मदरसे के नाम गरीब बच्चों की तस्करी,हासिम, शमशुल शाहिद समेत आठ बंदी

यूपी पुलिस ने 33 बच्चों को तस्करी से बचाया, हाशिम, शाहिद, और शमशुल समेत 8 गिरफ्तार: मदरसा ले जाने का बनाया बहाना

प्रयागराज 26 जून। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जंक्शन पर मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। बाल श्रम व अन्य अवैध कार्यों के लिए मानव तस्करी की जा रही थी। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के NGO ‘बचपन बचाओ’ की सूचना के बाद GRP (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) ने 8 आरोपितों को गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से कई बच्चों को छुड़ाया। कुल 33 बच्चों को छुड़ाया था। बिहार के बच्चों को ये तस्कर दिल्ली और पंजाब लेकर जा रहे थे।

पुलिस ने इन बच्चों को रेस्क्यू कर के उन्हें चाइल्ड लाइन को सौंप दिया और आरोपितों से पूछताछ की गई। NGO के स्टेट कोऑर्डिनेटर सूर्य प्रताप मिश्रा ने बच्चों की तस्करी की सूचना राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को दी थी। इसके बाद चेयरमैन डॉक्टर विशेष गुप्ता ने SSP को इसके जानकारी दी। शुक्रवार (जून 25, 2021) को दोपहर साढ़े 12 बजे GRP ने नॉर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस की घेराबंदी की।

चेकिंग के दौरान अलग-अलग 9 लोगों के पास कुल 33 बच्चे मिले। उनमें एक जुबैर नाम का व्यक्ति था, जो अपने बच्चे के साथ जा रहा था। शेष 8 लोगों के साथ अन्य बच्चे थे। इनमें मोहम्मद हाशिम, शाहिद आलम, नोमान, अब्दुल सलाम, मुशाबिर, शाह आलम, शमशुल हक और हाफिज जावेद शामिल हैं। इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है। बच्चों को बल कल्याण समिति के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।

वहाँ उनके बयान दर्ज किए गए। 10 साल से कम उम्र के बच्चों को खुल्दाबाद स्थित राजकीय बाल गृह और इससे ज्यादा उम्र वाले बच्चों को राजरूपपुर राजकीय स्थित बाल गृह में भेजा गया है। आरोपितों ने पूछने पर बताया था कि वो तालीम दिलाने के लिए इन बच्चों को तुगलकाबाद स्थित एक मदरसे में ले जा रहे हैं। उन्होंने बच्चों के माँ-बाप से मंजूरी लेने की बात कही। लेकिन, जब सवाल दागा गया कि कोरोना महामारी में मदरसों में पढ़ाई चालू है, तो वो संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

वो लोग मदरसा प्रबंधन से भी बात नहीं करा पाए। तस्करी से पहले बच्चों को आरोपितों द्वारा प्रशिक्षण तक दिया गया था। अपने बयान में बच्चों ने ही ये खुलासा किया। पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर बच्चों ने आरोपितों को अपना मामा बताया था। उन्हें ऐसा बोलने के लिए सिखाया गया था। बच्चों को ये कहने को भी कहा गया था कि वो पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। इस गिरोह का नेटवर्क कहाँ तक फैला है, इसकी तफ्शीश की जा रही है।

मानव तस्करी: बच्चों के परिजन बोले- वे पाल नहीं पा रहे थे, इसलिए मदरसा पढ़ने भेजा


2 वर्ष पहले
मानव तस्करी: बच्चों के परिजन बोले- वे पाल नहीं पा रहे थे, इसलिए मदरसा पढ़ने भेजा|
33 बच्चे देख भी आरपीएफ ने नहीं की पूछताछ
सिर्फ जुबानी रजामंदी पर बच्चों को ले जाया जा रहा था

हावड़ा-मुंबई मेल से रेस्क्यू कराए गए 33 बच्चों के मामले में आरपीएफ की लापरवाही भी सामने आई। इतने बच्चे देख आरपीएफ ने कोई पूछताछ नहीं की। मामले में टीटीई ने भी आराम से कह दिया, हम बेवजह किसी यात्री को क्यों परेशान करें। महिला वकीलों ने पूछा तब जब साढ़े नौ सौ किमी की यात्रा पूरी हो चुकी थी। मामले काे मानव तस्करी से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

बच्चों को सत्यापन के लिए बाल गृह व आश्रय गृह दुर्ग में रखते हुए बाल कल्याण समिति द्वारा अपने संरक्षण में लिया है। 10 बच्चों को दुर्ग बालगृह व 23 बच्चों को बोरसी शेल्टर होम में रखा गया है। मामले में 33 बच्चों को भागलपुर कटिहार जिले से पढ़ाने नंदूरबार (महाराष्ट्र) के मदरसे में ले जाना बताया। कुछ परिजन ने बताया कि वे बच्चे नहीं पाल पा रहे थे, इसलिए मदरसा भेजा।

शिक्षक ले जा रहा था ट्रेन से बच्चों को

मामले में हाफिज शाकिर हुसैन (22) निवासी ग्राम माधवपुर, पोस्ट परशुरामपुर, थाना पिरपैती, जिला भागलपुर, बिहार ने बताया कुछ बच्चे भागलपुर के थे कुछ कटिहार के बताए। 11 बच्चे पहले ही गोंडा के किसी मदरसे में पढ़ रहे हैं, बाकी बच्चों का वहीं एडमिशन कराने ले जा रहा था। वो भी परिजन की मौखिक रजामंदी पर।

इसी ट्रेन से गए एडीआरएम

इत्तफाक से एडीआरएम वायएच राठौर रेलवे स्टेशन के निरीक्षण पर पहुंचे थे। दोपहर को एडीआरएम हावड़ा मुंबई मेल से रवाना हुए, जिसमें बच्चों को ले जाया जा रहा था।

कुछ बच्चे पहले भी महाराष्ट्र लाए जा चुके

यह भी पता चला कि कि कुछ बच्चे पहले भी महाराष्ट्र के मदरसे में जा चुके हैं। कुछ के छह से सात भाई बहन हैं। सवाल उठ रहे हैं कि मदरसे हर जगह हैं तो फिर 1500 किमी दूर महाराष्ट्र क्यों ले जाया जा रहा था। वहीं लिखित सूचना या सहमति भी नहीं मिल पाई।

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