ZEE-SONY विलय: सुभाष चन्द्रा और गोयनका पर सेबी ने लगाया जनधन हेराफेरी का आरोप

Sebi Says Zee Chairman Subhash Chandra And Punit Goenka Diverted Public Money

ZEE-Sony Merger : सेबी ने कहा- जी इंटरप्राइजेज के सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका ने पब्लिक के पैसे के साथ की हेराफेरी

ZEE-Sony Merger: सेबी ने एसएटी को दिये अपने जवाब में कहा है कि सुभाष चंद्रा और एमडी एवं सीईओ पुनीत गोयनका ने हेराफेरी कर जनता के पैसे को निजी कंपनियों में भेज दिया। सेबी ने कहा कि केवल नियमों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि कई झूठे दस्तावेज और बयान भी प्रस्तुत किए गए हैं।

हाइलाइट्स
सेबी ने कहा सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका ने पब्लिक मनी के साथ की हेराफेरी
सेबी ने कहा कि कई झूठे दस्तावेज और बयान भी प्रस्तुत किए गए
चंद्रा और गोयनका सेबी के आदेश के खिलाफ एसएटी गए हैं

नई दिल्ली 19 जून: सेबी (Sebi) ने जी इंटरप्राइजेज (Zee Enterprises) के मामले में प्रतिभूति एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) को दिए अपने जवाब में कहा है कि इस बड़ी लिस्टेड कंपनी के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और एमडी एवं सीईओ पुनीत गोयनका ने हेराफेरी कर जनता के पैसे को निजी कंपनियों में भेज दिया। सेबी ने एसएटी को अपने जवाब में कहा, ‘मौजूदा मामले में इस बड़ी लिस्टेड कंपनी के चेयरमैन और एमडी विभिन्न योजनाओं तथा लेन-देन में शामिल हैं, जिसके माध्यम से लिस्टेड कंपनी का पब्लिक मनी बड़ी मात्रा में इन व्यक्तियों के स्वामित्व और नियंत्रण वाली निजी संस्थाओं को दिया गया।

सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra) और पुनीत गोयनका (Punit Goenka) ने सेबी के आदेश के खिलाफ एसएटी का दरवाजा खटखटाया है। सेबी ने उन्हें जी एंटरप्राइजेज से धन की हेराफेरी के आरोप में किसी भी लिस्टेड कंपनी में निदेशक पद या प्रमुख प्रबंधन पद पर काम करने से रोक दिया है।

झूठे प्रपत्र पेश किये गए

सेबी ने कहा, ‘इस संबंध में अपीलकर्ता का आचरण काफी कुछ बता रहा है। न केवल उल्लंघन हुआ है, बल्कि इस तरह के गलत कामों को कवर करने के लिए कई झूठे प्रपत्र और बयान भी प्रस्तुत किए गए हैं। शिरपुर मामले में हमने देखा है कि प्रमोटर ग्रुप ने अपने शेयरों को बेचने का समय इस तरह तय किया कि खुले बाजार में शिरपुर के शेयरों में गिरावट का खामियाजा उन्हें न भुगतना पड़े। यह अंतत: छोटे खुदरा निवेशक हैं जिन्होंने शेयर की कीमत में गिरावट की मार झेली।

टॉप-200 बड़ी लिस्टेड कंपनियों में है जी

जी लिमिटेड देश की टॉप 200 सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों में से एक है, जिसके पास बड़ी संख्या में सार्वजनिक शेयरधारक और खुदरा निवेशक हैं और इसलिए, भारतीय प्रतिभूति बाजार में इसका एक प्रमुख स्थान रखता है।

अपीलकर्ता ने नियामक को दी गलत जानकारी

सेबी ने कहा कि जैसा कि विवादित आदेश में उल्लेख किया गया है कि अपीलकर्ताओं ने निवेशकों के साथ-साथ नियामक को भी गलत जानकारी दी और नकली दस्तावेजों के माध्यम से एक बहाना बनाया कि पैसा सात संबंधित कंपनियों द्वारा वापस कर दिया गया था। जबकि वास्तव में, यह जी लिमिटेड का अपना फंड था जो कई स्तरों से घूमता हुआ अंत में वापस उसी के खाते में आ गया। ये तथ्य यथोचित रूप से बताते हैं कि ऐसी कंपनियों के प्रबंधन की सुरक्षा और उनके निवेशकों और अन्य हितधारकों की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए बाध्य

वास्तव में, यदि प्रारंभिक जांच के दौरान, प्रथम दृष्टया यह पाया जाता है कि व्यक्ति प्रतिभूति बाजार में हेराफेरी में लिप्त है, तो सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा और प्रतिभूति बाजार की अखंडता की रक्षा के लिए एकतरफा अंतरिम आदेश पारित करने के लिए बाध्य है। जिस तरह से एक प्रमोटर कंपनी से दूसरी में पैसा गया है, उससे निस्संदेह यह स्पष्ट है कि प्रमोटर्स द्वारा जी लिमिटेड और अन्य लिस्टेड कंपनियों के धन का उपयोग यह गलत धारणा देने के लिए किया गया है कि सात संबंधित दलों ने जी लिमिटेड (यस बैंक द्वारा विनियोजित) को 200 करोड़ रुपये की राशि चुका दी है।

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