नोयेडा ट्राईसिटी भूमि घोटाले में कैसे आये उत्तरांखड के IAS-IPS अफसरों के नाम?

चिटहेरा भूमि घोटाला : उत्तराखंड सीएम के सचिव समेत 3 आईएएस-आईपीएस के रिश्तेदारों पर एफआईआर

ग्रेटर नोएडा |  | Pankaj Parashar

चिटहेरा भूमि घोटाला

देहरादून/ नोयेडा 23 मई। चिटहैरा भूमि घोटाला में शनिवार को पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड यशपाल तोमर और उसके 8 साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इनमें उत्तराखंड में तैनात तीन आईएएस और आईपीएस अफसरों के रिश्तेदार शामिल हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के सचिव के पिता भी इस घोटाले में शामिल हैं। बिहार एक पूर्व सांसद की पत्नी भी शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह मुकदमा लेखपाल की शिकायत पर हुआ है। लेखपाल को गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई ने सस्पेंड कर दिया है।

आईएएस और आईपीएस अफसरों के रिश्तेदारों पर एफआईआर

चिटहैरा गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद ने यह एफआईआर दर्ज करवाई है जिसमें 9 लोगों को आरोपित किया गया है। एम भास्करन उत्तराखंड कैडर के आईएएस के ससुर हैं। यह आईएएस मीनाक्षी आर सुंदरम हैं, जो फिलहाल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव हैं। सुंदरम उत्तराखंड कैडर में वर्ष 2006 बैच के आईएएस अधिकारी मूल रूप से चेन्नई निवासी हैं। यूपी कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस केएम सन्त के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। केएम सन्त वर्ष 2000 में रिटायर हुए। इसके बाद उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल मेंबर रह चुके हैं। केएम संत ने रामायण पर किताब लिखी जिसमें भगवान राम और सीता पर आपत्तिजनक अंश होने से विवादों में घिरे थे। केएम संत के बेटे बृजेश संत उत्तराखंड कैडर आईएएस हैं। बृजेश कुमार संत अभी मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष हैं। वह उत्तराखंड कैडर आईएएस अधिकारी हैं। केएम संत मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले हैं।

उत्तराखंड के डीआईजी राजीव स्वरूप की मां के खिलाफ एफआईआर

इस भूमि घोटाले में उत्तराखंड कैडर के आईपीएस डीआईजी राजीव स्वरूप की मां के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। घोटाले में एकमात्र महिला आरोपित सरस्वती देवी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है। सरस्वती स्वरूप बिहार की गया लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद रहे रामस्वरूप राम की पत्नी हैं। रामस्वरूप राम 2009 में दिवंगत हो चुके। उनके बेटे राजीव स्वरूप वर्ष 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।

उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी के नजदीकी पर एफआईआर

इस एफआईआर में गिरीश वर्मा शामिल जिसने चिटहैरा गांव में दलितों के पट्टे खरीदे और फिर उन्हें राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलकर संक्रमणीय घोषित करवाया । गिरीश वर्मा उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव रह चुके एक वरिष्ठ नौकरशाह का बेहद नजदीकी है। जब घोटाला हुआ, तब गिरीश वर्मा का आका आईएएस अफसर उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव था

यशपाल तोमर के तीनों नौकर एफआईआर में नामजद

भूमाफिया और गैंगस्टर यशपाल तोमर के तीनों नौकर बैलू, कृष्णपाल और कर्मवीर मुकदमे में नामजद हैं। इन्हीं तीनों के नाम भूमाफिया यशपाल तोमर ने अनुसूचित जाति जनों से पट्टे खरीदे थे। दरअसल, सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रतिबंधों से यशपाल सीधे अनुसूचित जाति जनों से जमीन नहीं खरीद सकता था। ऐसे में इन्होंने यशपाल के तीन नौकरों को चिटहैरा गांव मूल निवासी और अनुसूचित जाति का घोषित किया। इनके जाली दस्तावेज तैयार करवाए। हरिद्वार एसटीएफ और मेरठ पुलिस इन तीनों को तलाश रही है। तीनों फरार  हैं। यशपाल तोमर ने जेल जाने से पहले तीनों नौकरों को कहीं छिपा दिया था। बैलू, कर्मवीर और कृष्णपाल बागपत के बरवाला गांव के हैं। भूमाफिया यशपाल तोमर भी बरवाला का ही है।

 उत्तराखंड मुख्यमंत्री के दफ्तर और पूर्व मुख्यमंत्री के घर तक पहुंचे महाघोटाले के तार

गौतमबुद्ध नगर के चिटहेरा गांव में हुए अरबों रुपये के भूमि घोटाले में हाईप्रोफाइल लोग शामिल हैं। अब इस घोटाले के तार उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दफ्तर और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के घर तक पहुंच गए हैं। दरअसल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री सचिव के पिता भी इस घोटाले में शामिल हैं। आईएएस मीनाक्षी आर सुंदरम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव हैं। मीनाक्षी के ससुर एम भास्करन के खिलाफ दादरी कोतवाली में मुकदमा दर्ज है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के समधी और समधन घोटाले में शामिल हैं। उनकी कम्पनी भूमाफिया घोषित की गई है।

मुख्यमंत्री के सचिव मीनाक्षी सुंदरम की भूमिका संदिग्ध

चिटहेरा गांव के भूमि घोटाले में राजस्व निरीक्षक पंकज निर्वाल ने एफआईआर कराई है जिसमें 9 लोग आरोपित है। इनमें एक एम भास्करन हैं। एम भास्करन उत्तराखंड कैडर के आईएएस मीनाक्षी आर सुंदरम के ससुर हैं। सुंदरम उत्तराखंड कैडर में वर्ष 2006 बैच के आईएएस अधिकारी  चेन्नई निवासी हैं। इस महाघोटालेे में बड़े नेताओं और अफसरशाहों ने भूमाफिया की मदद की और करोड़ों की जमीन हड़पी । चिटहेरा के ग्रामीणों को फर्जी मुकदमों में जेल भेजा गया।

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की समधन-समधी शामिल

‘ट्राईसिटी टुडे’ ने पूछा था कि त्रिदेव रिटेल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की डायरेक्टर साधना राम और अनिल राम कौन हैं? पड़ताल में सनसनीखेज जानकारी सामने आई। साधना राम और अनिल राम उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगुणा के सास- ससुर हैं। साकेत बहुगुणा की शादी पैथोलॉजिस्ट गौरी बहुगुणा से हुई। साधना राम और अनिल राम उनके माता-पिता है। मामले में जिन 9 के खिलाफ एफआईआर हुई है, उनमें से तीन आरोपित उत्तराखंड कैडर के तीन आईएएस और आईपीएस अफसरों के माता-पिता व ससुर हैं।

यशपाल तोमर और त्रिदेव रिटेल कम्पनी एकसाथ भूमाफिया घोषित हुए

आपको बता दें कि इस मामले में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने यशपाल तोमर और त्रिदेव रिटेल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भूमाफिया घोषित कर दिया है। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई की अध्यक्षता में 12 मई को एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स की बैठक हुई थी। जिसमें यशपाल तोमर और साधना राम की कंपनी त्रिदेव रिटेल प्राइवेट लिमिटेड को भूमाफिया घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। अब कंपनी के ऑथोराइज़्ड सिग्नेटरी नरेंद्र कुमार के खिलाफ 22 मई को दादरी कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई है। इस एफआईआर में नरेंद्र कुमार के साथ यशपाल तोमर भी नामजद है। पूरे मामले में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने छानबीन की है। अब पुलिस नरेंद्र कुमार की तलाश कर रही है। यशपाल तोमर को उत्तराखंड एसटीएफ पहले ही गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है। यशपाल को मेरठ पुलिस ने भूमाफिया और गैंगस्टर घोषित किया है।

ट्राईसिटी टुडे ने उठाए थे यह सारे मुद्दे

आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल ट्राईसिटी टुडे ने यह सारे मुद्दे अपनी खबरों के माध्यम से उठाए। इस पूरे घोटाले का परत दर परत खुलासा ट्राईसिटी टुडे ने किया है। जिस पर पहले उत्तराखंड एसटीएफ, फिर मेरठ पुलिस और अब गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने अपनी मुहर लगाई है। ट्राईसिटी टुडे ने बताया था कि किस तरह चिटहैरा गांव के किसानों और दलितों से जमीन हड़पने के लिए आईएएस, आईपीएस अफसरों और नेताओं के गठजोड़ ने फर्जीवाड़े किए हैं। भूमाफिया और गैंगस्टर यशपाल तोमर के साथ इन सारे लोगों ने मिलकर अवैध हथकंडे अपनाए। गलत ढंग से सरकारी संपत्ति को निजी घोषित करवाया। कौड़ियों के भाव में अरबों की जमीन खरीदी हैं। जिन लोगों ने विरोध किया उनके खिलाफ हत्या का प्रयास, लूट, डकैती और रेप के फर्जी मुकदमे दर्ज करवाकर सालों साल जेल में रखा गया। अब इस मामले में गौतमबुद्ध नगर पुलिस तेजी से कार्रवाई करेगी।

उत्तराखंड के पूर्व सीएम के रिश्तेदारों ने हड़पी करोड़ों की जमीन, भूमाफिया घोषित हुई कम्पनी

त्रिदेव कम्पनी के निदेशक पर भी एफआईआर, कंपनी ने सबसे ज्यादा जमीन खरीदी

इस पूरे मामले में त्रिदेव प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक नरेंद्र कुमार के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। आपको बता दें कि इसी कंपनी ने चिटहैरा गांव में सबसे ज्यादा जमीन खरीदी हैं। खास बात यह है कि कंपनी बोर्ड में कई डायरेक्टर हैं, लेकिन सारी जमीन एक ही डायरेक्टर नरेंद्र कुमार के माध्यम से खरीदी गई हैं। हालांकि, इन जमीनों पर मालिकाना हक कंपनी का है।

इन धाराओं में दर्ज किया गया मुकदमा

इन सभी 9 आरोपितों के खिलाफ धारा संख्या 420, 467, 468, 471 और 506 में मुकदमा दर्ज किया गया है।

पूरे घोटाले  पर पहले उत्तराखंड एसटीएफ, फिर मेरठ पुलिस और अब गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने अपनी मुहर लगाई है कि किस तरह चिटहैरा गांव के किसानों और दलितों से जमीन हड़पने के लिए आईएएस, आईपीएस अफसरों और नेताओं के गठजोड़ ने फर्जीवाड़े किए हैं। भूमाफिया और गैंगस्टर यशपाल तोमर के साथ इन सारे लोगों ने मिलकर अवैध हथकंडे अपनाए। गलत ढंग से सरकारी संपत्ति को निजी घोषित करवाया। कौड़ियों के भाव में अरबों की जमीन खरीदी हैं। जिन लोगों ने विरोध किया उनके खिलाफ अन्य राज्यों में हत्या का प्रयास, लूट, डकैती और रेप के फर्जी मुकदमे दर्ज करवाकर सालों साल जेल में रखा गया। अब इस मामले में गौतमबुद्ध नगर पुलिस तेजी से कार्रवाई करेगी।

(@न्यूज पोर्टल Tricity Today से साभार)

चिटहेरा भूमि घोटाला : पट्टों की जमीन के मुआवजे की होगी वसूलीChithera land scam: Compensation for leased land will be recovered

जिला प्रशासन चिटहेरा भूमि घोटाले में अब भूमाफिया से पट्टों की जमीन का मुआवजा वसूलेगा। इस संबंध में जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने संबंधित अफसरों को आदेश दिया है। उन्होंने जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज ठीक करने, दोषी अफसरों व यशपाल तोमर व उसके गिरोह के खिलाफ एफआईआर करा अफसरों के खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजने को भी कहा है।

अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) वंदिता श्रीवास्तव ने चिटहेरा भूमि घोटाले की जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी तो  जिलाधिकारी ने बताया कि पट्टा आवंटन गलत था। नियमों के खिलाफ क्रय-विक्रय हुआ। पट्टों का मुआवजा उठाने वालों के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट से मुआवजे का पैसा वसूल होगा। पट्टों की जमीन का 32 करोड़ रुपये मुआवजा ग्रेनो प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से लिया गया है। प्रशासन मुआवजे का आकलन कर रहा है। पट्टों की 25 हेक्टेयर जमीन है। इसमें कुछ ग्राम समाज और कुछ प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र की है। जमीन ग्रेनो प्राधिकरण के सुपुर्द होगी। ग्राम समाज की जमीन की देखभाल की जिम्मेदारी प्राधिकरण की है।

पट्टा रजिस्टर गायब होने व रकबा बढ़ाने में दर्ज होगा केस

एडीएम वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि तहसील दादरी के रिकॉर्ड रूम से चिटहेरा गांव का पट्टा रजिस्टर गायब है। संबंधित रजिस्टर कानूनगो के खिलाफ एफआईआर होगी।  मेरठ में पट्टा पत्रावली में रकबा बढ़ाया गया था। वहां भी दोषी कर्मचारी पर एफआईआई को दादरी एसडीएम को आदेश दिया गया है।

एसडीएम और तहसीलदार को दोषी माना

एडीएम की जांच रिपोर्ट में पट्टा आवंटन गलत निकला है जिसमें1997 के तत्कालीन एसडीएम दोषी माने गये हैैं। वर्ष 2015 में तहसीलदार ने एडीएम हापुड को जांच रिपोर्ट भेजी थी। संबंधित तहसीलदार दोषी निकलेे। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। साथ ही, शासन को भी रिपोर्ट भेजी जाएगी।

राजस्व दस्तावेज में किया जाएगा सुधार

राजस्व अभिलेखों में पट्टों की जमीन का रकबा बढ़ाया गया था। साथ ही, खतौनी में भी बढ़ा हुआ रकबा दर्ज किया गया था। ये अभिलेख ठीक होंगें। बढ़ा हुआ रकबा हटेगा। तहसील दादरी में चिटहेरा गांव की पट्टा पत्रावली फिर से तैयार की जाएगी।

पट्टा बहाली आदेश को दी जाएगी चुनौती

एडीएम हापुड ने वर्ष 2015 में चिटहेरा गांव के पट्टे बहाल कर दिये थे। जांच रिपोर्ट में बहाली गलत मानी गई है। जिलाधिकारी ने फैसला लिया कि इस आदेश को मेरठ आयुक्त के यहां चुनौती दी जाएगी। डीजीसी  पट्टा आवंटन निरस्त करायेंगेंें।

वर्ष 2015 व बाद में तैनात अफसरों पर भी लटकी तलवार

घोटाले में भूमाफिया का साथ देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी गाज गिरेगी। जिलाधिकारी ने संबंधित अफसर और कर्मचारियों की रिपोर्ट शासन भेजने का आदेश दिया है। एडीएम ने बताया कि वर्ष 2015 से 2020 तक तहसील में तैनात रहे अफसरों की सूची शासन जाएगी। वहीं इन पर कार्रवाई होगी। सूची शासन के साथ-साथ नियुक्ति विभाग और राजस्व विभाग को भी जाएगी।

यशपाल एंड कंपनी पर भी दर्ज होगा केस

घोटाले का मुख्य आरोपित यशपाल तोमर है। उसने गिरोह बनाकर पट्टों की जमीन खरीदी। प्रशासन ने यशपाल को भूमाफिया घोषित किया था। अब प्रशासन यशपाल और उसके गिरोह के खिलाफ धोखाधड़ी, राजस्व संहिता समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराएगा।

कौन है गांव के ‘गुंडै’ से ‘करोड़पति गैंगस्टर’ बना यशपाल तोमर? STF ने खोद डाले जिसके खेत-खलिहान और घर-मढ़ैय्या

गांव के गुंडा से खूंखार गैंगस्टर और भू-माफिया बने यशपाल तोमर से इन दिनों उत्तराखण्ड राज्य एसटीएफ (Uttarakhand STF) आगे-पीछे का सब हिसाब-किताब बराबर करने में जुटी है. वही यशपाल तोमर मेरठ पुलिस के कई थानेदार-दारोगा जिसकी ‘चाकरी’ किया करते थे

गैंगस्टर यशपाल तोमर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में कल तक जिस यशपाल तोमर (Gangster Yashpal Tomar) नाम की तूती बोलती थी. थाने-चौकी के हवलदार-सिपाही यहां तक कि कई पुलिस इंस्पेक्टर-थानेदार भी उसकी ‘चाकरी’ को उतावले रहते थे. अब उसी यशपाल तोमर के चलते, उत्तराखण्ड राज्य पुलिस (Uttarakhand Police) की स्पेशल टास्क फोर्स चर्चाओं में है. दरअसल गांव के गुंडे से खूंखार गैंगस्टर और भू-माफिया बने यशपाल तोमर से इन दिनों उत्तराखण्ड राज्य एसटीएफ (Uttarakhand STF) आगे-पीछे का सब हिसाब-किताब बराबर करने में जुटी है. यशपाल तोमर द्वारा धन-बल, गुंडई के बलबूते कब्जाई, हड़पी और तैयार करोड़ों की संपत्ति पर राज्य एसटीएफ ने कानून का ऐसा ‘बुलडोजर’ चलाया है कि जिससे यह गैंगस्टर आईंदा शायद ही कभी उबर कर फिर वह सब शान-ओ-शौकत हासिल कर पाएगा. जिसके ऊपर कल तक यशपाल तोमर घमण्ड करता था.

हमने जब यशपाल तोमर के कुकर्मों की कुंडली कोर्ट,कचहरी थाने-चौकी में धूल चाटती फाइलों में खंगालनी शुरू की. उत्तराखण्ड राज्य के स्पेशल टास्क फोर्स प्रभारी आईपीएस अजय सिंह (SSP STF Uttrakhand Ajay Singh) से उसके अतीत और वर्तमान पर बातचीत की. तब कई सनसनीखेज जानकारियां सामने आईं, जो अब तक कानूनी दस्तावेजों में दबी धूल फांक रही थीं. फिलहाल बीते कल में गांव से गुंडई के सहारे बदमाशी में बादशाहत कायम करने वाले यशपाल तोमर की जिंदगी पुलिस ने नरक बना डाली है.

करोड़ों की जमीन व अन्य अकूत चल-अचल संपत्ति के मालिक को आज एक इंच जमीन भी एसटीएफ ने रहने, उठने-बैठने को बाकी नहीं छोड़ी है. जो बची भी है उस पर भी कानूनी घोड़े पर सवार राज्य पुलिस एसटीएफ की पैनी नजर लगी हुई है.

कानून से तेज और अपराधी से सुस्त कोई नहीं

उत्तराखण्ड राज्य पुलिस एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, “यशपाल तोमर कार चोरी के फर्जी कागजात बनवाने से लेकर भू-माफियागिरी तक हर गैर-कानूनी कुकर्म में शामिल रहा. अब से10 साल पहले उसके खिलाफ सन् 2002 में हत्या की कोशिश और धोखाधड़ी का मुकदमा था. मामले में आरोपित ने दिल्ली से सटे हरियाणा के हाईटेक जिला गुरुग्राम से चोरी गाड़ी के फर्जी दस्तावेज किसी और के नाम से बनवाए थे. उसके बाद बागपत के किसी के पत्र के आधार पर कोर्ट में गैंग के किसी अन्य सदस्य को पेश करके कार तो रिलीज कराई ही थी. साथ ही साथ खुद भी मुकदमे से बरी हो गया था.” मतलब गांव के गुंडे से कुख्यात गैंगस्टर बना यशपाल तोमर अपराध की दुनिया में पांव रखने से पहले ही शातिर दिमाग था जो साम-दाम-दण्ड-भेद से कानून और खाकी को चकमा देने पर शुरू से ही उतारू था.

हाथ धोकर पीछे पड़ी उत्तराखण्ड STF

उत्तराखण्ड राज्य एसटीएफ की नजरों में यशपाल तोमर चढ़ा तो हरिद्वार थाना कोतवाली में उसके खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने इत्यादि की धाराओं में एक और मुकदमा कायम हो गया. मुकदमे में यशपाल तोमर सहित कुछ और लोग भी नामजद हैं.हरिद्वार कोतवाली में एसटीएफ का दर्ज मुकदमा आरोपित के खिलाफ पांचवा मुकदमा है. यशपाल तोमर ने जैसे ही अपराध की दुनिया में कदम रखा उसकी कोतवाली हरिद्वार इलाके में पुलिस से मुठभेड़ हो गई. उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा गया.तब उससे हरियाणा नंबर की मारूति कार व हथियार मिले थे. उत्तराखण्ड की जेल से बाहर आने तक यशपाल तोमर और बड़ा घाघ बन चुका था. हरिद्वार कोर्ट से फर्जी दस्तावेजों पर वो एनकाउंटर में जब्त मारूति कार हरिद्वार पुलिस से रिलीज करा ले गया. उस कार के चेसिस और इंजन नंबर से जानकारी मिली तो पता चला कि कार चोरी का मुकदमा 2 सितंबर 2001 को सिटी कोतवाली गुरुग्राम में दर्ज था.

हर कुकर्म का खिलाड़ी ऐसे किया तबाह

हकीकत में कार पर मौजूद नंबर प्लेट किसी दुपहिया वाहन की निकली. वह दुपहिया वाहन रोहतक हरियाणा में एक दुपहिया मोपेड के नाम अलॉट था. उत्तराखण्ड राज्य एसटीएफ ने जब गली के गुंडे से गैंगस्टर बने भू-माफिया यशपाल तोमर की जड़ें खोदनी शुरू कीं तो पता चला है कि वह मोटी आसामी घेरने को ‘हनीट्रैप’ का कारोबार भी चलाता था. उसके बिछाए गए हनीट्रैप के जाल में फंसे शिकार से मोटी रकम वसूल कर ही छोड़ा जाता था. उधर मेरठ पुलिस की जांच में सामने आया है कि यशपाल तोमर स्थानीय ब्रह्मपुरी थाना पुलिस की मिलीभगत से भी मौज कर रहा था. अब इन संदिग्ध पुलिसकर्मियों पर भी पुलिस की नजरें हैं. उधर कानूनी घेरे में लेकर उत्तराखण्ड राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने स्थानीय प्रशासन से मिलकर गैंगस्टर और भू-माफिया की करीब 153 करोड़ की प्रॉपर्टी भी सीज कर दी. उत्तराखण्ड एसटीएफ ने हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट से विधिवत कानूनी आदेश प्राप्त करके आरोपित की फॉर्च्यूनर बुलेटप्रूफ कार भी सीज कर दी.

वर्दी का रंग एक सा, काम का स्टाइल अलग

उधर मेरठ पुलिस की जांच में पता चला कि खुराफाती दिमाग गैंगस्टर यशपाल तोमर ने, कुछ स्थानीय प्रशासन और पुलिस कर्मचारियों की मिलीभगत से सन 2020 में करोड़ों रुपए की संपत्ति हड़पी थी. चूंकि इस गैंग में स्थानीय प्रशासन और पुलिस के कर्मचारियों की मिली-भगत थी, इसलिए पुलिस विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों ने जमीन मालिकों को ही जेल भेज दिया. ताकि वे अपनी जमीन को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने के काबिल ही न रहें. बाद में मेरठ जिला पुलिस अफसरों ने जांच की तो उन्हें, अपने मातहत ही इस गैंगस्टर कंपनी को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से दबे-छिपे ‘दौड़ाते-चलाते’ दिखाई दिए. लिहाजा मेरठ जिला पुलिस अधिकारियों की जांच के आधार पर असली जमीन मालिकों को जेल से बाहर निकाला गया. और मास्टरमाइंड यशपाल तोमर को जेल में डाला गया । तोमर के कुकर्मों का भंडाफोड़ होने पर उसे योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी राज्य के कुख्यात भू-माफियाओं की सूची में डाल दिया.

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