बायजूस और उदयन केयर की सुविधाहीन समुदाय के बच्चों को डिजिटल शिक्षा को साझेदारी

बायजूस की ‘एज्‍युकेशन फॉर ऑल’ और उदयन केयर ने सुविधाहीन समुदायों के बच्‍चों को बेहतर डिजिटल शिक्षा देने के लिये साझेदारी की

इस देशव्‍यापी साझेदारी का लक्ष्‍य ऐसे 1500 से ज्‍यादा बच्‍चों को फायदा पहुँचाना है, जो विभिन्‍न प्रकार की चुनौतीपूर्ण पृष्‍ठभूमियों से आते हैं, लेकिन आगे पढ़ना चाहते हैं

देहरादून, 14 दिसंबर 2022- बायजूस की सामाजिक प्रभाव वाली पहल ‘एज्‍युकेशन फॉर ऑल’ ने हाल ही में बाल एवं युवा कल्‍याण एनजीओ उदयन केयर के साथ गठबंधन किया है। यह गठबंधन गरीब एवं सुविधाहीन पृष्‍ठभूमि के बच्‍चों को गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा और सीखने के समान अवसरों से शिक्षित एवं सशक्‍त करने के लक्ष्‍य से किया गया है। इस साझेदारी की कल्‍पना एक देशव्‍यापी पहल के रूप में की गई है और इसका लक्ष्‍य है सुविधाहीन 1500 से ज्‍यादा विद्यार्थियों को लाइसेंसों का वितरण करना। इनमें उदयन घर प्रोग्राम के अनाथ बच्‍चे और उदयन शालिनी फेलोशिप प्रोग्राम के कम संसाधनों वाले परिवारों की लड़कियाँ शामिल हैं। यह प्रोग्राम चेन्‍नई, दिल्‍ली, देहरादून, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, जयपुर, कुरूक्षेत्र और कोलकाता तक विस्‍तृत हैं।

आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्‍चे अनेक चुनौतियों का सामना करते हैं, जिनमें अच्‍छी गुणवत्‍ता की शिक्षा तक कम या बिलकुल पहुँच नहीं होना भी शामिल है। इस साझेदारी के तहत बायजूस ईएफए और उदयन केयर का लक्ष्‍य है विभिन्‍न डिजिटल हस्‍तक्षेप करना और कक्षा 4 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिये पढ़ाई के मुफ्त प्रोग्राम देकर पहुँच की चुनौतियों को दूर करना। विद्यार्थियों की पहुँच बायजूस लर्निंग ऐप के एक्‍सक्‍लूसिव कंटेन्‍ट तक होगी, जोकि निजीकृत और डिजिटल से सक्षम होता है, ताकि हर बच्‍चे की पढ़ाई से जुड़ी जरूरत पूरी हो सके। बायजूस और उदयन केयर के बीच साझेदारी 2025 तक भारत में सुविधाहीन 10 मिलियन बच्‍चों को सशक्‍त करने के बायजूस के विचार की दिशा में एक और सकारात्‍मक कदम है।

उदयन केयर सुविधाहीन बच्‍चों और युवाओं की सहायता के लिये कई कार्यक्रम चलाता है। उदयन घर प्रोग्राम के तहत अनाथ, परित्‍यक्‍त और पैरेंट की देखभाल से वंचित बच्‍चों को 18 वर्ष की आयु तक देखभाल, सुरक्षा और विकास के लिये समग्र सहयोग दिया जाता है। 18 वर्ष का होने के बाद उन्‍हें उदयन घर आफ्टरकेयर प्रोग्राम के तहत सहयोग मिलता है और स्‍वतंत्र रूप से जीने का प्रशिक्षण दिया जाता है।

उदयन शालिनी फेलोशिप प्रोग्राम आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण पृष्‍ठभूमि से संबंधित लड़कियों के लिये शिक्षा में उत्‍कृष्‍टता एवं व्‍यक्तित्‍व विकास का कार्यक्रम है। ऐसी लड़कियाँ, जिनके औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर हो जाने की आशंका रहती है। यह जीवन सम्‍बंधी कुशलताओं और रोजगार कुशलताओं में प्रशिक्षणों एवं कार्यशालाओं के एक तैयार कार्यक्रम, छात्रवृत्ति और निजीकृत संरक्षण की पेशकश करता है।

इस गठबंधन के बारे में बायजूस में सोशल इनिशियेटिव्‍स की वीपी मानसी कासलीवाल ने कहा, “बायजूस में हमें बच्‍चों की सामाजिक-आर्थिक पृष्‍ठभूमियों या जगहों से इतर सीखने के समान अवसरों द्वारा उन्‍हें सशक्‍त करने पर विश्‍वास है। उदयन केयर के साथ हमारी साझेदारी सुनिश्चित करती है कि बेघर या अनाथ बच्‍चों को डिजिटल लर्निंग टूल्‍स मिलें, ताकि उनके सपने और आकांक्षाएं पूरी हो सकें। यह गठबंधन शिक्षा में डिजिटल की कमी को दूर करने के हमारे विचार को मजबूती देता है और हम एक बेहतर कल के लिये अपने जैसी सोच वाले ऐसे और भी भागीदारों के साथ काम करने की आशा में हैं। उद्देश्‍य है जमीनी स्‍तर पर एक समग्र कार्यक्रम की आपूर्ति और यह सुनिश्चित करना कि बच्‍चे अपनी समग्र वृद्धि और विकास के लिये जरूरी अच्‍छी गुणवत्‍ता की पढ़ाई के अवसरों से वंचित न रहें।”

उदयन केयर की एक्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर अंजली हेगडे ने कहा, “बायजूस लर्निंग ऐप ने पढ़ाई को काफी मजेदार बना दिया है। इसने दुनिया को लेकर बच्‍चों की जिज्ञासा बढ़ाई है। इस ऐप ने महामारी के दौरान एकाग्र रहने में हमारे बच्‍चों की मदद की है और उन्‍हें पढ़ाई का आनंद दिया है। इसने हमारे बच्‍चों और युवाओं की विजुअलाइजेशन और मेंटर्स के लगातार सहयोग से कॉन्‍सेप्‍ट्स को बेहतर समझने में भी मदद की है।”

2020 में लॉन्‍च हुई, बायजूस की सामाजिक प्रभाव वाली प्रमुख पहल ‘एज्‍युकेशन फॉर ऑल’ का लक्ष्‍य शिक्षा के परितंत्र में सकारात्‍मक समग्र बदलाव लाना है। 2025 तक सुविधा-वंचित 10 मिलियन बच्‍चों को सशक्‍त करने के मिशन के साथ, इस पहल ने 400 जिलों में 175 से ज्‍यादा एनजीओ के माध्‍यम से देश के सुदूर इलाकों में 5.5 मिलियन बच्‍चों को सकारात्‍मक रूप से प्रभावित किया है। लड़कियों को पढ़ाई के समान अवसर प्रदान करने के लिये अपने समर्पण को मजबूती देते हुए, बायजूस एज्‍युकेशन फॉर ऑल प्रोग्राम्‍स की लगभग 50% लाभार्थी लड़कियाँ ही हैं।

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