कांग्रेस-वाम मोर्चा के बदरूद्दीन ने उगला जहर, अलकायदा को अनाथ बच्चे बेचने की हो रही जांच

भाजपा सत्ता में आई तो तबाह कर देगी 3500 मस्जिदें, बुर्का-दाढ़ी पर भी लगा देगी पाबंदी: बदरुद्दीन अजमल

असम के धुबरी में एक रैली को खिताब करते हुए बदरुद्दीन अजमल ने कहा,`भाजपा मुस्लिम महिलाओं के बुर्के और मुस्लिम मर्दों के दाढ़ी रखने पर पाबंदी लगा देगी.

गुवाहाटी: ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के चीफ बदरुद्दीन अजमल (Badruddin Ajmal) ने भड़काऊ बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अप्रैल-मई में असेंबली चुनावों में भारतीय जनता पार्टी फिर से सत्ता में आ गई तो मस्जिदों को तबाह कर देगी. कि भाजपा मुस्लिम महिलाओं के बुर्के पर भी पाबंदी लगा देगी.
बदरुद्दीन अजमल ने कहा,”भाजपा जालीदार टोपी और मस्जिदों में अज़ान नहीं होने देगी।”मोदी सरकार ने तीन तलाक़ खत्म कर दिया है. बाबरी मस्जिद गिरा मंदिर की तामीर की है और आगे भी ये मस्जिदें तबाह करेंगे.””भाजपा के पास मुल्कभर में 3500 मस्जिदों की लिस्ट है और अगर भाजपा फिर से सत्ता में आती है तो इन मस्जिदों को तबाह किया जाएगा.”

इससे पहले गुवाहाटी में महागठबंधन का ऐलान करते हुए असम कांग्रेस चीफ रिपुन बोरा ने कहा कि उनकी पार्टी AIUDF, तीन वामपंथी दलों – सीपीआई-मार्क्सवादी, सीपीआई, सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और एजीएम के साथ गठबंधन कर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी।
असम प्रदेश कांग्रेस (Assam Congress) समिति के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि महागठबंधन बीजेपी के सभी विरोधी दलों का हाथ मिलाने के लिए स्वागत करेगा. बोरा ने बताया, “अब तक महागठबंधन में कांग्रेस, AIUDF, एजीएम और वामपंथी दलों सीपीआई, सीपीआई (एम) और सीपीआई (एमएल) हैं.”

असम (Assam) में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना शुरू कर दिया है। असम में कांग्रेस ने मंगलवार को बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व में चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की. ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), अंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) और वाम दलों ने बीजेपी सरकार को हराने को ‘महागठबंधन’ बनाया.

पार्टियों के बीच गठबंधन हालांकि चलायमान था. कांग्रेस दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पिछले नवंबर में निधन बाद प्रक्रिया अटक गई. गठबंधन घोषित करते हुए, असम के एआईसीसी महासचिव प्रभारी जितेन्द्र सिंह ने कहा, “यह बहुत जरूरी है. सामाजिक समरसता और असमिया समुदाय के मौलिक अधिकारों की रक्षा को विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ एकजुट कर उसे सत्ता से उखाड़ने की जरूरत है. हम नहीं चाहते कि भाजपा विरोधी वोट बंटे.”

‘महागठबंधन सभी दलों का करेगा स्वागत’

असम प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि महागठबंधन सभी बीजेपी विरोधी दलों का हाथ मिलाने को स्वागत करेगा. “अब तक महागठबंधन में कांग्रेस, AIUDF, एजीएम और वामपंथी दलों सीपीआई, सीपीआई (एम) और सीपीआई (एमएल) हैं.”

इससे पहले, कांग्रेस और AIUDF ने असम जनता परिषद (AJP) और रायजोर दल (आरडी) के नए अस्थायी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के साथ हाथ मिलाने की पेशकश की थी. दोनों क्षेत्रीय दलों ने प्रस्ताव नकार दिया.

BJP विरोधी ताकतों का एकजुट होना जरूरी

आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) के मुख्य संयोजक और सांसद अजीत कुमार भुयान ने कहा, “हमारे दरवाजे खुले हैं, क्योंकि सभी BJP विरोधी ताकतों का सरकार को सत्ता से अलग करने को एकजुटता बहुत जरूरी है. हम सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम पर एक साथ चुनाव लड़ेंगें।

असमी सांसद बदरुद्दीन अजमल के 6 बालगृहों की जांच,सामने है अल-कायदा कनेक्शन

NCPCR को असम और मणिपुर में छह बाल गृहों में धन का दुरुपयोग की जानकारी मिली है। ‘मरकजुल मारिफ’ संस्था के एक बाल गृह को एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय एनजीओ से पैसे मिले,जो आतंकवादी संगठन अल-कायदा से संबंधित है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अनुसार उसे असम और मणिपुर में छह बाल गृहों से धन के दुरुपयोग की जानकारी है। एक बाल गृह को एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय एनजीओ से पैसे मिले, जिसकी जांच आतंकवादी संगठन अल-कायदा से संबंधों को लेकर हो रही है।

आयोग ने 25 दिसंबर 2020 को बताया कि उसके निरीक्षण अनुसार इन बाल गृहों में 778 बच्चे रह रहे हैं। लोकसभा सदस्य मौलाना बदरुद्दीन अजमल के स्थापित बाल गृहों के बारे में लोकसभा की वेबसाइट पर कहा गया है कि इन बाल गृहों में 1,010 बच्चे हैं।
बाल आयोग ने कहा,‘मरकजुल मारिफ की वेबसाईट पर इन बाल गृहों में 1080 बच्चे हैं। ऐसे में वेबसाइट पर उपलब्ध संख्या और निरीक्षण दल को इन बाल गृहों द्वारा बताई गई संख्या में अंतर है। इस अंतर की जांच कर 300 बच्चों के बारे में पता करना जरूरी है।’ आयोग के मुताबिक, निरीक्षण दल ने यह भी सूचित किया है कि इन बाल गृहों में से एक को अंतरराष्ट्रीय एनजीओ आईएचएच से पैसे मिले हैं।

आयोग की रिपोर्ट के अनुसार तुर्की के इस एनजीओ के पदाधिकारियों से वहां के प्रशासन ने अलकायदा से इसके संबंधों को लेकर पूछताछ की थी। इसे लेकर भी चिंता है कि बच्चों के विवरण अंतरराष्ट्रीय एनजीओ को दिये गये।
बदरुद्दीन अजमल (बाएँ), गोलपारा का बाल संरक्षण गृह (दाएँ)

IHH नामक अंतरराष्ट्रीय NGO से संस्था को धन प्राप्त होता है। 2017 की एक सूची के अनुसार बच्चों को IHH स्पॉन्सर करता है। आयोग ने अभी तक उन बच्चों के डिटेल्स नहीं मिले,जिन्हें इस NGO ने स्पॉन्सर कर रखा है। 302 बच्चों का रजिस्ट्रेशन नही है। मामले में अब NIA को जाँच कर तथ्यों का पता लगाना चाहिए। दिसंबर 14-18 के बीच जाँच के बाद असम और मणिपुर की सरकारों को सौंपी गई रिपोर्ट में NCPCR ने कहा है कि इन बाल संरक्षण गृहों में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 सहित कई नियमों का उल्लंघन किया गया है।

वहाँ के गंदे व अनहाइजेनिक टॉयलेट्स,लड़कियों के लिए असुरक्षित, बाँस के डंडे से दंड सहित कई ऐसी चीजें हैं, जो रिपोर्ट में बताई गई है। इनमें से कइयों में CCTV कैमरे भी नहीं हैं। इनका निर्माण भी बच्चों की सुरक्षा को तय दिशा-निर्देशों में नहीं किया गया है। इससे बच्चों को प्रताड़ित किए जाने की आशंका है। कर्मचारियों ने स्वीकारा है कि बच्चों को शारीरिक दंड दिए जाते हैं।

एक बच्चे ने भी जाँच टीम से अपनी पिटाई की शिकायत की, जिसके बाद दोषियों के खिलाफ आयोग ने FIR करने पर बल दिया है। बाल संरक्षण गृह में पुरुष कर्मचारियों को बच्चियों के कमरों में देखा गया और वो वहाँ भी थे,जहाँ ये बच्चियाँ सोती हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन बच्चियों की प्रताड़ना की आशंका है।
इनमें से 5 बाल संरक्षण गृह असम के धुबरी,गोलबरा और नगाँव,जबकि एक मणिपुर के थौबल में है। इन सभी का नाम ‘मरकज दारुल यातमा’ है। बच्चों के मेडिकल को कोई डॉक्टर नहीं था। बच्चों के बायोलॉजिकल गार्जियंस ढूँढने को कोई प्रयास नहीं हुऐ। बच्चों की केस हिस्ट्री नहीं थी। जिन कर्मचारियों को वहाँ नियमानुसार होना चाहिए, वो नहीं थे।

1000 स्क्वायर फ़ीट के कमरों की बजाय सभी बेहद छोटे थे और उनमें से दुर्गंध आ रही थी। साफ़-सफाई और काउंसिलिंग रूम की व्यवस्था भी नहीं थी। न सही बाउंड्री- फेंसिंग थी, न ही सुरक्षा व्यवस्था थी। इनमें से कई के रजिस्ट्रेशन एक्सपायर थे, फिर से अप्लाई भी नहीं किया। 2012 में मुख्यमंत्री की योजना में भी इन्हें धन मिला था।

NCPCR ने ये भी पाया कि बाल संरक्षण गृहों के परिसर में खुलेआम जानवरों की हत्या हो रही थी, जबकि बच्चों को इस तरह से दृश्य नहीं देखने चाहिए। उन्हें बीमारी में बिना डॉक्टरी सलाह दवाएँ दी जा रही थीं। ये भी खबर थी कि इन बाल संरक्षण गृहों को चीनी संस्थाओं से फंडिंग मिल रही है। बच्चों की वोकेशनल ट्रेनिंग को भी व्यवस्था नहीं है।
कई जगह तो सूचनाएँ भी ठीक से नहीं दी गईं। ज़रूरी कागजात मुहैया नहीं कराए । आयोग ने आपत्ति की कि नियमों उल्लंघन के बावजूद इन्हें राज्य सरकारों से ‘सर्व शिक्षा अभियान’ में वित्त मुहैया कराया गया। बच्चों के लिए सुरक्षा नीति, खानपान, मेडिकल और डेली रूटीन को लेकर कुछ तय मानक हैं, जिनका वहाँ पालन नहीं किया जा रहा था।

आयोग ने कहा कि गोलपारा में एक संरक्षण गृह में स्कूल भी चल रहा है, जिसका वेरिफिकेशन जरूरी है। आयोग ने असम और मणिपुर की सरकारों से सिफारिश की है कि जिन गृहों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, वहाँ के बच्चे-बच्चियों को किसी अन्य संस्थान में शिफ्ट करें। साथ ही शिक्षा विभाग सरकारी फंड्स के उपयोग के डिटेल्स माँग जाँच करे। IHH को भी बच्चों के डिटेल्स गए होंगे,इसीलिए इसकी भी जाँच की जाए।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के संचालित ‘अजमल फाउंडेशन’ के खिलाफ असम के दिसपुर पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज किया गया था। गुवाहाटी के सीपी एम एस गुप्ता ने बताया था कि यह मामला सत्य रंजन बोराह की शिकायत पर दायर किया गया था, जिसने एनजीओ पर विदेशी फंड के संदिग्ध गतिविधियों में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।

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