मत: भ्रष्टाचार पर चुनाव होता है तो 2024 का परिणाम साफ़ है

Loksabha Election 2024 Can Repeat 2014 Election Based On Corruption Issue

मत: इस लोकसभा चुनाव में दिखेगा ED-CBI इफेक्ट, 2014 जैसा ही 2024 बनाने की तैयारी

ED Effect On Opposition: आर्थिक अपराध के मामलों में ईडी-सीबीआई या आईटी जैसी सेंट्रल जांच एजेंसियों की लगातार हो रही कार्रवाई और उन्हें इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मिली खुली छूट से लगने लगा है कि आसन्न लोकसभा चुनाव का मुद्दा भ्रष्टाचार ही बनने वाला है। चौंकाने वाली बात यह होगी कि विपक्ष भी अडानी और सतपाल मलिक के बहाने भ्रष्टाचार को ही मुद्दा बनाएगा।

हाइलाइट्स
लोकसभा चुनाव में नेताओं का भ्रष्टाचार बनेगा बड़ा मुद्दा
सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष भी करप्शन को बनाएगा मुद्दा
विपक्षी दलों को जांच रोकने की मांग पड़ सकती है भारी
मलिक के आरोप व अडानी मुद्दे को भुनाना चाहेगा विपक्ष

धीरे धीरे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आसन्न लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार ही मुद्दा बनने वाला है। इसका आश्चर्यजनक पहलू यह होगा कि भ्रष्टाचार न सिर्फ सत्ता पक्ष का मुद्दा होगा, बल्कि विपक्ष भी इसे ही मुद्दा बनाएगा। भ्रष्टाचार सत्ता परिवर्तन का टूल पहले भी बनता रहा है। बोफोर्स तोप खरीद में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस की सरकार गई थी तो 2014 में भी भाजपा ने महंगाई के साथ भ्रष्टाचार को ही बड़ा मुद्दा बनाया था। उस दौरान 2जी घोटाला, कॉमनवेल्थ खेल घोटाले समेत कुछ और मामलों ने यूपीए की अगुवाई वाली सरकार को हटाने में अहम भूमिका निभाई थी।

विपक्ष के पास सत्ता पक्ष के करप्शन का मुद्दा

विपक्षी दल गौतम अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को आधार बना कर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपना तेवर दिखा चुके हैं। राहुल गांधी बार-बार अडानी से मोदी के रिश्ते के बारे में सरकार से सवाल करते रहे हैं। विपक्ष को मोदी सरकार के भ्रष्टाचार का बड़ा सूत्र दे दिया है पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक ने। उनका इंटरव्यू इन दिनों विपक्ष के लिए संजीवनी का काम कर रहा है।

भ्रष्टाचार पहले भी बनता रहा है चुनावी मुद्दा

भ्रष्टाचार को विश्वव्यापी समस्या बता कर इंदिरा गांधी ने इसके लिए सरकार की मौन स्वीकृति प्रदान कर दी थी। राजीव गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि केंद्र से जनता के लिए 100 पैसे जाते हैं तो रास्ते में ही 85 पैसे गायब हो जाते हैं। इस सफाई और साफगोई के बावजूद दोनों को भ्रष्टाचार की वजह से ही सत्ता गंवानी पड़ी थी। बोफोर्स तोप कांड आपको जरूर याद होगा। राजीव गांधी की सरकार बोफोर्स तोप खरीदने में कथित दलाली के चलते चली गई थी। 2014 में भाजपा ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला जैसे भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाया। नतीजा सबके सामने है। साथी दलों के सहयोग से भाजपा को बहुमत मिला, लेकिन 2019 में भाजपा 303 सीटों के साथ अकेले बहुमत में आ गई थी। यानी लोगों को लगा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा सही दिशा में जा रही है।

भ्रष्टाचार के भंवर जाल में उलझे विपक्षी नेता

इन दिनों विपक्षी नेता भ्रष्टाचार के मामलों की ईडी-सीबीआई जांच से परेशान हैं। गैर भाजपा शासित राज्यों के तकरीबन ज्यादातर विपक्षी नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में उलझे हैं। कुछ तो जेल के भीतर जा चुके हैं और कुछ जेल के दरवाजे तक पहुंचने की तैयारी में हैं। ऐसा इसलिए कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जितने मामलों में कार्रवाई की है, उनमें सजा की दर (Conviction Rate) 96 प्रतिशत है। यही वजह है कि विपक्षी दलों में ईडी-सीबीआई के एक्शन को लेकर घबराहट है। हाल ही ऐसे 14 नेता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की एकतरफा कार्रवाई रोक दी जाए। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें निराशा हाथ लगी।

ईडी के पास नेताओं के खिलाफ 176 मामले

ईडी ने 31 जनवरी 2023 तक के आर्थिक अपराध के दर्ज आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़ों के मुताबिक आर्थिक अपराध से जुड़े कुल 5,906 शिकायतों में 2.98 प्रतिशत यानी 176 मामले ही मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों और एमएलसी के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। पीएमएलए के तहत 1,142 चार्जशीट दायर हुई हैं। 513 लोग इस सिलसिले में गिरफ्तार किए गए हैं। सोनिया गांधी, लालू यादव, लालू के कई परिजनों समेत देश के अनेक नेताओं पर जांच चल रही है। आश्चर्य की बात है कि ऐसे मामलों में 96 प्रतिशत आरोपितों पर दोष सिद्ध हो चुका है। उन्हें सजा मिलती रही है। पीएमएलए में कुल 25 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है। 24 मामलों में तो सजा भी हो चुकी है। मात्र एक मामले में ईडी को कामयाबी नहीं मिली और आरोपित दोष मुक्त हो गया। दोष सिद्ध होने के कारण 36.23 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने जब्त की है। अदालत ने दोषियों के खिलाफ 4.62 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

भ्रष्टाचार पर हुआ चुनाव बना तो क्या होगा परिणाम?

अब प्रश्न निकलता है कि भ्रष्टाचार विषय पर  भाजपा चुनाव में उतरती है और विपक्ष भी सतपाल मलिक के इंटरव्यू और अडानी से सरकार की सांठगांठ को लेकर मुकाबला करता है तो किस पर कौन भारी पड़ेगा? यहां इस प्रसंग का उल्लेख जरूरी है कि काले धन का सर्कुलेशन बाजार से खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जब नोटबंदी की तो जनता ने उसका समर्थन किया। लोगों को लगा कि जिन लोगों ने काला धन जमा कर रखा है, उनकी कमर टूट जाएगी। 2019 के लोकसभा चुनाव का परिणाम सबने देखा। भाजपा अकेले बहुमत में आ गई। 2014 से भी उसे अधिक सीटें मिलीं। इसलिए किसी को यह अनुमान लगाने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए कि भ्रष्टाचार पर चुनाव हुए तो जनता विपक्ष के उन दलों के साथ खडी होगी, जिनके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं या भ्रष्टाचार के आरोपितों पर कार्रवाई करने वाली भाजपा के साथ।

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