की शिक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। बता दें कि सिरसा हाल ही में ‘किसान आंदोलन’ में खासे सक्रिय रहे हैं और प्रदर्शनकारियों के लिए आयोजित लंगर में उनकी बड़ी भूमिका रही है। गुरुद्वारा कमिटी ने प्रदर्शनकारियों की काफी मदद की थी।

जहाँ एक तरफ अब उन्हें CAA याद आ रहा है, उनकी पार्टी इस नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करती रही है। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल कहते हैं कि CAA में मुस्लिमों को भी जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि पंजाब में कई पीड़ित मुस्लिम भी भारत की नागरिकता लेना चाहते हैं। उन्होंने ‘ये देश सबका है’ बयान देते हुए कहा था कि हर समुदाय को भारत का हिस्सा महसूस कराने की जिम्मेदारी भारत सरकार की है।

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