सावन में दंगा प्लान: मजारें फूंकते धरे गए भगवाधारी मुस्लिम

बिजनौर में भगवा वस्त्र पहन मुस्लिम युवकों ने 3 मजारों में लगाई आग, क्या यह कावड़ियों को बदनाम करने और दंगे कराने का षड्यंत्र था?

बिजनौर 25 जुलाई। सावन के पावन महीने में कांवड़ यात्रा निकती है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व है। इसमे भोले बाबा के भक्त जोर शोर से भाग लेते हैं। कोरोनाकाल पश्चात पहली बार सावन में कांवड़ यात्रा हो रही है, इससे भक्तों में अभूतपूर्व उत्साह दिख रहा है। शिव  जहां २ वर्ष बाद इस अवसर से आल्हादित हैं, वहीं प्रशासन भी पूरी तैयारी से व्यवस्था में लगा है।उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का प्रशासन पिछले कुछ महीनों हुई मजहबी हिंसक घटनाओं के पश्चात हरसंभव प्रयास में है कि राज्यों में कानून व्यवस्था बेहतर बनी रहे और अवांछनीय तत्वों को इस पावन महीने में अपराध से रोका जाए। परन्तु जिहादी तत्वों को चैन नहीं, वह कुछ न कुछ ऐसा करने के प्रयास में हैं कि जिससे समाज में बैर बढ़े एवं हिन्दू बदनाम हों।

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में कांवड़ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुई है, भगवा साफा बांधकर दो सगे मुस्लिम भाईयों ने सैकड़ों साल पुरानी तीन  मज़ारों पर तोड़फोड़ और आगजनी की, ताकि शांतिमय माहौल हिंसा में बदले। हालांकि जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की सूझबूझ से शहर में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के प्रयास रोक दिये गये हैं। पुलिस ने दो सगे भाई गिरफ्तार किये हैं, जिनसे गहनता से पूछताछ हो रही है। पुलिस के अनुसार दोनों मुस्लिम भाई बिजनौर के शेरकोट इलाके के ही हैं।

पुलिस के अनुसार घटना बिजनौर के शेरकोट क्षेत्र की है, जहां रविवार शाम दो सगे भाई आदिल व कमाल ने हिन्दू प्रतीक भगवा कपडे पहन भूरे शाह , जलालशाह  व तीसरी क़ुतुब शाह मज़ार तहस नहस करने पहुंचे।  दोनों जिहादी भाइयों ने मज़ार पर चढ़ी सभी चादरें भी जला दी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव को ही दोनों भाइयों ने भगवा रंग का चोला पहन यह किया।

ADG बोले- कांवड़ यात्रा में माहौल खराब करने की कोशिश

बिजनौर की तीन मजारों में तोड़फोड़ कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुई। चादरें जलाई गई। मजारों में तोड़फोड़ करने वाले दो सगे भाई हैं, जो देवबंदी मुस्लिम हैं। वे भगवा कपड़े पहनकर तोड़फोड़ करने पहुंचे थे। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि आरोपितों से पुलिस और इंटेलिजेंस पूछताछ कर रही है। पूरा मामला कांवड़ यात्रा बिगाड़ने की कोशिश है। अराजक तत्व षड्यंत्र कर प्रदेश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश में हैैं। UP पुलिस अब अधिक सतर्क है।

उधर, कमाल और आदिल की गिरफ्तारी बाद खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गई। यूपी एटीएस टीम के बिजनौर पहुंचने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक, एटीएस को इनकी व्हाट्सएप चैट भी मिली है। इसकी जांच हो रही है।

भगवा चोले में यह तस्वीर आरोपित कमाल की है।

एक मौके से भाग निकला था, दूसरे को भीड़ ने दबोचा

 

बिजनौर के शेरकोट थाना क्षेत्र में दरगाह भूरे शाह बाबा, जलालशाह बाबा और कुतुबशाह बाबा नाम से मजारें है। रविवार शाम पुलिस को सूचना मिली कि भगवा कपड़े पहने दो युवक मजारें तोड़ रहे हैं। लोगों ने उनको पकड़ने घेरा तो एक फरार हो गया। दूसरा दबोच लिया गया। दोनों युवकों ने मजारें सरिये और हथौड़े से तोड़ने के बाद वहां चढ़ाई चादरें भी जलाई है। धार्मिक ग्रंथ भी नष्ट करने का प्रयास बताते हैं, लेकिन जांच में यह गलत निकला।

पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।

तीनों मजारों की मरम्मत हुई शुरू

पुलिस को जैसे ही सूचना मिली उच्चाधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने समय की संवेदनशीलता समझ तीनों मजारों की मरम्मत शुरू करा दी। साथ ही देर शाम एक युवक को गिरफ्तार कर लिया।दूसरे युवक की तलाश में तीन टीमें लगाई, जिसे सोमवार सुबह पकड़ लिया गया।

मजार पर हथौड़े से हमला किया गया। मस्जिद का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है।

दोनों युवक हैं सगे भाई

आरोपित कमाल और आदिल सगे भाई हैं। दोनों ही राजमिस्त्री हैं। दोनों ही धार्मिक हैं। जांच में आया है कि दोनों देवबंदी फिरके के हैं, जो कि मजारों में विश्वास नहीं रखते हैं। इसी से दोनों ने मजारों में तोड़फोड़ की है। हालांकि, दोनों ने तोड़फोड़ के समय भगवा पहन रखा था, जिससे मामले को दूसरा रंग दिया जा सके। फिलहाल दोनों से पूछताछ की जा रही है।

मजार को दोनों भाइयों ने तोड़ने की कोशिश की। मजार को दुरुस्त करने का काम जारी है।

पिता भी करते हैं मजदूरी

आरोपितों के पिता उस्मान भी मजदूरी का काम करते हैं। कमाल और आदिल के अलावा उनका एक बेटा और था जिसकी मौत हो चुकी है। कमाल सबसे बड़ा है। उसकी शादी से चार बच्चे भी हैं।

आरोपित भाइयों ने मजारों पर चढ़ी चादरें जलाई हैं।

बहन बोली- भाई डिप्रेशन में रहता है

आरोपितों की बहन आयशा ने बताया, “मेरे तीन भाई हैं। एक की मौत हो चुकी। इससे बड़े भाई कमाल डिप्रेशन में चले गए। उनकी दवा भी चलीं। थोड़ा ठीक हुए तो कुछ दिन पहले उन्हें कुवैत भेज दिया गया। उनकी दिमागी हालत देख कर उन्हें वहां से रिटर्न कर दिया गया। अब कल उन्होंने मजार तोड़ी तो मेरा छोटा भाई वहां नहीं था। वह बाद में गया। अगर उनका दिमाग सही हाेता तो वह मजार क्यों तोड़ते? आखिर वह भी तो मुसलमान हैं। वह सिर्फ डिप्रेशन में हैं। इससे उन्होंने तोड़ा।

भगवा कपड़े क्यों पहने के सवाल पर आयशा ने कहा, “वह पहले भगवा कपड़े ले आए थे। उन्हें हम लोगों ने समझाया कि कोई हिंदू मस्लिम नहीं होता यह गलत है, लेकिन वे नहीं माने। हमें अंदाजा नहीं था कि वह कोई ग़लत उठायेंगे। उन्होंने घर में भी एक थैला जलाया है जिसमें भाई के जरूरी कागजात थे। मेरे भाई की वजह से मेरे पिता को भी डिप्रेशन है। मेरा छोटा भाई भी डिप्रेस रहता है। सुबह वर्दी में कुछ लोग आए। घर में मेरी अम्मी और भाभी थी। उन्होंने बिना पूछे घर का पूरा सामान उलट पलट दिया। उनमें कुछ वर्दी में थे तो कुछ सादे कपड़े पहने थे।”

आरोपित कमाल की बहन आयशा ने शिकायत की कि सुबह पुलिस आई थी।उसने घर का पूरा सामान इधर उधर फैला दिया।

सौभाग्य से दोनों भाइयों को यह कृत्य करते हुए कुछ लोगों ने देख लिया था, उन्होंने तुरंत ही पुलिस को इस घटना की जानकारी दी। आनन-फानन में बिजनौर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रण में लिया और तुरन्त टूटी तीनों मज़ारों की मरम्मत शुरू करा दी । इसके अतिरिक्त दोनों आरोपित भाइयों को गिरफ्तार कर कड़ाई से पूछताछ हो रही है।

परिजनों ने बताया बहाना, दोनों भाइयों को बताया मानसिक रोगी

जैसा कि हमे आशा थी, दोनों जिहादी भाइयों के घरवालों ने इन्हे मानसिक रूप से बीमार बताया है। यह एक सामान्य सा बहाना है, जिसका उपयोग गंभीर अपराध करने पर मिलने वाले दंड को कम करने और जनता में सहानुभूति उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। हमारे देश में ऐसे बहनों से लोग पिघल जाते हैं, उनके ह्रदय में अपराधी के प्रति थोड़ी नरमी आ जाती है, और यह परिवार भी यही प्रयास कर रहा है।

प्रशासन ने तुरंत मरम्मत शुरू करा दी है

 

पुराना जिहादी फार्मूला, हिन्दू प्रतीकों के साथ आतंकी हमले

बिजनौर में भगवा वस्त्र पहन कर मजार तोड़ी गयी हैं, अगर इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी ना होते, तो शायद इसका दुरूपयोग किया जाता, इसका दोष हिन्दुओं पर लगाया जाता और फिर दंगे भी हो सकते थे। ऐसी ही एक घटना 2008 में मुंबई में भी हुई थी, जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हिन्दू नाम रख, हिन्दू नाम के पहचान पत्रों के साथ, हाथों में भगवा कलावा पहन कर ताज होटल और अन्य स्थानों पर हमला कर 160 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी।

ये तो सौभाग्य था हिन्दुओं का, और वीरता थी महान बलिदानी तुकाराम ओम्ब्ले की, जिन्होंने कसाब को जिन्दा पकड़ने को अपना बलिदान दे दिया । अन्यथा उस आतंकी घटना को भी हिन्दुओं के सर पर मढ़ने की पूरी तैयारी थी। कुछ ऐसा ही प्रयास बिजनौर में भी किया गया था। हिन्दुओं को ऐसे परिस्थितयों में बहुत ही संयम और सजगता से काम लेना होगा।

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