सबकी तरह रावण में भी थी पांच बुराइयां और पांच अच्छाइयां

रावण में पांच बहुत अच्छी बात है और पांच कमजोरियां हैं।
रूप पर आक्रमण तो अरूप ही करता है।। रूप तो रूप की पूजा करता है।।

दूसरे दिन की कथा प्रारंभ में एक जिज्ञासा

रावण के १० मस्तक के बारे में कुछ कहो।।बापू ने कहा कि मिथिला में रावण क्यों? लेकिन स्वयं एक बार आया था,धनुष यज्ञ में।। वैसे अहंकार बाहर का अहंकार नहीं टूटा भीतर का कारण देह नगर में अहंकार ना टूटा इसलिए विदेहनगर की यात्रा करें, शायद अहंकार टूट जाए!स्वभाव में तो भक्ति नहीं कोई समर्पण कर दें इसलिए आया था।। प्रत्येक व्यक्ति में कमजोरियां और विशेषता भी होती है।। रावण में पांच बहुत अच्छी बात है और पांच कमजोरियां हैं।। एक अच्छाई है रावण बलवान है। व्यक्ति बलवान होना चाहिए।शंभू सहित कैलाश उठा लिया।।बलवान हो,बुद्धिमान ना हो तो बल संघर्ष करता है। रावण बुद्धिमान भी है। तीसरी अच्छाई रावण विद्यावान भी है और धनवान भी बहुत है।। धनवान होने के साथ धर्मवान होना चाहिए।। आदमी-रावण तपवान भी तो है।।
लेकिन पांच कमजोरियां के कारण पांच अच्छाइयां दब गई।। रावण की पहली कमजोरी शीलवान नहीं।। शिलहीन है।सुनी झोपड़ी में चले जाना,बिंब नहीं प्रतिबिंब पकड़ने गया।। वैसे रावण शील की कदर करता है।। रावण नीतिमान -नीतिवान नहीं है। नीति का दावा करता है लेकिन है नहीं।। धर्मवान भी नहीं और रूपवान भी नहीं।। रूप पर आक्रमण तो अरूप ही करता है।। रूप तो रूप की पूजा करता है।। और रावण भक्तिवान भी नहीं है।।तो ऐसे जड़ चेतन गुण दोषमय विश्व कीन्ह करतार।। यह रावण के १०मस्तक है।।
फिर सखी संवाद राजेश रामायणी ने जो कहा है वहां कहा गया कि महिमा नगर की भी नहीं, मिथिला की भी नहीं,राजा की भी नहीं,लेकिन महिमा जिसकी मां मही-पृथ्वी है उसकी महिमा है।। पृथ्वी से प्रकट होने के कारण क्या क्या है?अकाल पड़ा।। बापू ने कहा कि अकाल पाप बढ़ते हैं वहां पडते हैं।। जनकपुर में पुण्य ही पुण्य बढा, फिर अकाल क्यों? प्रत्येक नर नारी सुंदर है तन सुंदर है मन पवित्र है सब लोग संत जैसे जी रहे हैं। सब धर्मशील है। ज्ञानी है, ज्ञानी तो पाप पुण्य से क्या लेना-देना?समझ में नहीं आया कि अकाल क्यों पड़ा?वर्षा नहीं पड़ रही। बापू ने बताया कि जनकपुर में नीरसता का अकाल है।। रामकथा सरसता की बारिश है।। समस्या का हल करने के लिए जनक ने हल उठाया।। राम का यश श्रेष्ठ जल है और जल के ३ लक्षण है:मधुर,मनोहर, मंगलकारी।। स्वादु होता है मनोहर होता है और सुपाच्य स्वच्छ होता है। और हल की नोक घट से टकराई, घट का मतलब है ह्रदय को छुइ।। अब हमारे घट में महारस प्रगट होने वाला है।। अब नीरसता खत्म होने वाली है।।कथा हमारे घट से नहीं टकराती वरना घटना घट सकती है।। कोई नाद नाभि से टकरा जाए,स्मृति,जन्मो जन्म की स्मृति नाभि में ही होती है।। बुद्धि में विकास होता है। नाभि और नभ के बीच एक लिंक है। नाभि केंद्र है। भगवान राम और जानकी की उम्र देखिए। ठाकुर जी की उम्र बड़ी सीता जी छोटी है।। कृष्ण काल में कृष्ण छोटे राधिका जी बड़ी है।। सीता को पूरी दुनिया ने मां कहा।।राधा को बहुधा मा नहीं कहा। राधा प्रेमीका है, जानकी सेविका है।। प्रेम परमात्मा से भी ऊंचा होता है तो राधा बड़ी कृष्ण छोटा! सेविका कितनी भी बड़ी हो लेकिन मालिक के चरणो में रहती है।।मां बोलने से मुंह खोलने का स्वातंत्र्य मिलता है और बाप शब्द बोलने से मुंह बंद हो जाता है! भौतिक वस्तु ज्यादा हो जाए तो रखवाली करनी पड़ती है और अध्यात्म में खाली हो जाए तो रखवाली करनी पड़ती है।।क्योंकि कोई गलत ना आ जाए।।

पहले दिल को खाली कर,
फिर उसकी रखवाली कर!

गीता जी में स्त्रियों की जितनी भी विभूति दिखाई सब जानकी जी में दिखती है।। जनकपुर वाले जानकी जी की विदाई सह नहीं सकते क्योंकि फिर दो बार वनवास होता है।। युवक-युवतियों को बाग बगीचे में जाना चाहिए लेकिन राम और सीता सुबह-सुबह गए हैं यूवती को गौरी पूजन और युवक को गुरु पूजन का आदर्श लेकर जाना चाहिए।। इसलिए बालकांड तक की कथा का ही प्रसंग कहते हैं।।

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