पेपरलीक मामले में स्टैंड नहीं लिया अमर उजाला ने, बंदी रिपोर्टर छोड़े बेसहारा

लाला राजुल माहेश्वरी को क्या हो गया? एकदम से दुम दबा लिए हैं!

bhadas4media.com
यशवंत सिंह-

अतुल माहेश्वरी और वीरेन डंगवाल वाले तेवरदार परंपरा का अख़बार अमर उजाला इतना ओजहीन, इतना दब्बू, इतना पतित हो जाएगा, ऐसी उम्मीद न थी। बलिया पेपर लीक कांड को उजागर करने वाले उसके जाँबाज़ पत्रकार आज जेल में हैं तो बजाय डटकर उनके साथ खड़े होने के, पुलिस प्रशासन की साज़िशों और असफलताओं का पर्दाफ़ाश करने के, अमर उजाला अख़बार भयभीत छुटभैया न्यूज़पेपर सा व्यवहार कर रहा है।

अमर उजाला की इतनी हिम्मत नहीं हो रही कि वह गिरफ़्तार पत्रकारों को खुद के अख़बार से जुड़ा बताए। वह डरा सहमा सा लग रहा है। सब कुछ डर डर दब दब के छाप रहा है।

बलिया से लेकर पूरे हिंदी पट्टी तक में अमर उजाला के नपुंसक संपादकों और डरे हुए मालिकों के बारे में बातें हो रही हैं। इस घटना के बाद से ये अख़बार उन चिरकुट अख़बारों की श्रेणी में आ गया है जिसका मुख्य मक़सद मुनाफ़ा कमाना और सरकार व प्रशासन की दलाली करना है।

हम सब पूरा पत्रकार जगत निर्दोष पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में हैं, लेकिन अमर उजाला को क्या हो गया है, एक लाइन अपने पत्रकारों के लिए नहीं लिख रहा। कभी यही अमर उजाला अपने छोटे से छोटे कस्बाई पत्रकार तक के लिए लड़ जाता था।

अमर उजाला के इस महापतन पर मन दु:खी होता है, यह सब देख-सुनकर लगता है कि ये अख़बार खुद के मीडिया/अख़बार होने की प्रासंगिकता खो चुके हैं। इनका छपना या न छपना दोनों अवस्था एक बराबर है।

अमर उजाला के संपादक पर भी दर्ज हो पेपर लीक मामले में मुकदमा

बलिया में शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की कमियों के चलते माध्यमिक शिक्षा परिषद की चल रही परीक्षा की शुचिता तारतार हो रही है लेकिन प्रशासन अपनी खाल बचाने के लिये कमी को उजागर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाही करके अपनी पीठ खुद थपथपाने का काम कर रहा है। इस प्रकरण में अमर उजाला के उच्च पदस्थ अधिकारियों /संपादक /मालिक द्वारा अपने संवाददाताओ के बचाव का प्रयास तो छोड़िये, अपने संवाददाता की गिरफ्तारी की छोटी सी खबर भी नहीं प्रकाशित करना घोर निंदनीय कृत्य है।

अगर पेपर लीक मामले में प्रशासन द्वारा संवाददाताओ को क़सूरवार माना जा रहा है तो इसमें अमर उजाला के वाराणसी संस्करण के संपादक भी कम जिम्मेवार नहीं हैं। इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज होनी चाहिये क्योकि स्थानीय पत्रकारों ने तो अपने पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए अपने संस्थान को खबर भेजी थी और जिला प्रशासन को वायरल की सत्यता के लिये प्रमाण प्रेषित किया था। वायरल को अखबार में प्रकाशित करके गुनाह तो संपादक महोदय ने किया है, क्योकि इनको वायरल पेपर की खबर लगानी ही थी तो किसी एक पेज का कुछ अंश डाल देते, पूरा पर्चा प्रकाशित करके प्रिंट में वायरल करने की क्या आवश्यकता थी? गोपनीयता संपादक महोदय ने भंग की है, इस लिये सबसे बड़े दोषी संपादक अमर उजाला है जिनके खिलाफ प्रशासन ने कोई कार्यवाही की ही नहीं है।

यह भी जांच आवश्यक है कि संस्कृत के पेपर के वायरल होने की जांच जेडी आजमगढ़ द्वारा करके रिपोर्ट भेजने के बाद भी हाई स्कूल की संस्कृत की परीक्षा अब तक क्यों निरस्त नहीं हुई है? वहीं 2 बजे दिन में होने वाली परीक्षा को दो घण्टे पहले ही किस जांच में वायरल को सत्य मानकर अंग्रेजी के पेपर को निरस्त करके पूरे प्रदेश में दहशत का माहौल बनाया गया? जब परीक्षा 2 बजे से शुरू होनी थी तो डीआईओएस हो या जिलाधिकारी को कैसे पता चल गया कि वायरल पेपर लिफाफे में बंद पेपर का ही फोटो स्टेट है?

पहली परीक्षा में वायरल पेपर सही था लेकिन दुबारा हुई परीक्षा में जो पेपर वायरल हुआ था, वह फर्जी था। ऐसे में जिलाधिकारी बलिया इंद्र विक्रम सिंह द्वारा बिना पेपर खोले ही वायरल को सही मानते हुए किन परिस्थितियों में निरस्त करने की संस्तुति की गई, इसकी भी जांच होनी आवश्यक है। यह भी जांच होनी चाहिये कि किन परिस्थितियों में मात्र 4 राजकीय को ही परीक्षा केंद्र बनाया गया। वहीं सैकड़ों एडेड व वित्त विहीन विद्यालयों को केंद्र बनाया गया। इसकी न्यायायिक जांच करायी जाय, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ सके।

रेंगने में अव्वल साबित हुआ उजाला

ये सब सवाल अमर उजाला को उठाना चाहिए था। अपने तेजतर्रार रिपोर्टर्स की टीम उतार देनी थी। जब मौक़ा था दम दिखाने का तो दुम दबाकर बैठ गए लाला राज़ुल माहेश्वरी। रीढ़विहीन संपादकों की फ़ौज ने अमर उजाला के माथे पर ऐसा दाग लगा दिया जिसका निकट भविष्य में मिटना मुश्किल है। अब कोई पत्रकार पेपर लीक की खबर बिना प्रशासन की अनुमति के नहीं छापेगा और प्रशासन भला कब कहेगा कि पेपर लीक हुआ है। दैनिक जागरण से हम उम्मीद नहीं करते कि वह पुलिस प्रशासन सरकार के ख़िलाफ़ जाएगा। पर अमर उजाला तो रेंगने के मामले में अव्वल साबित हो गया है।

लाला राजुल माहेश्वरी को इस पतन के लिए बधाई। अतुल माहेश्वरी और वीरेन डंगवाल की दमदार पत्रकारिता की परंपरा का समूल नाश करने पर बहुत बहुत बधाई। अब सरकार से खूब नोट मिलेगा। खूब विज्ञापन बिज़नेस आएगा। पालतू होने की बधाई। उम्मीद है आख़िरी वक्त में लाला राजुल माहेश्वरी अपने साथ कई बोरा नोट भी ले जाएँगे ताकि स्वर्ग में वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिलने हेतु समुचित व्यवस्था करा सकें।

अपने ईमानदार और साहसी पत्रकारों का मुश्किल वक्त में साथ छोड़कर ये संपादक और मालिक लोग कैसे चैन से खाते पीते सोते होंगे, इस पर एक शोध की ज़रूरत है कि इनके अंदर ज़रा भी संवेदना शेष है या नहीं।

इन वीडियोज को देखो राजुल माहेश्वरी, ये तुम्हारे पत्रकार हैं, रीढ़ है इनके पास जो तुम जाने कब के निकाल कर सरकारी खूँटी पर टांग चुके हो… देखो और सोचो, तुमने कितना बड़ा अपराध किया है इनका साथ न देकर… तुम्हारी अंतरआत्मा तुमको माफ़ न करेगी… धिक्कार है तुम्हें…

वीडियो एक

वीडियो दो

 

April 1, 2022 at 11:56 pm
एडवोकेट अजय यादव says:
पत्रकारों पर मुकदमें से पूर्व सीओ स्तर की जांच का प्रावधान है। पर इस मामले में जांच क्यों नहीं की गई? बड़ा सवाल। खबर गलत थी तो पेपर निरस्त क्यों किया? अफसरों को इतनी समझ भी नहीं। पत्रकार ने खबर सूत्रों से लिखी है। सूत्र कई बार गलत भी हो जाते हैं। अफसरों ने अपनी खामी पत्रकारों पर थोप दी है। अब सरकार का फर्ज है वे अफसरों पर कारवाई करे और निर्दोष पत्रकारों को तुरंत रिहा करवाये । यही राज धर्म है। एडवोकेट अजय यादव दैनिक अन्त तक परिवार सहारनपुर । 8433104584

@ वैबसाइट ‘भडास फॉर इंडिया’ से साभार

 

बलिया से ही लीक हुआ था पेपर, जानें कौन-कौन था शामिल

यूपी एसटीएफ और बलिया पुलिस ने पेपर लीक कांड का खुलासा कर दिया है. बलिया से ही 12वीं के इंग्लिश का पेपर लीक हुआ था. दो स्कूलों के मैनेजर, एक टीचर व 3 स्टाफ ने मिलकर टैंपर प्रूफ पैकेट को खोलकर पेपर लीक किया था. मामले में अब तक 34 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि कल देर रात तक 24 आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.

 

गंगोत्री इंटर कॉलेज से लीक हुआ था पेपर?

इस मामले में गंगोत्री इंटर कॉलेज के प्रबंधक और प्रधानाचार्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस स्कूल से ही पर्चा लीक हुआ. वहीं, नकल के व्यापार से जुड़े स्कूल का स्टाफ और विभागीय अफसर भी एसटीएफ और यूपी पुलिस के रडार पर हैं. पुलिस इस पूरे मामले को लेकर सिंडिकेट से जुड़े तमाम संदिग्धों की व्हाट्सएप डिटेल और कॉल डिटेल खंगाल रही है. इसमें जांच कर रही टीमों को कई अहम सुराग मिले हैं.

जल्द हो सकती है अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी साफ कर दिया है कि मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसे लेकर पुलिस टीम ताबड़तोड़ एक्शन में नजर आ रही है. माना जा रहा है कि पेपर लीक सिंडिकेट मामले से जुड़े अन्य आरोपितों की भी जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है.

 

छात्रों ने की आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग

वहीं, बोर्ड की परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों ने बताया कि वह दिन-रात मेहनत करते हैं और जब पेपर लीक हो जाता है, तो अफसोस होता है. हालांकि सरकार के प्रयासों से नकल पर रोकथाम लगी है, लेकिन नकल के चलते मेहनत करने वाले छात्रों का नुकसान होता है. तमाम छात्रों का मानना है कि सरकार को इस मामले में सभी आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे कि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ ना हो सके.

 

बलिया पेपर लीक मामले में 10 लोग और गिरफ्तार, अब तक कुल 34 हुए अरेस्ट

अजय भारती

बलिया पेपर लीक मामले में पुलिस ने बड़ी कार्यवाई करते हुए अब तक 34 अभियुक्त गिरफ्तार कर लिए हैं. इससे पहले 24 और आज 10 अभियुक्तों गिरफ्तार गया गया है

उत्तर प्रदेश   के बलिया में पेपर लीक मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है. इस मामले में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. जहां कल तक 24 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है, वहीं पुलिस ने आज 10 और अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में अब तक कुल 34 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

अब तक कुल 34 गिरफ्तारियां हुईं

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बलिया पेपर लीक मामले में पुलिस ने बड़ी कार्यवाई करते हुए अब तक 34 अभियुक्त गिरफ्तार कर लिए हैं. इससे पहले 24 और आज 10 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही आगे की कार्रवाई की जा रही है. वहीं पत्रकार की गिरफ्तारी के सवाल पर एसपी ने कहा कि एक व्यक्ति विद्यालय में सह अध्यापक था और कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी थी. उसके पास से भी प्राप्त हुए प्रश्नपत्र, अग्रिम विवेचनात्मक कार्रवाई की जा रही है.

निरस्त हुई परीक्षा

आपको बता दें को बलिया जनपद के अलग-अलग तीन थाना क्षेत्रों सिकन्दरपुर, नगरा और सदर कोतवाली से ये गिरफ्तारियां की गई हैं. वहीं पेपर लीक के बाद 24 जिलों में परीक्षा निरस्त कर दी गई है. अलग अलग टीमों का गठन कर जांच कर कार्रवाई करने की बात की जा रही है.

 

बलिया के सभी एग्जाम सेंटर पर सुरक्षित मिले पेपर, फिर कहां से हुआ लीक?

उत्तर प्रदेश में इंटरमीडिएट अंग्रेजी पेपर लीक की शुरुआती जांच में पता चला कि बलिया से पेपर लीक नहीं होने की संभावना नहीं है. बलिया के अलावा किसी अन्य जिले से पेपर लीक होने की आशंका जताई गई है.

बलिया( संतोष शर्मा)शुरुआती जांच में बलिया से लीक होने के नहीं मिले सबूत,दूसरे जिलों के डीएम-एसपी से मांगी गई रिपोर्ट

यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट अंग्रेजी के पेपर लीक मामले में अहम जानकारी सामने आई है. शुरुआती जांच में बलिया से पेपर लीक नहीं होने की संभावना नहीं है. बलिया के सभी एग्जाम सेंटर पर पेपर non tearable packet में सुरक्षित मिले हैं. देर रात बलिया के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने शासन को अपनी रिपोर्ट भेजी है.

आज परीक्षा रद्द होने वाले बाकी के 23 जिलों से भी रिपोर्ट मांगी गई है. शुरुआती जांच में बलिया के अलावा किसी अन्य जिले से पेपर लीक होने की आशंका जताई गई है. गौरतलब है कि बुधवार को अंग्रेजी का पेपर लीक हो गया. इस वजह से 24 जिलों में परीक्षा रद्द कर दी गई थी. इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही है.

बलिया में खबर छापने वाला पत्रकार ही गिरफ्तार

इस बीच बलिया में हिंदी दैनिक अखबार के एक पत्रकार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस पत्रकार अजित ओझा है. उनका कहना है कि पेपर लीक की खबर छपने के बाद सुबह जिला विद्यालय निरीक्षक ने फोन करके कहा कि क्या खबर आप लोगों ने छापी है? आपके पास है? अगर प्रश्न पत्र हो तो आप व्हाट्सएप पर भेज दीजिए?

पत्रकार अजित ओझा ने कहा, ‘कोतवाल ने अपराधी की तरह व्यवहार करते हुए दफ्तर में तोड़फोड़ की और मुझे जबरन गाड़ी में बैठाकर कोतवाली लाए, हम नहीं आ रहे थे तो हमारे सहयोगियों के साथ हाथापाई की गई, धक्का-मुक्की की गई और यहां करीब 3 घंटे से बैठाए हुए हैं.’ बाद में पत्रकार को जेल भेज दिया गया.

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में बुधवार को दूसरी पाली में बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में अंग्रेजी विषय का पेपर था. दोपहर उस समय हड़कंप मच गया जब पता चला कि पेपर लीक हो गया है. परीक्षा केंद्रों पर पहुंच चुके परीक्षार्थी और उनके मां-बाप के लिए यह खबर हताश निराश करने वाली थी. दिन रात मेहनत कर परीक्षा की तैयारी की और अचानक पेपर रद्द हो गया.

शुरुआती जांच में पता चला कि पेपर की सीरीज 316 ED और 316 EI का पेपर बलिया से लीक हुआ और इस सीरीज के पेपर उत्तर प्रदेश के 24 जिलों में भेजे गए थे. यह 24 जिले- बलिया, एटा, बागपत, बदायूं, सीतापुर, कानपुर देहात, ललितपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, गोंडा, आजमगढ़, आगरा, वाराणसी, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, शामली, शाहजहांपुर, उन्नाव, जालौन, महोबा, अंबेडकरनगर और गोरखपुर है.

विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने इन 24 जिलों में परीक्षा को रद्द कर जांच के आदेश दिए. आराधना शुक्ला से जब सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि पेपर मजबूती से सीलबंद लिफाफे में था कोई जानकार ही इसको लीक कर सकता है. विभाग की मंत्री गुलाबो देवी ने कहा कि पेपर लीक में जो शामिल होंगे, उन पर सख्त कार्रवाई होगी, डीआईओएस बलिया को सस्पेंड कर दिया गया है.

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