दिग्विजय पर क्यों हुआ गुरु गोलवलकर को लेके मुकदमा?

‘गवर्नेंस वेश्याओं का धर्म है’, दिग्विजय सिंह ने जिसके बारे में ट्वीट किया वो गोलवलकर कौन थे

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एक बार फिर से विवादों में घिर गए हैं। दिग्विजय सिंह के खिलाफ उनके विवादास्पद ट्वीट को लेकर मध्यप्रदेश में FIR दर्ज की गई है। पूर्व मुख्यमंत्री पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक एमएस गोलवलकर को लेकर विवादित पोस्ट करने का आरोप है।

हाइलाइट्स
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गोलवलकर को लेकर किया विवादित पोस्ट
विद्वेष फैलाने के आरोप में दिग्विजय सिंह के खिलाफ इंदौर में केस दर्ज
संघ कार्यकर्ताओं और हिन्दू समुदाय की धार्मिक आस्था आहत होने की बात

नई दिल्ली 10 जुलाई 2023 : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक बार फिर से विवादों में हैं। दिग्विजय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक एमएस गोलवलकर को लेकर एक ट्वीट किया। ट्वीट को लेकर विवाद हो गया है। दिग्विजय सिंह के खिलाफ पोस्टर साझा कर विद्वेष फैलाने के आरोप में इंदौर में केस भी दर्ज हो गया है। दिग्विजय पर आरोप है कि सिंह ने फेसबुक पर गोलवलकर के नाम और तस्वीर वाला विवादास्पद पोस्टर साझा किया ताकि दलितों, पिछड़ों, मुसलमानों और हिंदुओं में वैमनस्य पैदा कर उन्हें वर्ग संघर्ष के लिए उकसाया जा सके। जानते हैं कि दिग्विजय सिंह ने गोलवलकर के बारे में क्या लिखा है। कौन थे एमएस गोलवलकर जिनको लेकर यह विवाद पैदा हुआ है। गोलवलकर राजनीति से दूर रहते थे।

दिग्विजय के पोस्टर में लिखा क्या था?

दिग्विजय सिंह ने एक पोस्टर शेयर किया। इसमें लिखा था ‘सदाशिव राव गोलवलकर ने अपनी पुस्तक We and Our Nationhool Identified में स्पष्ट लिखा है। जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति, राज्यों की जमीन और जंगल पर अपने दो तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दें। 95% जनता को भिखारी बना दे उसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी।’ मैं सारी जिंदगी अंग्रेजों की गुलामी करने के लिए तैयार हूं लेकिन जो दलित पिछड़ों और मुसलमानों की बराबरी का अधिकार देती हो ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए।गोलवलकर गुरुजी 1940

अब संघ ने तो इस पर संयत और शालीन टिप्पणी की है कि

दिग्विजय के खिलाफ शिकायत में क्या है?
लेकिन दिग्विजय के खिलाफ तुकोगंज पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय वकील और संघ कार्यकर्ता राजेश जोशी ने शिकायत की। शिकायत पर सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना), धारा 469 (ख्याति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जालसाजी), धारा 500 (मानहानि) और धारा 505 (सार्वजनिक शांति भंग करने के इरादे से भड़काऊ सामग्री प्रसारित करना) में मामला दर्ज किया गया है। शिकायत में कहा गया कि गोलवलकर के बारे में सिंह के फेसबुक पोस्ट से संघ कार्यकर्ताओं और समस्त हिन्दू समुदाय की धार्मिक आस्था आहत हुई है।

संघ के एक स्थानीय पदाधिकारी ने मीडिया को भेजे बयान में आरोप लगाया कि सिंह ने इस संगठन की छवि धूमिल करने के लिए सोशल मीडिया पर गोलवलकर को लेकर ‘मिथ्या और अनर्गल पोस्ट’ किया।
गुरु गोलवलकर को 20वीं सदी में हिंदू समाज का लिए सबसे बड़ा उपहार कहा जा सकता है। राष्ट्रीय राजनीति में संघ को जो महत्व आज है उसका श्रेय गुरुजी को दिया जाना चाहिए। इनके अथक प्रयासों के कारण ही संघ देश के कोने-कोने तक पहुंच पाया।
एमजी वैद्य, आरएसएस विचारक, साल 2004

कौन थे एमएस गोलवलकर?

माधव सदाशिव गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक थे। संघ में गोलवलकर को पूज्यनीय गुरुजी के नाम से जाना जाता है। आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के बाद गोलवलकर ने 43 (1040-1973) साल तक संघ की कमान संभाली। हेडगेवार ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना था। गोलवलकर का जन्म रामटेक, महाराष्ट्र में हुआ था। गोलवलकर ने संघ की सैद्धांतिक सोच को शाखाओं की मदद से मोहल्लों तक पहुंचाया। गोलवलकर राजनीति में रुचि नहीं लेते थे। गोलवलकर का मानना था कि गवर्नेंस वेश्याओं का धर्म है। गोलवलकर ने आरएसएस को संन्यास आश्रम की छाया में ढाला। माना जाता है कि संघ के अब तक जितने भी सरसंघचालक हुए हैं उनमें से सबसे अधिक छाप एमसएस गोलवलकर की है।

गोलवलकर का वो विवादित फैसला

गोलवलकर ने साल 1942 में संघ को भारत छोड़ो आंदोलन से पूरी तरह से अलग-थलग रखने का फैसला किया था। उनके इस फैसले को लेकर आरएसएस की अब तक आलोचना की जाती है। आरएसएस पर किताब लिखने वाले लेखक नीलंजन मुखोपाध्याय का कहना है कि साल 1930-31 के दौरान संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार ने भी गांधी जी के दांडी मार्च के बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन में संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शामिल नहीं हुआ था। हालांकि, उन्होंने संगठन के लोगों को व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की छूट दी थी।

ये तो अपना श्राद्ध स्वयं करके चले गए। हमारे लिए मानों कुछ छोड़ा नहीं लेकिन यह कहना भी ठीक नहीं होगा कि हमारे लिए कुछ नहीं छोड़ा। हमारे लिए राष्ट्रभक्ति की एक महान धरोहर छोड़ी।
अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व पीएम गोलवलकर के देहांत के बाद भाषण

तीन-तीन प्रधानमंत्री थे प्रभावित

गोलवलकर से जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री से लेकर अटल बिहार वाजपेयी बहुत प्रभावित थे। चीन के साथ युद्ध के दौरान संघ की नागरिक प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका थी। इससे पंडित जवाहर लाल नेहरू बहुत प्रभावित हुए। नेहरू ने आरएसएस की एक टुकड़ी पूरी यूनिफॉर्म और बैंड के साथ 1963 की गणतंत्र दिवस की परेड में आमंत्रित की थी। 1965 के युद्ध के दौरान भी गोलवलकर उन चंद लोगों में शामिल थे जिनसे तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने परामर्श किया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी गोलवलकर से काफी प्रभावित थे। वाजपेयी गोलवलकर की उपस्थिति में कभी कुर्सी पर ना बैठकर हमेशा जमीन पर बैठते थे।

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