योगी का बुलडोजर नहीं रोकेगा सुप्रीम कोर्ट, नोटिस जारी
उप्र में नहीं रुकेगा योगी का बुल्डोजर, जमीयत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नोटिस जरूर दें, तीन दिन में मांगा जवाब
Bulldozer Action in UP : सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि वह उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन को रोक नहीं रही है। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोई भी कार्रवाई कानून से इतर नहीं हो और बिल्कुल निष्पक्ष हो। अदालत ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और स्थानीय प्राधकिरणों से तीन दिन में हलफनामा दाखिल करने को कहा।
हाइलाइट्स
1-उत्तर प्रदेश में बुलडोजर चलता रहेगा, सुप्रीम कोर्ट ने रोक की मांग नहीं मानी
2-सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कानून में बुलडोजर चल रहा है तो सही है
3-उसने उप्र सरकार और लोकल अथॉरिटीज से तीन दिनों हलफनामा देने को कहा
4-जमीयत उलेमा ए हिंद ने उपद्रवियों का घर ढहाने के खिलाफ याचिका दाखिल की है
Supreme Court on Bulldozer Action: यूपी में बुलडोजर से कार्रवाई पर SC का रोक से इनकार, पर दिया ये निर्देश
नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश में हो रहे बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। योगी आदित्यनाथ सरकार पत्थरबाजों एवं उपद्रवियों पर नकेल कसने के लिए ध्वस्तीकरण अभियान को काफी जोर-शोर से आगे बढ़ा रही है। इसके खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। इस मुस्लिम संस्था ने उच्चतम न्यायालय से योगी सरकार के बुल्डोजर एक्शन पर रोक लगाने की मांग की है।
नोटिस देकर ही चले बुलडोजर: सुप्रीम कोर्ट
जमीयत की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इतना जरूर कहा है कि किसी का घर, मकान या दुकान ढहाने की कार्रवाई बिना नोटिस के नहीं की जा सकती है। उसने कहा कि स्थानीय प्राधिकार को इसके लिए तय कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। सबकुछ साफ-सुथरे और निष्पक्ष तरीके से होना चाहिए। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह डेमोलेशन ड्राइव पर रोक नहीं लगा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार और संबंधित अथॉरिटी को याचिका में उठाए गए सवालों के जवाब दाखिल करने को कहा है।
कानून में चले बुलडोजर तो सही
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान यूपी सरकार से कहा है कि वह कानून के तहत ही डिमोलेशन ड्राइव चलाए। बिना तय कानूनी प्रक्रिया के डोमेलेशन ड्राइव नहीं चलाई जा सकती है। उसने राज्य और संबंधित अथॉरिटी से इस संबंध में तीन दिनों के अंदर हलफनामा मांगा। राज्य सरकार को अपने हलफनामे में यह बताना होगा कि हाल में जिन निर्माणों पर बुलडोजर चले, वो नगरपालिका कानूनों की तय प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहे थे। यानी, बुलडोजर ऐक्शन पूरी तरह कानूनी और निष्पक्ष था।
तय कानूनी प्रक्रिया का हो पालन
जमीयत की अर्जी में कहा गया है कि हाल के हिंसा मामले के आरोपी की प्रॉपर्टी को तोड़ने पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि किसी भी प्रॉपर्टी को बिना किसी नोटिस के ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। डिमोलेशन के लिए एक तय प्रक्रिया है और तय कानूनी प्रावधान और प्रक्रिया के तहत ही संपत्ति को डेमोलेशन किया जा सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संबंधित अथॉरिटी कानून में तय प्रक्रिया का पालन करें। उसने उम्मीद जताई कि अथॉरिटी कानून की तय प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करेगी।
बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं
कोर्ट ने कहा, ‘यह हम साफ करना चाहते हैं कि आरोपी भी समाज के हिस्सा हैं। अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उसकी बात भी कोई सुने। अगर कोर्ट सामने नहीं आता है तो वह उचित नहीं होगा। सबकुछ फेयर तरीके से होना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह साफ किया है कि वह डिमोलेशन कार्रवाई पर रोक नहीं लगा रही है लेकिन यह साफ करना चाहती है कि डेमोलेशन की कार्रवाई तय कानूनी प्रक्रिया में ही हो। जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि हम बतौर जज भी समाज के हिस्सा हैं। हम भी देख रहे हैं कि क्या घटित हो रहा है। कई बार हम भी अवधारणा बनाते हैं।
याचिका में घर तोड़ने का विरोध
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सीयू सिंह पेश हुए और कहा कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिनजक टिप्पणी के बाद राज्य में जो प्रदर्शन और हिंसा हुई थी, उसके बाद आरोपियों के घर तोड़ दिए गए। बुलडोजर एक्शन को अंजाम दिया जा चुका है। ऐसे में अब यथास्थिति के अंतरिम आदेश का कोई औचित्य नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि डेमोलेशन एक्शन कानून के राज का उल्लंघन है। इस पर जस्टिस बोप्पना ने टिप्पणी की कि कोई भी डोमेलेशन बिना नोटिस के नहीं हो सकता है, हमारा इस पर स्पष्ट संदेश है।
तीन दिन में हलफनामा देगी उप्र सरकार
जमीयत के वकील ने दलील दी कि यूपी अर्बन प्लानिंग एक्ट की धारा 27 के तहत नोटिस 15 दिन का होना चाहिए, उससे कम का नोटिस नहीं हो सकता है। वहीं, यूपी सरकर की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और अर्जी का विरोध किया। इस दौरान जस्टिस बोप्पना ने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं, वो सभी कोर्ट नहीं पहुंच पाए। यूपी सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे प्रयागराज और कानपुर सिविक अथॉरिटी की ओर से पेश हुए और कहा कि तीन घटनाएं हुई हैं। एक प्रयागराज में जहां मई में नोटिस जारी हुआ था। इस दंगा-फसाद के काफी पहले से नोटिस जारी हो रखा है। 25 मई को ही डिमोलेशन ऑर्डर पास किया गया था। तीन दिन का वक्त चाहिए, यूपी सरकार हलफनामा देगी।
निष्पक्षता और कानूनी प्रक्रिया का हो पालन
इस दौरान जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि इस दौरान सुरक्षा कैसे सुनिश्चित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सबकुछ निष्पक्ष और कानूनी तरीके से होना चाहिए। हम अथॉरिटी से उम्मीद करते हैं कि वह कानून द्वारा तय प्रक्रिया का पालन करे। यूपी में हुई हिंसा के बाद बुल्डोजर कार्रवाई पर रोक के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से अर्जी दाखिल की गई है। जमीयत ने प्रयागराज में जावेद अहमद की संपत्ति पर कार्रवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसने गुहार लगाई थी कि शीर्ष अदालत यूपी सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहे कि तयशुदा कानूनी प्रक्रिया के तहत ही डेमोलेशन ड्राइव चले अन्यथा नहीं।
Yogi Bulldozer Will Not Stop In Up Supreme Court Asked Affidavit On Demolition Drive In Uttar Pradesh On Jamiat E Ulema Hind Plea
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