सोशल मीडिया: आमिर ने बरबादी चुनी,झुके नहीं

तमाम विरोध प्रतिरोध के बावजूद, चाहे पूरी पीवीआर चैन सन्नाटा पड़ी रही अथवा लोग माइक लेकर बहिष्कार का ऐलान करते रहे, भले उस ऐलान को सुनने के लिए भी थिएटर परिसर में लोग नदारद, एक बात तो सत्य है वो यह कि आमिर खान झुके नहीं।

आमिर खान की फिल्म फिल्म नहीं बल्कि उनकी प्रतिष्ठा थी। अपनी गाढ़ी कमाई भी उन्होंने इसमें झोंक दिया था। यह फिल्म ‘बॉलीवुड के बहिष्कार’ का एक मानक फिल्म था, बावजूद इसके आमिर खान झुके नहीं।

एक ईमान वाला ऐसा ही होता है। आमिर खान को अच्छी तरह मालूम था कि लाल सिंह चड्ढा का बहिष्कार क्यों किया गया। लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी उन गलतियों के लिए क्षमा नहीं मांगा, क्षमा मांगना तो दूर खुलकर उन गलतियों को स्वीकार भी नहीं किया।

आमिर खान एक पंक्ति बना लाए कि कुछ लोगों को लगता है उन्हें देश से प्रेम नहीं है, जबकि सत्य तो यह है कि आमिर खान के खिलाफ बहिष्कार न केवल देश के मसले पर है बल्कि उतना ही हिंदू आस्था के मसले पर भी है। जहां तक की असल बहिष्कार तो हिंदू आस्था के खिलाफ आमिर के आचरण को लेकर ही है।

लेकिन क्या आमिर खान ने हिंदू आस्था के खिलाफ अपने आचरण को एक बार भी स्वीकार किया? पूरे लाल सिंह चड्ढा प्रमोशन प्रकरण में कहीं भी आमिर खान ने स्वीकार नहीं किया कि फिल्म पीके में उन्होंने हिंदू आस्था के खिलाफ पूरे स्क्रिप्टिंग को कैरक्टराइज किया। बल्कि उन्होंने माफी भी मांगी तो शर्त के साथ, अगर मगर लगाकर अशुद्ध मन से। ताकि उनके अहंकार को जरा खरोच भी ना हो।

आमिर खान ने अपने फिल्म को चलाने के लिए पूरी थिएटर सीरीज को हाईजैक कर लिया, विदेशों में अपनी फिल्म चलाने को पूरी ताकत झोंक दी, बावजूद इसके कि रिव्यू अमेरिका में डेढ़ बटा पांच रहा है। लेकिन इतने मेहनत के बदले उन्होंने क्षमा मांगने का आसान रास्ता नहीं चुना।

केबीसी के शो पर आमिर खान जब पहुंचे तो अमिताभ बच्चन समेत पूरा दर्शक वर्ग वहां पधारे एक सैनिक को सलामी दे रहे थे। लेकिन आमिर खान इतने फिल्मी संकट के बावजूद, दिखाने के लिए ही सही सलामी की हाथ उस सैनिक के लिए नहीं उठाए। पूरा स्टूडियो जब बंदे मातरम के लिए अपनी हाथ मुट्ठी बांधकर वेव्ह कर रहा था, आमिर खान न नारा लगाया और ना ही वंदे मातरम बोला। एक बार थोड़ी हाथ उठाकर केवल मातरम् बोला भी, तो जैसे हंसकर कोई किसी को बहला देता है।

आमिर खान भारत के सामने खुलकर अपनी गलती स्वीकार लेते, देश प्रेम कहने के बजाय अपने चरित्र में देश प्रेम जीना शुरू कर देते, हिंदू आस्था पर किए हमले को लेकर हिंदू जनमानस से खुलकर संवाद कर लेते, क्षमा मांग लेते, तो मुझे पूरा भरोसा है ये विशालहृदय भारत एक मिनट के लिए जरूर पिघल जाता। लेकिन मुझे खुशी है आमिर बिल्कुल भी नहीं झुके और तभी यह भारत अपने नवाचार का एक नया अध्याय लिख पा रहा है।

विशाल झा
साभार…..?

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