अंग्रेजों ने ऐसे लूटे भारत से कोहिनूर समेत बहुमूल्य रत्न-ये रही ब्रिटिश रपट

कोहिनूर जड़ें ताज के साथ किंग चार्ल्स

 

Britain India Archive Reveals Extent Of Colonial Loot Including Kohinoor From India In British Royal Jewellery Collection
Kohinoor Loot: अंग्रेजों ने कैसे भारत से लूटे कोहिनूर समेत बहुमूल्य रत्न, उन्हीं की 111 साल पुरानी रिपोर्ट से खुली पोल

अंग्रेजों ने भारत से हजारों की संख्या में बेशकीमती रत्न लूटे थे। इसमें 19 पन्ना रत्नों से जड़ा एक सोने की करधनी भी शामिल है। इसे ब्रिटिश सम्राट किंग चार्ल्स खुद पहनते हैं। अब भारत ने अपील की है कि उनके राज्याभिषेक के दौरान कोहिनूर का प्रदर्शन न किया जाए।

हाइलाइट्स
ब्रिटेन ने भारत से लूटा था कोहिनूर समेत कई बेशकीमती रत्न
अब उन्ही की 111 साल पुरानी रिपोर्ट ने खोली ब्रिटिश लूट की पोल
अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह के बेटे से छीना था कोहिनूर

लंदन 10 अप्रैल: पांच साल पहले बकिंघम पैलेस ने तत्कालीन प्रिंस चार्ल्स के 70वें जन्मदिन पर उनके पसंदीदा शाही रत्नों की प्रदर्शनी लगाई थी। इस प्रदर्शनी में भारत से लूटकर ले जाई गई ब्रिटिश राजशाही से जुड़ी वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया था। इसमें मूर्तियों, चित्रों के अलावा 19 पन्ना रत्नों से जड़ा एक लंबा सोने का करधनी भी शामिल था। इसे एक भारतीय महाराज अपने घोड़े को सजाने के लिए इस्तेमाल करते थे। इस प्रदर्शनी को लेकर ब्रिटेन के शाही परिवार की जबरदस्त आलोचना हुई थी। इसे ब्रिटेन के हिंसक अतीत से जोड़कर देखा गया। इसके बावजूद ब्रिटिश शाही परिवार को अपने अतीत पर गर्व है।

111 साल पुरानी रिपोर्ट से हुआ अनावरण

अब द गार्जियन ने हाल में ही एक भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटेन के शासन के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग इंडिया ऑफिस के अभिलेखागार से एक 46 पन्नों की फाइल का खुलासा किया है। इसमें क्वीन मैरी के उस आदेश का जिक्र है, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शाही परिवार को मिले गहनों की उत्पत्ति की जांच करवाई थी। 1912 की रिपोर्ट बताती है कि कैसे चार्ल्स के पन्ना रत्न वाले बेल्ट सहित कई अनमोल गहनों को भारत से विजय के प्रतीक के तौर पर ब्रिटेन लेकर जाया गया था। बाद में उसे महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया। अब वे वस्तुएं ब्रिटिश शाही परिवार की संपत्ति के रूप में सम्राट के स्वामित्व में हैं।

महाराजा रणजीत सिंह से मिलने गए थे गवर्नर जनरल
रिपोर्ट में 1837 में सोसायटी डायरिस्ट फैनी ईडन और उनके भाई जॉर्ज के पंजाब दौरे का जिक्र किया गया है। जार्ज उस समय ब्रिटिश राज में भारत के गवर्नर जनरल थे। उन्होंने लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह से मुलाकात की, जिन्होंने छह साल पहले अंग्रेजों के साथ “दोस्ती की संधि” पर हस्ताक्षर किए थे। ईडन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि आधे अंधे हो चुके महाराजा रणजीत सिंह ने बहुत कम कीमती रत्न पहने थे, लेकिन उनका दल बेशकीमती रत्नों से सजा हुआ था। महाराजा के पास इतने रत्न थे कि उन्होंने अपने घोड़ों को एक से बढ़कर एक बहुमूल्य रत्नों से सजाया था। उन्होंने लिखा कि उनकी साज-सज्जा और आवास की भव्यता आप कल्पना कर सकते हैं जो किसी भी चीज से बढ़कर है। फैनी ईडन ने बाद में अपनी डायरी में लिखा कि “अगर कभी हमें इस राज्य को लूटने की अनुमति दी जाती है, तो मैं सीधे उनके अस्तबल में जाऊंगी।”

महाराजा रणजीत सिंह के बेटे से लूटा था कोहिनूर

इस घटना के 12 साल बाद महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे बेटे और वारिस दलीप सिंह को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विजयी सेना के सामने पंजाब के विलय पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस हार के परिणामस्वरूप उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी को घोड़ों के साथ पन्ने से सजा बेल्ट और सबसे बेशकीमती कोहिनूर रत्न को सौंपना पड़ा। आज, कोहिनूर हीरा महारानी एलिजाबेथ के ताज में लंदन के टॉवर पर प्रदर्शित है। आज यह हीरा यह अपने शाही इतिहास के साथ ब्रिटेन के अत्याचारपूर्ण इतिहास का प्रतीक बन गया है।

किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक पर कोहिनूर नहीं दिखाएगा ब्रिटेन

बकिंघम पैलेस साफ तौर पर भारत से लूटी गई कलाकृतियों की संवेदनशीलता से परिचित है। भारत सरकार ने भी ब्रिटेन को यह बता दिया है कि किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक के समय रानी कैमिला को कोहिनूर जड़ित ताज पहनने से औपनिवेशिक अतीत की दर्दनाक यादें ताजा होंगी। इसके बाद महल ने घोषणा की है कि वह इसे एक दूसरे हीरे से बदल देगा।

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