जार्ज सोरेस है कौन जो मोदी को गिराने को खर्चेगा 100 अरब डॉलर?

George Soros Who Attacks Pm Modi Now And Then Has Black History As Economic War Criminal

कौन हैं अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस, जिसके PM मोदी पर बयानों को BJP बोल रही ‘राष्ट्र पर हमला’

Who is George Soros : जॉर्ज सोरोस उस दौलतमंद इंसान का नाम है जो खुद सिर से पांव तक अनैतिक कार्यों में लिप्त है, लेकिन दुनिया को नैतिकता का पाठ पढ़ाता है। बीजेपी ने जॉर्ज सोरोस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोरोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर लगातार हमले करते रहे हैं।

हाइलाइट्स
+हंगरी मूल के अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस फिर विवादों में हैं
+प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताते रहते हैं जॉर्ज सोरोस
+इस बार गौतम अडानी के बहाने पीएम मोदी पर हमला बोला है

नई दिल्ली 18 फरवरी : एक देश ने जिसे आर्थिक युद्ध अपराधी कहा है, उसने भारत के लोकतंत्र और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जंग छेड़ दिया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने हंगरी मूल के अमेरिकी अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि वो भारत के खिलाफ लंबे समय से एजेंडा चला रहे हैं। असल में जॉर्ज सोरोस उस व्यक्ति का नाम है जिसने यहां तक कह दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का भी खुलकर विरोध किया है। उसका नया वक्तव्य गौतम अडानी की कंपनियों के खिलाफ आई हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को लेकर आया है। उसने कहा कि अडानी का प्रधानमंत्री मोदी के साथ इतना घनिष्ठ संबंध है कि दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी हो गए हैं। भाजपा ने इसकी कड़ी आलोचना की है। वरिष्ठ नेता स्मृति इरानी ने पार्टी की ओर से मोर्चा संभालते हुए जॉर्ज सोरोस पर हमला बोला। उन्होंने सोरोस के बयान को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में हस्तक्षेप की कोशिश बताई है।

आइए जानते हैं कौन हैं भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले जॉर्ज सोरोस…

हंगरी में पैदा अमेरिकी अरबपति हैं जॉर्ज सोरोस

जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। वह सटोरिया, शेयरों का निवेशक और व्यापारी हैं। हालांकि, वो खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता कहलाना पसंद करता हैं। हालांकि, उस पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहता है। उस पर दुनिया कई देशों में कारोबार और समाजसेवा की आड़ लेकर पैसे के जोर पर वहां की राजनीति में दखल देने के गंभीर आरोप लगते रहते हैं। उसने कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने को खुलकर भारी-भरकम फंडिंग की। यही कारण है कि यूरोप और अरब के कई देशों में सोरोस की संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाकर पाबंदी लगा दी गई।

जॉर्ज सोरोस का यह ऐलान कि वो हिंदुस्तान में मोदी को झुका देंगे, हिंदुस्तान की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को ध्वस्त करेंगे उसका मुंहतोड़ जवाब हर हिंदुस्तानी को देना चाहिए।
@स्मृति इरानी, केंद्रीय मंत्री

कथित तानाशाहों से निपटने को 100 अरब डॉलर का फंड

जॉर्ज सोरोस ने 2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश को अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए भारी चंदा दिया था। उसने ओपन सोसाइटी यूनिवर्सिटी नेटवर्क (ओएसयूएन)  संस्था की स्थापित की और उस पर 100 अरब डॉलर खर्च करने का वादा किया। इसे दुनिया की सभी यूनिवर्सिटी के लोगों के लिए स्टडी और रिसर्च का प्लैटफॉर्म बताया जाता है। हालांकि, यह कितना समावेशी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोरोस ने इसकी स्थापना यह कहते हुए की कि वह दुनियाभर के तानाशाहों से निपटने के लिए इसकी स्थापना कर रहा है।

हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे में हस्तक्षेप करने का ऐलान करने वाले जॉर्ज सोरोस को हम आज एकसुर में जवाब दें कि लोकतांत्रिक सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके ऐसे गलत इरादों के सामने सिर नहीं झुकाएंगे।
@स्मृति इरानी, केंद्रीय मंत्री

सोरोस की नजर में ये हैं तानाशाह

सोरोस ने 2020 में यह भी बताया कि उनकी नजर में दुनिया के तानाशाह कौन-कौन हैं। उन्होंने स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम गिनाया था। उन्होंने कहा था कि ये सभी लोकतंत्र का गला घोंटकर तानाशाही को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर उन्होंने कहा कि वो भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। ट्रंप को उसने ठग और आत्ममुग्ध जबकि पुतिन को तानाशाह शासक कहा था। सोरोस ने कहा था कि जिनपिंग चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की परंपरा तोड़कर सत्ता की पूरी कमान अपने हाथों में ले ली है।

भाजपा का सोरोस पर हमला

केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने वाला व्यक्ति जो आर्थिक युद्ध अपराधी घोषित है, भारतीय लोकतंत्र को तोड़ने का सपना देख रहा है। उन्होंने कहा, ‘जॉर्ज सोरोस कई देशों के खिलाफ शर्तें लगाता है और अब भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित करने की अपनी दुर्भावना जाहिर कर चुका है।’ स्मृति बैंक ऑफ इंग्लैंड को तोड़ने की जो बात कर रही हैं, वह साल 1992 की घटना है। ब्रिटेन को वर्ष 1992 में ब्लैक वेडनसडे का सामना करना पड़ा था जिसमें सोरोस ने 1 अरब डॉलर कमाया था।

इंग्लैंड, फ्रांस, इटली… कई देशों में सोरोस का ‘अनैतिक व्यापार’

जॉर्ज सोरोस पर आरोप लगता रहा है कि वह जिस अकूत दौलत के दम पर दुनियाभर में दखल देता हैं, वह भी अनैतिक साधनों से जुटाई है। वर्ष 2002 में फ्रांस की अदालत ने सोरोस को अनैतिक और अनधिकृत व्यापार का दोषी पाया था। इसके लिए फ्रेंच कोर्ट ने सोरोस पर 23 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया था। जब उन्होंने फ्रांस की सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी तो उसने भी सोरोस का जुर्माना बरकरार रखा। अमेरिका में भी उन पर बेसबॉल खेलों में पैसा लगाकर अनैतिक तरीके से पैसे बनाने का आरोप लगा। इसी तरह, इटली की फुटबॉल टीम एएस रोमा को लेकर भी सोरोस विवादों में आए। सोरोस ने अपनी मां को आत्महत्या करने में मदद की थी। इस बात का खुलासा उसने ही साल 1994 में किया था।

कांग्रेस ने भी सोरोस को दिखाया आईना

बहरहाल, भाजपा ही नहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी जॉर्ज सोरोस के गौतम अडानी पर दिए बयान पर आपत्ति जताई है। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि गौतम अडानी को लेकर संसद में क्या पूछा जाएगा या सड़क पर यह हम तय करेंगे, इससे जॉर्ज सोरोस को दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ा अडानी घोटाले के बाद भारत में लोकतांत्रिक परंपराओं के पुनरुत्थान हो रहा है या नहीं, यह पूरी तरह कांग्रेस, विपक्ष और हमारी चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर है। जॉर्ज सोरोस से इसका कोई लेना-देना नहीं है। हमारी नेहरूवादी विरासत सुनिश्चित करती है कि उनके जैसे लोग हमारे चुनाव परिणाम तय नहीं कर सकते हैं।’

इसके पहले केंद्रीय स्मृति इरानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस पर जमकर निशाना साधा। स्मृति इरानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भारत की लोकतंत्र में हस्तक्षेप की कोशिश हो रही है। इरानी ने आगे कहा कि एक विदेशी ताकत जिसके केंद्र में जॉर्ज सोरोस हैं, उन्होंने ऐलान किया है कि वे भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर वार करेंगे। उसने ऐलान किया है कि वे प्रधानमंत्री मोदी को अपने वार का मुख्य बिन्दु बनाएगा।

जॉर्ज सोरोस के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी

केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आज देश की जनता को एक नागरिक होने के नाते मैं यह आह्वान करना चाहती हूं कि एक विदेशी ताकत जिसके केंद्र में हैं एक व्यक्ति जिनका नाम है जॉर्ज सोरोस। उन्होंने ऐलान किया है कि वो हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे पर चोट करेंगे। इरानी ने आगे कहा कि उन्होंने ऐलान किया है कि वो प्रधानमंत्री मोदी को अपने वार का मुख्य बिंदु बनाएंगे। उन्होंने ऐलान किया है कि वो हिंदुस्तान में अपनी विदेशी ताकत के अंतर्गत एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जो हिंदुस्तान नहीं बल्कि उनके हितों का संरक्षण करेगी।
इरानी ने आगे कहा कि जॉर्ज सोरोस का यह ऐलान कि वह हिंदुस्तान में मोदी को झुका देंगा, हिंदुस्तान की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को ध्वस्त करेंगा। उसका मुंहतोड़ जवाब हर हिंदुस्तानी को देना चाहिए।

‘गलत इरादों के सामने सिर नहीं झुकाएंगें मोदी’

जॉर्ज सोरोस से सवाल कर स्मृति इरानी ने पूछा कि  जॉर्ज सोरोस को हम एक स्वर में जवाब दें कि लोकतांत्रिक परिस्थितियों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार और हमारे प्रधानमंत्री ऐसे गलत इरादों के सामने सिर नहीं झुकाएंगे। हमने विदेशी ताकतों को पहले भी हराया है, आगे भी हराएंगे।

जॉर्ज सोरोस ने ऐसा क्या बोल दिया जो मच गया हंगामा
जॉर्ज सोरोस अमेरिका के बड़े कारोबारी हैं। उन्होंने देश में गरमाए अडानी मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। सोरोस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर शांत हैं। लेकिन उन्हें संसद में सवालों के जवाब के साथ विदेशी निवेशकों के भी जवाब दने होंगे। यह बातें उन्होंने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में कहीं हैं। सोरोस ने कहा था कि अडानी का मुद्दा भारत की फेडरेल सरकार पर मोदी की पकड़ को काफी कमजोर कर देगा। जॉर्ज सोरोस ने उम्मीद जताई थी कि भारत में लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा।

आस्ट्रेलिया में पत्रकारों से बातचीत में सोरेस संबंधित सवालों पर भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने सोरेस को बूढ़ा, थैलीशाह और खतरनाक सनकी बता कर किनारे कर दिया कि भारत में फैसला थैलीशाह नहीं एक अरब से ज्यादा मतदाता करते हैं।

 

 

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